(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील सं0 :- 399/2002
(जिला उपभोक्ता आयोग, वाराणसी द्वारा परिवाद सं0-66/2000 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 06/06/2001 के विरूद्ध)
Lalta Prasad S/O Late Jokhoo r/o Suddhipur Post Sheopur Tehsil and Distt Varanasi.
- Appellant
Versus
Chairman Uttar Pradesh State Electricity Board, Shakti Bhawan Lucknow. Now Uttar Pradesh Power Corporation Shakti Bhawan Lucknow. & another
समक्ष
- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
उपस्थिति:
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री एम0एच0 खान
प्रत्यर्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता:-श्री दीपक मेहरोत्रा के सहयोगी
अधिवक्ता श्री मनोज कुमार
दिनांक:-11.10.2022
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- जिला उपभोक्ता आयोग, वाराणसी द्वारा परिवाद सं0 66/2000 लालता प्रसाद बनाम अध्यक्ष राज्य विद्युत परिषद में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 06.06.2001 के विरूद्ध यह अपील स्वयं परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गयी है। जिला उपभोक्ता मंच ने परिवाद स्वीकार करते हुए विद्युत विभाग को निर्देशित किया है कि परिवाद दाखिल करने की तिथि तक ग्रामीण विद्युत अधिभार के अनुसार विद्युत शुल्क वसूला जाये तथा परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि के पश्चात शहरी विद्युत अधिभार की दर से शुल्क वसूला जाये।
- अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्युत विभाग द्वारा कभी भी यह सूचित नहीं किया गया कि उनका विद्युत कनेक्शन शहरी क्षेत्र में आ चुका है, इसलिए शहरी दर से विद्युत शुल्क की वसूली की जायेगी क्योंकि यह भी सूचना दे दी गयी होती तब हो सकता है कि परिवादी विद्युत कनेक्शन जारी रखने से इंकार कर देता। यह तर्क केवल कल्पना/संभावना पर आधारित है।
- अपीलार्थी/परिवादी को इस तथ्य की जानकारी मौजूद होने का निष्कर्ष जिला उपभोक्ता मंच द्वारा दिया गया है कि उसका विद्युत कनेक्शन शहरी क्षेत्र में परिवर्तित हो चुका है इसलिए जिला उपभोक्ता मंच ने सहानुभूति दर्शित करते हुए परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि तक ग्रामीण दर से ही विद्युत बिल जारी करने का आदेश दिया है यद्यपि इस निष्कर्ष के बावजूद कि उपभोक्ता को यह जानकारी है कि उसका कनेक्शन शहरी क्षेत्र में आ चुका है तब परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि तक ग्रामीण क्षेत्र के आधार पर देय विद्युत शुल्क के संबंध में आदेश पारित करने का कोई औचित्य नहीं था, परंतु चूंकिे विद्युत विभाग द्वारा आदेश के इस भाग को चुनौती नहीं दी गयी इसलिए इस आदेश को परिवर्तित करना संभव नहीं है परंतु यह अवश्य है कि उपभोक्ता द्वारा उसके पक्ष में आदेश होने के बावजूद भी अनावश्यक रूप से इस आयोग के समक्ष यह अपील प्रस्तुत कर आयोग का समय निरंतर रूप से जाया किया गया है इसलिए अपील अंकन 20,000/- रूपये हर्जे सहित खारिज किये जाने योग्य है।
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प्रस्तुत अपील अंकन 20,000/- रू0 हर्जे सहित खारिज की जाती है।
उभय पक्ष अपीलीय वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप आशु0 कोर्ट 3