जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद।
उपस्थित - (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-06/2014
ब्रह्मानन्द वर्मा आयु लगभग 55 वर्श पुत्र श्री राम आसरे निवासी टी 1/3 रमना फारेस्ट कालोनी तहसील सदर जिला फैजाबाद बारिद हाल निवासी मकान नं0 0605 गोलघर गोरखपुर तहसील व जिला सदर गोरखपुर। ............... परिवादी
बनाम
1. महा प्रबन्धक मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 फैजाबाद।
2. अधिषाशी अभियंता वित्त मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 खण्ड प्रथम फैजाबाद।
3. जिलाधिकारी फैजाबाद। ........... विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 29.01.2016
उद्घोशित द्वारा: श्री विश्णु उपाध्याय, सदस्य।
निर्णय
परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी बतौर कर्मचारी वन प्रभाग फैजाबाद में वर्श 2006 में तैनात था उसी दौरान दिनांक 29.11.2006 को बुक संख्या 605 कनेक्षन संख्या 63038 घरेलू उपयोग हेतु एक किलो वाट का लिया था जिसका उपभोग दिनांक 31.08.2007 तक किया। दिनांक 31.07.2008 को परिवादी का स्थानांतरण गोरखपुर वन क्षेत्र को हो गया। उसी दिन परिवादी ने उक्त भवन खाली कर के वनक्षेत्राधिकारी को मकान की चाभी सौंप दी और दिनांक 31.08.2007 को ही स्थाई विद्युत विच्छेदन के लिये परिवादी ने एक प्रार्थना पत्र विपक्षीगण को दे दिया। फिर भी विपक्षीगण परिवादी के नाम विद्युत बिल आर0डी0एफ0 लगा कर भेजते रहे। जिसका बार बार विरोध करने पर दिनांक 29-01-2009 में उपभोग यूनिट 303 के विरुद्ध रुपये 3,866/- साथ में स्थाई विच्छेदन षुल्क रुपये 359/- विपक्षीगण ने प्राप्त कर के मेमोरेण्डम दे दिया। विपक्षी से परिवादी ने दिनांक 29.11.2006 को केबिल, मीटर, सिक्योरिटी के मद में रुपये 1,400/- लिया था। जिसे विपक्षीगण ने वापस नहीं किया और बिना नोटिस के अनुचित धन उगाही के लिये आर0सी0 दिनंाक 23.11.2013 जारी कर दी है। उक्त आर0सी0 की सूचना जरिए अमीन तहसील सदर फैजाबाद द्वारा मोबाइल नम्बर 9415719061 द्वारा प्राप्त हुई तो परिवादी ने तुरंत विपक्षीगण से संपर्क किया तो परिवादी की बात सुनने के बजाय रुपये जमा करने की बात कहते हैं। परिवादी गोरखपुर में तैनात होने के कारण बार बार आर0सी0 रुकवाने के लिये आना पड़ता है जिसमें परिवादी को काफी परेषानी होती है। इसलिये परिवादी को अपना परिवाद दाखिल करना पड़ा। विपक्षीगण परिवादी द्वारा पी0डी0 फीस जमा करने के उपरान्त जारी आफिस रिपोर्ट को सही मान कर आर0सी0 की धनराषि वसूल न करें, परिवादी को मीटर, केबिल व सिक्योरिटी की धनराषि रुपये 1,400/- विपक्षीगण से वापस दिलायी जाय, क्षतिपूर्ति रुपये 50,000/-, परिवाद व्यय रुपये 15,000/- तथा ब्याज दिलाया जाय।
विपक्षी संख्या 1 व 2 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा परिवादी के परिवाद के कथनों से इन्कार किया है तथा अपने विषेश कथन में कहा है कि परिवादी ने अपना परिवाद मनगढ़ंत व भ्रामक तथ्यों पर दाखिल किया है। परिवादी ने कहा है कि उसका स्थानांतरण दिनांक 31.08.2007 को गोरखपुर हो गया है और परिवादी ने उसी दिन भवन खाली कर के स्थाई विद्युत विच्छेदन के लिये आवेदन कर दिया था। जब कि पी0डी0 फीस के आफिस मेमोरेण्डम पर प्राप्ति दिनांक 28.02.2009 अंकित है। दिनांक 29.11.2006 से 31-08-2007 तक उपभोग अवधि को प्रमाणित करने का भार परिवादी पर है। परिवादी को 29.01.2009 तक बकाया जमा करने की रसीद व स्थाई विच्छेदन षुल्क की रसीद दाखिल करनी चाहिए थी। विद्युत कनेक्षन सरेन्डर करने पर मीटर मूल्य वापस करने का कोई प्रावधान नहीं है। वसूली के विरुद्ध परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार फोरम को नहीं है। विद्युत बिल भुगतान न करने के कारण परिवादी को किसी प्रकार की क्षति नहीं हुई है। परिवादी किसी प्रकार का उपषम पाने का अधिकारी नहीं है। परिवादी ने वसूली की कार्यवाही से बचने के लिये अपना परिवाद दाखिल किया है। परिवादी का परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है।
