Uttar Pradesh

Faizabad

CC/197/2000

Jagdamba Prasad Patwa - Complainant(s)

Versus

Uppcl - Opp.Party(s)

12 Jan 2016

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/197/2000
 
1. Jagdamba Prasad Patwa
Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Uppcl
FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

              परिवाद सं0-197/2000

जगदम्बा प्रसाद पटवा आयु लगभग 56 साल पुत्र राम औतार पटवा साकिन मौहल्ला 2/17/51 बाजार मिर्जा अली (दिल्ली दरवजा रोड) परगना हवेली अवध, तहसील सदर, जिला फैजाबाद। 
                                                         .............. परिवादी
बनाम
1.    अधिषाशी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड प्रथम, पावर करपोरेषन लिमिटेड, जिला फैजाबाद उ0प्र0। 
2.    उत्तर प्रदेष पावर कारपोरेषन लिमिटेड द्वारा महा प्रबन्धक षक्ति भवन लखनऊ। 
3.    जिलाधिकारी महोदय, फैजाबाद। 
4.    राज्य उ0प्र0 द्वारा कलेक्टर फैजाबाद।                           .............  विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 12.01.2016            
उद्घोषित द्वारा: श्रीमती माया देवी षाक्य, सदस्या।
                        निर्णय
    परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी की एक छोटी नजूल की दुकान सं0 358 चैाक तिनदरा पूर्वी गेट फैजाबाद में स्थित है। परिवादी/प्रार्थी बीमार विकलांग अनपढ़ गरीब लाचार व्यक्ति है। वाद के दायर करने में यदि कोई विलम्ब हुबा हो तो उसे मियाद मर्शण किया जाये। दिनांक 05-03-1995 को परिवादी के दुकान की छत के ठीेक ऊपर विद्युत विभाग द्वारा तीन मोटे केबिलों को एक में बांधकर विद्युत कर्मचारियों द्वारा जोड़ा गया था। उसी समय परिवादी ने उक्त केबिल के विशय में एतराज जाहिए किया था, परन्तु विद्युत विभाग के जे0 ई0 ने यह कहकर मना कर दिया था कि कोई हर्जा नहीं है और कुछ भी नहीं होगा। दिनांक 18/19-06-1995 की रात में करीब तीन बजे परिवादी की दूकान की छत पर जोड़े गये तीनों मोटी विद्युत केबिलों में विद्युत की षार्ट सर्किट के कारण आग लगी और उसी के नीचे परिवादी की दुकान जल कर राख हो गयी। उक्त घटना की सूचना परिवादी को प्रातः 4 बजे के लगभग पुलिस/फायर ब्रिगेड द्वारा बतायी गयी कि परिवादी दुकान में आग लग गई है। परिवादी ने तत्काल घर से आकर देखा कि सम्पूर्ण सामान कीमती लगभग पन्द्रह हजार रूपया का था, उक्त केबिलों के षार्ट सर्किट द्वारा लगी आग के कारण जलकर राख हो गया है। परिवादी ने इस घटना की एक एफ0आई0आर0 उसी दिन नगर कोतवली में जाकर की और विद्युत विभाग फैजाबाद में भी षिकायती पत्र दिया। उक्त घटना को दषर्ति करते हुए परिवादी ने जिलाधिकारी फैजाबाद, तथा तहसील सदर फैजाबाद को भी एक-एक प्रार्थना पत्र त्वरित राहत दिलाने हेतु दिये, जिस पर आज तक कोरा आष्वासन ही मिलता रहा। परिवादी ने एक प्रार्थना पत्र मुख्यमंत्री उ0प्र0 षासन को भी भेजा परन्तु अब तक एक नये पैसे का भी राहत नहीं प्राप्त हुआ, परिवादी का काफी पेैसा व समय बरबाद हुआ। परिवादी विकलांग व्यक्ति है, इस कारण परिवादी अब आगे दौड़ भाग कर पाने में असमर्थ है। सूचना व प्रार्थना पत्र देने के बाद भी विद्युत विभाग ने न तो कनेक्षन जोड़ा और न नया विद्युत मीटर लगाया तथा न ही परिवादी को उचित मुवावजा ही दिया। परिवादी ने रूपये 15,000/- की मांग की थी। विपक्षी सं01 व 2 विद्युत का अवैध बिल बराबर भेज रहे हैं जो अवैध व गलत हैं। परिवादी की दुकान बिजली की सरकारी केबिल के षार्ट सर्किट के कारण ही आग लगने से मीटर सहित जली है। विपक्षीगण