Uttar Pradesh

Faizabad

Cc/72/1999

Dr. Raj Narain Shukla - Complainant(s)

Versus

Uppcl - Opp.Party(s)

26 Feb 2016

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. Cc/72/1999
 
1. Dr. Raj Narain Shukla
Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Uppcl
Faizabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद । 
    


    
़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़                    ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़उपस्थितिः-(1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष

                            (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
                            (3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य


               परिवाद सं0-72/99

1-    डा0 राज नारायन शुक्ला पुत्र स्व0 श्री कल्पनाथ शुक्ल
2-    (मृतक दौरान मुकदमा) श्रीमती कांती देवी शुक्ला पत्नी श्री डा0 राज नरायन शुक्ला
3-    श्री मृत्युन्जय शुक्ल पुत्र श्री डा0 राज नरायन शुक्ल
4-    श्री मदनज्जय शुक्ल पुत्र डा0 राज नरायन शुक्ल
    समस्त निवासीगण कल्प निकेतन मौजा पहाड़गंज (शिवनगर) परगना हवेली अवध तहसील व जिला फैजाबाद                       .................... परिवादीगण

                    बनाम

1-    अधीक्षण अभियन्ता महोदय मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 फैजाबाद।
2-    अधिशाषी अभियन्ता विद्युत वितरण निगम लि0 फैजाबाद       ................. विपक्षीगण

निर्णय दि0 26.02.2016
                  

      निर्णय

उद्घोषित द्वारा-श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष

        परिवादीगण ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध विद्युत बिल निष्क्रिय करने एवं क्षतिपूर्ति दिलाये जाने के हेतु योजित किया है।

 


                        (  2  )

        संक्षेप में परिवादीगण का परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी सं0-1 ने विपक्षी से सामान्य अनुबन्ध के अनुसार प्रकाश एवं पंखे हेतु विद्युत कनेक्शन सं0-2421/178870 लिया था, जिसे विपक्षी ने विधिक प्रक्रिया के अभाव में अनुबंध के विपरीत नं0-907/170450 में स्वतः कर शहरी बना दिया और परिवादी सं0-1 का शोषण एवं उत्पीड़न प्रारम्भ कर दिया, जिसका दि0 03.11.87 तक समस्त देय का भुगतान करके स्थायी विच्छेदन शुल्क मु0 60=00 विपक्षी के विभाग में जमा कर स्थायी विच्छेदन करा दिया। परिवादी सं0-2 (मृतक दौरान मुकदमा) ने सामान्य अनुबन्ध के अन्तर्गत विपक्षी से 5 हार्स पावर कनेक्शन लिया था, जिसका कनेक्शन सं0-24010/194140 रहा जिसे अनुबन्ध को तोड़कर विधिक प्रक्रिया के अभाव में स्वतः 009/196300 में बदल कर अर्थात् ग्रामीण से शहरी रूप में करके उत्पीड़न व शोषण प्रतिवादी का करना प्रारम्भ कर दिया। विभागीय उत्पीड़न से त्रस्त होकर अवैध रूप से बाधित समस्त देय अर्थात् 6,736.90 पै0 का भुगतान कर दि0 07.10.92 को जमा करके एवं मु0 100=00 विच्छेदन शुल्क दि0 09.10.92 को जमा करके स्थायी रूप से विच्छेदित करा दिया। परिवादी का पावर मीटर अगस्त 91 में जल गया था जिसे विभाग ने दि0 09.12.91 को बदल तो दिया किन्तु अगस्त 91 से जुलाई 92 तक विपक्षी लगातार आई0डी0एफ0 अर्थात् मीटर खराब है का बिल प्रतिमाह 330 यूनिट के हिसाब भेज कर शोषण करता रहा। एक तरफ तो यह प्रतिबन्ध कि पावर कनेक्शन का उपयोग नहीं कर सकते हैं। मीटर खराब होने के कारण दूसरी तरफ मीटर नया लगाने के बाद भी आई0डी0एफ0 (मीटर खराब) का बिल भेजते रहे। देय धनराशि हर माह बढ़ाते रहे बिल संशोधित करने के बजाय परिवादीगण को यह कहते रहे कि पहले बिल जमा करिये तब फरियाद करियेगा। विच्छेदन तिथि अक्टूबर 92 को अंतिम रीडिंग 1438 यूनिट थी। अगस्त 91 से अक्टूबर 92 तक 15 माह तक 330 यूनिट प्रति माह का बिल भेजते रहे जो समस्त उत्पीड़न की प्रकाष्ठा को पार कर मु0 6,736.90 पै0 हो गया और परिवादीगण त्रस्त होकर विभागीय अनुमति से दो किश्तों दि0 09.07.92 को मु0 2600=00 तथा दि0 07.10.92 को मु0 4,136.90 पै0 दि0 09.10.92 को स्थायी विच्छेदन शुल्क मु0 100=00 जमा कर स्थायी विच्छेदन करा लिया। इस प्रकार परिवादीगण मु0 6,736.90 पै0 जो उपभोग से ज्यादा धनराशि जमा करा लिया है उसे ब्याज सहित वापस पाने के अधिकारी हैं। परिवादी सं0-4 ने नया कनेक्शन नई योजना के अन्तर्गत दि0 25.06.98 को मु0 811=00 जमा करके विद्युत 

