राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
परिवाद संख्या:-422/2017
मेसर्स मॉ जोगमाया कलेक्शन, राधा रमन रोड़, मैनपुरी-205001 द्वारा प्रोपराइटर आशुतोष दूबे पुत्र श्री जगदीश प्रसाद दूबे, निवासी खरगजीत नगर मैनपुरी।
........... परिवादी
बनाम
1- यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, रीजनल ऑफिस- यूनिट नं0-401, चतुर्थ तल, संगम काम्प्लेक्स, 127, अंधेरी कुरला रोड़, अंधेरी ईस्ट, मुम्बई-400059 द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर।
2- सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया, आगरा रोड़, मैनपुरी द्वारा ब्रांच मैनेजर।
……..…. विपक्षीगण
समक्ष :-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री आलोक कुमार सिंह
विपक्षी सं0-1 की ओर से उपस्थित : श्री शोभित कान्त
विपक्षी सं0-2 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :-21-12-2021
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवादी मेसर्स मॉ जोगमाया कलेक्शन द्वारा यह परिवाद विपक्षी सं0-1 यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड तथा विपक्षी सं0-2 सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया के विरूद्ध धारा-17 a (i) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत राज्य उपभोक्ता आयोग के सम्मुख निम्न अनुतोष प्रदान किये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया:-
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1- OP No. 1 to pay Rs. 51.44 lacs/- (claim amount not paid by OP No.1) alongwith interest @ 12% p.a. from the date of loss i.e. 30.3.2017.
2- OP No. 1 to pay Rs. 5,00,000 (Five Lakh) for mental pain and suffering.
3- OP No. 1 to pay Rs. 1,00,000/- for costs of the case. And any other relief as deemed fit and proper in the circumstances of the case may also be granted to the complainant.
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी सर्व श्री मेसर्स मॉ जोगमाया कलेक्शन, जिला- मैनपुरी में स्थित राधा रमन रोड़ पर रेडीमेड वस्त्रों का बड़े स्तर पर विक्रय कार्य किया जा था अर्थात उसका प्रतिष्ठान जिला मैनपुरी के कुछ विशिष्ट प्रतिष्ठानों में से एक था, जिसको परिवादी प्रतिष्ठान के मालिक आशुतोष दूबे द्वारा संचालित किया जाता था। परिवादी द्वारा अपने प्रतिष्ठान सर्व श्री मॉ जोगमाया कलेक्शन पर व्यापार करने हेतु विपक्षी सं0-2 सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया से कैश क्रेडिट लिमिट के रूप में 67,50,000.00 रू0 का कैश क्रेडिट ले रखा था। परिवादी द्वारा अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान का एवं उपरोक्त प्रतिष्ठान पर उपलब्ध समस्त स्टॉक का बीमा विपक्षी सं0-1 यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड से कुल धनराशि 71,49,425.00 रू0 का कराया गया था। उपरोक्त बीमा के अन्तर्गत 5,00,000.00 रू0 की बीमित राशि व्यापारिक प्रतिष्ठान पर उपलब्ध प्लांट एवं मशीनरी अर्थात उपरोक्त बिल्डिंग में स्थापित एयर कंडीशनर, फिटिंगस व फिक्चर्स इत्यादि हेतु करायी थी तथा कुल स्टॉक का बीमा रू0 66,49,425.00 का कराया था तथा विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादी को निम्न बीमा पालिसी नं0-2960/55111360/01/000 जारी की गयी थी, जो कि दिनांक 25.5.2016 से 24.5.2017 तक लागू थी, साथ ही चोरी व अन्य घटना हेतु भी बीमा उपरोक्त सम्पूर्ण बीमित धनराशि के अन्तर्गत
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शामिल था। परिवाद पत्र के तथ्यों से यह स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-2 बैंक से प्रतिष्ठान पर उपलब्ध समस्त स्टॉक का सत्यापन समय-समय पर विपक्षी सं0-2 के सर्वेयर के माध्यम से कराया जाता था तथा नियमानुसार उपलब्ध स्टॉक का स्टेटमेंट भी विपक्षी सं0-2 बैंक को प्राप्त कराया जाता था।
