Uttar Pradesh

Chanduali

CC/2/2016

PARSNATH - Complainant(s)

Versus

UP DAKPAL DAKGHAR CHANDAULI - Opp.Party(s)

Sanjay Kumar

19 Oct 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum, Chanduali
Final Order
 
Complaint Case No. CC/2/2016
 
1. PARSNATH
Vill-Lilapur Po-Vishaori Prgna Mjwar Chandauli
Chandauli
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. UP DAKPAL DAKGHAR CHANDAULI
Chandauli
Chandauli
UP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav PRESIDENT
 HON'BLE MR. Lachhaman Swaroop MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 19 Oct 2016
Final Order / Judgement

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 02                                सन् 2016ई0
पारसनाथ पुत्र स्व0 सोमारू राम निवासी लीलापुर पो0 विसौरी जिला चन्दौली।
                                      ...........परिवादी                                                                                                                                    बनाम
उप डाकपाल डाकघर चन्दौली जिला चन्दौली।
                                            .............................विपक्षी
उपस्थितिः-
 रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
 लक्ष्मण स्वरूप सदस्य
                               निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1-    परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी से उसके खाते में जमा कुल रू0 35250/-मय व्याज दिलाये  जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2-    परिवादी की ओर से संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी ने विपक्षी की शाखा में दिनांक 23-9-2001 में अपने नाम से बचत खाता खोलवाया जिसका खाता संख्या 1114772 है जिसमे परिवादी ने दिनांक 27-1-2009 को रू0 40000/- जमा करने के उपरान्त परिवादी के खाते में कुल रू0 40250/- हो गया। परिवादी ने दिनांक 22-9-2009 को अपने खाते से रू0 5000/- निकाला। तत्पश्चात परिवादी के खाते में कुल रू0 35250/- अवशेष बचा। परिवादी दिनांक 16-2-2015 को अपने खाते से रू0 35000/- निकालने के लिए विपक्षी के यहॉं पर्ची भरकर दिया तो विपक्षी के कैशियर ने बताया कि तुम्हारे खाते में रू0 35000/- नहीं है और दिनांक 22-3-2011 को रू0 33000/- उक्त खाते से निकाला जा चुका है। परिवादी ने अपने खाते से रूपया निकालने की जानकारी पोस्ट मास्टर को दिया तो उनके द्वारा कहा गया कि आपके खाते से पैसा किसने निकाला मुझे कोई जानकारी नहीं है और न ही इस सम्बन्ध में कोई कार्यवाही कर सकता हॅूं। परिवादी दिनांक 16-2-2015 को ही रजिस्टर्ड डाक  से डाकघर पूर्वी मण्डल वाराणसी को प्रार्थना पत्र दिया जिसके सम्बन्ध में प्रवर अधीक्षक डाकघर द्वारा विपक्षी से परिवादी के खाते से  रूपया निकलने के सम्बन्ध में दिनांक 20-2-2015  तक आख्या मांगी गयी, किन्तु  आजतक विपक्षी द्वारा आख्या मण्डल कार्यालय को नहीं भेजी गयी। इस आधार पर परिवादी ने यह परिवाद दाखिल किया है।
3-    विपक्षी पर नोटिस का तामिला पर्याप्त रूप से हुआ और विपक्षी की ओर से उनके अधिवक्ता ने वकालतनामा दाखिल करके जबाबदावा दाखिल करने हेतु समय भी मांगा किन्तु इसके बाद भी कई तारीखें बीतने के बावजूद विपक्षी की ओर से न तो कोई उपस्थित हुआ और न ही जबाबदावा दाखिल किया गया। अतः मुकदमा विपक्षी के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से अग्रसारित किया गया। 
4-    परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की एक पक्षीय बहस सुनी गयी और पत्रावली का सम्यक रूपेण परिशीलन किया गया। 

