Uttar Pradesh

Faizabad

CC/129/2012

Manoj Kumar - Complainant(s)

Versus

Uppcl - Opp.Party(s)

30 Jan 2016

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/129/2012
 
1. Manoj Kumar
Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Uppcl
LUCKNOW
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

              परिवाद सं0-129/2012

               
मनोज कुमार पुत्र श्री मंगला प्रसाद मिश्रा निवासी महरई मोहम्मदपुर पोस्ट गौरा थाना तारून जिला फैजाबाद।                                                   ...........परिवादी
                            बनाम
1    उ0प्र0 पावर कारपोरेेषन लिमि0 14 अषोक मार्ग षक्ति भवन लखनऊ द्वारा चेयरमैन। 
2    अधीक्षण अभियन्ता विद्युत वितरण मंडल फैजाबाद।
3    क्षेत्रीय अवर अभियन्ता विद्युत विभाग सब स्टेषन गयासपुर गौराघाट बीकापुर फैजाबाद।                                              ..........  विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 30.01.2016            
उद्घोषित द्वारा: श्रीमती माया देवी षाक्य, सदस्या।
                        निर्णय
    परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी विद्युत कनेक्षन सं0 4121/026276 की धारक है। परिवादी ने अपने विद्युत कनेक्षन के लिए विपक्षी विभाग के अवर अभियन्ता संबंधित से मिलकर उनके बताए गए स्टीमेट के अनुसार रूपये 13,500/- अवर अभियन्ता को दिया और अवर अभियंता ने कहा कि चूंकि परिवादी का मकान 4.0 फीट की दूरी से अधिक है इसलिए एक पोल का खर्च भी आपको वहन करना पड़ेगा, इस लिए खर्च अधिक आ रहा है। परिवादी उक्त अवर अभियन्ता द्वारा बताए गए खर्च को तुरन्त मानकर रूपये 13,500/- दे दिया। परिवादी को अवर अभियन्ता ने नंगे तारों द्वारा लाइन खींच कर कनेक्षन निर्गत कर दिया। तब से परिवादी विद्युत उपभोग निरंतर करता चला आ रहा है। परिवादी को जिन नंगे तारांे द्वारा विद्युत आपूर्ति की जा रही है वह मानक के अनुसार नहीं हैं और उनकी ऊंचाई काफी कम है। हर समय खतरा बना रहता है कि करंेट से कोई दुर्धटना न हो जाय। इसलिए परिवादी ने अवर अभियन्ता से अनेकांे बार कहा किन्तु विद्युत के नंगे ढीले तारों को ठीक नहीं किया गया। बल्कि अवर अभियन्ता ने कहा कि ज्यादा कानून दिखाओगे तो कनेक्षन काट दिया जाएगा। परिवादी ने कहा कि आपने रसीद मात्र रूपये 3,500/- की दिया है और वसूल किया है रूपये 13,500/- इसलिए कनेक्षन के बीच में पोल लगाकर मानक के अनुसार तारों की ऊपर उठवायें और निर्बाध रूप से विद्युत आपूर्ति करना आपकी पूर्ण जिम्मेदारी है। संबंधित अवर अभियन्ता ने तो रूपये 10,000/- वापस ही कर रहे हैं और न कनेक्षन के बीच में कोई पोल ही लगा रहे हैं। मजबूर होकर परिवादी ने अधीक्षण अभियन्ता महोदय से षिकायत किया किन्तु आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई बल्कि अवर अभियन्ता द्वारा निरंतर धमकी दी जा रही है कि कनेक्षन काट दिया जाएगा। जिस कारण परिवादी को वाद दायर करना आवष्यक हो गया। विपक्षी विद्युत विभाग को आदेषित किया जाय कि निर्धारित समय सीमा के अन्दर वह विद्युत संयोजन के मध्य नियमानुसार पोेेेेल लगाए। परिवादी को क्षतिपूर्ति रूपये 70,000/- तथा वाद व्यय 10,000/- दिलाया जाय। परिवादी का कनेक्षन विच्छेदित न करंे। 
    विपक्षी ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा परिवादी के परिवाद की धारा 1 व 2 केे तथ्यों को स्वीकार किया है। परिवादी ने केवल फर्जी बातंे लिखी हैं, जिससे इंकार है। सत्यता यह है कि परिवादी द्वारा मात्र रूपये 1,350/- देकर पंखा बत्ती का 1 किलो वाट का कनेक्षन दिनंाक 11-01-2011 को रसीद सं0 14/049423 में जमा किया है और अनुबंध के अनुसार उसे कनेक्षन सं. 4121/026276 निर्गत है। परिवादी द्वारा कभी भी पोल आदि के लिए रुपये 10,000/- की मांग नहीं की गई है और उसने न तो दिया है। वाद को तूल देने के लिए दोशपरोपण किया गया है। परिवादी का कनेक्षन निर्बाध रूप चल रहा है। उसको पी0वी0सी0 पोल द्वारा कनेक्षन निर्गत किया गया है। इसमें नया तार, खम्भा इत्यादि कुछ भी नहीं है। परिवादी किसी भी उपषम को प्राप्त करने का अधिकारी नही है। परिवादी ने अकारण वाद प्रस्तुत किया है जो सव्यय निरस्त होने योग्य है।
पत्रावली का भली भंाति परिषीलन किया। परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में षपथ पत्र, विपक्षी को भेजे गये नोटिस दिनांक 01.06.2012 की कार्बन प्रति, नये विद्युत कनेक्षन के लिये जमा किये गये रुपये 1,350/- की रसीद दिनांक 11.01.2011 की छाया प्रति तथा विद्युत बिल जमा किये जाने की रसीद दिनांक 29.01.2012 व 21.02.2012 की छाया प्रति दाखिल की हैं जो षामिल पत्रावली है। विपक्षी ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना लिखित कथन और उपखण्ड अधिकारी विद्युत वितरण उपखण्ड बीकापुर की रिपोर्ट की छाया प्रति दाखिल की है जो षामिल पत्रावली है। परिवादी एवं विपक्षी द्वारा दाखिल प्रपत्रों से प्रमाणित है कि परिवादी को एक किलो वाट का विद्युत कनेक्षन दिया गया है। परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन में ऐसा कोई साक्ष्य दाखिल नहीं किया है जिससे यह प्रमाणित हो कि उससे विपक्षीगण ने कोई अतिरिक्त पैसा लिया हो। परिवादी अपना परिवाद प्रमाणित करने में असफल रहा है। विपक्षीगण ने अपनी सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। 
आदेष
    परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है। 
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 30.01.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष
           

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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