ने अभी तक बिजली कनेक्षन को जोड़ा है, परिवादी का विद्युत का कनेक्षन था जिसका कनेक्षन नं0 5398 तथा बुक सं0 404 दिनांक 18/19.06.1995 तक अनवरत चला आ रहा था। विपक्षी संख्या 1 व 2 ने दिनांक 01-09-2000 को दिन षुक्रवार को नया विद्युत मीटर लगाने, मुवावजा की रकम रूपये 20,000/- देने तथा समान नुकसानी रूपये 51,500/- देने से इन्कार कर दिया। विपक्षी संख्या 3 व 4 ने दिनंाक 02-09-2000 को कोई भी राहत देने से दकार कर दिया तथा भेदभाव किया है उसी कान्ड में अन्य दुकानदारों को राहत दिया है परन्तु परिवादी को नहीं दिया है। विपक्षीगण को परिवादी ने कई बार प्रार्थना पत्र दिया तथा विपक्षी सं0 1 व 2 ने आज तक परिवादी को कोई मुवावजा/नुकसानी का नहीं दिया, परिवादी को पुनः नया विद्युत मीटर लगाने व पुनः कनेक्षन करने और दिनंाक 18/19-06-1995 की तारीख से कनेक्षन व नया विद्युत मीटर तक विद्युुुत बिलों को जो विद्युत विभाग द्वारा अवैध रूप से अनवरत भेजे रहे हैं को निरस्त किया जावे। गलत तौर से मांगा गया बकाया समाप्त किया जावे। तथा उक्त अवैध बकाया के विशय में कोई आर0 सी0 विपक्षी सं0 1 व 2 परिवादी को न भेजें। परिवादी को रूपये 15,000/- विपक्षी से दिलाया जाए।
    विपक्षीगण ने अपना जवाबदावा दाखिल किया है तथा कथन किया है, कि परिवादी का कथन असत्य है केबिल दुकान के ठीक ऊपर न होकर काफी दूरी के बीच है। परिवादी का कथन असत्य है। आग लगने का कोई वास्तविक कारण ज्ञान नही हो सका है। परिवादी का कथन असत्य है, केबिल दुकान के ऊपर न होने के कारण उससे आग लगने की सम्भावना नहीं थी। आग लगने का कारण अज्ञात है आग लगने के पष्चात परिवादी द्वारा विद्युत का उपयोग नहीं किया जा रहा हैे। परिवादी की दुकान में कोई मीटर या केबिल भी नहीं है। परिवादी ने विद्युत सुरक्षा निदेषालय को पक्षकार नहीं बनाया है, जब कि विद्युत से सम्बन्धित क्षतिपूर्ति के देने का दायित्व विद्युत सुरक्षा निदेषालय उ0प्र0 षासन की है। परिवादी को विद्युत आपूर्ति आग लगने के बाद से नहीं हो रही है। परिवादी के यहां मीटर रीडिंग भी नहीं हो रही है, परिवादी को बिल के भुगतान के सम्बन्ध में पूर्व में सूचना विभाग में देनी चाहिए उसका बिल संषोधित हो जाता, किन्तु परिवादी ने ऐसा नहीं किया, जिससे बिल निरन्तर निर्गत हो रहे हंै। परिवादी का बिल दुरूस्त करने की प्रक्रिया हो रही है। परिवादी के दुकान में आग लगने का कारण अज्ञात है इसलिए विद्युत विभाग की कोई लापरवाही नहीं हो सकती है। परिवादी को वाद प्रस्तुत करने की कोई आवष्यकता नहीं थी जगह जगह कैम्प लगाकर विद्युत बिल सुधार किया जाता है। यहां तक प्रत्येक माह विद्युत अदालत का संचालन होता है जहां छोटे छोटे मामले तुरन्त निपटा दिये जाते हंै। परिवादी का वाद सव्यय निरस्त होने योग्य है। परिवादी का परिवाद काल बाधित है। 
    पत्रावली का भली भांति परिषीलन किया। परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन में सूची पर प्रथम सूचना रिपोर्ट की छाया प्रति, परिवादी के विकलांगता प्रमाण पत्र जारी द्वारा सी0एम0ओ0 दिनांक 11.01.2000 की छाया प्रति, विद्युत बिल दिनांक 18.08.2000 की छाया प्रति, मीटर कार्ड की छाया प्रति, परगना मजिस्ट्रेट को परिवादी द्वारा दिये गये प्रार्थना पत्र दिनांक 19.06.1995 की छाया प्रति, परिवादी के आय प्रमाण पत्र की छाया प्रति, परिवादी का साक्ष्य मंे षपथ पत्र तथा परिवादी ने अपनी लिखित बहस दाखिल की है जो षामिल पत्रावली है। विपक्षीगण ने अपना लिखित कथन तथा एम0आर0 पाठक अधिषाशी अभियंता का षपथ पत्र दाखिल किया है जो षामिल पत्रावली है। परिवदी एवं विपक्षीगण द्वारा दाखिल