Rajasthan

Nagaur

CC/211/2015

Omprakash Jat - Complainant(s)

Versus

United India Ins Com.Ltd - Opp.Party(s)

Sh Sharvan Kumar Prajapat

07 Apr 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/211/2015
 
1. Omprakash Jat
lampolai,merta city
Nagaur
Rajasthan
...........Complainant(s)
Versus
1. United India Ins Com.Ltd
digambar jain dharamsala building, mi road,jaipur
Jaipur
Rajasthan
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Shri Ishwardas Jaipal PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya MEMBER
 
For the Complainant:Sh Sharvan Kumar Prajapat, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

 

परिवाद सं. 211/2015

 

ओमप्रकाष पुत्र श्री नारायणराम, जाति-जाट, निवासी-लाम्पोलाई, जिला-नागौर (राज.)।                                                                                                                                                                                                                  -परिवादी     

बनाम

 

1.            यूनाइटेड इंडिया इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड द्वारा षाखा प्रबन्धक, षाखा कार्यालय, दिगम्बर जैन धर्मषाला       बिल्डिंग, एम.आई. रोड, जयपुर (राज.)। 

               

                                       -अप्रार्थी   

 

समक्षः

1.            श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।

2.            श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।

3.            श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

 

उपस्थितः

1.            श्री राधेष्याम सांगवा एवं श्री श्रवण कुमार प्रजापत, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।

2.            श्री दषरथमल सिंघवी, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थी।

 

    अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

 

                      निर्णय                          

               

                                दिनांक 07.04.2016

 

 

1.            यह परिवाद अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवादी से बीमा प्रीमियम प्राप्त कर उसके वाहन बस संख्या त्श्र 21 च्। 1806 का बीमा दिनांक 24.04.2014 को किया। वाहन का बीमा कर अप्रार्थी ने पाॅलिसी कवर नोट संख्या 1403003114027180 जारी की। बीमा के साथ ही अप्रार्थी ने उक्त वाहन एवं उसमें सवार होने वाली सवारियों के जान माल की जोखिम से सुरक्षा का उतरदायित्व बीमा अवधि एक वर्श के लिए अपने उपर लिया। बीमा अवधि के दौरान ही उक्त बीमित वाहन दिनांक 25.06.2014 को मेडता से पादू कलां जाते वक्त दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिस पर पुलिस थाना पादूकलां में दिनांक 25.06.2014 को रोजनामचा आम रपट दर्ज की गई। परिवादी की ओर से दुर्घटना की सूचना भी तुरन्त अप्रार्थी को दी गई। जिस पर अप्रार्थी के सर्वेयर ने सर्वे भी किया। बाद में परिवादी अप्रार्थी के निर्देषानुसार वाहन को अधिकृत सर्विस सेंटर पर ठीक करवाने ले गया। परिवादी की ओर से अप्रार्थी को समस्त चाहे गये दस्तावेज भी उपलब्ध कराये गये। वाहन रिपेयर कराने के बाद परिवादी ने अप्रार्थी के निर्देषानुसार दुर्घटना दावा प्रपत्र अप्रार्थी की षाखा में प्रस्तुत किया। जिस पर अप्रार्थी ने षीघ्र भुगतान का आष्वासन देते हुए दावा प्रपत्र ले लिए। बाद में अप्रार्थी भुगतान नहीं कर टालमटोल करने लगा और अंत में दिनांक 30.03.2015 को अप्रार्थी ने उसे पत्र भेजकर दावा खारिज किये जाने की जानकारी दी। अप्रार्थी की ओर से भेजे गये पत्र में दावा खारिज करने का कारण ष्वाहन रिपयेरिंग के बिल पेष नहीं किये जो सही पेष नहीं कियेष्होना बताया। जबकि परिवादी ने अप्रार्थी के बताये अनुसार ही रिपेयरिंग सम्बन्धित कोटेषन व समस्त दस्तावेज पेष कर दिये थे। इस प्रकार अप्रार्थी ने गलत कारण दर्ज करते हुए दावा खारिज कर दिया। अप्रार्थी का उक्त कृत्य सेवा में कमी, सेवा दोश एवं अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस की तारीफ में आता है। अतः परिवादी को दावे की सम्पूर्ण राषि 7,65,300/- रूपये मय ब्याज दिलाये जावें, साथ ही परिवाद में अंकितानुसार अनुतोश दिलाया जावे।

 

