Rajasthan

Nagaur

CC/109/2015

Ramdas Joshi - Complainant(s)

Versus

United India Ins Com.Ltd - Opp.Party(s)

Sh Vikram Joshi

24 Feb 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/109/2015
 
1. Ramdas Joshi
vill - Ren
Nagaur
Rajasthan
...........Complainant(s)
Versus
1. United India Ins Com.Ltd
fort road ,nagaur
Nagaur
Rajasthan
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Amarchand Singhal PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 
For the Complainant:Sh Vikram Joshi , Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

 

परिवाद सं. 109/2015

 

रामदास पुत्र श्री नन्दकिषोर, जाति-ब्राह्मण जोषी, निवासी गांव- रेण, तहसील- मेडता, जिला-नागौर (राज.)।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                 -परिवादी     

बनाम

 

1.            यूनाइटेड इंडिया इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, फोर्ट रोड, नागौर द्वारा षाखा प्रबन्धक, नागौर    

               

                -अप्रार्थी

 

समक्षः

1. श्री अमरचन्द सिंघल आर.एच.जे.एस., अध्यक्ष।

2. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

 

उपस्थितः

1.            श्री विक्रम जोषी, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।

2.            श्री दषरथमल सिंघवी, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थी।

 

   

अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

 

                                   निर्णय                         

               

            द्वाराः अध्यक्ष                    दिनांक 24.02.2016

 

 

1.            यह परिवाद अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि परिवादी ने प्रतिपक्षी बीमा कम्पनी से अपने वाहन अल्टो कार त्श्र 21 ब्। 5025 का बीमा 7,260/- रूपये प्रीमियम देकर दिनांक 10.04.2013 से दिनांक 09.04.2014 तक के लिए मूल्य राषि 2,40,000/- रूपये का करवाया। बीमा पाॅलिसी की वैधता अवधि में दिनांक 06.03.2014 को परिवादी का वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसे ठीक करवाने में 1,25,918/- रूपये व्यय हुए। परिवादी द्वारा प्रतिपक्षी को समस्त दस्तावेजाज उपलब्ध करवा दिये गये परन्तु प्रतिपक्षी ने गलत तौर पर यह लिखते हुए कि परिवादी ने अपना क्लेम वापिस ले लिया है व आवष्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाये। अतः परिवादी का क्लेम निरस्त किया जाता है। परिवादी ने अपना क्लेम वापिस नहीं लिया है। अतः प्रतिपक्षी का कृत्य अनुचित सेवा व्यवहार एवं सेवा दोश की परिधि में आता है। अतः परिवाद में अंकितानुसार अनुतोश दिलाया जावे।

 

2.            प्रतिपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत जवाब परिवाद के सार संकलन के अनुसार परिवादी के अभिकथनों को अस्वीकार करते हुए वाहन का बीमा करना स्वीकार किया तथा परिवादी के बीमा क्लेम के निरस्तीकरण को सही ठहराते हुए कथन किया कि परिवादी ने घटना की सूचना अप्रार्थी को घटना के आठ दिन पष्चात् दी है। अतः परिवाद परिवादी मय खर्चा खारिज किया जावे।

 

3.            दोनों पक्षों की ओर से अपने-अपने षपथ-पत्र एवं दस्तावेजात पेष किये गये।

 

4.            बहस अंतिम योग्य अधिवक्ता पक्षकारान सुनी गई एवं अभिलेख का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।

 

5.            बीमा पाॅलिसी की प्रति अभिलेख पर है, जिसके अनुसार परिवादी ने अप्रार्थी को बीमा प्रीमियम अदा कर उसकी सेवायें प्राप्त की है। प्रतिपक्षी ने इस तथ्य को स्वीकार किया है। अतः परिवादी अप्रार्थी का उपभोक्ता होना पाया जाता है।

 

6.            मचं के समक्ष मुख्य विचारणीय प्रष्न यह है कि क्या प्रतिपक्षी द्वारा परिवादी का क्लेम निरस्त करना युक्तियुक्त है?

 

7.            अभिलेख पर प्रतिपक्षी द्वारा परिवादी को प्रेशित क्लेम दावा निरस्तीकरण पत्र दिनांक 21.01.2015 अभिलेख पर है, जिसके अनुसार प्रतिपक्षी बीमा कम्पनी ने दावा निरस्तीकरण के दो कारण अंकित किए हैः-

(1.) कि आपने बार-बार सूचित किये जाने के बावजूद आवष्यक दस्तावेज नहीं दिये।

(2.) कि आपने अपने पत्र दिनांक 21.01.2015 के जरिये अपना क्लेम वापस ले लिया।

यद्यपि प्रतिपक्षी ने अपने पत्र में दावा निरस्तीकरण का कारण क्रमांक 1 व 3 बताया है किन्तु वास्तव में यह कारण क्रमांक 1 व 2 में अंकित किया है। प्रस्तुत प्रति में क्रमांक 3 पर कोई कारण अंकित नहीं है।

 

8.            प्रतिपक्षी ने इस निरस्तीकरण पत्र में यहां तक द्वितीय कारण परिवादी द्वारा क्लेम वापिस लेने का प्रष्न है। प्रतिपक्षी ने अभिलेख पर परिवादी का ऐसा कोई सहमति पत्र पेष नहीं किया है जिसके जरिये परिवादी ने अपना क्लेम वापिस लिया हो। अंतिम बहस के समय तक भी प्रतिपक्षी ऐसा कोई पत्र प्रस्तुत करने में असफल रहे हैं, जबकि यह कथित पत्र प्रकरण के निस्तारण के लिए सर्वोतम साक्ष्य थी एवं क्लेम परिवादी निरस्त करने का मुख्य आधार था। विषेशतः जब परिवादी ने अपने अभिकथनों एवं साक्ष्य में ऐसा कोई सहमति पत्र देने से इन्कार किया है। ऐसा कोई कारण भी नहीं है कि परिवादी क्लेम वापिस लेता।