2
5-    प्रस्तुत मुकदमें में परिवादी का अभिकथन है कि उसने विपक्षी डाकघर चन्दौली में दिनांक 23-9-2001 को अपने नाम से बचत खाता खोलवाया जिसका खाता संख्या 1114772 है। इस खाते में दिनांक 27-1-2009 को परिवादी ने रू0 40000/- जमा किया और तब उसके खाते में कुल रू0 40250/- जमा हो गया जिसमे से दिनांक 22-9-2009 को उसने रू0 5000/- निकाल लिया। अतः उसके खाते में रू0 35250/- अवशेष बचा है। दिनांक 16-2-2015 को जब परिवादी अपने उपरोक्त खाते से रू0 35000/- निकालने के लिए पर्ची भरकर दिया तो विपक्षी के कैशियर द्वारा यह बताया गया कि उसके खाते से दिनांक 22-3-2011 को रू0 33000/- निकाला जा चुका है। इस सम्बन्ध में जब उसने पोस्ट मास्टर से जानकारी चाही तो उन्होंने यह कहा कि परिवादी के खाते से किसने पैसा निकाला है उन्हें जानकारी नहीं है और वे इस सम्बन्ध में कोई कार्यवाही भी नहीं कर सकते है तब परिवादी ने उसी दिन अर्थात दिनांक 16-2-2015 को पंजीकृत डाक द्वारा डाकघर पूर्वी मण्डल वाराणसी को एक प्रार्थना पत्र इस सम्बन्ध में प्रेषित किया और परिवादी के प्रार्थना पत्र के आधार पर प्रवर अधीक्षक डाकघर वाराणसी द्वारा विपक्षी से दिनांक 20-2-2015 तक आख्या तलब की गयी थी किन्तु विपक्षी ने मण्डल कार्यालय को कोई आख्या प्रेषित नहीं की है। परिवादी का अभिकथन है कि उसके खाते से गलत तौर से पैसा निकाले जाने से उसे अपूर्णीय क्षति हुई है। अतः उसके खाते में जमा सम्पूर्ण धनराशि व्याज सहित उसे दिलायी जाय।
6-    अपने परिवाद के समर्थन में परिवादी पारस नाथ ने अपना शपथ पत्र दाखिल किया है इसके अतिरिक्त दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में उसकी ओर से अपने खाता संख्या 1114772 की छायाप्रति दाखिल की गयी है, जिसके अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि उक्त खाते में दिनांक 27-1-2009 को रू0 40000/- जमा किया गया है और उस खाते में उस दिन कुल अवशेष रू0 40250/- होना प्रदर्शित है इसके बाद दिनांक 22-9-2009 को इस खाते से रू0 5000/- निकाला गया है और तब उस दिन अवशेष रू0 35250/- होना प्रदर्शित है इसके बाद इस खाते से कोई पैसा निकाले जाने का कोई उल्लेख पासबुक में नहीं है।
7-    परिवादी की ओर से दिनांक 16-2-2015 को प्रवर अधीक्षक डाकघर पूर्वी मण्डल वाराणसी को प्रेषित प्रार्थना पत्र की छायाप्रति भी दाखिल की गयी है और प्रवर अधीक्षक डाकघर पूर्वी मण्डल वाराणसी द्वारा उपडाक पाल चन्दौली को प्रेषित पत्र दिनांकित 20-2-2015 की छायाप्रति भी दाखिल है जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रवर अधीक्षक डाकघर पूर्वी मण्डल वाराणसी ने परिवादी के खाते से पैसा निकाले जाने के सम्बन्ध में विपक्षी उपडाक पाल चन्दौली से आख्या व पूर्ण रिर्पोट मांगी है। परिवादी का कथन है कि विपक्षी ने इस सम्बन्ध में आजतक कोई रिर्पोट प्रेषित नहीं की है।
3
    इस प्रकार परिवादी की ओरसे दाखिल शपथ पत्र एवं उपरोक्त दस्तावेजी साक्ष्यों के परिशीलन से यह स्पष्ट है कि दिनांक 22-9-2009 को परिवादी द्वारा रू0 5000/- निकाले जाने के बाद उसके खाते में कुल रू0 35250/- अवशेष बचा है इसके बाद कोई पैसा निकाले जाने का कोई इद्राज परिवादी के पासबुक में नहीं है। परिवादी का अभिकथन है कि उसने इसके बाद कोई पैसा नहीं निकाला है। विपक्षी पर प्रस्तुत मुकदमें में नोटिस का तामिला पर्याप्त रूप से हुआ है उनकी ओरसे उनके अधिवक्ता ने वकालतनामा भी दाखिल किया है किन्तु पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद विपक्षी की ओर से कोई जबाबदावा दाखिल नहीं किया गया और न ही कोई साक्ष्य दाखिल किया गया जिसके कारण मुकदमा उनके विरूद्ध एक पक्षीय चल रहा है। पत्रावली पर परिवादी की ओर से दाखिल शपथ पत्र एवं अन्य दस्तावेजी साक्ष्य पूर्णतः अखण्डित है। अतः इन पर अविश्वास करने का कोई कारण प्रतीत नहीं होता।
    इस प्रकार फोरम की राय में पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों से परिवादी के परिवाद पत्र में किये गये अभिकथनों की पूर्णतः पुष्टि होती है और परिवादी का परिवाद एक पक्षीय रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
                               आदेश
    परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से 2 माह के अन्दर परिवादी को उसके खाते में मौजूद रू0 35250/-(पैतीस हजार दो सौ पचास) नियमानुसार व्याज सहित अदा करें।

(लक्ष्मण स्वरूप)                                      (रामजीत सिंह यादव)
 सदस्य                                                अध्यक्ष
                                                  दिनांकः 19-10-2016 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Lachhaman Swaroop]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.