2.            अप्रार्थी पक्ष की ओर से परिवाद में अंकित तथ्यों को गलत बताते हुए कथन किया है कि परिवादी द्वारा बीमा पाॅलिसी की षर्तों अनुसार वाहन की मेटेनेंस अच्छी तरह से नहीं की गई, इसी कारण हादसा हुआ। ऐसी स्थिति में क्षतिपूर्ति के लिए अप्रार्थी का दायित्व नहीं रहता है। यह भी बताया गया है कि घटना की सूचना अप्रार्थी को तत्काल नहीं दी गई एवं सूचना मिलते ही अप्रार्थी ने तुरन्त सर्वेयर भेजा था, जिससे स्पश्ट है कि अप्रार्थी की सेवा में कोई कमी नहीं रही है। यह भी बताया गया है कि परिवादी द्वारा वाहन रिपेयर के बिल प्रोपर पेष नहीं किये गये तथा बार-बार पत्र व रिमांइन्डर भेजने के बावजूद वांछित दस्तावेज पेष नहीं किये गये। ऐसी स्थिति में अप्रार्थी द्वारा परिवादी का क्लेम उचित रूप से खारिज किया गया है। अप्रार्थी द्वारा यह भी बताया गया है कि परिवाद क्षेत्राधिकार में नहीं है। साथ ही उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत चलने योग्य नहीं होने से खारिज किये जाने योग्य है।

 

3.            दोनों पक्षों की ओर से अपने-अपने षपथ-पत्र एवं दस्तावेजात पेष किये गये।

 

4.            बहस अंतिम योग्य अधिवक्ता पक्षकारान सुनी गई एवं अभिलेख का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।

 

5.            यद्यपि अप्रार्थी पक्ष की ओर से प्रस्तुत जवाब में यह बताया गया है कि परिवादी द्वारा करवाये गये वाहन बीमा की पुश्टि नहीं हुई है तथा परिवादी का मामला न्यायालय के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है लेकिन इस सम्बन्ध में पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री से स्पश्ट है कि स्वयं अप्रार्थी पक्ष की ओर से ही बीमा पाॅलिसी प्रदर्ष ए 1 पेष की गई। इस बीमा पाॅलिसी प्रदर्ष ए 1 तथा परिवादी द्वारा प्रस्तुत बीमा कवर नोट प्रदर्ष 3 के अवलोकन पर स्पश्ट है कि परिवादी के वाहन बस नम्बर आर.जे. 21 पी.ए. 1806 का बीमा दिनांक 27.04.2014 से 26.04.2015 की अवधि हेतु अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा किया गया था। परिवादी द्वारा बताया गया है कि दिनांक 25.06.2014 को वाहन मेडता से पादूकलां जाते समय टायर फट जाने के कारण दुर्घटना घटित हुई। जिसकी सूचना पुलिस थाना पादूकलां में दी गई, जो रोजनामचा रपट में दर्ज हुई। अप्रार्थी द्वारा भी स्वीकार किया गया है कि वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना परिवादी द्वारा दी गई थी, जिस पर तुरन्त सर्वेयर भेजा गया था। परिवादी इसी जिला मंच के क्षेत्राधिकार का निवासी रहा है तथा वाहन भी इसी जिला मंच के क्षेत्राधिकार में दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। ऐसी स्थिति में स्पश्ट है कि यह मामला उपभोक्ता विवाद की श्रेणी में आने के साथ ही इसी जिला मंच के क्षेत्राधिकार का रहा है।

 

6.            अप्रार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि परिवादी द्वारा बीमा पाॅलिसी की आवष्यक षर्तों का पालन नहीं किया गया है, ऐसी स्थिति में अप्रार्थी बीमा कम्पनी का कोई दायित्व नहीं रहता है। अप्रार्थी के विद्वान अधिवक्ता की मुख्य आपति यही रही है कि परिवादी ने वाहन के टायर आदि की सही देखरेख नहीं की, इसी कारण दुर्घटना कारित हुई। उपर्युक्त तर्क पर मनन कर बीमा पाॅलिसी का अवलोकन करने के साथ ही पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री का अवलोकन करें तो स्पश्ट है कि अचानक वाहन का टायर फट जाने के कारण दुर्घटना कारित हुई थी तथा अप्रार्थी द्वारा न्यायालय के समक्ष ऐसी कोई स्पश्ट साक्ष्य नहीं रखी गई है जिसके आधार पर यह माना जा सके कि परिवादी ने बीमा पाॅलिसी की आवष्यक षर्तों की पालना नहीं की हो। अप्रार्थी द्वारा प्रस्तुत सर्वे रिपोर्ट में भी ऐसा कोई तथ्य नहीं आया है जिसके आधार पर यह माना जा सके कि परिवादी ने वाहन की उचित देखरेख नहीं की हो। ऐसी स्थिति मंे अप्रार्थी पक्ष की आपति निराधार है।