दिनांक 30.3.2017 को रात्रि लगभग 10.00 बजे परिवादी द्वारा अपने प्रतिष्ठान को बन्द किया गया तथा वह अपने निवास स्थान हेतु चला गया तथा जब रात्रि लगभग 11.20 पर परिवादी को यह सूचना प्राप्त हुई कि उसके उपरोक्त प्रतिष्ठान में आग लगने की घटना हुई है, तब वह तुरन्त प्रतिष्ठान की ओर गया जहॉ यह पाया कि उसके सम्पूर्ण प्रतिष्ठान के विभिन्न जगह से धुऍ का गुब्बार निकल रहा था साथ आग की लपटें चारों ओर शोरूम के इर्द-गिर्द पाई गई, तब परिवादी तथा उसके भाई द्वारा तुरन्त ही अग्नि शमन विभाग को उपरोक्त दुर्घटना की जानकारी प्राप्त करायी गई तथा अनेकों उपलब्ध साधनों से अग्नि शमन विभाग व आस-पास के लोगों द्वारा आग बुझाने का कार्य किया जाता रहा, परन्तु प्रतिष्ठान पर उपलब्ध कपड़ों एवं अन्य सामान से आग पर काबू पाने में लगभग पॉच घण्टे से अधिक का समय लगा अर्थात सुबह 3.50 बजे आग पर काबू पाया जा सका तब तक उपरोक्त प्रतिष्ठान के शोरूम पर उपलब्ध समस्त माल/फर्नीचर, मशीन व अन्य वस्तुयें थी तथा प्रतिष्ठान की बिल्डिंग क्षतिग्रस्त हो गई।
दौरान अग्निकाण्ड यह अवगत हुआ कि आग लगने का कारण शॉट सर्किट पाया गया तदोपरांत परिवादी द्वारा अपने प्रतिष्ठान पर उपलब्ध समस्त स्टॉक का आंकलन कुल रू0 66,30,000.00 का अनुमानित किया
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गया, जो पूर्णरूप से जलकर नष्ट हो गया था, साथ ही प्लांट, मशीनरी एवं फिक्चर इत्यादि सब कुछ पूरी तरह से नष्ट हो गये थे। उक्त घटना की सूचना लिखित में परिवादी द्वारा 31.3.2017 को अर्थात अगले दिवस पुलिस स्टेशन कोतवाली जिला-मैनपुरी तथा विपक्षी सं0-1 व विपक्षी सं0-2 बैंक एवं बीमा कम्पनी को प्राप्त करायी गई जिस पर विपक्षी सं0-1 बीमा कम्पनी द्वारा अपने सर्वेयर को सर्वे कर आंकलित मूल्य हेतु दिनांक 01.4.2017 को घटनास्थल पर भेजा गया। सर्वेयर द्वारा परिवादी से कुल 16 प्रपत्रों को प्रदान किये जाने हेतु आदेशित किया गया, जो कि दिनांक 02.4.2017 के पत्र में उल्लिखित किये गये सभी उपरोक्त वर्णित प्रपत्र कुल संख्या 16 परिवादी द्वारा सर्वेयर को प्राप्त कराये गये। सर्वेयर द्वारा दिनांक 01.4.2017 को दुर्घटनाग्रस्त प्रतिष्ठान का सर्वे किया गया परन्तु उसके द्वारा उपरोक्त दिनांकित सर्वे की कोई रिपोर्ट परिवादी को नहीं दी गई, जबकि परिवादी लगातार सर्वेयर से सर्वे रिपोर्ट प्रदान करने हेतु प्रार्थना करता रहा। चूंकि सर्वेयर द्वारा परिवादी की प्रार्थना पर कोई ध्यान नहीं दिया गया अत्एव परिवादी द्वारा अनुस्मारक हेतु अनेकों बार सर्वेयर से सर्वे रिपोर्ट प्रदान करने हेतु प्रार्थना की जाती रही परन्तु सर्वेयर द्वारा कुछ न कुछ व्यवधान उत्पन्न किया जाता रहा अर्थात सर्वेयर की मंशा दूषित प्रतीत हो रही थी, अंततोगत्वा सर्वेयर द्वारा सर्वे रिपोर्ट की प्रति परिवादी को प्राप्त नहीं करायी गई।
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में इस तथ्य का भी उल्लेख किया है कि जब सर्वेयर द्वारा कई माह तक सर्वे रिपोर्ट की प्रति प्राप्त नहीं करायी एवं परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-1 बीमा कम्पनी द्वारा प्रेषित पत्र दिनांक 18.7.2017 प्राप्त किया गया, जिसमें इस बात का उल्लेख पाया गया कि
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विपक्षी सं0-1 द्वारा अंतिम सर्वे रिपोर्ट परिवादी को विपक्षी सं0-1 बीमा कम्पनी द्वारा नियुक्त सर्वेयर द्वारा भेज दी गई है तब परिवादी द्वारा उक्त सम्बन्ध में जानकारी चाही तो पता चला कि सर्वेयर द्वारा रिपोर्ट दिनांक 17.7.2017 को बना दी गई है, जो विपक्षी सं0-1 बीमा कम्पनी के लखनऊ स्थित ऑफिस में दिनांक 20.7.2017 को प्राप्त हुई। परन्तु उक्त सर्वे रिपोर्ट परिवादी को सर्वेयर द्वारा अथवा बीमा कम्पनी द्वारा प्राप्त नहीं करायी गई।
