Rajasthan

Churu

21/2014

gorishankar - Complainant(s)

Versus

UP DAKPAL DAKHGHAR TARANAGAR & Ors. - Opp.Party(s)

JAGDISH KASWA

16 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 21/2014
 
1. gorishankar
VPO RAYA TUNDA TARANAGAR CHURU
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, चूरू
अध्यक्ष- षिव शंकर
सदस्य- सुभाष चन्द्र
सदस्या- नसीम बानो
 
परिवाद संख्या-   21/2014
गोरीशंकर पुत्र श्री काशीराम जाति जाट आयु 21 वर्ष निवासी रेयाटुण्डा तहसील तारानगर व जिला चूरू (राजस्थान)
......प्रार्थी
बनाम
 
1.    उपडाकपाल डाकघर तारानगर, जिला चूरू
2.    मुख्य डाकपाल, मुख्य डाकघर चूरू
3.    प्रभारी पोस्ट आॅफिस रैयाटुण्डा तह. तारानगर जिला चूरू
                                                 ......अप्रार्थीगण
दिनांक-   27.03.2015
निर्णय
द्वारा अध्यक्ष- षिव शंकर
1.    श्री जगदीश कस्वां एडवोकेट - प्रार्थी की ओर से
2.    श्री गोपाल शर्मा एडवोकेट   - अप्रार्थीगण की ओर से
 