 


                    (  3  )

कनेक्शन सं0-907/3402 लिया जो वर्तमान में चल रहा है जिसे विपक्षी के अधीनस्थ कर्मचारी यह कह कर धमकी देते रहते हैं कि आप लोगों पर विद्युत परिषद का बहुत बकाया है जो सर्वथा गलत एवं अनुचित है। परिवादी सं0-1 पेशे से होम्योपैथिक चिकित्सक है जिसके व्यवसाय और सामाजिक प्रतिष्ठा के साथ-साथ बच्चों की शिक्षा दीक्षा को विपक्षी व उसके कर्मचारियों की यातना से जबरदस्त आघात पहुॅंचा जिससे वह क्षतिपूर्ति पाने का हकदार है। परिवादी ने विपक्षी के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के विभेद से त्रस्त आकर एक परिवाद सं0-629/92 श्रीमान् जी के समक्ष प्रस्तुत किया था। 

    मैं पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया तथा परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी। परिवादी सं0-1 की आपत्ति है कि विधिक प्रक्रिया के अभाव में अनुबन्ध के विपरीत विद्युत कनेक्शन संख्या-907/170450 में स्वतः शहरी बना दिया और परिवादीगण का उत्पीड़न किया जा रहा है। परिवादीगण ने मु0 60=00 विपक्षी के यहाॅं देकर के दि0 03.11.87 को स्थायी विच्छेदन करा दिया। परिवादी ने सूची-35ख से स्थायी विच्छेदन की रसीद कागज सं0-36/1 प्रस्तुत किया है जिसमें परिवादीगण का पता शिवनगर कालोनी फैजाबाद अंकित है। शिवनगर फैजाबाद नगरपालिका परिक्षेत्र में आता है। परिवादीगण ने अपने कथानक के समर्थन में सूची 3/1 से परिवार रजिस्टर की छायाप्रति प्रेषित किया है। इसमें न्याय पंचायत खोजनपुर गाॅंव सभा पहाड़गंज है। इसी प्रकार परिवादीगण ने खतौनी और खसरा भी प्रेषित किया है। नगरपालिका परिषद के विस्तार हेतु जब कोई नोटीफिकेशन किया जाता है तो नगरपालिका परिषद के आस-पास के गाॅंवों को नगरपालिका परिषद में मिलाने हेतु नोटीफिकेशन किया जाता है और उसे सरकार द्वारा गजट किया जाता है कि यह गाॅंव नगरपालिका परिषद के अन्तर्गत लिया जाता है और उन गाॅंवों को नगरपालिका परिषद सड़क, पानी, विद्युत आदि की सुविधा तथा अन्य सुविधायें भी उपलब्ध कराता है। पहले पहाड़गंज गाॅंव था लेकिन इस समय नगरपालिका परिषद के क्षेत्र में आता है। परिवादी सं0-1 की ओर से कोई साक्ष्य प्रेषित नहीं किया गया है जिससे कि परिवादी का घर नगरपालिका परिषद के अन्तर्गत नहीं आता हो। इस प्रकार परिवादी का यह कथन कि गाॅंव देहात में होते हुए शहरी बना दिया गया है और उसका शोषण किया जा रहा है, यह तर्क गलत है। परिवादी  ने  कनेक्शन विच्छेदन की बात कही है। इसका इसमें कोई विवाद नहीं है। 

 

 

                    (  4  )

