Uttar Pradesh

Faizabad

CC/49/2014

Rachit Nemani - Complainant(s)

Versus

Universial Sompo - Opp.Party(s)

28 Sep 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/49/2014
 
1. Rachit Nemani
Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Universial Sompo
mumbai
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

              परिवाद सं0-49/2014

रचित नेेेेेेेेमानी पुत्र स्र्व0 किषोर नेमानी स्थायी निवासी मकान नं0 110 वैदेही नगर, बछड़ा सुल्तानपुर, परगना हवेली अवध, तहसील व जिला फैजाबाद।      .............. परिवादी
   
बनाम
1.    जनरल मैनेजर, यूनिवर्सल सैैम्पो जनरल इन्षयोरेन्स, कं0 लि0 201-208 क्रिस्टल प्लाजा, निकट इनिफिनिटी माँल, लिंक रोड, अन्धेरी (प0) मुम्बई -400053।
2.    प्रबन्धक यूनिवर्सल सैम्पो जनरल इन्षयोरेन्स कं0लि0 401, षालीमार लाजिक्स, चतुर्थ तल, राणा प्रताप मार्ग, लखनऊ उ0 प्र0।
3.    प्रबन्धक यूनिवर्सल सैम्पो जनरल इन्षयोरेन्स, कं0 लि0, प्रथम तल मो0 छप्पेपुर, वार्ड-सिकरौल, परगना-षिवपुर, वाराणसी उ0 प्र0।        ..........    विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 29.09.2015            
उद्घोषित द्वारा: श्रीमती माया देवी षाक्य, सदस्या।
                        निर्णय
    परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी अपना व्यापार, लुक्स मेन्स पार्लर, के नाम से जमुनियाबाग, फैजाबाद में करता है। परिवादी ने अपने उपयोग के लिये एक मोटर साइकिल हीरो होन्डा (करिज्मा) रूपये 92,338/- में दिनंाक 02-11-2011 को चन्द्रा आटो मोबाईल्स, सिविल लाईन्स,फैजाबाद से खरीदा था, जिसका इंन्जिन नम्बर डठस्डब्38म्म्ठळळ00882 और चेचिस नम्बर डब्38म्ॅळळ00839 है, जिसका पंजीयन संख्या यू पी 42 यू 1255 है। उक्त मोटर साइकिल का इन्षयोरेन्स विपक्षीगण की कम्पनी के द्वारा किया। उक्त मोटर साइकिल परिवादी के प्रतिश्ठान लुक्स मेन्स पार्लर जमुनियाबाग फैजाबाद से दिनांक 02.01.2012 को चोरी हो गयी। चोरी होने के बाद परिवादी ने बहुत तलाष किया परन्तु कुछ पता नही चला तब परिवादी ने मोटर साइकिल चोरी होने की सूचना कोतवली नगर, फैजाबाद को दिया और विपक्षीगण की कम्पनी में दिया जो कम्पलेन्ट नम्बर ब्स्11037971 दर्ज हुआ। कोतवली नगर, फैजाबाद ने सूचना पर अपराध सं0 128/12 दिनंाक 04-01-2012 को दर्ज करके उसकी प्रतिलिपि परिवादी को दे दिया। निरीक्षक कोतवली नगर, ने जाँच करने के बाद दिनांक 30-05-2012 को फाइनल रिपोर्ट न्यायालय श्रीमान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट फैजाबाद ने भेज दिया, परिवादी ने उक्त एफ0आई0आर0 की फोटो स्टेट के साथ कम्पलेन्ट की प्रति एवं अन्य कागजात के साथ क्लेम हेतु विपक्षी संख्या-3 को भेज दिया और उनके मांगने पर फाइनल रिपोर्ट की कापी एवं कागजात जमा कर दिया। परिवादी मोटर साइकिल चोरी होने के उपरान्त दिनंाक 02-01-2012 से लेकर फाइनल रिपोर्ट लगने के दिनंाक 30-05-2012 के बाद विपक्षीगण के द्वारा क्लेम का भुगतान नहीं किया विपक्षी संख्या-3 के द्वारा दिनंाक 21-05-21013 को पत्र भेेज कर चोरी हुई मोटर साइकिल की असल चाभी की माँग की गई जिसे परिवादी ने दिनंाक 03-06-2013 को पत्र के साथ जमा करके भुगतान के सम्बन्ध में निवेदन किया परन्तु विपक्षीगण के द्वारा आज तक इन्ष्योरेन्स क्लेम का भुगतान नहीं किया। परिवादी ने क्लेम के बारे में कई बार जानकारी करने का प्रयास किया परन्तु विपक्षी संख्या-2 एवं 3 के द्वारा कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई परिवादी ने सभी विपक्षीगण को दिनंाक 16-08-2013 को लीगल नोटिस जरिये रजिस्ट्री भेजा और क्लेम की धनराषि रूपये 92,338/- मय ब्याज अदा करने