विपक्षी संख्या 3 फार्मल पक्षकार हैं, और इनका कार्य वसूली प्रमाण पत्र के आधार पर वसूली करने का है, इसलिये उनके उत्तर की आवष्यकता नहीं है।
पत्रावली का भली भंाति परिषीलन किया। परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में षपथ पत्र, सूची पर विपक्षीगण को परिवादी के पत्र दिनांक 19.12.2013 की छाया प्रति, सरेन्डर रिपोर्ट दिनांक 29.01.2009 की छाया प्रति, बिल संख्या 241107 की छाया प्रति, पी0डी0 फीस रुपये 359/- की रसीद दिनांक 28.02.2009 की छाया प्रति, रसीद दिनांक 10.10.2007 रुपये 1,698/- की छाया प्रति, केबिल, मीटर व सिक्योरिटी के मद में जमा रुपये 1,400/- रसीद रुपये 1,728/- दिनांक 29.04.2006 की छाया प्रति, सीलिंग प्रमाण पत्र दिनांक 30-01-2007 की छाया प्रति, परिवादी द्वारा अपने वन अधिकारी को दिये गये पत्र दिनांक 08.10.2007 की छाया प्रति, परिवादी का साक्ष्य में षपथ पत्र, लिखित बहस, सूची पर आर0सी0 दिनांक 23.11.2013 की छाया प्रति, परिवादी के स्थानांतरण आदेष पत्र दिनांक 31.08.2007 की छाया प्रति, विपक्षीगण द्वारा परिवादी को भेजे गये बिल दिनांक 31-05-2015 की छाया प्रति, परिवादी ने अपने आधार कार्ड तथा पेन कार्ड की छाया प्रति दाखिल की है जो षामिल पत्रावली है। विपक्षी संख्या 1 व 2 ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना लिखित कथन दाखिल किया है जो षामिल पत्रावली है। मंच ने उत्तर प्रदेष राज्य विद्युत परिशद की उपभोक्ता पथ प्रदर्षिका वर्श 1989 का अवलोकन किया जो षक्ति भवन लखनऊ द्वारा प्रकाषित की गयी है। जिसकी धारा 26 में उल्लिखित है कि ‘‘ऐसे उपभोक्ता जिनका अनुबन्ध परिशद द्वारा समाप्त कर दिया गया हो, नया कनेक्षन स्वीकृत किया जा सकता है। बषर्ते उस परिसर पर कोई अवषेश बकाया न हो तथा जिस तिथि तक इनसे न्यूनतम चार्ज लिए गए हों उस तिथि से कम से कम डेढ़ वर्श का समय बीत चुका हो।’’ परिवादी ने अपना विद्युत कनेक्षन दिनांक 28.02.2009 को पी0डी0 करा कर पी0डी0 फीस रुपये 359/- दिनांक 28.02.25009 को जमा कर दिया है। विद्युत पथ प्रदर्षिका वर्श 1989 की धारा 26 के अनुसार 4 वर्श 9 माह बाद विपक्षीगण द्वारा परिवादी से विद्युत बकाये की मांग करना अवैधानिक है। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को कोई लिखित डिमाण्ड नोटिस वर्श 2009 से वर्श 2013 तक नहीं भेजा है। सरेन्डर रिपोर्ट के अनुसार परिवादी का विद्युत कनेक्षन 29-01-2009 को विछेदित कर अनुबन्ध टर्मिनेट कर दिया गया है। इस प्रकार विपक्षीगण परिवादी से 29-01-2009 के बाद दो वर्श बीतने अर्थात 28.01.2011 के बाद विद्युत मूल्य का बिल जारी करने व पाने के अधिकारी नहीं है। इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड 2005 की धारा 6.15 केे अनुसार विद्युत विभाग उपभोक्ता से बकाये की वसूली नहीं की जा सकती यदि दो वर्श तक उपभोक्ता को कोई डिमाण्ड नोटिस न भेजी गयी हो जब उक्त देय पहली बार देय हो गया हो। इस प्रकार विपक्षीगण परिवादी से अनुबन्ध समाप्त हो जाने के 4 