मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-473/2003
(जिला उपभोक्ता फोरम, बुलन्दशहर द्वारा परिवाद संख्या-364/2002 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 03.02.2003 के विरूद्ध)
हरीश चन्द्र शर्मा पुत्र स्व0 श्री भगवत प्रसाद शर्मा, निवासी ग्राम खण्डवाया, डा0 व परगना शिकारपुर, जिला बुलन्दशहर।
अपीलार्थी@परिवादी
बनाम्
1. उ0प्र00 पावर कारर्पोरेशन द्वारा अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड-2 कार्यालय निकट कालाआम प्रेम भवन बुलन्दशहर।
2. उपखण्ड अधिकारी, विद्युत वितरण उपखण्ड शिकारपुर पानी की टंकी के सामने, उ0प्र0 पावर कारपोरेशन कस्बा, शिकारपुर, जिला बुलन्दशहर।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आर0के0 गुप्ता, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री इसार हुसैन, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 15.02.2017
माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, बुलन्दशहर द्वारा परिवाद संख्या-364/2002 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 03.02.2003 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है, जिसके अन्तर्गत जिला फोरम द्वारा निम्नवत् आदेश पारित किया गया है :-
'' परिवादी का परिवाद सव्यय स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी द्वारा जमा की गयी 890/- रू0 की धनराशि को आने वाले बिलों में समायोजित करें तथा धान की फसल को जो नुकसान हुआ है, उसकी क्षतिपूर्ति हेतु 1500/- रू0 (एक हजार पांच सौ रू0) तथा वादव्यय हेतु 500/- रू0 (पांच सौ रूपये) 45 दिन के अन्दर परिवादी को अदा करे तथा मृतक भगवत प्रसाद शर्मा के स्थान पर उपभोक्ता के स्थान पर परिवादी का नाम 30 दिन के अंदर दर्ज करें।
-2-
यदि विपक्षीगण उपरोक्त धनराशि को उपरोक्त अवधि में परिवादी को अदा नहीं करेंगे तो उस दशा में विपक्षीगण उक्त धनराशि पर निर्धारित अवधि के बाद से तारीख भुगतान तक 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी परिवादी को अदा करने के लिये जिम्मेदार होंगे।
विपक्षीगण को यह भी आदेश दिया जाता है कि वह इस परिवाद में जांच करके उपरोक्त समस्त धनराशि को अपने विभागीय दोषी एवं जिम्मेदार कर्मचारी से वसूल करने के अधिकारी हैं। ‘’
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आर0के0 गुप्ता तथा प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन उपस्थित हैं। यह अपील वर्ष 2003 से निस्तारण हेतु लम्बित है। अत: पीठ द्वारा विद्वान अधिवक्तागण को विस्तारपूर्वक सुना गया एवं एवं जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया।
संक्षेप में, केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी/अपीलार्थी के पिता स्व0 श्री भगवत प्रसाद शर्मा के नाम से 05 हार्सपावर का ट्यूबवेल कनेक्शन संख्या-4125/440/03 था। परिवादी/प्रत्यर्थी के पिता का स्वर्गवास दिनांक 07.08.1999 को हो गया था, जिनके स्थान पर नाम अंकित कराने हेतु उत्तराधिकारीगण की ओर से प्रार्थना पत्र मय शपथपत्र के साथ विपक्षीगण को दिया गया, लेकिन विपक्षीगण ने अभी तक परिवादीगण का नाम अंकित नहीं किया है, जबकि परिवादीगण द्वारा कार्यालय चार्ज भी जमा किया जा चुका है। परिवादीगण के ट्यूबवेल कनेक्शन को जिस ट्रांसफार्मर से विद्युत सप्लाई की जाती है, वह माह जुलाई 2001 में खराब हो गया था, जिसकी शिकायत की गयी, परन्तु ट्रांसफार्मर ठीक नहीं किया गया। ट्रांसफार्मर खराब होने तक परिवादीगण ने विद्युत बिल जमा किये थे और उसके बाद भी वह लगातार विद्युत बिल जमा कर रहा है। ट्रांसफार्मर खराब होने के कारण परिवादीगण की फसल को नुकसान हुआ है। विपक्षीगण ने ट्रांसफार्मर दिनांक 27.09.2001 को बदलकर परिवादी के ट्यूबवेल की सप्लाई चालू की। इस प्रकार माह जुलाई 2001 से लेकर माह सितम्बर 2001 तक की विद्युत आपूर्ति नहीं की गयी और उक्त अवधि का बिल भी विपक्षीगण प्राप्न करने के अधिकारी नहीं हैं और जो धनराशि उपरोक्त तीनों बिलों की जमा की है, उसको मय ब्याज के परिवादी पाने का अधिकारी है, जिस हेतु प्रश्नगत परिवाद जिला फोरम के समक्ष योजित किया गया है।
-3-
विपक्षीगण/प्रत्यर्थीगण जिला फोरम के समक्ष तामीला के बावजूद भी उपस्थित नहीं हुए, अत: उनके विरूद्ध जिला फोरम द्वारा उपरोक्त एकपक्षीय निर्णय/आदेश पारित किया गया।
उपरोक्त एकपक्षीय निर्णय/आदेश दिनांक 03.02.2003 से क्षुब्ध होकर वर्तमान अपील अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रश्नगत निर्णय/आदेश मे बढ़ोत्तरी हेतु योजित की है। उल्लेखनीय है कि विपक्षीगण/प्रत्यर्थीगण की ओर से प्रश्गनत निर्णय/आदेश दिनांक 03.02.2003 के विरूद्ध अपील संख्या-932/2003 योजित की गयी है, जिसे अन्तिम रूप से निस्तारित कर दिया गया है।
अत: सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थतियों पर विचार करते हुए हम यह पाते हैं कि अपीलकर्ता/परिवादी की ओर से प्रश्नगत निर्णय/आदेश में बढ़ोत्तरी हेतु योजित अपील का कोई औचित्य नहीं रह गया है, अत: प्रस्तुत अपील तदनुसार निरस्त होने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है।
(राम चरन चौधरी) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0
कोर्ट-2