 

7.            अप्रार्थीगण द्वारा परिवादी का क्लेम मुख्यतः इस आधार पर खारिज किया गया है कि परिवादी ने वाहन मरम्मत करवाये जाने बाबत् प्रोपर बिल पेष नहीं किये। यद्यपि यह सत्य है कि परिवादी पक्ष द्वारा वाहन रिपेयर करवाने बाबत् कोई बिल पेष न कर मात्र कोटेषन प्रदर्ष 2 पेष की गई थी। लेकिन यह स्पश्ट है कि अप्रार्थी द्वारा परिवादी का क्लेम खारिज करने से पूर्व प्रार्थी पक्ष से न तो उचित बिल की मांग ही की गई और न ही सर्वे रिपोर्ट की प्रति ही उपलब्ध कराई गई बल्कि अप्रार्थी द्वारा परिवादी पक्ष को सुने बिना ही प्रोपर बिल के अभाव में परिवादी का क्लेम खारिज कर दिया, जो कि न्यायसंगत न होकर अप्रार्थी बीमा कम्पनी का सेवा दोश रहा है। स्वयं अप्रार्थी पक्ष द्वारा प्रस्तुत सर्वे रिपोर्ट के अनुसार वाहन को रिपेयर करवाने हेतु संभावित लागत 2,25,075/- रूपये बताई गई है। लेकिन अप्रार्थी पक्ष द्वारा उपर्युक्त वर्णित संभावित लागत की राषि का क्लेम भी परिवादी के पक्ष में जारी न कर मात्र प्रोपर बिल के अभाव में क्लेम खारिज कर दिया। यद्यपि परिवादी पक्ष द्वारा प्रस्तुत कोटेषन प्रदर्ष 2 को आधार मानते हुए परिवादी ने यह परिवाद प्रस्तुत कर अप्रार्थी से 7,65,300/- रूपये मय ब्याज दिलाये जाने का अनुतोश चाहा है, लेकिन यह स्वीकृत स्थिति है कि परिवादी द्वारा वाहन रिपेयर करवाने के बाबत् किसी प्रकार का कोई बिल न तो अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष पेष किये तथा न ही इस जिला मंच के समक्ष पेष किया गया है। बहस के दौरान परिवादी के अधिवक्ता ने परोक्ष रूप से सहमति व्यक्त करते हुए यह भी निवेदन किया है कि अप्रार्थी पक्ष द्वारा सर्वे रिपोर्ट अनुसार बताई गई संभावित लागत का क्लेम भी नहीं दिया है, जो दिलाया जावे। ऐसी स्थिति में पत्रावली पर उपलब्ध समस्त सामग्री को दृश्टिगत रखते हुए अप्रार्थी पक्ष को यह आदेष दिया जाना न्यायोचित होगा कि उनके द्वारा ही प्रस्तुत सर्वेयर रिपोर्ट के आधार पर बताई गई संभावित लागत की राषि 2,25,075/- रूपये परिवादी को मय ब्याज अदा की जावे। यह भी स्पश्ट है कि अप्रार्थी पक्ष द्वारा किये गये सेवा दोश के कारण ही परिवादी को जिला मंच के समक्ष यह परिवाद पेष करना पडा, अतः परिवादी को मानसिक संताप व परिवाद व्यय हेतु भी 5,000-5,000 रूपये दिलाया जाना उचित होगा।

 

 

आदेश

 

8.            परिणामतः परिवादी ओमप्रकाष द्वारा प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 का स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी परिवादी को 2,25,075/- रूपये अदा करें। यह भी आदेष दिया जाता है कि अप्रार्थी परिवादी को उपर्युक्त राषि पर परिवाद पेष करने की दिनांक 03.09.2015 से 9 प्रतिषत वार्शिक साधारण ब्याज की दर से ब्याज भी अदा करें। साथ ही यह भी आदेष दिया जाता है कि अप्रार्थी परिवादी को मानसिक संताप हेतु 5,000/- रूपये व परिवाद व्यय के रूप में भी 5,000/- रूपये अदा करें। आदेष की पालना एक माह में की जावे।

 

9.            आदेष आज दिनांक 07.04.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

 

नोटः- आदेष की पालना नहीं किया जाना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 27 के तहत तीन वर्श तक के कारावास या 10,000/- रूपये तक के जुर्माने से दण्डनीय अपराध है।

 

 

 

 

।बलवीर खुडखुडिया।         ।ईष्वर जयपाल।                 ।राजलक्ष्मी आचार्य।   

सदस्य                अध्यक्ष                           सदस्या

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Shri Ishwardas Jaipal]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya]
MEMBER

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