वर्श 9 माह के बाद किसी भी प्रकार की वसूली करने के अधिकारी नहीं हैं। परिवादी का स्थानांतरण 31.07.2008 को गोरखपुर हो गया था और परिवादी ने दिनांक 28-02-2008 को अपना विद्युत कनेक्षन पी0डी0 करा लिया था दिनांक 13.12.2013 को परिवादी ने अपने अधिकारी फैजाबाद को पत्र लिख कर बताया कि उसके नाम विद्युत बिल रुपये 52,000/- का आया है जिसे समाप्त करवायें। इस प्रकार परिवादी को जानकारी दिनांक 13.12.2013 को हुई, इस प्रकार 4 वर्श 9 माह के बाद विपक्षीगण इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड 2005 की धारा 6.15 (बी) केे अनुसार परिवादी से कनेक्षन पी0डी0 होने के 2 वर्श बाद वसूली नहीं कर सकते। इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड 2005 की धारा 4.38 के अनुसार कोई भी विद्युत कनेक्षन स्थाई रुप से विच्छेदित माना जायेगा (ए) अनुबन्ध की समाप्ति की तारीख से, जब कि परिवादी का अनुबन्ध विपक्षीगण ने दिनांक 29.01.2009 को समाप्त कर दिया है। इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड 2005 की धारा 4.20 (एफ) के अनुसार सिक्योरिटी धनराषि की वापसी अनुबन्ध की समाप्ति और स्थाई विच्छेदन के बाद सभी देयोें के भुगतान के बाद 30 दिन के अन्दर उपभोक्ता को कर दी जायेगी। यदि 30 दिन के अन्दर उपभोक्ता को सिक्योरिटी मनी वापस नहीं की जाती है और 90 दिन से अधिक हो जाते हैं तो उक्त धनराषि पर विद्युत विभाग 9 प्रतिषत वार्शिक ब्याज उपभोक्ता को देगा। इस प्रकार विपक्षीगण ने परिवादी को उसकी सिक्योरिटी, केबिल व मीटर की धनराषि रुपये 1,400/- वापस नहीं की है, जिसे परिवादी 9 प्रतिषत ब्याज के साथ वापस पाने का अधिकारी है। परिवादी ने अपने स्थानांतरण आदेष की छाया प्रति तथा 29.01.2009 तक बकाया जमा करने की रसीद व स्थाई विच्छेदन षुल्क की रसीद एवं सरेन्डर रिपोर्ट की छाया प्रति दाखिल की है। विपक्षीगण का यह कहना गलत है कि सिक्योरिटी मनी को वापस करने का कोई प्रावधान नहीं है। परिवादी अपना परिवाद प्रमाणित करने में सफल रहा है। विपक्षीगण ने परिवादी को आर0सी0 व विद्युत बिल भेज कर अपनी सेवा में कमी की है। परिवादी अपनी सिक्योरिटी मनी, क्षतिपूर्ति, परिवाद व्यय व ब्याज पाने का अधिकारी है। परिवादी का परिवाद आंषिक रुप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध अंाषिक रुप से स्वीकार किया जाता है। परिवादी का परिवाद विपक्षी संख्या 3 के विरुद्ध खारिज किया जाता है। विपक्षी संख्या 1 व 2 को आदेषित किया जाता है कि वह परिवादी को उसकी सिक्योरिटी मनी, केबल व मीटर जिसे विपक्षीगण उतार कर ले गये हैं के रुपये 1,400/- का भुगतान आदेष की दिनांक से 30 दिन के अन्दर करें। विपक्षीगण द्वारा जारी आर0सी0 दिनांक 23.11.2013 व विद्युत बिल दिनांक 31.05.2015 निरस्त किया जाता है। विपक्षीगण परिवादी को रुपये 1,400/- पर दिनांक 29.01.2009 से 9 प्रतिषत साधारण वार्शिक ब्याज का भुगतान तारोज वसूली की दिनांक तक करें। विपक्षी संख्या 1 व 2 परिवादी को क्षतिपूर्ति के मद में रुपये 20,000/- तथा परिवाद व्यय के मद में रुपये 4,000/- का भी भुगतान करें। क्षतिपूर्ति व परिवाद व्यय की धनराषि रुपये 24,000/- का भुगतान निर्धारित अवधि 30 दिन में नहीं किया जाता है तो विपक्षी संख्या 1 व 2 रुपये 24,000/- पर आदेष की दिनांक से 9 प्रतिषत साधारण वार्शिक ब्याज का भुगतान भी तारोज वसूली की दिनांक तक परिवादी को करेंगे।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 29.01.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष