न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम द्वितीय बरेली ।
वाद संख्या - 01/2014
उपस्थितः 1. श्री बालेन्दु सिंह , अध्यक्ष
2.श्रीमती सीमा शर्मा , सदस्य
मोहम्मद वसीम आयु 35 वर्ष पुत्र स्व0 मोहम्मद समीउल्ला , निवासी - मोहम्मद अंसारी , फतेहगंज पश्चिमी , जिला बरेली।
............परिवादी
बनाम
1. मध्यांचल विघुत वितरण निगम लि0 , मार्फत श्री संतोष सिंह कुशवाहा , अवर अभियन्ता (जे0 ई0) फतेहगंज पश्चिमी , तहसील मीरगंज , जनपद बरेली।
2. विघुत वितरण खण्ड-प्रथम , मध्यांचल विघुत वितरण निगम लि0 काटजू मार्ग , बरेली , मार्फत श्रीमान अधिशासी अभियन्ता।
............विपक्षीगण
द्वारा: श्री बालेन्दु सिंह , अध्यक्ष। दिनांकः 19.03.2015
निर्णय
1. परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद निम्न अनुतोष हेतु दाखिल किया है-
(अ) विपक्षी का त्रुटिपूर्ण बिल रु0 26659/- एवं भविष्य बिल निरस्त करवाये जाने हेतु तथा विपक्षीगण को आदेशित किया जाये कि वे वास्तविक आंकडों एवं ग्रामीण क्षेत्र के आधार पर संशोधन बिल जारी करें।
(ब) विपक्षी सं0 1 द्वारा ली गयी धनराशि रु0 20,000/- की जमा रसीद परिवादी को दिलायी जाये।
2. परिवादी कथन यह है कि उनके पिता मोह0 समीउल्ला पुत्र स्व0 इनायत उल्ला के नाम से 1 किलोवाट का घरेलू विघुत कनेक्शन है। जिसका खण्ड संकेत 341 बुक सं0 0575 व कनेक्शन नं0 022025 है। कनेक्शन धारक मो0 समीउल्ला की मृत्यु हो चुकी है। परिवादी मो0 समीउल्ला का पुत्र एवं विधिक वारिस है। अतः परिवादी विघुत उपभोक्ता है।
3. परिवादी को दिनांक 17.08.2013 को एक बिल बकाया धनराशि रु0 25679/- का प्रेषित किया गया। जिसे वास्तविक आंकडों के आधार पर संशोधित कराने हेतु विपक्षीगणों से सम्पर्क किया गया जिस पर परिवादी की परिस्थितियों के आधार पर संशोधित बिल जारी करने की प्रार्थना की थी। उसी समय परिवादी ने विपक्षीगण को बताया कि उसके घर का अंतिम बिल दिनांक 18.02.2002 को धनराशि रु0 1,069/-(एक हजार उन्हत्तर रुपये मात्र) का भुगतान किया जा चुका है।
4. परिवादी के अनुसार दिनांक 09.09.2013 को विपक्षी सं0 1 श्री संतोष सिंह कुशवाहा परिवादी के घर आये और उन्होंने कहा कि बीस हजार रुपये नकद दो , जिसमें तुम्हें रु0 10,000 /- की रसीद मिलेगी , बाकी का बकाया बिल हम समाप्त कर देंगे। जे0ई0 साहब के आश्वासन पर भरोसा करके परिवादी ने रु0 13,000/- अपने पास से रु0 7,000/- मो0 यूनिस से उधार लेकर कुल
रु0 20,000/- नकद दिनांक 09.09.2013 को दे दिये। जे0ई0 ने रुपये लेकर रसीद दो दिन बाद देने की बात कहीं सारी बात परिवादी ने व गाॅव वालों व गवाहान मो0 यूनिस , मो0 हनीफ व अख्तर पुत्र अफगर व रईस अहमद पुत्र अब्दुल रहमान व अख्तर पुत्र असगर निवासी-फतेहगंज पश्चिमी , के सामने हुई व रु0 20,000/- भी उक्त गवाहान के सामने विपक्षी जे0ई0 को दिये जो उन्होंने अपने हाथ में लेकर जेब में रख लिये। जिसमें से रु0 7,000/- मो0 यूनुस ने उसी दिन अपने ए0टी0एम0 से निकालकर परिवादी को उधार दिये थे।
5. परिवादी ने दिनांक 09.09.2013 के बाद से लगातार विपक्षी सं0 1 से सम्पर्क करता रहा किन्तु वह तरह-तरह के बहाने बनाकर बिल की रसीद को टालते रहे और रसीद नहीं दी , अन्त में दिनांक 13.09.2013 को धमकी दी।