परिवाद पत्र में इस तथ्य को इंगित किया गया है कि दिनांक 08.9.2017 को परिवादी को यह पता चला कि विपक्षी सं0-1 बीमा कम्पनी व विपक्षी सं0-2 बैंक के मिली भगत से उपरोक्त सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कुल रू0 19,86,000.00 परिवादी के सी0सी0 बैंक खाते में हस्तांतरित कर दिये हैं जबकि परिवादी द्वारा कुल सी0सी0 लिमिट एवं बीमा की धनराशि का क्लेम कुल रू0 71,30,000.00 हेतु किया गया था, अत्एव परिवादी द्वारा उपरोक्त हस्तांतरित धनराशि रू0 19,86,000.00 को लेने से मना कर दिया गया तथा विपक्षीगण से यह स्पष्टत: कथन किया कि बीमित धनराशि अर्थात कुल रू0 71,30,000.00 का क्लेम विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादी को देय है, जिस हेतु परिवादी ने बीमा पालिसी के अन्तर्गत निर्धारित समस्त औपचारिकतायें पूर्ण कर रखी है।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह कथन किया गया कि परिवादी एक उपभोक्ता है एवं उसको जो अग्निकाण्ड के कारण दुर्घटना में हानि क्षति हुई है उसमें कुल वस्तुओं का मूल्य रूपया 66,30,000.00 तथा अन्य मद के रूप में रू0 5,00,000.00 जिसमें प्लांट, मशीनरी व अन्य फिटिंग-फिक्चर इत्यादि शामिल है, हेतु बीमा पालिसी के अन्तर्गत समस्त
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कवर्ड/सुरक्षित धनराशि विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा देय है तथा यह कि परिवादी द्वारा जो धनराशि मॉगी जा रही है वह शत-प्रतिशत उचित आधार पर निश्चित है, परन्तु चूंकि विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा मॉगी गई धनराशि के विपरीत कुल 19,86,000.00 की धनराशि परिवादी को प्रदान की गई अत्एव यह परिवाद इस न्यायालय के सम्मुख परिवादी की ओर से प्रस्तुत किया गया।
विगत लगभग चार वर्षों से अधिक समय से यह परिवाद इस न्यायालय के सम्मुख लम्बित है, जिस पर अनेकों तिथियों पर उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया। उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपने कथनों के समर्थन में लिखित कथन एवं साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं, जो पत्रावली पर उपलब्ध हैं। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक कुमार सिंह को सुना तथा विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता श्री शोभित कान्त को सुना। विपक्षी सं0-2 की ओर से कोई अधिवक्ता उपस्थित नहीं है।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा मेरे समक्ष यह कथन किया कि परिवादी के व्यापारिक प्रतिष्ठान/दुकान/शोरूम का कुल कवर्ड एरिया 2625 वर्ग मीटर के लगभग था, जो कि बीमा कम्पनी के लिखित कथन में भी वर्णित है। परिवादी द्वारा अग्नि दुर्घटना से सम्बन्धित समस्त प्रपत्र जो उसके पास उपलब्ध थे, विपक्षी बीमा कम्पनी को प्राप्त कराये गये, जिसके अनुसार जिस भवन में प्रतिष्ठान स्थित था उस भवन की मरम्मत में रू0 11,14,000.00 का खर्च आया दुकान तीन फ्लोर पर स्थित थी, चूंकि दुकान पर उपलब्ध सम्पूर्ण सामान एवं फर्नीचर व दुकान में प्रयोग किये जाने वाले समस्त मशीन व प्लांट इत्यादि जल कर राख हो गये थे, अतएव परिवादी
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द्वारा फर्नीचर और फिटिंग इत्यादि में लगभग रू0 34,90,000.00 खर्च किया गया। स्टाक के विवरण के बारे में समस्त विवरण पत्र एवं क्रय इनवाइसेंस इत्यादि कुल रू0 66,30,000.00 के संबंध में विवरण विपक्षी इंश्योरेंस कम्पनी को प्राप्त कराया गया। नई प्लांट मशीनरी में कुल खर्च 6,26,000.00 से सम्बन्धित प्रपत्र उपलब्ध कराये गये अर्थात कुल अंतिम क्लेम बिल के रूप में 118.60 लाख रूपये के बिल प्रस्तुत किये गये।