राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-987/2019
श्री नेपाल सिंह पुत्र श्री बाबू लाल, निवासी राम श्री मार्केट, बरहन तिराहा, बाई पास रोड़, सत्ता बाजार, एत्मादपुर जिला आगरा।
........... अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1- यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड द्वारा शाखा प्रबंधक, साकेत मॉल प्रथम तल, गॉधी नगर बाई पास रोड, आगरा।
2- जनरल मैनेजर, यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, सी-20/ए-1, एस्सोटैकवन बिल्डिंग, लिड फ्लोर सेक्टर-62, लेबरचौक के पास, नोएडा उ0प्र0 201309
3- प्रबंधक, इन्डसइंड बैंक लिमिटेड, बहगरिया हाउस 43, कम्युनिटी सेंटर, न्यू फ्रेन्डस कालोनी, नई दिल्ली 110025
…….. प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री संजय कुमार श्रीवास्तव
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री आनन्द भार्गव
दिनांक :- 27.3.2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/ परिवादी नेपाल सिंह द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, दि्वतीय आगरा द्वारा परिवाद सं0-34/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 15.7.2019 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी का ट्रक नं0-यू0पी0 80 बी0टी0 0582 चैसिस नम्बर-के.10389 इंजन नं0-01के62939774 यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी से बीमित था। प्रश्नगत ट्रक दिनांक 16/17.8.2012 की मध्य रात्रि को राश्री मार्केट
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के पास खड़ा था जिसमें रामदास सो रहा था। नेशनल हाइवे पर कुछ बदमाशों द्वारा क्लीनर को बॉधकर ट्रक में डालकर ट्रक को लूट/चोरी करके ले गये और क्लीनर के कपड़े उतार कर शास्त्रीपुरम के पास सड़क किनारे फेंक कर ट्रक लेकन भाग गये, जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना एत्मादपुर में दिनांक 17.8.2012 को दर्ज करायी गई एवं पुलिस द्वारा अंतिम रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत की गई जो न्यायालय द्वारा दिनांक 24.02.2013 को स्वीकार कर ली गई। अपीलार्थी/परिवादी द्वारा ट्रक चोरी की सूचना प्रत्यर्थी/विपक्षी के कार्यालय में फैक्स द्वारा दिनांक 17.8.2012 को दी एवं प्रत्यर्थी/विपक्षी के कार्यालय में दिनांक 12.3.2013 को बीमा क्लेम लेने के लिए वॉछित प्रपत्रों को उपलब्ध करा दिया तथा प्रत्यर्थी/विपक्षी के इन्वेस्टीगेटर द्वारा अपीलार्थी/परिवादी को आगरा बुलाकर 15 प्रतिशत कटौती करके बीमा क्लेम का भुगतान करने का कहा, किन्तु अपीलार्थी/परिवादी ने इंकार कर दिया। अपीलार्थी/परिवादी के ट्रक की कीमत बीमा की तिथि पर प्रत्यर्थी/विपक्षी द्वारा मु0 15,00,000.00 रू0 आंकी गई थी जिसका प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी को प्रीमियम अदा किया गया था। अपीलार्थी/परिवादी द्वारा समस्त औपचारिकतायें पूर्ण करने के बावजूद भी प्रत्यर्थी/विपक्षी द्वारा क्लेम का भुगतान नहीं किया गया। अत्एव क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख परिवाद बीमित धनराशि मय ब्याज तथा क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इंकार किया गया तथा यह कथन किया गया कि रामदास कन्डेक्टर ट्रक के अंदर सो रहा था और बदमाशों ने उसको काबू में करके ट्रक को लूट लिया,
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असत्य व कपोलकल्पित है यह कहानी केवल बीमा कम्पनी से क्लेम प्राप्त करने के लिए बनाई गई है। वास्तविकता यह है कि ट्रक को अकेला छोडकर एवं चाबी भी ट्रक के अन्दर छोड़कर कन्डेक्टर कही चला गया, जिसमें अपीलार्थी/परिवादी की लापरवाही है। पालिसी की शर्त सं0-4 का उल्लंघन है जिसमें यह शर्त है कि अपीलार्थी/परिवादी या बीमाकर्ता बीमित सम्पत्ति की पूर्ण देखभाल व रखा करेगा। इन्वेटीगेटर द्वारा 15 प्रतिशत धनराशि काटकर बीमाधन की अदायगी करने की बात गलत है। प्रत्यर्थी/बीमा कम्पनी द्वारा अपने पत्र दिनांकित 24.6.2013 एवं 23.10.2013 के द्वारा क्लेम को खारिज कर दिया है। तद्नुसार परिवाद भी निरस्त होने योग्य है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत बीमा कम्पनी के स्तर पर सेवा में कमी को न पाते हुए परिवाद को निरस्त कर दिया है, जिससे क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्य और विधि के विरूद्ध है। यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपीलार्थी/परिवादी की ओर से प्रस्तुत अभिलेखीय साक्ष्य पर विचार न कर निर्णय/आदेश पारित किया गया है, जो कि विधि विरूद्ध है।