साक्ष्यों व प्रपत्रों से प्रमाणित है कि परिवादी की दुकान में आग विद्युत के षार्ट सर्किट से लगी है। विपक्षीगण का यह कहना कि विद्युत केबिल परिवादी की दुकान के ऊपर नहीं थे प्रमाणित नहीं होते हैं किन्तु परिवादी की दुकान में विद्युत केबिल के जलने से आग लगी है प्रमाणित होती है। विपक्षीगण ने यह स्वीकार किया है कि परिवादी की दुकान में विद्युत कनेक्षन था मगर परिवादी की दुकान में दिनांक 18/19.06.1995 से विद्युत की आपूर्ति नहीं हो रही है। विपक्षीगण ने परिवादी को विद्युत बिल दिनांक 18.08.2000 को रुपये 32,386/- का जारी किया है। इस प्रकार वाद का कारण दिनांक 18.08.2000 को उत्पन्न हुआ है। इस प्रकार परिवादी का परिवाद काल बाधित नहीं है। इस बीच में परिवादी विपक्षीगण से पत्राचार करता रहा है। विपक्षीगण ने परिवादी को वर्श 1995 से वर्श 2000 तक कोई डिमाण्ड नोटिस नहीं भेजी है और सीधे एक बिल दिनांक 18.08.2000 भेज दिया है। विपक्षीगण ने अपनी डिमाण्ड नोटिस के बारे मंे अपने लिखित कथन में कहीं कुछ नहीं लिखा है। इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड 2005 की धारा 6.15 केे अनुसार विद्युत विभाग उपभोक्ता से विद्युत बकाये को धारा 56 के तहत बकाये की वसूली जमीदारी विनाष अधिनियम के अनुसार तथा उत्तर प्रदेष सरकार इलेक्ट्रिसिटी अंडरटेकिंग (डयूज रिकवरी) एक्ट 1958 के अनुसार कर सकेगा जो समय समय पर संषोधित की गयी हो। किसी अन्य कानून व नियम के होते हुए भी किसी उपभोक्ता से बकाये की वसूली नहीं की जा सकती यदि दो वर्श तक उपभोक्ता को कोई डिमाण्ड नोटिस न भेजी गयी हो जब उक्त देय पहली बार देय हो गया हो। जब तक कि उक्त देय बराबर बकाये में न दिखाया जाता रहा हो और इस दषा में परिवादी का विद्युत कनेक्षन भी नहीं काटा जा सकता है। इस प्रकार विपक्षीगण परिवादी से विद्युत के बकाये रुपये 32,386/- की वसूली नहीं कर सकते हैं। विपक्षीगण ने परिवादी को उसके नुकसान की भरपायी नहीं की है जब कि उसका नुकसान विपक्षीगण की विद्युत केबिल के षार्ट सर्किट से आग लगने के कारण हुई है। इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड 2005 की धारा 7.7(पप) में कहा गया है कि विद्युत विभाग सर्विस लाइन की गुणवत्ता का ध्यान रखेगा और यदि विद्युत विभाग की सर्विस लाइन में दोश के कारण कोई क्षति किसी उपभोक्ता को होती है तो विद्युत विभाग उसको क्षतिपूर्ति देेने के लिये उत्तरदायी होगा। परिवादी विपक्षीगण से क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी है। परिवादी अपना परिवाद प्रमाणित करने में सफल रहा है। विपक्षीगण ने परिवादी को क्षतिपूर्ति न दे कर अपनी सेवा में कमी की है। परिवादी का परिवाद आंषिक रुप से स्वीकार किये जाने योग्य है।     
आदेश
    परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध अंाशिक रुप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को क्षतिपूर्ति के मद में रुपये 15,000/- तथा परिवाद व्यय के मद में रुपये 2,000/- का भुगतान आदेश की दिनांक से 30 दिन के अन्दर करें। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को जारी विद्युत बिल दिनांक 18.08.2000 रुपये 32,386/- निरस्त किया जाता है। विपक्षीगण यदि परिवादी को उक्त धनराषि रुपये 17,000/- का भुगतान निर्धारित अवधि 30 दिन में नहीं करते हैं तो आदेष की दिनांक से उक्त धनराषि पर 9 प्रतिषत साधारण वार्शिक ब्याज देय होगा। 
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 12.01.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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