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा मेरा ध्यान पत्रावली पर उपलब्ध परिवादी द्वारा ट्रेडिंग अकाउंट, जो कि वर्ष 2016-17 से सम्बन्धित है, की ओर आकर्षित किया जिसमें ओपनिंग स्टाक, कुल खरीद, टोटल स्टाक विक्रय एवं अंतिम बचा स्टाक का विवरण अंकित पाया गया, जो माह जनवरी, माह फरवरी एवं माह मार्च, 2017 से सम्बन्धित है, जिसमें अंतिम स्टाक/क्लोजिंग स्टाक कुल रू0 66,30,100.00 का अंकन पाया गया। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि परिवादी का क्रय-विक्रय अधिक धनराशि का होता है अतएव उसके द्वारा उपलब्ध बुक्स ऑफ अकाउंट चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा आडिट किए जाते हैं तथा विगत अनेकों वर्षों से परिवादी द्वारा आयकर का भुगतान आयकर विभाग को किया जाता है। पत्रावली पर सर्व श्री राम जी श्रीराम एण्ड ऐसोसिएट्स चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा परिवादी संस्थान से सम्बन्धित अनेकों प्रपत्र उपलब्ध हैं, जिनको प्रथम दृष्टया देखने से यह सुस्पष्ट रूप से आंकलित किया जा सकता है कि परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का उपरोक्त कथन सही एवं मान्य है।
पत्रावली पर विपक्षी सं0-2 सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया, आगरा रोड़ मैनपुरी द्वारा परिवादी के बैंक खाता सं0-3562269959 से सम्बन्धित बैंक
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स्टेटमेंट की अनेकों प्रतियॉ उपलब्ध हैं, जिसके परिशीलन से यह स्पष्ट पाया गया कि परिवादी का व्यापार एवं क्रय-विक्रय लाखों रूपये प्रतिमाह के हिसाब से सम्पादित हो रहा था तब जबकि परिवादी का प्रतिष्ठान दुर्घटनावश आग लगने से पूर्णत: जल कर राख हो गया।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा मेरा ध्यान विपक्षी सं0-1 सर्व श्री यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड द्वारा जारी अनेकों प्रपत्रों की ओर आकर्षित किया गया, जो कि उपरोक्त बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को जारी बिजनेस शील्ड पालिसी शड्यूल कम टैक्स इनवाइस से सम्बन्धित है, जिसमें विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी के साथ जो बीमा पालिसी सम्पादित की गई उसका समस्त विवरण एवं तथ्य अंकित हैं, जो विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता श्री शोभित कान्त द्वारा भी स्वीकृत किये गये अर्थात उनका विरोध नहीं किया गया। पत्रावली पर परिवादी द्वारा विभिन्न प्रतिष्ठानों से क्रय की गई विक्रय हेतु वस्तुओं के विवरण एवं मूल्य का उल्लेख भी उपलब्ध है, जो निर्विवादित रूप से उपरोक्त विक्रेताओं द्वारा परिवादी को वर्ष-2016-17 के मध्य विक्रय किये गये, साथ ही परिवाद पत्र के साथ परिवादी के प्रतिष्ठान पर आग लगने की घटना के पश्चात के अनेकों छायाचित्र उपलब्ध हैं, जो स्वयं में यह स्पष्टत: निर्विवादित रूप से इंगित करते है कि प्रतिष्ठान पूर्णत: आग लगने की घटना से जलकर खाक हो गया था। चूंकि प्रतिष्ठान में विक्रय हेतु रखा सभी सामान विभिन्न प्रकार के परिधानों से सम्बन्धित था, जो आग को बढाने एवं तेज करने में निर्विवादित रूप से सहायक रहे होंगे, जिससे कि आग त्वरित गति से एक तल से दूसरे तल पर और दूसरे तल से तीसरे तल पर लगती चली गई और अंतत: प्रतिष्ठान में रखे हुए समस्त विक्रय हेतु कपड़े प्रतिष्ठान में स्थापित
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समस्त फर्नीचर फिटिंग इत्यादि पूर्णत: जलकर खाक हो गये। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपने लिखित तर्क के साथ अपने प्रतिष्ठान के कुछ वो छायाचित्र जो आग की घटना के पूर्व के तथा वे छायाचित्र जो आग की घटना के पश्चात के उपलब्ध कराये, जिनके परिशीलन से यह स्पष्ट हो रहा है कि प्रतिष्ठान एक समृद्ध विक्रय केन्द्र था, जो जलने की घटना के बाद पूर्णत: निष्प्रयोज्य हो गया तथा उपरोक्त प्रतिष्ठान को पुनर्स्थापित करने में परिवादी को न सिर्फ लाखों रूपये की स्वयं की सम्पत्ति लगाकर उसे पुनर्स्थापित किया गया वरन पुनर्स्थापना के लिए अनेकों प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा तथा उसे समय की हानि भी हुई।