 
1.    प्रार्थी ने अपना परिवाद पेष कर बताया कि प्रार्थी गांव रैयाटुण्डा तहसील तारानगर जिला चूरू का स्थायी निवासी है जो बेरोजगार है। इसलिए सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करता रहता है। प्रार्थी को कई बार डाक विभाग से नौकरी के लिए आवेदन करने पर देरी से परीक्षा भर्ती तथा साक्षत्कार के समाचार डाक विभाग देता है जिससे नौकरी से वंचित रह जाता है। प्रार्थी को समय पर डाक विभाग सूचना नहीं करता है जिसकी कई बार प्रार्थी द्वारा शिकायत भी की गयी। प्रार्थी ने दिल्ली पुलिस 2013 में भर्ती के लिए आवेदन किया। प्रार्थी ने 2013 दिल्ली पुलिस भर्ती के लिए निर्धारित फीस अदा की थी तथा डाक विभाग द्वारा वापिस प्रार्थी को सूचना देने के लिए लिफाफे पर डाक टिकट लगाकर प्रार्थी का पता लिखवाकर लिफाफे प्रार्थी द्वारा डाक विभाग को दिये गये थे।
2.    आगे प्रार्थी ने बताया कि प्रार्थी ने दिल्ली पुलिस भर्ती 2013 के लिए आवेदन करने पर दिल्ली पुलिस द्वारा दिनांक 22.10.2013 को फिजिकल नाप जोख के लिए प्रार्थी को बुलाया था लेकिन डाक विभाग की लापरवाही से प्रार्थी को इसकी सूचना दिनांक 24.10.2013 को दी गयी जिस कारण प्रार्थी को डाक देरी से मिलने से प्रार्थी फिजिकल टेस्ट देने से वंचित रह गया जो डाक विभाग का सेवादोष का मामला है तथा अनुचित व्यापार नीति है। प्रार्थी ने डाक विभाग में जाकर यह बात बताई तो कहा कि आपको जो करना है करो हम तो डाक का वितरण अपनी मर्जी से करते है और ऐसे ही करेंगे। प्रार्थी को दिनांक 25.10.2013 को स्पष्ट इन्कार हो गये जिस कारण से प्रार्थी को यह परिवाद पेश करने का कारण व आधार प्राप्त है। प्रार्थी डाक विभाग की लापरवाही तथा सेवादोष के कारण दिल्ली पुलिस 2013 की फिजिकल टेस्ट में शामिल होने से वंचित हो गया है जिस कारण से प्रार्थी नौकरी लगने से वंचित रह गया। जिससे प्रार्थी को 4,00,000 रूपये का नुकसान हो गया जो नौकरी लगता तो और अधिक रूपये भी कमाता तथा अपना व अपने परिवाद का पालन पोषण भी करता। इसलिए प्रार्थी ने नौकरी से वंचित रहने व नुकसान की राशि 4,00,000 रूपये, मानसिक प्रतिकर व परिवाद व्यय की मांग की है।
3.    अप्रार्थीगण ने प्रार्थी के परिवाद का विरोध कर जवाब पेश कर बताया कि प्रार्थी का उक्त पत्र दिनांक 24.10.2013 को ही रैयाटुण्डा डाकघर में प्राप्त हुआ एवं उसी दिन पत्र का वितरण प्राप्तकर्ता को कर दिया गया प्रकरण में डाक विभाग का कोई सेवादोष नहीं है तथा इनमें डाक विभाग के अधिकारी कर्मचारी की कोई लापरवाही नहीं रही है। प्रार्थी का काल लेटर साधारण डाक से आया था तथा ना ही साधारण डाक का कोई रिकार्ड रहता है। साधारण डाक के वितरण के सम्बंध में केाई समयावधी भी निर्धारित नहीं है। प्रार्थी ने दिल्ली पुलिस कार्यालय से उसका काल लेटर कब प्रेषित हुआ इस सम्बंध में कोई तथ्य प्रस्तुत नहीं किया है। उक्त पत्र वितरण हेतु रैयाटुण्डा शाखा डाकघर में दिनांक 24.10.2013 को वितरण हेतु प्राप्त हुआ एवं उसी दिन पत्र का वितरण प्राप्तकर्ता को कर दिया गया इस प्रकार प्रार्थी का यह तथ्य सारहीन तथा तथ्यों से परे है इसके लिए डाक विभाग किसी भी तरह से जिम्मेवार नहीं है।
4.    आगे जवाब दिया कि अपील नम्बर 262/08 चीफ पोस्ट मास्टर बनाम चैनाराम में माननीय व ैजंजम बवदेनउमे कपेचनजमे त्मकतमेेंस ब्वउउपेेपवद ब्पतबनपस ठमबी श्रवकीचनत ;त्ंरंेजींदद्ध  न.मु. 986/1996 पोस्ट माटर इम्फाल बनाम जामनी देवी में मानीय नेशनल द्वारा दिये गये निर्णय व भारतीय पोस्ट आॅफिस एक्ट की धारा 6 के अन्तर्गत जब तक की जानबुझकर कोई कोड विलफुल एक्ट, विलफुल डिफाल्ट डाक विभाग के अधिकारी द्वारा नहीं किया जावे जिससे पोस्ट आर्टिकल की डिलिवरी द्वारा नहीं किया जावे जिससे पोस्ट को जिम्मेवार नहीं ठहराया जा सकता ऐसी स्थिति में अनवानी प्रकरण में डाक विभाग किसी भी प्रकार की जिम्मेवारी नहीं है क्योंकि विभाग द्वारा ऐसा कोई कृत्य जानबुझकर नहीं किया गया है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने की मांग की।
5.    प्रार्थी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, असल लिफाफा एडमिट कार्ड दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है।
6.    पक्षकारान की बहस सुनी गई, पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया, मंच का निष्कर्ष इस परिवाद में निम्न प्रकार से है।