यह भी कथन किया गया है कि बीमित वाहन की चोरी होने पर प्रथम सूचना रिपोर्ट त्वरित रूप से दर्ज करायी गई थी एवं विवेचना के पश्चात अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जो अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, आगरा के न्यायालय द्वारा दिनांक 24.02.2013 को स्वीकार
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कर ली गई। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा समस्त औपचारिकतायें पूर्ण करने के बावजूद भी बीमा कम्पनी द्वारा दावे निरस्त कर दिया गया है, जो कि प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी की सेवा में कमी को प्रदर्शित करता है। अपीलार्थी के अधिवक्ता द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश को अपास्त कर अपील को स्वीकार किये जाने की प्रार्थना की गई।
प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्य और विधि के अनुकूल है, जिसमें किसी प्रकार के कोई त्रुटि नहीं है।
प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा मुख्य रूप से यह कथन किया गया कि अपीलार्थी द्वारा चोरी गये वाहन की चाबियॉ बीमा कम्पनी को उपलब्ध नहीं करायी गई, अत्एव चोरी की घटना संदिग्ध है।
जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उचित प्रकार से परिवाद को निरस्त किया गया है क्योंकि घटना की सूचना पर सर्वेयर द्वारा घटना की जॉच की गई और वाहन चोरी की घटना को झूठा पाया गया।
यह भी कथन किया गया कि चूंकि प्रत्यर्थी/परिवादी पर बैंक का ऋण बकाया था, इसलिए उसकी अदायगी से बचने और बीमा कम्पनी से अनुचित लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से परिवाद प्रस्तुत किया गया है। यह भी कथन किया गया है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा बीमा पालिसी की शर्त सं0-5 का स्वयं उल्लंघन किया गया है। यह भी कथन किया गया कि प्रत्यर्थी/बीमा कम्पनी द्वारा किसी प्रकार की कोई सेवा में कमी नहीं की गई है इसलिए अपील भी निरस्त की जावे।
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मेरे द्वारा उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्तागण के कथनों को विस्तार पूर्वक सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
मेरे द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि प्रस्तुत प्रकरण में प्रश्नगत वाहन 15,00,000.00 रू0 की धनराशि हेतु प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी से बीमित था एवं बीमित वाहन की चोरी होने का तथ्य स्पष्ट है तथा वाहन चोरी होने के संबंध में प्रथम सूचना रिपोर्ट भी दर्ज कराया जाना स्पष्ट है और प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी को समय से सूचना दिया जाना भी स्पष्ट है।
प्रस्तुत प्रकरण में बीमित वाहन चोरी होने पर प्रथम सूचना रिपोर्ट त्वरित रूप से दर्ज करायी गई है और विवेचना के पश्चात अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जो अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, आगरा के न्यायालय द्वारा दिनांक 24.02.2013 को स्वीकार कर ली गई है। इस सम्बन्ध में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपने प्रश्नगत निर्णय उपरोक्त तथ्यों की अनदेखी करते हुए जो निर्णय/आदेश पारित किया जा है वह विधि सम्मत नहीं है। इस प्रकार बीमित वाहन की चोरी के कृत्य को प्रमाणित मानते हुए प्रस्तुत अपील को निम्न आदेशानुसार आंशिक रूप से स्वीकार किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है यह कि प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह अपीलार्थी के बीमित वाहन की धनराशि को परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज सहित अदा करें। साथ ही प्रत्यर्थी/बीमा कम्पनी द्वारा अपीलार्थी/परिवादी को 20,000.00 रू0 मानसिक, शारीरिक प्रताड़ना के मद में एवं 5,000.00 रू0 वाद व्यय के
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मद में भी देय होगा। अन्य अनुतोष हेतु परिवाद अस्वीकार किया जाता है।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1