9.            जहां तक प्रथम कारण परिवादी द्वारा आवष्यक दस्तावेजात नहीं देने का प्रष्न है प्रतिपक्षी ने अभिलेख पर इस सम्बन्धमें अपने तीन पत्रों की प्रतियां प्रस्तुत की है। प्रथम पत्र दिनांक 16.10.2014 में परिवादी से उसके द्वारा हस्ताक्षरित बिलों की रसीदें मांगी है एवं यह पूछा है कि यदि वाहन का स्पाॅट सर्वे करवाया है तो सर्वेयर का नाम बताए एवं वाहन का पुनः निरीक्षण करवायें। दूसरा पत्र दिनांक 10.11.2014 पूर्व पत्र दिनांक 16.10.2014 की पालना करने के लिए है एवं तृतीय व अंतिम पत्र दिनांक 04.12.2014 के अनुसार परिवादी से पांच प्रष्न किये गये हैं जिन पांच प्रष्नों का उतर परिवादी ने अपने पत्र दिनांक 08.12.2014 से प्रतिपक्षी को दे दिया है। यह पत्र की प्रति अभिलेख पर है जिसमें प्रतिपक्षी का दिनांक 08.12.2014 का प्राप्ति इन्द्राज है। इस प्रकार परिवादी ने प्रतिपक्षी द्वारा जारी अंतिम पत्र की पूर्ति कर दी है। इसके पष्चात् प्रतिपक्षी द्वारा परिवादी को लिखा कोई पत्र अभिलेख पर नहीं है। अंतिम बहस के समय भी प्रतिपक्षी यह नहीं बता पाए कि उन्हें परिवादी से किस दस्तावेज की दरकार है।

 

10.          अभिलेख पर प्रतिपक्षी के अंतिम सर्वेयर की रिपोर्ट मौजूद है जिसमें उसने अपनी टिप्पणी में दुर्घटना का कारण वाहन को हुई क्षति को देखते हुए सही व विष्वसनीय माना है एवं मरम्मत किये गये एवं बदले गये पार्टस को सुसंगत माना है एवं इसकी कीमत को भी अधिकृत डीलर की मूल्य सूची के अनुसार पाया है एवं यह भी नोट अंकित किया है कि मरम्मत कर्ता से मरम्मत बिल दिनांक 15.09.2014 को प्राप्त हो गये। जिसके आधार पर उसने अपनी रिपोर्ट में क्षति का अंतिम मूल्यांकन करते हुए परिवादी को अदायगी योग्य मानी है। इस मंच की राय में प्रतिपक्षी के सर्वेयर की इस अंतिम रिपोर्ट को नहीं मानने का कोई कारण नहीं है।

 

11.          योग्य अधिवक्ता प्रतिपक्षी ने अंतिम तर्क यह दिया है कि परिवादी ने दुर्घटना की सूचना उन्हें आठ दिन पष्चात् दी है।

प्रतिपक्षी की यह आपति प्रतिपक्षी के निरस्तीकरण पत्र में अंकित नहीं है। दुर्घटना दिनांक 06.03.2014 की है एवं परिवादी की ओर से क्लेम प्रपत्र दिनांक 14.03.2014 को प्रस्तुत किया गया है जिसमें घर पर आवष्यक कार्य होने से देरी क्षमा करने की प्रार्थना की है। प्रतिपक्षी यह स्पश्ट नहीं कर पाये  कि इस देरी से उन्हें क्या क्षति हुई? एवं परिवादी को क्या लाभ प्राप्त हुआ।

 

12.          अतः प्रतिपक्षी द्वारा परिवादी का क्लेम निरस्त करना युक्तियुक्त नहीं है एवं आधारहीन है। प्रतिपक्षी ने परिवादी का क्लेम अनुचित तौर पर खारिज कर सेवा दोश कारित किया है।

 

 

   अतः परिवाद परिवादी स्वीकार किये जाने योग्य होना पाया जाता है।

 

 

 

 

 

आदेश

 

13.          परिणामतः परिवाद परिवादी विरूद्ध प्रतिपक्षी स्वीकार कर आदेष है किः-

-प्रतिपक्षी परिवादी को बतौर वाहन की क्षतिपूर्ति के 83258.55 रूपये मय ब्याज 9 प्रतिषत वार्शिक साधारण ब्याज की दर से दिनांक परिवाद पत्र 15.05.2015 से अदा करें।

-प्रतिपक्षी परिवादी को मानसिक संताप एवं वाद परिव्यय पेटे 5000 रूपये अदा करें।

-आदेष की पालना एक माह में की जावे, अन्यथा मानसिक संताप एवं वाद परिव्यय राषि 5000 रूपये पर भी दिनांक आदेष से 9 प्रतिषत वार्शिक साधारण  दर से ब्याज देय होगा।

-परिवादी का षेश अनुतोश निरस्त किया जाता है।

 

14.          निर्णय व आदेष आज दिनांक 24.02.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

 

नोटः- आदेष की पालना नहीं किया जाना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 27 के तहत तीन वर्श तक के कारावास या 10,000/- रूपये तक के जुर्माने से दण्डनीय अपराध है।

 

 

 

।बलवीर खुडखुडिया।                              ।अमरचन्द सिंघल।              

सदस्य                                      अध्यक्ष                   

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Amarchand Singhal]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER

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