7.    प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों को दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी ने दिल्ली पुलिस की भर्ती हेतु 2013 में आवेदन किया था। प्रार्थी का आवेदन फार्म सही पाये जाने पर दिल्ली पुलिस ने प्रार्थी को फिजिकल नाप जोख हेतु दिनांक 22.10.2013 को बुलाया था। लेकिन अप्रार्थी डाक विभाग की लापरवाही के कारण प्रार्थी को उक्त बुलावा पत्र की सूचना दिनांक 24.10.2013 को दी गयी। जिस कारण प्रार्थी दिल्ली पुलिस भर्ती हेतु अपना फिजिकल नाप जोख नहीं दे सका। अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी को दिल्ली पुलिस की भर्ती हेतु बुलावा पत्र देरी से देने से प्रार्थी फिजिकल टेस्ट में शामिल होने से वंचित होने के साथ-साथ नौकरी लगने से भी वंचित हो गया। इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने प्रार्थी को हुये नुकसानी के रूप में 4,00,000 रूपये सहित परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए तर्क दिया कि अप्रार्थीगण ने प्रश्नगत डाक दिनांक 24.10.2013 को प्राप्त होते हुए प्रार्थी को उसी दिन डिलिवर कर दी थी। इसलिए अप्रार्थीगण का सेवादोष नहीं है। साधारण डाक का कोई रिकाॅर्ड अप्रार्थी विभाग में नहीं होता है। प्रश्नगत डाक लिफाफा दिल्ली पुलिस कार्यालय द्वारा कब जारी किया गया कोई तथ्य प्रार्थी द्वारा नहीं बताया गया। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में यह भी तर्क दिया कि पोस्ट आॅफिस अधिनियम की धारा 6 के अन्तर्गत जब तक कि अप्रार्थीगण पोस्ट आॅफिस विभाग के किसी कर्मचारी द्वारा कोई जानबूझ कर लापरवाही किया जाना साबित नहीं होता अप्रार्थीगण विभाग को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। उक्त आधारों पर अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया।
8.    हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। वर्तमान प्रकरण में प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में मुख्य तर्क यही दिया है कि अप्रार्थीगण की लापरवाही की वजह से प्रार्थी दिल्ली पुलिस सेवा में भर्ती हेतु फिजिकल नापतोल में उपस्थित नहीं हो सका जिस कारण प्रार्थी भर्ती होने से भी वंचित हो गया। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि अप्रार्थी संख्या 3 के पास दिल्ली पुलिस द्वारा भिजवाया गया पत्र दिनांक 24.10.2013 को प्राप्त हुआ था व उसी दिन प्रार्थी को डिलिवर कर दिया। इससे यह तथ्य साबित है कि अप्रार्थीगण का कोई सेवादोष नहीं है। हम अप्रार्थीगण अधिवक्ता के उक्त तर्कों से सहमत है क्येांकि अप्रार्थीगण की प्रश्नगत डाक डिलिवरी करने में लापरवाह रही है तथ्य को सिद्ध करने हेतु प्रार्थी ने कोई दस्तावेज पेश नहीं किया और ना ही प्रार्थी ने दिल्ली पुलिस को पक्षकार बनाया जिससे यह जाहिर होता कि दिल्ली पुलिस द्वारा प्रार्थी को प्रश्नगत डाक किस दिनांक को अप्रार्थी विभाग में प्रस्तुत की। साधारण डाक का अप्रार्थी विभाग में कोई रिकाॅर्ड नहीं होता। इसलिए मंच की राय में प्रार्थी को प्रश्नगत डाक डिलिवरी करने में अप्रार्थी विभाग लापरवाह रहा हो जाहिर नहीं होता वैसे भी पोस्ट आॅफिस अधिनियम की धारा 6 में स्पष्ट अंकित है कि जब तक अप्रार्थी विभाग के किसी भी कर्मचारी या अधिकारी के द्वारा जानबूझकर किसी डाक को प्रेषित करने में भूमिका रही हो तो ही अप्रार्थी विभाग को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है। ऐसा ही मत माननीय राष्ट्रीय आयोग ने अपने नवीनतम न्यायिक दृष्टान्त 1 सी.पी.जे. 2014 पेज 97 रविन्द्रनाथ उपाध्याय बनाम सिनियर सुप्रीडेन्ट आॅफ पोस्ट आॅफिस एण्ड अदर्स में दिया है। माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने उक्त न्यायिक दृष्टान्त के चरण संख्या 7 में पोस्ट आॅफिस अधिनियम की धारा 6 के आधार पर यह अभिनिर्धारित किया कि त्मेचवकमदज बंददवज इम ीमसक सपंइसम वित ंदल सवेेए उपेकमसपअमतलए कमसंल वत कंउंहम नदसमेे पज ींे इममद बंनेमक तिंनकनसमदजसल वत इल ूपसनिस ंबज वत कमंिनसज व ितमेचवदकमदजण्  उपरोक्त न्यायिक दृष्टान्त के तथ्य वर्तमान प्रकरण पर पूर्णत चस्पा होते है क्योंकि प्रार्थी ने अपने परिवाद में यह कहीं अंकित नहीं किया कि प्रार्थी की डाक जानबूझकर व द्वेषपूर्वता से अप्रार्थीगण विभाग ने प्रार्थी को देरी से डिलिवरी की। पोस्ट आॅफिस अधिनियम की धारा 6 के अनुसार अप्रार्थी विभाग को डाक की देरी हेतु उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। इसलिए प्रार्थी का परिवाद उपरोक्त न्यायिक दृष्टान्त की रोशनी में खारिज किये जाने योग्य है।
            अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध अस्वीकार कर खारिज किया जाता है। पक्षकार प्रकरण का व्यय अपना-अपना वहन करेंगे।
 
 
सुभाष चन्द्र              नसीम बानो                षिव शंकर
  सदस्य                 सदस्या                     अध्यक्ष                         
    निर्णय आज दिनांक 27.03.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया।
    
 
सुभाष चन्द्र              नसीम बानो                षिव शंकर
     सदस्य                सदस्या                     अध्यक्ष     
 

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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