Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/2194

Jinendra Singh - Complainant(s)

Versus

UPPCL - Opp.Party(s)

G S Singh

18 May 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/2194
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Jinendra Singh
Bijnour
...........Appellant(s)
Versus
1. UPPCL
Bijnour
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Alok Kumar Bose PRESIDING MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                   (सुरक्षित)

अपील संख्‍या :2194/2007

(जिला मंच, बिजनौर द्धारा परिवाद सं0-49/2006 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 30.8.2007 के विरूद्ध)

जिनेन्‍द्र पुत्र स्‍व0 नत्‍थू सिंह, निवासी ग्राम जैतरा, परगना व तहसील धामपुर, जिला बिजनौर।

                                                           ...........अपीलार्थी/परिवादी

बनाम          

1    अधिशाषी अभियंता, विद्युत वितरण खण्‍ड, धामपुर, जनपद बिजनौर।

2    उत्‍तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड, लखनऊ द्वारा सी0एम0डी0, शक्ति भवन, लखनऊ।

3    श्री कृष्‍ण कुमार

4    श्री विरेन्‍द्र दत्‍त जोशी, लाइनमैन, जैतरा विद्युत वितरण खण्‍ड, धामपुर, जनपद बिजनौर।

                                                       ..........प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष :-

मा0 श्री जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा, पीठासीन सदस्‍य

मा0 श्री संजय कुमार, सदस्‍य

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता :    कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता   :    कोई नहीं।

दिनांक : .......................

          मा0 श्री जे0एन0 सिन्‍हा, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

            परिवाद सं0 49/1996 जिनेन्‍द्र बनाम अधिशाषी अभियंता, विद्युत वितरण खण्‍ड, बिजनौर व अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 30.8.2007, जिसके माध्‍यम से जिला मंच, बिजनौर द्वारा परिवाद निरस्‍त कर दिया गया, से क्षुब्‍ध होकर परिवादी/अपीलार्थी पक्ष की ओर से वर्तमान अपील योजित किया गया है।

पक्षकारान की ओर से वर्तमान प्रकरण में कोई उपस्थित नहीं आया एवं अपीलार्थी की ओर से भी कोई उपस्थित नहीं आ रहा है एवं अपीलार्थी

-2-

की अनुपस्थिति के कारण भी अपील खण्डित किये जाने योग्‍य है, परन्‍तु वर्तमान प्रकरण में यह उचित पाया गया है कि इस अपील का निस्‍तारण गुणदोष के आधार पर कर दिया जाय, अत: पीठ द्वारा प्रश्‍नगत निर्णय व उपलब्‍ध अभिलेखों का गम्‍भीरता से परिशीलन किया गया।

परिवादी द्वारा वर्तमान परिवाद जिला मंच के समक्ष इस अभिवचन के साथ प्रस्‍तुत किया गया कि जमा धनराशि का समायोजन करके भुगतान की रसीद प्राप्‍त करा दे तथा गलत बिल दिनांक 23.8.2005 व रू0 1,84,448.00 तथा बिजली चोरी की रिकवरी अंकन 15,669.00 दिनांक 18.01.2006 व दूसरा बिल दिनांक 27.01.2006 अंकन 1,92,441.00 के आधार पर कोई वसूली की कार्यवाही न की जाय।

विपक्षी सं0-1 की ओर से आपत्ति योजित कर परिवाद का विरोध किया गया और यह अभिवचित किया गया कि लेजर के अनुसार माह जुलाई, 1985 के संयोजन के पश्‍चात केवल तहसील के ही माध्‍यम से रूपया दिनांक 14.01.1999 को जमा किया गया था, इसके अलावा और कोई रूपया जमा नहीं किया गया एवं परिवादी द्वारा रूपया जमा करने का साक्ष्‍य प्रस्‍तुत करने पर समायोजन कर दिया जायेगा एवं बकाया होने पर परिवादी का कनेक्‍शन वर्ष-2005 में काट दिया गया एवं दिनांक 18.9.2005 को प्रवर्तन दल ने चैकिंग के दौरान पाया कि उपभोक्‍ता कनेक्‍शन कटे होने के बावजूद अन्‍य कटिया केबिल डालकर मीटर बाईपास करके विद्युत उपभोग कर रहा है और एफ0आई0आर0 दर्ज करायी गई एवं नियमानुसार 15,669.00 का निर्धारण डाला गया एवं मीटर बकाया पर दिनांक 22.5.2006 को मीटर सीलिंग द्वारा स्‍थाई विच्‍छेदन हेतु उतार लिया गया। वर्तमान प्रकरण में विपक्षी सं0-3 व 4 की ओर से भी परिवाद का विरोध किया गया और विपक्षी सं0-1 के अभिवचनों का समर्थन किया है।

उभय पक्ष के अभिवचन एवं उपलब्‍ध अभिलेखों पर विचार करते हुए जिला मंच द्वारा उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया, जिससे क्षुब्‍ध होकर वर्तमान अपील योजित है।

वर्तमान प्रकरण में यह पाया जाता है कि परिवादी पर मार्च, 2003 का रू0 53,264.00 बकाया होने के कारण उसका विद्युत कनेक्‍शन विच्‍छेदित कर दिया गया था, इसके बावजूद भी परिवादी

-3-

कटिया केबिल डालकर एवं मीटर बाईपास करके विद्युत का प्रयोग कर रहा था और इस संदर्भ में दिनांक 18.9.2005 को प्रवर्तन दल ने चैकिंग के दौरान यह पाया कि उपभोक्‍ता कनेक्‍शन कटे होने के बावजूद अन्‍य कटिया केबिल डालकर मीटर वाईपास करके विद्युत उपभोग कर रहा है एवं परिवादी के विरूद्ध एफ0आई0आर0 दर्ज करायी गई एवं नियमानुसार 15,669.00 का निर्धारण डाला गया एवं मीटर बकाया पर दिनांक 22.5.2006 को स्‍थाई विच्‍छेदन किया गया है। अत: वर्तमान प्रकरण स्‍पष्‍ट रूप से विद्युत चोरी से सम्‍बन्धित है और इस संदर्भ में प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण की ओर से माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा  U.P. Power Corporation Ltd. & Ors Vs. Anis Ahmad III (2013) CPJ 1 (SC) की ओर पीठ का ध्‍यान आकर्षित कराया, जिसमें इस आशय का सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि विद्युत चोरी तथा विद्युत देयों से सम्‍बन्धित और असेसमेण्‍ट से सम्‍बन्धित मामले में उपभोक्‍ता फोरम को क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है और परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता है।

ऐसी स्थिति में इस प्रकरण में हमारे द्वारा गुण-दोष के आधार पर कोई अभिमत व्‍यक्‍त करना न्‍यायोचित एवं विधि अनुकूल नहीं होगा। अत: हमारे अभिमत में मा0 उच्‍चतम न्‍यायालय के उपरोक्‍त निर्णय के आलोक में अपील खण्डित किये जाने योग्‍य है।

आदेश

प्रस्‍तुत अपील खण्डित की जाती है।

 

       (जे0एन0 सिन्‍हा)                    (संजय कुमार)

       पीठासीन सदस्‍य                      सदस्‍य

 

हरीश आशु.,

कोर्ट सं0-3

 
 
[HON'BLE MR. Alok Kumar Bose]
PRESIDING MEMBER

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