Uttar Pradesh

Faizabad

CC/05/2003

J.P.Tiwari - Complainant(s)

Versus

uppcl - Opp.Party(s)

08 Oct 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/05/2003
 
1. J.P.Tiwari
Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. uppcl
Faizabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद । 
    

 


़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़                    ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़उपस्थितिः-(1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
                            (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या                            (3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य


                परिवाद सं0-05/2003


    जे.पी. तिवारी डायरेक्टर सेन्ट्रल एकाडमी अमानीगंज फैजाबाद   ....................परिवादी        

                    बनाम

1-    उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा चेयरमैन शक्ति भवन लखनऊ। 
2-    अधिशाषी अभियन्ता विद्युत वितरण वाणिज्य खण्ड फैजाबाद उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड ।
3-    कलेक्टर फैजाबाद कलेक्ट्रेट कार्यालय फैजाबाद कलेक्ट्रेट।
4-    तहसीलदार सदर महोदय फैजाबाद सदर तहसील फैजाबाद    ................... विपक्षीगण

 

निर्णय दिनाॅंक 08.10.2015
                
                           निर्णय 

उद्घोषित द्वारा: श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष

परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध विद्युत बिलों के सम्बन्ध में योजित किया है।
संक्षेप में परिवादी का केस इस प्रकार है कि शिक्षण संस्था सेन्ट्रल एकाडमी स्कूल मोहल्ला अमानीगंज फैजाबाद में स्थित है। विद्यालय के उद्देश्यों के लिए परिवादी  ने  माह मई  सन् 1999  में  विद्युत  कनेक्शन  प्राप्त  करने  हेतु आवश्यक 

                    (  2  )

औपचारिकतायें पूर्ति करते हुए आवेदन प्रस्तुत किया। उक्त कनेक्शन माह जनवरी सन् 2000 में विद्यालय में लगाया गया तथा मीटर सीलिंग का प्रमाण-पत्र दि0 05.01.2000 को परिवादी को प्रदान किया गया। बिजली कनेक्शन देने व मीटर की फिटिंग करने के बाद मीटर रीडिंग लेने के लिए कभी भी विद्यालय में कोई मीटर रीडर नहीं आया और न कोई बिल ही परिवादी को जुलाई 2002 के पूर्व प्राप्त हुआ। परिवादी को पहली बार बिल संख्या-602077 प्राप्त हुआ जो मु0 74,878=00 का था, जिसे पाकर परिवादी तथा उसके विद्यालय के अधिकारीगण अत्यधिक हतप्रभ हुए क्योंकि कभी भी मीटर की रीडिंग नहीं ली गयी एवं 208 यूनिट के हिसाब से असेस्मेंट करके बिल भेजा जाना दर्शाया गया था। परिवादी ने तत्काल एक प्रार्थना-पत्र विपक्षी सं0-2 के पास प्रस्तुत करके मीटर की सही रीडिंग करवाकर वास्तविक बिल देने के लिए प्रस्तुत किया। परिवादी ने विपक्षी सं0-2 के निर्देश पर मु0 20,000=00 दि0 09.07.02 को जमा भी कर दिया। परिवादी को यह आश्वासन दिया गया था, कि उसके मीटर का निरीक्षण करवाकर सही बिल परिवादी को दिया जाये, परन्तु उसके बाद भी मीटर की रीडिंग करने विद्युत विभाग से कोई कर्मचारी नहीं आया तथा बिल संख्या-4602161, मु0 63,489=00 और बिल सं0-560201 दि0 23.12.02 मु0 65,618=00 परिवादी के पास भेज दिया गया। उक्त दोनों बिलों में पिछली रीडिंग 9 एवं वर्तमान रीडिंग के स्थान पर आई.डी.एफ. अंकित था। 
विपक्षी ने अपने जवाब में कहा कि परिवादी ने विद्युत संयोजन हेतु आवेदन माह मई 1999 में किया, जिसे विधिवत् दि0 22.05.1999 को विद्युत कनेक्शन सं0-104/408110 निर्गत करके अर्जीकृत कर दिया गया। परिषदीय आदेशों के अनुसार नान मीटर सप्लाई दी गयी। कनेक्शन माह फरवरी 2000 में लगाया गया सरासर गलत है। परिवादी कभी नहीं मिलता था, इसलिए मीटर रीडिंग नहीं ली जा सकी। परिवादी ने विद्यालय चलाने हेतु विद्युत संयोजन लिया है, जो कामर्शियल शिड्यूल में आता है। परिवादी का मीटर रीडिंग नहीं बता रहा था, इसलिए परिषदीय नियमों के अन्तर्गत उससे निर्धारित यूनिट के आधार पर बिल की माॅंग की जाती रही है। परिवादी माह अगस्त 2004 तक मु0 1,27,749=00 का बकायेदार है। वह भारतीय विद्युत अधिनियम एवं विद्युत वितरण (उपभोक्ता) अधिनियम 1984 के प्राविधानों का दुरूपयोग कर रहा है, इसलिए प्रस्तुत वाद संधार्य नहीं है। विपक्षी उत्तर प्रदेश गोरमेन्ट इलेक्ट्रिकल अन्डर टेकिंग ड्यूज रिकवरी 1958 के अन्तर्गत वसूली की कार्यवाही कर सकता है।  परिवादी  ने  कनेक्शन लेने हेतु आवेदन किया, जिस पर कार्यवाही करके 


