Uttar Pradesh

Faizabad

CC/78/2012

Rajendra Prasad - Complainant(s)

Versus

Uppcl - Opp.Party(s)

16 Oct 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/78/2012
 
1. Rajendra Prasad
Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Uppcl
FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

परिवाद सं0-78/2012

               
राजेन्द्र प्रसाद पुत्र स्व0 श्री गिरधारी लाल निवासी मोहल्ला फतेहगंज षहर फैजाबाद परगना हवेली अवध तहसील व जिला फैजाबाद।                     .............. प्रार्थी/उपभोक्ता
बनाम
1.    अधिषाशी अभियंता निवासी विद्युत वितरण खण्ड फैजाबाद।
2.    अवर अभियंता विद्युत सब स्टेषन लालबाग षहर व जिला फैजाबाद।
                                                           .............. विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 16.10.2015            
उद्घोशित द्वारा: श्री विश्णु उपाध्याय, सदस्य।
                        निर्णय
    परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी ने घरेलू विद्युत कनेक्षन ले रखा है,. जिसका मीटर संख्या 807/150250 है। जिसके बिलों का भुगतान परिवादी बराबर करता चला आ रहा है। परिवादी ने दिनांक 12.03.2010 को ओ0टी0एस0 में रुपये 1,000/- रसीद संख्या 1/1160 से जमा किया। जिसके उपरान्त दिनांक 31.03.2010 को परिवादी को फाइनल बिल रुपये 3,466/- का बना कर दिया गया जिसे परिवादी ने उसी दिन रसीद संख्या 001405 से जमा कर दिया। जो दिनांक 31.03.2010 तक का फाइनल हो गया। विपक्षीगण ने परिवादी के उक्त फाइनल बिल को अपने कम्प्यूटर में फीड नहीं किया और पुनः बकाया दिखा कर दिनांक 27.03.2012 को रुपये 2,00,209/- का एक डिमाण्ड नोटिस भेज दिया। जब कि परिवादी ने दिनांक 31.03.2011 को ओ0टी0एस0 में रुपये 1,000/- रसीद संख्या 014276 से जमा कर रखा था। जिसकी रसीद विपक्षीगण ने परिवादी को नहीं दी और न ही कोई बिल ही बना कर दिया, जब कि बिल के लिये परिवादी कार्यालय के चक्कर लगाता रहा। दिनांक 27.03.2012 को विपक्षीगण ने परिवादी का विद्युत कनेक्षन काट दिया। परिवादी ने अपने सारे जमा बिल दिखाये तथा बताया कि ओ0टी0एस0 में भी परिवादी ने रुपये जमा कर रखे हैं, तो विपक्षीगण के कर्मचारियों ने परिवादी की बात नहीं सुनी। परिवादी के साथ घोर अन्याय हो रहा है, इसलिये परिवादी को अपना परिवाद दाखिल करना पड़ा। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को दिया गया बिल संख्या 44767822 को ठीक करा कर ओ0टी0एस0 का रुपया 1,000/- समायोजित कराया जाय, विद्युत कनेक्षन जुड़वाया जाय, विपक्षीगण से परिवादी को क्षतिपूर्ति व परिवाद व्यय दिलाया जाय।
    विपक्षीगण ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा कथित किया है कि कनेक्षन संख्या 0807/150250 के विद्युत बिलों का भुगतान समय से बराबर नहीं हो रहा है और परिवादी पर काफी बकाया है। परिवादी यही चाहता है कि विद्युत का उपभोग करता रहे और विद्युत मूल्य का भुगतान न करना पड़े। परिवादी ने ओ0टी0एस0 में अपना पंजीकरण भी कराया और उसका सर चार्ज माफ कर के विद्युत बिल भी बनाया गया मगर परिवादी ने ओ0टी0एस0 में बना बिल भी जमा नहीं किया। परिवादी ने बिल के अषुद्ध होने का कथन किया है जो कि बिल्कुल गलत है। उत्तरदातागण द्वारा परिवादी को दिनांक 05.05.2012 को पत्र उपलब्ध कराया जिसे उसने दिनांक 08.05.2012 को प्राप्त भी किया। उक्त पत्र में अंकित किया गया है कि परिवादी अपने समस्त अभिलेख ले कर किसी भी कार्य दिवस में सुबह 10 से 1 बजे के बीच कार्यालय में आ कर अपना बिल बनवा सकता है। लेकिन परिवादी अपने अभिलेख ले कर कार्यालय में उपस्थित नहीं हुआ। परिवादी को पुनः एक पत्र दिनांक 03.01.2013 को लिखा गया किन्तु परिवादी नहीं आया। बकाया रहने पर कनेक्षन काटने की कार्यवाही की जाती है। परिवादी को किसी भी प्रकार प्रताडि़त नहीं किया गया है। यदि किसी कर्मचारी ने कार्य न किया हो तो परिवादी को सक्षम अधिकारी के संज्ञान में यह बात लानी चाहिए। यदि परिवादी की षिकायत सही है तो उसका सुधार किया जायेगा। उत्तरदातागण परिवादी का सहयोग करने के लिये सदैव तत्पर हैं। परिवादी ने उ0प्र0 पावर कार्पोरेषन को पक्षकार नहीं बनाया है। परिवादी ने विद्युत बिलों को चैलेन्ज किया है, इसलिये परिवादी का परिवाद संधार्य नहीं है। परिवादी का परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है।
    पत्रावली का भली भंाति परिषीलन किया। परिवादी एवं विपक्षीगण द्वारा दाखिल साक्ष्यों व प्रपत्रों का अवलोकन किया। परिवादी ने दिनांक 12.03.2010 को ओ0टी0एस0 मंे रुपये 1,000/- जमा किया है जिसकी रसीद की छाया प्रति परिवादी ने दाखिल की है। परिवादी को दिनांक 31.03.2010 को बिल संषोधित कर के मिला जिसे परिवादी ने उसी दिन रुपये 3,466/- विपक्षी के यहां जमा कर दिया, उक्त बिल की भी छाया प्रति परिवादी ने दाखिल की है। उक्त बिल दिनांक 31.03.2010 तक का फाइनल बिल है जिसकी रसीद पर विपक्षीगण द्वारा अंकित किया गया है। परिवादी ने दिनंाक 31.08.2011 को पुनः ओ0टी0एस0 में रुपये 1,000/- जमा किया है। जिसकी रसीद की छाया प्रति परिवादी ने दाखिल की है। उक्त ओे0टी0एस0 मंे जमा रुपये 1,000/- के बाद विपक्षीगणों ने परिवादी को संषोधित बिल जारी नहीं किया है, बल्कि बिल जारी करने के बाद विपक्षीगणों ने परिवादी को दिनांक 09-02-2011 को रुपये 1,73,865/- रुपये की आर0सी0 जारी कर दी है। परिवादी ने विद्युत रिकनेक्षन फीस दिनांक 15.02.2011 को जमा की है, उक्त की रसीद की छाया प्रति दाखिल की है। दिनांक 27.03.2012 को विपक्षीगण ने परिवादी को रुपये 2,00,209/- रुपये की डिमाण्ड नोटिस जारी की है, जो कि गलत है। परिवादी का विद्युत कनेक्षन 1 किलो वाट का है। दिनांक 31.03.2010 से दिनांक 09.02.2011 तक 11 माह में परिवादी का विद्युत बिल रुपये 1,73,865/- नहीं हो सकता है, जिसकी आर0सी0 विपक्षीगणों ने जारी की है। दिनांक 09.02.2011 से 27.03.2012 तक 13 माह का डिमाण्ड नोटिस विपक्षीगण ने परिवादी को रुपये 2,00,209/- का भेजा है। 