Rajasthan

Nagaur

CC/141/2014

Suryaprakash Jakhotiya - Complainant(s)

Versus

United India Ins Com.Ltd - Opp.Party(s)

Sh Mo Arif Khan

25 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/141/2014
 
1. Suryaprakash Jakhotiya
Nagaur
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya MEMBER
 
For the Complainant:Sh Mo Arif Khan, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

परिवाद सं. 141/14

 

सूर्यप्रकाश जाखोटिया पुत्र श्री लक्ष्मीनारायण जाखोटिया निवासी ससदर बाजार नागौर                                                             -परिवादी     

बनाम

 

1.            शाखा प्रबंधक, युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी लि0 माइक्रो आॅफिस राठी पेट्रोल पम्प के पीछे नोखा

2.            शाखा प्रबंधक, युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी लि0 शाखा किले की ढाल नागौर

3.            मण्डल प्रबंधक, युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी लि0, मण्डलीय कार्यालय सादूलगंज कामर्शियल काॅपलेक्स सर्किल बीकानेर

4.            युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी लि0 जरिये प्रबंधक पंजीकृत व प्रधान कार्यालय 24 व्हाइट्स रोड़ चेन्नई

                                               -अप्रार्थीगण

समक्षः

1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।

2. श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।

3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

 

उपस्थितः

1.            श्री आरिफ खान, अधिवक्ता वास्ते परिवादी

2.            श्री धनपतमल सिंघवी, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थीगण

 

    अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

 

                      आ  दे  श             दि0    25.2.2015

 

1.            परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी नागौर का निवासी है जिसने अप्रार्थीगण कम्पनी द्वारा जारी मेडीकेयर पाॅलिसि 13-14 दिनांक 30.3.12 से 29.3.13 तक की अवधि के लिए 7378 रूपये जरिये चैक अदा कर प्राप्त की थी । अप्रार्थीगण के अभिकर्ता श्री मनोज कुमार परिहार ने बताया कि बीमित व्यक्ति या उसके परिवार के सदस्य यदि बीमार हो जाता है तो अस्पताल का समस्त खर्च वापिस मिल जाता है । परिवादी की पत्नी सोनू जो सहबीमित है, के दिनांक 20.8.12 को प्रसव के दौरान एक पुत्री को जन्म दिया जो दिनांक 20.8.12 से राठी होस्पीटल नियर आदित्य मिल अजमेर रोड़ किशनगढ में भर्ती रहे, प्रसव सिजेरियन से हुआ था। परिवादी ने अप्रार्थीगण को समय समय पर उक्त क्लेम प्राप्त करने के लिए पत्र भेजे तथा खर्चो के बिल रूपये 21854 व अन्य दीगर खर्चो का विवरण व अन्य सबूत प्रेषित किये । लम्बी अवधि बीत जाने के बाद भी अप्रार्थीगण ने क्लेम राशि का भुगतान नहीं किया । जिस पर परिवादी ने अप्रार्थीगण को विधिक नोटिस दिनांक 14.3.14 को प्रेषित कर क्लेम राशि मय ब्याज अदा करने की मांग की । मगर बावजूद नोटिस अप्रार्थीगण ने आज तक कोई राशि अदा नहीं की है । अतः परिवाद मय शपथ पत्र पेश कर उक्त क्लेम राशि मय ब्याज तथा क्षतिपूर्ति के 50000 रूपये तथा परिवाद व्यय 10000 रूपये दिलाये जाने की मांग की है। तथा दस्तावेजात प्रदर्श 1 लगायत प्रदर्श 16 प्रदर्शित करवाये।

               

2.            अप्रार्थीगण की ओर से जबाब पेश कर परिवाद के अधिकांश तथ्यों से इन्कार करते हुए संक्षेप में कथन किया कि परिवादी कें नाम पाॅलिसि टीपीए इ मेडिटेक सर्विसेज की है बीमापाॅलिसि नहीं । जो अप्रार्थी सं0 1 द्वारा जारी है जो न्यायालय हाजा के क्षैत्राधिकार में नहीं है । अप्रार्थी सं0 2 का इस बीमा पाॅलिसि से ताल्लुक नहीं है । अप्रार्थी सं0 3 व 4 न्यायालय हाजा के क्षैत्राधिकार में नहीं है। डिलीवरी राठी होस्पीटल से होना बताया है जो भी न्यायालय हाजा के क्षैत्राधिकार में नहीं है। परिवादी ने नोखा में सम्ॅपर्क कर पाॅलिसि प्राप्त की जो कि न्यायालय हाजा के क्षैत्राधिकार में नहीं है । परिवादी से बार बार वांछित जानकारियां एवं दस्तावेजात चाहे गये लेकिन प्रस्तुत नहीं किये जिससे परिवादी का दावा ‘‘ नो क्लेम‘‘ का ता0 28.11.12 को जरिये पत्र परिवादी को सूचित किया । क्लेम व दस्तावेजात प्रस्तुत करने की रसीद का उल्लेख नहीं है । पाॅलिसि अप्राथर््ीा सं0 1 के नोखा कार्यालय से ली है जो न्यायालय हाजा के क्षैत्रधिकार में नहीं है । अतः जबाब मय शपथ पत्र पेश कर परिवाद खारिज किये जाने का निवेदन किया है । तथा दस्तावेजात की फोटो प्रतियां पेश की।

 

