(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
परिवाद संख्या : 399/2017
श्रीमती रीना त्रिपाठी व अन्य
बनाम
उप्पल चड्ढा हाईटेक डेवलपर्स प्रा0लि0 व अन्य
दिनांक :20-09-2022
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवादिनी के विद्धान अधिवक्ता श्री पियूष मणि त्रिपाठी तथा विपक्षी कम्पनी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री दिलीप सिंह उपस्थित आए उन्हें सुना गया।
यद्धपि पूर्व के आदेश के अनुपालन में विपक्षी कम्पनी द्वारा परिवादिनी को मूल धनराशि व ब्याज की धनराशि मय 08 प्रतिशत की गणना करते हुए प्राप्त करायी जा चुकी है, परन्तु परिवादिनी द्वारा जो पुर्नजीवित करने के मद में बुकिंग एमाउण्ट की धनराशि एकमुश्त 2,00,000/-रू0 विपक्षी कम्पनी द्वारा मांगने पर वर्ष 2014 में जमा की गयी है वह बुकिंग एमाउण्ट की धनराशि परिवादिनी को विपक्षी कम्पनी द्वारा वापस नहीं की गयी है। परिवादिनी के विद्धान अधिवक्ता द्वारा यह भी कथन किया गया कि विपक्षी कम्पनी द्वारा टी0डी0एस0 के अन्तर्गत कुल धनराशि रू0 2,28,428/-रू0 न तो वापस किये गये न ही अपेक्षित टी0डी0एस0 सर्टीफिकेट ही प्राप्त कराया गया है।
उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्ता को सुनने के उपरांत तदनुसार निम्न आदेश पारित किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है।
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जहॉं तक रू0 2,00,000/- जमा किये जाने का प्रश्न है विपक्षी कम्पनी के विद्धान अधिवक्ता श्री दिलीप सिंह द्वारा कथन किया गया कि उपरोक्त रू0 2,00,000/- एडमिनिस्ट्रेटिव चार्जेंज (प्रशासनिक खर्च) के अन्तर्गत जमा किये गये हैं जो उन सभी आवंटियों से जमा कराये गये हैं जिनका आवंटन निरस्त किया गया है, अतएव उक्त धनराशि वापस किया जाना न्यायोचित नहीं है।
जहॉं तक टी0डी0एस0 की धनराशि के संबंध में विवाद है विपक्षी कम्पनी के विद्धान अधिवक्ता द्वारा उक्त धनराशि के संबंध में अपेक्षित टी0डी0एस0 सर्टीफिकेट एक माह की अवधि में प्राप्त कराया जाने की भी सहमति दी गयी। अतएव प्रस्तुत परिवाद अंतिम रूप से इस प्रकार निस्तारित करते हुए विपक्षी कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को एडमिनिस्ट्रेटिव चार्जेज (प्रशासनिक खर्च) के मद में पुर्नजीवित किये जाने हेतु जो धनराशि 2,00,000/-रू0 जमा कराये गये हैं उस धनराशि को विपक्षी कम्पनी बिना किसी ब्याज के परिवादिनी को 30 दिन की अवधि में वापस करेगी। तदनुसार प्रस्तुत परिवाद अंतिम रूप से निस्तारित किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1