13 माह में आर0सी0 व डिमाण्ड नोटिस में रुपये 26,345/- का अन्तर है। इसका तात्पर्य यह है कि परिवादी का बिल 13 माह में रुपये 26,345/- तक का हो सकता है किन्तु 11 माह में जब फाइनल भुगतान दिनांक 31.03.2010 को जमा किया गया तो परिवादी का बिल दिनांक 14.06.2013 को रुपये 1,73,865/- नहीं हो सकता। इसलिये विपक्षीगण द्वारा परिवादी को गलत डिमाण्ड नोटिस जारी की गयी है। विपक्षीगण द्वारा जारी डिमाण्ड नोटिस दिनांक 09.02.2011 तथा आर0सी0 दिनांक 27-03-2012 निरस्त किये जाने योग्य हैं। विपक्षीगण ने कहा है कि उन्होंने परिवादी को दिनांक 05.05.2012 को पत्र उपलब्ध कराया जिसे उसने दिनांक 08.05.2012 को प्राप्त भी किया। उक्त पत्र में अंकित किया गया है कि परिवादी अपने समस्त अभिलेख ले कर किसी भी कार्य दिवस में सुबह 10 से 1 बजे के बीच कार्यालय में आ कर अपना बिल बनवा सकता है और परिवादी को पुनः एक पत्र दिनांक 03.01.2013 को लिखा गया किन्तु परिवादी नहीं आया। विपक्षीगण ने उक्त पत्रों की कोई छाया प्रतियां दाखिल नहीं की हैं। अतः विपक्षीगण का यह कथन प्रमाणित नहीं है। विपक्षीगण ने परिवादी को गलत आर0सी0 व डिमाण्ड नोटिस जारी कर के अपनी सेवा में कमी की है। विपक्षीगण द्वारा जारी आर0सी0 दिनांक 09-02-2011 तथा डिमाण्ड नोटिस दिनांक 27.03.2012 निरस्त किये जाने योग्य हैं। परिवादी विपक्षीगण के कार्यालय में अपने मीटर की वर्तमान रीडिंग नोट करावे तथा विपक्षीगण परिवादी को रीडिंग के अनुसार बिल जारी करें, जिसमें विपक्षीगण परिवादी के बिल में सरचार्ज व ब्याज नहीं लगायेंगे। परिवादी अपना परिवाद प्रमाणित करने में सफल रहा है। विपक्षीगणों ने अपनी सेवा में कमी की है। परिवादी का परिवाद विपक्षीगणों के विरुद्ध आंषिक रुप से स्वीकार एवं अंाषिक रुप से खारिज किये जाने योग्य है।  
आदेश
    परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध आंषिक रुप से स्वीकार एवं आंषिक रुप से खारिज किया जाता है। विपक्षीगण द्वारा जारी आर0सी0 दिनांक 09-02-2011 तथा डिमाण्ड नोटिस दिनांक 27.03.2012 निरस्त किये जाते हैं। विपक्षीगण को आदेषित किया जाता है कि वह परिवादी के द्वारा आदेष की दिनांक से 30 दिन के अन्दर अपने मीटर की रीडिंग विपक्षीगण के यहां देने पर, रीडिंग की दिनांक से 30 दिन के अन्दर परिवदी को विद्युत बिल बिना किसी ब्याज व सरचार्ज के जारी करें। बिल प्राप्त होने के 20 दिन के अन्दर परिवादी विद्युत बिल जमा करे। यदि परिवादी का विद्युत कनेक्षन कटा हुआ है तो रिकनेक्षन फीस जमा करा कर परिवादी का विद्युत कनेक्षन बिल जमा होने के तुरन्त बाद दो दिन में जोड़ दिया जाय। विपक्षीगण परिवादी को क्षतिपूर्ति के मद में रुपये 1,000/-  तथा परिवाद व्यय के मद मंे रुपये 1,000/- का भी भुगतान करें जिसे परिवादी के विद्युत बिल में समायोजित किया जा सकेगा।     
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 16.10.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                     अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.