(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 2459/2014
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद सं0- 814/2009 में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 18.08.2014 के विरुद्ध)
Uttar Pradesh Power Corporation Limited through Executive Engineer Madhyanchal Vidyut Vitran Nigam Limited (Cess-II) Indralok Hydil Colony, Krishna Nagar, Lucknow.
….....Appellant
Versus
Upendra kumar singh Son of Late Narendra Singh Resident of Village and Post-Navi Panah, Malihabad, District Lucknow.
……Respondent
समक्ष:-
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
माननीया डॉ0 आभा गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री संतोष कुमार मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक:- 15.07.2022
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0- 814/2009 उपेन्द्र कुमार सिंह बनाम मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 में जिला उपभोक्ता आयोग द्वितीय, लखनऊ द्वारा पारित निर्णय व आदेश दि0 18.08.2014 के विरुद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
2. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने प्रश्नगत निर्णय के माध्यम से प्रत्यर्थी/परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से आज्ञप्त करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को प्रश्नगत निर्णय की तिथि से 06 सप्ताह के अन्दर 05 हार्स पावर का कनेक्शन दिए जाने के निर्देश दिए हैं।
3. प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा परिवाद पत्र इन अभिकथनों के साथ प्रस्तुत किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने दि0 08.06.2006 को 05 हार्स पावर के विद्युत संयोजन हेतु रू0 125/- देकर अपीलार्थी/विपक्षी के पास आवेदन किया था। विद्युत कनेक्शन की उसे कृषि हेतु आवश्यकता थी। प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुसार उसने समस्त औपचारिकतायें पूरी कर दी थी, परन्तु अपीलार्थी/विपक्षी के यहां कई बार सम्पर्क करने पर भी अपीलार्थी/विपक्षी ने उसे उक्त विद्युत संयोजन नहीं दिया। प्रत्यर्थी/परिवादी ने फसल के नुकसान हेतु तथा मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु एवं अन्य अनुतोष हेतु यह परिवाद योजित किया है।
4. अपीलार्थी/विपक्षी ने अपने प्रतिवाद पत्र में कहा है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने दि0 06.04.2009 को स्वयं अपीलार्थी/विपक्षी के कार्यालय में आकर टी0सी0 प्राप्त कर ली थी, किन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी ने न तो कोई धनराशि जमा की और न ही कोई प्रत्यावेदन अपीलार्थी/विपक्षी के कार्यालय में जमा किया। इसलिए उसे विद्युत संयोजन नहीं दिया जा सका। इन आधारों पर प्रत्यर्थी/परिवादी का परिवाद हर्जे खर्चे के साथ खारिज किए जाने की प्रार्थना की गई। अत: विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद आंशिक रूप से आज्ञप्त करते हुए यह निर्णय दिया कि प्रत्यर्थी/परिवादी के द्वारा विद्युत संयोजन हेतु औपचारिकतायें पूर्ण कर ली गई हैं, फिर भी कोई औपचारिकता बचती है तो अपीलार्थी/विपक्षी उन औपचारिकताओं को 01 सप्ताह के अन्दर बताये कि कौन सी औपचारिकतायें प्रत्यर्थी/परिवादी को पूरी करनी हैं। इसके उपरांत 06 सप्ताह के अन्दर कनेक्शन दिए जाने के निर्देश दिए गए। इसके अतिरिक्त मानसिक क्लेश हेतु रू0 15,000/- एवं वाद व्यय के रूप में 5,000/-रू0 अदा करने के निर्देश दिए गए, जिससे व्यथित होकर यह अपील प्रस्तुत की गई है।
5. अपील में मुख्य रूप से यह आधार लिए गए हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी को विद्युत कनेक्शन उसे रू0 68,000/- की छूट देते हुए सैंक्शन किया गया था और इस सम्बन्ध में पत्र दिनांकित 24.02.2009 उसे प्रदान कर दिया गया था, किन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी औपचारिकतायें पूर्ण करने में असफल रहा जिस कारण उसे कनेक्शन नहीं दिया जा सका, विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा दिया गया निर्णय इसलिए गलत है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने प्रत्यर्थी/परिवादी को रू0 15,000/- मानसिक क्लेश के लिए एवं 5,000/-रू0 वाद हेतु दिलाया जो गलत है। उपरोक्त आधारों पर प्रश्नगत निर्णय व आदेश अपास्त किए जाने की प्रार्थना की गई है।
6. अपील दि0 26.11.2014 को योजित की गई। प्रत्यर्थी पर बजरिए पंजीकृत डाक द्वारा नोटिस आदेश दिनांकित 27.11.2014 के अनुपालन में प्रेषित की गई, किन्तु इसके उपरांत भी प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया, अत: प्रत्यर्थी पर नोटिस की तामीली की उपधारणा की गई, अत: दि0 09.06.2022 को अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री संतोष कुमार मिश्रा को प्रत्यर्थी की अनुपस्थिति में सुना गया। प्रश्नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया गया।
7. इस मामले में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का कथन यह है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा विद्युत कनेक्शन के लिए आवेदन करने के उपरांत विद्युत कनेक्शन हेतु न तो आवश्यक धनराशि जमा की गई न ही आवश्यक औपचारिकतायें पूर्ण की गईं। इस सम्बन्ध में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग का यह निर्णय आया कि औपचारिकतायें पूरी की जानी हैं यह अपीलार्थी/विपक्षी, प्रत्यर्थी/परिवादी को 01 सप्ताह के अन्दर बताये और इसके उपरांत 06 सप्ताह के अन्दर विद्युत कनेक्शन उसको प्राप्त कराये। इस निष्कर्ष में कोई त्रुटि नहीं प्रतीत होती है। उक्त आदेश इस प्रकार संशोधित किए जाने योग्य है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा इस आशय का प्रार्थना पत्र दिए जाने पर प्रार्थना पत्र की प्राप्ति के 01 सप्ताह के अन्दर अपीलार्थी/विपक्षी, प्रत्यर्थी/परिवादी को यह बताये कि प्रत्यर्थी/परिवादी को कौन सी औपचारिकतायें पूरी होने पर 06 सप्ताह के अन्दर विद्युत कनेक्शन दिया जाए।
8. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को मानसिक क्लेश हेतु रू0 15,000/- तथा वाद व्यय के रूप में 5,000/-रू0 अदा करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से मानसिक क्लेश किस प्रकार हुआ यह स्पष्ट नहीं किया गया है। अत: यह धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलवाया जाना उचित नहीं है। तदनुसार प्रश्नगत निर्णय व आदेश को संशोधित करते हुए प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
9. अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय व आदेश दि0 18.08.2014 इस प्रकार संशोधित किया जाता है कि मानसिक क्लेश हेतु रू0 15,000/- तथा वाद व्यय के रूप में 5,000/-रू0 जो अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा किए जाने हेतु आदेशित किया गया है उसे अपास्त किया जाता है। शेष निर्णय व आदेश की पुष्टि की जाती है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित इस निर्णय व आदेश के अनुसार जिला उपभोक्ता आयोग को निस्तारण हेतु प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय व आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (डॉ0 आभा गुप्ता)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0-3