राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-1108/2015
(जिला उपभोक्ता फोरम, कुशीनगर द्वारा परिवाद संख्या-143/2011 में पारित निर्णय और आदेश दिनांक 21-04-2015 के विरूद्ध)
ग्रामीण पेयजल एवं स्वच्छता समिति जटहा बाजार पोस्ट जटहा जिला कुशीनगर द्वारा अध्यक्ष/कोषाध्यक्ष।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1- एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, यू0पी0 पावर कारपोरेशन लि0 इलेक्ट्रीसिटी सप्लाई डिवीजन पडरौना जिला कुशीनगर।
2- सब-डिवीजनल आफीसर फर्स्ट यू0पी पावर कारपोरेशन लि0 इलेक्ट्रीसिटी सप्लाई डिवीजन पडरौना जिला कुशीनगर।
प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री एस0के0 श्रीवास्तव।
प्रत्यर्थी संख्या की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक - 04.09.2017
मा0 श्री न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या 143/2011 ग्रामीण पेयजल एवं स्वच्छता समिति बनाम अधिशाषी अभियन्ता, उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0 व एक अन्य में जिला फोरम कुशीनगर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 21.04.2015 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्त परिवाद के परिवादी ग्रामीण पेयजल एवं स्वच्छता समिति की ओर से धारा 15 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम के अन्तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुये निम्न आदेश पारित किया है:-
"परिवाद एकपक्षीय रूप से विपक्षी के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को उक्त कनेक्शन एक माह में
2
दे देवें और यदि कोई औपचारिकता अपूर्ण हो उसे पूर्ण करा लेवें। वाद व्यय पक्षकार स्वयं वहन करेंगे।"
जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश से परिवाद के परिवादी सन्तुष्ट नहीं हैं। अत: यह अपील आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर परिवाद पत्र में याचित क्षतिपूर्ति दिलाए जाने का अनुरोध किया है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एस0के0 श्रीवास्तव उपस्थित आए। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त और सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादी ने उपरोक्त परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने ग्राम जटहा बाजार में 300 ग्रामीण परिवारों के लिए स्वच्छ जल प्रदान करने हेतु एक योजना बनाकर उ0प्र0 शासन को भेजा जिसको कार्यरूप देने के लिए सरकार ने 9,00,000/- (नौ लाख रू०) स्वीकृत किया। इस कार्य हेतु पम्पहाउस चलाने के लिए अपीलार्थी/परिवादी को 5 हार्स पावर एवं 500 वाट पंखा बिजली हेतु विद्युत कनेक्शन की आवश्यकता थी। अत: उसने विपक्षीगण की औपचारिकताएं पूरी की और 1,73,540/- रू० जमा किया परन्तु कनेक्शन अपीलार्थी/परिवादी को नहीं दिया गया और कनेक्शन न देने से ग्राम जटहा बाजार के 300 परिवार के लोग स्वच्छ पानी पीने से वंचित रह गये। अत: जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद प्रस्तुत कर 4,80,000/- रू० क्षतिपूर्ति तथा 1,00,000/- रू० मानसिक कष्ट एवं 25,000/- रू० शारीरिक क्षति की मांग की है।
जिला फोरम के समक्ष विपक्षीगण नोटिस के तामीला के बाद भी उपस्थित नहीं हुए हैं। अत: उनके विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से की गयी है।
3
जिला फोरम ने अपने आक्षेपित निर्णय और आदेश में यह निष्कर्ष निकाला है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा औपचारिकताऍं पूरी की गयीं हैं और वांछित धनराशि जमा की गयी है फिर भी उसे कनेक्शन नहीं दिया गया है। अत: जिला फोरम ने परिवाद एकपक्षीय रूप से स्वीकार करते हुऐ आक्षेपित निर्णय और आदेश उपरोक्त प्रकार से पारित किया है।
परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी ने 1,73,540/- रू० की धनराशि औपचारिकताऍ पूरी करने के बाद विद्युत विभाग में दिनांक 20-11-2009 को जमा किया है। उसके दो वर्ष बाद वर्ष 2011 में अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद प्रस्तुत किया है, तब तक उसे कनेक्शन नहीं दिया गया है। जिला फोरम द्वारा नोटिस जारी किये जाने पर भी विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अपील में भी नोटिस के तामीला के बाद भी उनकी ओर से उपस्थित नहीं हुआ है।
सम्पूर्ण तथ्यों, साक्ष्यों और पस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त यह मानने हेतु उचित आधार है कि अपीलार्थी ने 1,73,540/- रू० की धनराशि कनेक्शन हेतु विपक्षीगण के यहॉं जमा किया है परन्तु उन्होंने दो साल तक उसे विद्युत कनेक्शन नहीं दिया है। अत: सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए मेरी राए में अपीलार्थी/परिवादी को प्रत्यर्थी/विपक्षीगण से 50,000/- रू० क्षतिपूर्ति दिलाया जाना उचित है।
अत: अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश के साथ यह भी आदेशित किया जाता है कि प्रत्यथी/विपक्षीगण अपीलार्थी/परिवादी को 50,000/- रू० बतौर क्षतिपूर्ति अदा करें।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कृष्णा, आशु0
कोर्ट नं01