के लिये कहा परन्तु आज तक कोई जवाब नहीं आया परिवादी एक माह बाद उनके कार्यालय वाराणसी गया और क्लेम के बारे में बात किया तो विपक्षीगण ने कहा कि अब कानूनी कार्यवाही करके ही क्लेम का भुगतान लेेेेेेेेेना और क्लेम देने से साफ इन्कार करते हुये कोई जानकारी देने से इन्कार कर दिया। न्यायलय श्रीमान के समक्ष दावा प्रस्तुत करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं रह गया है। परिवादी को मोटर साइकिल की संपूर्ण बीमा धनराषि रूपये 92,338/- दिनंाक 02-01-2012 से अदायगी के दिन तक 12 प्रतिषत प्रतिवर्श मासिक अन्तराल की दर से ब्याज, षारीरिक, मानसिक व सामाजिक रूप से उत्पीड़त करने के एवज में क्षतिपूर्ति रूपये 35,000/- तथा खर्चा मुकदमा विपक्षीगण से दिलाया जाय।
    विपक्षी ने परिवादी के परिवाद के कथनों से इन्कार किया है, तथा अपने कथन में कहा है कि परिवादी ने उत्तरदाता के यहँा अपना बीमा दावा समय से व नियमानुसार दाखिल नहीं किया है। परिवादी द्वारा परिवाद की धारा 2 में कहा है, कि मोटर साइकिल दिनंाक 02-11-12 को क्रय किया है, तथा धारा संख्या-3 में कहा है, कि दिनंाक 02-01-12 को मोटर साइकिल चारी हो गयी जो संभव नहीं है। परिवादी द्वारा कोई भी कागजात विपक्षी उत्तरदाता के यहाँ नहीं दिया गया, परिवादी कभी भी उत्तरदाता के कार्यालय नहीं गया है। परिवादी द्वारा आज तक एफ0आई0आर0 का स्वीकृत आदेष उत्तरदाता को नहीं दिया है। परिवादी द्वारा परिवाद विपक्षी उत्तरदाता को परेषान करने को नीयत से दायर किया है। उत्तरदाता द्वारा किसी भी प्रकार का आष्वासन नहीं दिया गया है। परिवादी किसी भी प्रकार का उपषम पाने का अधिकारी नहीं है। परिवादी द्वारा उत्तरदाता को परेषान करने के लिए मिथ्या कथनों के आधार पर दावा दाखिल किया है, जिसका कोई आधार नहीं है, तथा सव्यय निरस्त होने योग्य है।
    पत्रावली का भली भंाति परिषीलन किया। परिवादी एवं विपक्षीगण द्वारा दाखिल साक्ष्यों व प्रपत्रों का अवलोकन किया। विपक्षी का कथन है कि परिवादी ने मोटर साइकिल की चोरी की घटना की सूचना विपक्षीगण को 17 दिन देर से दी है। विपक्षीगण ने दिनंाक 02-01-2013 को परिवादी को पंजीकृत पत्र भेजकर वाहन सम्बन्धी दस्तावेज की माँग की है। विपक्षीगण ने जो कागजात परिवादी से माँगे हैं उसमें फाइनल रिपोर्ट को पूरा होने में समय लगता है और फाइनल रिपोर्ट मुख्य न्यायिक मजिस्टेªट फैजाबाद में 30-05-2012 को न्यायलय में दाखिल की गयी। तदुपरान्त सभी कागजात परिवादी ने विपक्षीगण को भेज दिये। फिर विपक्षीगण ने परिवादी से मोटर साइकिल की दोनों चाभियाँ माँगी, जिन्हें विपक्षीगण ने 03-06-2013 को प्राप्त किया। विपक्षीगण ने परिवादी का बीमा दावा इस आधार पर खारिज कर दिया। कि परिवादी ने बीमा कम्पनी को चोरी की सूचना देर से दी, तथा मोटर साइकिल की दोनों चाभियाँ प्रयोग नहीं की गयी थीं। परिवादी का कथन है कि उसने मोटर साइकिल 02-11-2011 को खरीदी और 02-01-2012 को चारी हो गयी है, इस प्रकार दो माह के इतने कम समय में चाभियाँ नहीं घिस सकतीं। विपक्षीगण ने परिवादी का बीमा दावा गलत आधार पर खारिज किया है। परिवादी अपना परिवाद प्रमाणित करने में सफल रहा है। विपक्षीगण ने परिवादी का बीमा दावा खारिज करके अपनी सेवा में कमी की है। किन्तु परिवादी का परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 11(2)क से बाधित होने के कारण खारिज किये जाने योग्य है।
                                    आदेष           
    परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।  
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 29.09.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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