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता द्व्य को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का परिशीलन किया। जैसा कि ऊपर वर्णित किया गया है कि यह तथ्य निर्विवादित है कि प्रतिष्ठान पूर्ण रूप से आग लगने से जल गया था तथा प्रतिष्ठान में उपलब्ध समस्त माल, जो कि रेडीमेड गारमेंट इत्यादि था, जल कर राख हो गया तथा यह कि प्रतिष्ठान में उपलब्ध फर्नीचर, मशीन पार्ट, फिटिंग इत्यादि सभी वस्तुयें जल कर निष्प्रयोज्य हो गई, अतएवं परिवादी द्वारा प्रस्तुत किये गये इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि उक्त घटना से परिवादी को बहुत अधिक आर्थिक क्षति हुई, न सिर्फ आर्थिक वरन मानसिक व शारीरिक और समय की क्षति भी दृष्टिगत होती है तथा परिवाद पत्र में मॉगे गये अनुतोष अर्थात कुल धनराशि 66,30,100.00 रू0 का स्टाक एवं कुल रू0 6,26,000.00 प्लॉट मशीनरी एवं फर्नीचर व फिटिंग इत्यादि की गणना करने के उपरांत तथा यह तथ्य भी दृष्टिगत रखते हुए कि उपलब्ध स्टाक में कुछ स्टाक अनेकों वर्षों से न बिक पाने के कारण अपना वास्तविक मूल्य खो चुका होगा अर्थात
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उक्त माल, जैसा कि इस रेडीमेड गारमेंट के व्यवसाय में प्रचलन है कि पुराने माल की सेल 40-50 प्रतिशत तक छूट के साथ की जाती है, अत्एव उपरोक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए मैं यह उचित पाता हॅू कि परिवादी द्वारा मॉगे गये अनुतोष में कुल स्टाक की गणना रू0 45,00,000.00 करना उचित होगा।
जहॉ तक प्लॉट मशीनरी, फिक्चर एवं फिटिंग इत्यादि का प्रश्न है निश्चित रूप से उपरोक्त समस्त वस्तुयें आग लगने के कारण हुई दुर्घटना होने से पूर्णत: नष्ट हो गई अत: उक्त मद में एवं प्रतिष्ठान को पुनर्जीवित करने को दृष्टिगत रखते हुए मेरे विचार से उपरोक्त मद में कुल धनराशि 15,00,000.00 रू0 का अनुतोष परिवादी को दिया जाना उचित होगा। साथ ही उपरोक्त धनराशि पर वाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 07 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी दिया जाना उचित प्रतीत होता है। विपक्षी सं0-1 परिवादी को 25,000.00 रू0 वाद व्यय भी अदा करेगा।
विपक्षी सं0-2 सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया के विरूद्ध परिवादी द्वारा सेवा में कमी का कोई तथ्य/साक्ष्य प्रमाणित नहीं किया जा सका है, न ही सेवा में कमी भी उजागर की गई है, अतएवं विपक्षी सं0-2 सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया के विरूद्ध परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है। तद्नुसार प्रस्तुत परिवाद विपक्षी सं0-1 यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद विपक्षी सं0-1 यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी सं0-1 को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को रूपया
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45,00,000.00 + 15,00,000.00 कुल रूपया 60,00,000.00 तथा वाद व्यय के रूप में रू0 25,000.00 अर्थात कुल धनराशि रूपये 60,25,000.00 (साठ लाख पच्चीस हजार मात्र) का भुगतान निर्णय की तिथि से एक माह की अवधि में करें, साथ ही उपरोक्त धनराशि पर परिवाद योजित करने की तिथि दिनांक 10.10.2017 से भुगतान की तिथि तक 07 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी अदा करें।
विपक्षी सं0-2 सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया के विरूद्ध परिवाद निरस्त किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-1