4.            बहस उभय पक्ष सुनी गई। पत्रावली का गहनतापूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया। परिवादीनि के अधिवक्ता का बहस के दौरान तर्क रहा है कि अप्रार्थीगण ने परिवादी को जारी पाॅलिसि के तहत इलाज खर्च के बिलों की क्लेम राशि का भुगतान नहीं किया इसलिए परिवादी क्लेम राशि मय ब्याज तथा अप्रार्थीगण के उपेक्षापूर्ण कृत्य से हुई क्षति राशि प्राप्त करने का अधिकारी है। जबकि अप्रार्थीगण की ओर से बहस के दौरान तर्क रहा है कि अप्रार्थी सं0 1 का कार्यालय नोखा है जहां से पाॅलिसि जारी हुई है जो इस न्यायालय के क्षैत्राधिकार में नहीं है तथा अप्रार्थी सं0 2 व 3 भी इस न्यायालय के क्षैत्राधिकार में नहीं है । पाॅलिसि बीमा पाॅलिसि नहीं है इसलिए परिवादी अप्रार्थीगण से कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है।

 

5.            पत्रावली पर उपलब्ध दस्तावेजात से यह प्रकट होता है कि प्रार्थी ने अप्रार्थीगण के एजेंट के मारफत मेडीकल पाॅलिसि प्राप्त की । परिवादी की पत्नी सोनू ने दिनांक 20.8.12 को राठी हाॅस्पीटल नियर आदित्य मिल अजमेर रोड़ किशनगढ में बच्ची को जन्म दिया । प्रसव सिजेरियन से हुआ जिसमें कुल राशि 21854/- खर्च हुए ।

6.            विद्वान अधिवक्ता अप्रार्थी का यह तर्क है कि प्रार्थी द्वारा पाॅलिसि नोखा से ली गई । प्रार्थी की पत्नी सोनू ने बच्ची को राठी अस्पताल, किशनगढ में जन्म दिया । अप्रार्थी बीमा कम्पनी का पंजीकृत कार्यालय चैन्नई में है। इस प्रकार से इस मंच को श्रवण करने का क्षैत्राधिकार नहीं है। अप्रार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह भ्ळाी तर्क है कि टी.पी.ए. जयपुर द्वारा प्रार्थी के क्लेम को निस्तारण करना था। टी.पी.ए. जयपुर को प्रार्थी ने मूल दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किये इसलिए प्रार्थी का क्लेम खारिज किया गया । इसमें बीमा कम्पनी की कोई जिम्मेवारी नहीं है।

 

7.            जहां तक मूल दस्तावेजात का प्रश्न है, स्वयं अप्रार्थी के पत्र नं0 डव्छ 294 दिनांक 10.6.2013 से यह प्रकट होता है कि मूल कागजात लौटाना संभव नहीं बताया है। यह पत्र बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी को लिखा गया । इस प्रकार से प्रार्थी द्वारा असल दस्तावेजात बीमा कम्पनी को प्रस्तुत कर दिए थे । बीमा कम्पनी का यह कहना कि उसका टाइ-अप ई- मेडिटेक (टी.पी.ए.) जयपुर से है इससे प्रार्थी आबद्ध नहीं है क्योंकि प्रार्थी को इस संबंध में कोई जानकारी दी गई हो , कम्पनी द्वारा ऐसा कोई सबूत प्रस्तुत नहीं किया गया । इसके अलावा जब प्रार्थी ने बीमा कमपनी को असल दस्तावेजात प्रस्तुत कर दिये तो बीमा कम्पनी का यह दायित्व था कि उसका जिससे भी टाइ-अप है उसको बीमा क्लेम मय मूल दस्तावेजात के भेजना चाहिए था । इसमें प्रार्थी का कोई दोष नहीं है। पूर्णतः सेवा में कमी है। यहां यह भी स्पष्ट करना उचित होगा कि प्रार्थी ने अपनी पत्नी सोनू के प्रसव में जो 21854/- खर्चा हुआ है उसके बिल नं0 9141 दिनांक 24.8.12 में विस्तृत उल्लेख किया है जिसका खण्डन अप्रार्थीगण की ओर से नहीं हुआ है। हमारी राय में ऐसी सूरत में जब बीमा कम्पनी की शाखा नागौर में स्थित है तो इस आधार पर इस मंच को क्षैत्राधिकार उत्पन्न होता है। इस बात का कोई अर्थ नहीं रह जाता कि प्रार्थी जो कि नागौर का निवासी है , अपनी पत्नी का कहीं भी उपचार करवाये । आवश्यक नहीं कि वह नागौर, बीकानेर या जयपुर या चैन्नई में उपचार कराये । यह उसकी अपनी सुविधा व विश्वास पर निर्भर करता है। इसी आधार पर उसने अपनी पत्नी का किशनगढ अस्पताल में प्रसव व इलाज करवाया । अतः परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है जो निम्न प्रकार से स्वीकार किया जाता है:-                 

 

 

                                                                                आदेश

 

5.            अतः परिवादी का परिवाद विरूद्ध अप्रार्थीगण स्वीकार किया जाकर आदेश दिया जाकर अप्रार्थीगण परिवादी को क्लेम राशि 21854/- व इस राशि पर परिवाद प्रस्तुती की दिनांक 22.7.14 से ता-अदायगी 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज तुरंत अदा करे, तथा परिवादी को हुई मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 2500/- एवं परिवाद व्यय 2500/- अदा करे।

 

आदेश आज दिनांक 25.2.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

।बलवीर खुडखुडिया।    ।बृजलाल मीणा।   ।श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य।

सदस्य                 अध्यक्ष            सदस्या

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya]
MEMBER

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