6. परिवादी को अत्याधिक विघुत बिल भेजकर मानसिक तनाव उत्पन्न किया गया। जो विपक्षीगण की त्रुटिपूर्ण सेवा का प्रतीक है। जिसके लिए परिवादी कम से कम पचास हजार रुपये क्षतिपूर्ति एंव वाद व्यय पाने का अधिकारी है।
7. विपक्षीगण ने अपने उत्तर पत्र में परिवादी के कथन को अस्वीकार करते हुए यह कहा है कि विघुत संयोजक संख्या 022025/0575/341 मो0 समीउल्ला के नाम से एक किलोवाट का विघुत कनेक्शन था। मो0 समीउल्ला की मृत्यु के बाद यदि परिवादी उक्त मो0 समीउल्ला का वारिस है तो विघुत संयोजन अपने नाम से अन्तरित करवाना चाहिए था। मो0 समीउल्ला के विघुत कनेक्शन पर रु 25779/- की धनराशि बकाया थी। इसलिये बकाया धनराशि के अधार पर तथा मो0 समीउल्ला की मृत्यु हो जाने के कारण उक्त कनेक्शन विच्छेदित कर दिया गया था। परिवादी मो0 वसीम के नाम से कोई विघुत कनेक्शन नहीं था। वह एक किलोवाट की विघुत चोरी से उपयोग करता पाया गया जिसके लिये उसके खिलाफ थाना फतेहगंज बरेली पश्चिमी में मुकदमा अपराध संख्या 755/13 धारा 135 विघुत अधिनियम के अन्र्तगत कायम कराया गया है। परिवादी मो0 वसीम पर एसिसमेन्ट की धनराशि रु 34057/- बनती है। जिसे वह अदा नहीं कर रहा है और दबाब बनाने के लिए यह झूठा मुकदमा कर दिया है।
8. परिवादी व विपक्षी दोंनों को साक्ष्य का अवसर दिया गया। दोनों पक्षो ने मौखिक व अभिलेखिय साक्ष्य प्रस्तुत किये है।
9. उभय पक्षो के तर्क सुने गये पत्रावली का परिशीलन किया गया।
निष्कर्ष
10. यह तथ्य र्निवादित है कि प्रश्नगत विघुत कनेक्शन परिवादी के नाम से नहीं है बल्कि उसके मृतक पिता मो0 समीउल्ला के नाम से था। विपक्षीगण के अनुसार उक्त विघुत कनेक्शन वर्तमान में विच्छेदित है और उसका विघुत बकाया जमा नहीें किया गया है।
11. पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य से यह सिद्ध है कि विघुत चैकिंग में परिवादी मो0 वसीम एक किलोवाट की विघुत चोरी करते पाया गया था। जिसके लिये उसके विरुध थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट धरा 135 विघुत अधिनियम के अन्र्तगत पंजीक्रत करायी गयी है। पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य से यह भी सिद्ध है कि परिवादी मो0 वसीम को विघुत अधिनियम की धारा 126 के अन्र्तगत रु 34057/- की अस्सिमेंट नाटिस जारी की गयी है। तृतीय (2013) सी.पी.जे.(उच्चतम न्यायालय) उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन बनाम अनीस अहमद निर्णय विधि में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित विधि के आलोक में यह विवाद ‘ उपभोक्ता विवाद ‘ नहीं है ।
12. परिवादी के योग्य अधिवक्ता ने तर्क दिया कि विपक्षीगण ने उनसे अवैध धन की मांग की थी और न देने पर बिजली चोरी की कार्यवाही की थी। हमारे विचार से अवैध धन वसुली का प्रकरण फोरम का विचारणीय विषय नहीं है। अतः इस पर कोई टिप्पणी वांछित नहीं है ।
13. उपरोक्त तथ्यों से सिद्ध है कि यह प्रकरण विघुत चोरी का है। विघुत चोरी से सम्बन्धित मामलो की सुनबाई का क्षेत्राधिकार जिला उपभोक्ता फोरम को नहीं है। हमारी राय में परिवादी का यह परिवाद संधारणीय नहीं है और खारिज हाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है। पक्षकार वाद व्यय स्वंय वहन करें।
(श्रीमती सीमा शर्मा) ( श्री बालेन्दु सिंह )
सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 19.03.2015 को खुली अदालत में घोषित किया गया।
(श्रीमती सीमा शर्मा) ( श्री बालेन्दु सिंह )
सदस्या अध्यक्ष