दूसरा विवाद परिवादी सं0-2 श्रीमती कान्ती देवी का है। परिवादी सं0-1 के कनेक्शन विच्छेदन के बाद श्रीमती कान्ती देवी ने कनेक्शन सं0-24010/194140 5 हार्स पावर का पावर कनेक्शन लिया। इसमें भी ग्रामीण से शहरी में परिवर्तित करके शोषण करने की बात कही गयी। दूसरा आरोप यह है कि पावर मीटर अगस्त 91 में जल गया था जिसे विभाग ने दि0 09.12.91 को बदल तो दिया किन्तु अगस्त 91 से जुलाई 92 तक विपक्षी लगातार आई0डी0एफ0 अर्थात् मीटर खराब का बिल प्रतिमाह 330 यूनिट के हिसाब से भेजकर शोषण करते रहे। मेरे विचार से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-2 (1) (डी) के स्पष्टीकरण के अनुसार जो व्यक्ति पावर कनेक्शन लिये हैं वह उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। इस प्रकार परिवादीगण का यह कथन कि परिवादी सं0-2 श्रीमती कान्ती देवी का शोषण किया जा रहा है और पावर मीटर तथा पावर कनेक्शन की बात कही गयी यह उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार इस न्यायालय को सुनने का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है। तीसरा आरोप परिवादीगण ने यह लगाया है कि मु0 6,736,90 पै0  जो उपभोग से ज्यादा धनराशि जमा करा लिया है, उसे ब्याज सहित पाने के अधिकारी हंै। इस धनराशि की जमा की कोई रसीद परिवादीगण द्वारा पत्रावली में दाखिल नहीं की गयी है। परिवादी ने चैथा आरोप यह भी लगाया है कि परिवादी सं0-3 विद्युत कनेक्शन हेतु आर0आर0 23/57645 के अन्तर्गत कनेक्शन सं0-907/27443 के लिए मु0 471=00 दि0 12.12.93 को जमा किया जिसे विपक्षी ने न तो आज तक कनेक्शन दिया न ही उक्त धनराशि को वापस ही किया। मेरे विचार से मु0 471=00 की रसीद परिवादी की ओर से प्रेषित की गयी है जो कागज सं0-36/2 है। यह मृत्युन्जय शुक्ला के नाम से है। इस धनराशि की वापसी की माॅंग किया है। मेरे विचार से परिवादी सं0-1 परिवादी सं0-2 ने जो विद्युत कनेक्शन लिया था परिवादी सं0-1 के नाम विद्युत अदायगी शेष है और यह कनेक्शन एक ही मकान में माॅंगे जाते हैं और एक ही परिवार से सम्बन्धित है। यदि किसी परिवार के द्वारा विद्युत कनेक्शन लिये जाते हैं और उसके उपभोग की धनराशि शेष है और कनेक्शन उसका दूसरे सदस्य द्वारा माॅगा जाता है तो ऐसी स्थिति में उस परिवार के सदस्य को कनेक्शन देना उचित प्रतीत नहीं होता है जब तक कि बकाया उपभोग की गयी विद्युत का भुगतान न कर दिया जाय। इसी प्रकार परिवादी सं0-4 

 

 

                    (  5  )

ने भी कनेक्शन की बात कही है जब तक कि बकाया धनराशि परिवार के सदस्यों द्वारा भुगतान नहीं की जाती है तब तक उस मकान में रहने वाले परिवार के किसी सदस्य को विद्युत कनेक्शन देना वाजिब प्रतीत नहीं होता है। परिवादीगण का यह परिवाद संयुक्त रूप से घरेलू विद्युत उपभोग करने तथा पावर कनेक्शन के सम्बन्ध में योजित किया गया है। इस न्यायालय को केवल घरेलू विद्युत उपभोग करने के सम्बन्ध में ही विचार करने का अधिकार है। पावर कनेक्शन के सम्बन्ध में विचार करने का कोई अधिकार नहीं है। पावर कनेक्शन वाणिज्यिक श्रेणी में आता है। इस प्रकार परिवादीगण का परिवाद संधारण योग्य नहीं है। परिवादीगण का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। 

   आदेश            
        परिवादीगण का परिवाद खारिज किया जाता है।     
        

   (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              (चन्द्र पाल)              
            सदस्य                  सदस्या                     अध्यक्ष     

निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 26.02.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं   उद्घोषित किया  गया।

    
        (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              (चन्द्र पाल)           
      सदस्य                   सदस्या                     अध्यक्ष    

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.