Uttar Pradesh

StateCommission

A/670/2019

Vishram Singh - Complainant(s)

Versus

Uper Civil Judge - Opp.Party(s)

Self

27 Jun 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/670/2019
( Date of Filing : 24 May 2019 )
(Arisen out of Order Dated 23/04/2019 in Case No. M/06/2019 of District Kanpur Dehat)
 
1. Vishram Singh
S/O Late Nirpati Singh Hal Niwasi House No. 125 Block D 80 Feet Road Panki Kanpur 208020
...........Appellant(s)
Versus
1. Uper Civil Judge
J.D. Court No. 2 Kanpur Dehat
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Rajendra Singh JUDICIAL MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 27 Jun 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

(मौखिक)

अपील संख्‍या-670/2019

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, कानपुर देहात द्वारा प्रकीर्ण वाद संख्‍या 06/2019 में पारित आदेश दिनांक 23.04.2019 के विरूद्ध)

विश्राम सिंह पुत्र स्‍वर्गीय निरपति सिंह हाल निवासी मकान न0 125 ब्‍लाक डी 80 फिट रोड पनकी कानपुर 208020

........................अपीलार्थी/परिवादी

बनाम

1. अपर सिविल जज जू0डि0 कोर्ट न0 2 कानपुर देहात

2. उत्‍तर प्रदेश सरकार द्वारा जिला जज कानपुर देहात

                          ................प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य। 

3. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य। 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री विश्राम सिंह

                            स्‍वयं

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं

दिनांक: 27.06.2023

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   प्रकीर्ण वाद संख्‍या-06/2019 विश्राम सिंह बनाम उत्‍तर प्रदेश सरकार द्वारा जिला न्‍यायाधीश कानपुर देहात तथा एक अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 23.04.2019 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है।

2.   जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया गया है कि परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता है।

3.   अपीलार्थी श्री विश्राम सिंह को सुना तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा परिवाद पत्र का अवलोकन किया।

4.   परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार अपर सिविल जज जू0डि0 कानपुर देहात के समक्ष  वाद  संख्‍या-28/2017  लालाराम  आदि

 

 

-2-

बनाम खुमान आदि एक विक्रय पत्र को निरस्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया। इस वाद में प्रक्रियात्‍मक त्रुटियों का उल्‍लेख करते हुए विपक्षीगण के विरूद्ध क्षतिपूर्ति की मांग की गयी है।

5.   जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया है कि किसी न्‍यायालय द्वारा अपनायी गयी कोई प्रक्रिया, दिया गया कोई निष्‍कर्ष सेवाप्रदाता की श्रेणी में नहीं आता है, इसलिए उपाभोक्‍ता परिवाद संधारणीय नहीं माना गया।

6.   अपीलार्थी का यह तर्क है कि नजीर श्री प्रभाकर व्‍यानकोबा आडोने बनाम सुप्रीनटेडेंन्‍ट, सिविल कोर्ट I (2008) CPJ 427 NC में व्‍यवस्‍था दी गयी है कि कोर्ट फीस प्राप्‍त करने के पश्‍चात् प्रमाणित प्रतिलिपि दाखिल न करना न्‍यायिक कार्य नहीं है, इसलिए उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय माना गया। प्रस्‍तुत केस में परिवादी द्वारा न्‍यायिक प्रक्रिया को चुनौती दी गयी है, इसलिए यह नजीर प्रस्‍तुत केस के लिए सुसंगत नहीं है।

7.   अपीलार्थी की ओर से एक अन्‍य नजीर सोम नाथ तथा अन्‍य बनाम करम सिंह प्रस्‍तुत की गयी है। इस केस में भी मुख्‍य विवाद न्‍यायालय शुल्‍क से सम्‍बन्धित है, इसलिए यह नजीर अपीलार्थी को कोई मदत नहीं करती।

8.   अपीलार्थी की ओर से एक अन्‍य नजीर पी0एम0 अश्‍वथनारायण सेट्टी आदि बनाम स्‍टेट आफ कर्नाटक आदि प्रस्‍तुत की गयी है। यह नजीर भी न्‍यायालय शुल्‍क से सम्‍बन्धित है, इसलिए यह नजीर भी अपीलार्थी को कोई मदत नहीं                     करती है।

9.   अपीलार्थी की ओर से एक अन्‍य नजीर दि सेक्रेटरी टु गवर्नमेन्‍ट आफ मद्रास व अन्‍य बनाम पी0आर0 श्रीरामुलु व अन्‍य 1996 AIR 767 भी प्रस्‍तुत की गयी है, जिसमें व्‍यवस्‍था दी गयी है कि न्‍याय शुल्‍क केवल उस सीमा तक होना चाहिए, जो प्रशासनिक खर्चों को वहन कर सके। इस नजीर से भी अपीलार्थी को उपभोक्‍ता होने का कोई लाभ नहीं मिलता है।

 

 

-3-

10.  आल इण्डिया जजेस एसोसिएशन बनाम यूनियन आफ इण्डिया में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा व्‍यवस्‍था दी गयी है कि जनपद न्‍यायालय में तैनात सभी न्‍यायाधीश सम्‍प्रभु कार्य सम्‍पादित करते हैं। इस प्रकार उपरोक्‍त नजीर के आलोक में कहा जा सकता है कि प्रस्‍तुत केस में अपर सिविल जज द्वारा जो प्रक्रिया अपनायी गयी, वह न्‍यायिक कार्य है और न्‍यायिक कार्य के विरूद्ध उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय नहीं है। अपीलार्थी/परिवादी ने अनावश्‍यक रूप से जिला उपभोक्‍ता आयोग तथा इस आयोग का समय बर्बाद किया, इसलिए प्रस्‍तुत अपील अंकन 50,000/-रू0 (पचास हजार रूपये) हर्जे सहित खारिज होने योग्‍य है।

आदेश

11.   प्रस्‍तुत अपील अंकन 50,000/-रू0 (पचास हजार रूपये) हर्जे सहित खारिज की जाती है।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)     (राजेन्‍द्र सिंह)     (सुशील कुमार)      

         अध्‍यक्ष             सदस्‍य             सदस्‍य        

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
JUDICIAL MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.