                    (  3  )

नियमानुसार कनेक्शन सं0-506/104/408110 भार 2 किलोवाट 33/11 के.वी. सब स्टेशन अमानीगंज से निर्गत किया गया। परिवादी का कनेक्शन संयोजन होने के पश्चात् लेजर में अंकित हुआ। लेजर में कनेक्शन डेट दि0 22.05.1999 अंकित की गई और बिल निर्गत किया गया। परिवादी का कथन सरासर गलत है कि उसे कनेक्शन बाद में दिया गया। बकाये के कारण परिवादी की लाइन दि0 25.08.2004 को अस्थाई रूप से विच्छेदित की गयी जो दि0 06.04.05 को लाइन मैन दयाराम द्वारा स्थाई रूप से केबिल आदि हटाया गया। परिवादी ने छः माह तक विद्युत संयोजन हेतु आवेदन नहीं किया और न बकाया जमा किया। 

मैं दोनों पक्षों के पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया। परिवादी ने कनेक्शन जनवरी 2000 में विद्यालय में लगाने तथा मीटर सीलिंग प्रमाण-पत्र दि0 05.01.2000 को देने की बात कही है। विपक्षी द्वारा जो कागजात दाखिल किये गये हैं, उसके अनुसार दि0 22.05.99 को मीटर लगा है। परिवादी का यह कथन कि मीटर लगाने के उपरान्त् विद्युत बिल को सन् 2002 के पूर्व नहीं दिया और न मीटर रीडर आया है। विपक्षी ने इस तथ्य का खण्डन किया है तथा अपने कथन के समर्थन में कागज सं0-10/8 लगायत 10/13 कागजात दाखिल किये हैं और कहा है कि परिवादी नहीं मिलता रहा है इसलिए मीटर रीडिंग नहीं हुई। इस प्रकार 208 यूनिट का विद्युत बिल दिया जाता रहा है। परिवादी ने एक भी पैसा विद्युत संयोजन के उपरान्त् विद्युत बिल का नहीं दिया है। इस प्रकार कागज सं0-10/13 के अनुसार मु0 1,38,395=00 विद्युत बिल हो गया है। परिवादी ने जमा नहीं किया। परिवादी का विद्युत कनेक्शन अस्थायी रूप से दि0 25.08.04 को विच्छेदित किया गया है जो कागज सं0-36/10 है। परिवादी का यह विद्युत कनेक्शन शिक्षण संस्था सेन्ट्रल एकाडमी स्कूल मोहल्ला अमानीगंज फैजाबाद में लगा हुआ है और विद्यालय के कार्यो के लिए यह कनेक्शन परिवादी ने डायरेक्टर के हैसियत से लिया है। इसे विपक्षी ने अपने जवाबदावे के पैरा-4 में कथित किया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-2 (1) (डी) के स्पष्टीकरण के तहत यह व्यवसायिक कनेक्शन माना जायेगा। इस प्रकार उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत फोरम को इस परिवाद को श्रवण क्षेत्राधिकार नहीं है। इस प्रकार परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। 

 

                (  4  ) 
आदेश
    
        परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है। 
    
( विष्णु उपाध्याय )        ( माया देवी शाक्य )         (  चन्द्र पाल  )
             सदस्य                 सदस्या                 अध्यक्ष

                
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 08.10.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया। 


           (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              ( चन्द्र पाल )
                सदस्य                 सदस्या                      अध्यक्ष

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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