जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम कानपुर नगर
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी...................वरि.सदस्या
पुरूशोत्तम सिंह..............................................सदस्य
उपभोक्ता परिवाद संख्याः-651/2012
श्रीमती सीमा गुप्ता पत्नी स्व0 अवधेष कुमार गुप्ता निवासिनी-83/85 परमपुरवा, जुही जनपद कानपुर नगर।
................परिवादिनी
बनाम
1. यूनाइटेड इण्डिया इंष्योरेन्स कंपनी लि0, मण्डलीय कार्यालय सं0-4, 4-ई, कोहली हाउस राम तीर्थ मार्ग नरही लखनऊ द्वारा मण्डलीय प्रबन्धक।
2. वाणिज्य कर विभाग, कानपुर, सम्भाग डी, वाणिज्य कर भवन लखनपुर कानपुर नगर द्वारा ज्वाइन्ट कमिष्नर (कार्यपालक)
..............विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 09.11.2012
निर्णय की तिथिः 20.11.2015
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादिनी को विपक्षी सं0-1 से उसके पति की दुर्घटना में मृत्योपरान्त बावत बीमा धन रू0 4,00,000.00 मय 18 प्रतिषत वार्शिक ब्याज, षारीरिक, मानसिक पीड़ा की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 50,000.00, दौड़भाग, किराया भाड़ा हेतु रू0 10,000.00 तथा परिवाद व्यय के रूप में रू0 35,000.00 दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार, संक्षेप में परिवादिनी का कथन यह है कि परिवादिनी के पति श्री अवधेष कुमार गुप्ता अर्पित षेफ वर्कस जूही कानपुर के स्वामी थे। जिन्होंने अपना दुर्घटना बीमा वाणिज्यिक कर विभाग कानपुर अतिरिक्त अर्थत विपक्षी सं0-2 के जरिये विपक्षी सं0-1 से कराया था और जो बीमा पाॅलिसी नं0-082400/42/08/03/0000015 से रू0 4,00,000.00 के लिये बीमित था। श्री अवधेष कुमार गुप्ता की मृत्यु दिनांक
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10.10.09 को असामयिक रूप से हो गयी। परिवादिनी के जेश्ठ द्वारा इत्फाकिया में प्राथमिकी दिनांक 10.10.09 को परिवादिनी के पति की मृत्यु के सम्बन्ध में दर्ज कराया। उक्त मामले में थाना बिधनू की पुलिस द्वारा अपराध सं0-500/2009 अंतर्गत धारा-302/201 आई.पी.सी. में बिना किसी आधार के तरमीम कर लिया था। किन्तु विवेचना में परिवादिनी के पति की मृत्यु वाहन दुर्घटना से होने के कारण व जाॅचोपरान्त अंतिम आख्या सं0-62 दिनांकित 09.07.12 अंतर्गत धारा-279, 304ए आई.पी.सी. में न्यायालय महानगर मजिस्ट्रेट कोर्ट नं0-9 कानपुर नगर में दाखिल की गयी, जो कि सम्बन्धित मजिस्ट्रेट के द्वारा दिनांक 07.08.12 को स्वीकृत की गयी। परिवादिनी ने अपने पति की मृत्यु के बावत क्लेम विपक्षी सं0-1 बीमा कंपनी को जरिये विपक्षी सं0-2 प्रस्तुत किया। विपक्षी सं0-1 बीमा कंपनी ने दावा सं0-082400/42/10/03/90000064 दर्ज किया। किन्तु परिवादिनी का क्लेम विपक्षी सं0-1 द्वारा बिल्कुल गलत व आधारहीन तरीके से नोक्लेम कर दिया गया। अतः विवष होकर परिवादिनी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. विपक्षी सं0-1 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि चूॅकि परिवादिनी के पति का निधन अज्ञात वाहन से दुर्घटना में हुई है, इसलिए फोरम का प्रस्तुत मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। बीमा के नियम एवं षर्तों के अधीन भी परिवादिनी का दावा पोशणीय नहीं है। परिवादिनी द्वारा तथ्यों को छिपाकर परिवाद योजित किया गया है। विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी कारित नहीं की गयी है। पक्षकारों के मध्य स्थापित किये गये इकरारनामे के अनुसार व्यापारिक दुर्घटना बीमा योजना के विनिष्चयन का क्षेत्राधिकार लखनऊ में है। अतः उपरोक्त समस्त कारणों से परिवादिनी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
4. विपक्षी सं0-2 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि पुलिस द्वारा की गयी विवेचना संदिग्ध है
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क्योंकि जिस वाहन से दुर्घटना करित होना बताया गया है, उक्त वाहन की खोज नहीं की जा सकी है। पक्षकारों के मध्य स्थापित षर्तों के अनुसार कानपुर नगर के फोरम को सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है।
5. परिवादिनी की ओर से विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रस्तुत किये गये जवाब दावा के विरूद्ध जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके यह कहा गया है कि विपक्षी सं0-1 का यह कथन गलत है कि प्रस्तुत फोरम को पक्षकारों के मध्य किये गये इकरारनामे के अनुसार सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। क्योंकि मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा यह विधि व्यवस्था सुस्थापित की गयी है कि पक्षकार अपनी मर्जी से किसी भी विवाद के विनिष्चयन का क्षेत्राधिकार तय नहीं कर सकते। इस प्रकार कानपुर नगर के फोरम को प्रस्तुत परिवाद का विनिष्चयन करने का क्षेत्राधिकार प्राप्त है।
6. परिवादिनी की ओर से विपक्षी सं0-2 के जवाब दावा के विरूद्ध जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके स्वयं के द्वारा परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों की पुनः पुश्टि की गयी है और यह कहा गया है कि मृतक व्यापारी का बीमा विपक्षी सं0-2 के जरिये ही विपक्षी सं0-1 के यहां से कराया गया था और परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत दावा जरिये विपक्षी सं0-2, विपक्षी सं0-1 को प्रस्तुत किया गया था। इस प्रकार विपक्षी सं0-2 प्रस्तुत परिवाद में आवष्यक पक्षकार है।
परिवादिनी की ओर से दाखिल किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
7. परिवादिनी ने अपने कथन के समर्थन में स्वंय का षपथपत्र दिनांकित 09.11.12 एवं 16.07.13 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में रिपोर्ट तहरीर की प्रति, जी.डी. सं0-19 दिनांकित 10.10.09, नकल की प्रति, जी.डी. सं0-46 दिनांकित 11.10.09 की प्रति, एफ.आर. की प्रति, एफ.आर. स्वीकृत आदेष की प्रति, पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रति, विपक्षी सं0-2 को प्रेशित पत्र दिनांकित 26.11.10 की प्रति, विपक्षी सं0-1 द्वारा विपक्षी सं0-2 को प्रेशित पत्र दिनांकित 12.11.10 की प्रति, नोटिस की प्रति, विपक्षी सं0- 2 द्वारा प्रेशित पत्र दिनांकित 04.10.12 की प्रति, विपक्षी सं0-2 द्वारा जारी षासनादेष की प्रति दाखिल किया है।
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विपक्षी सं0-1 की ओर से दाखिल किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
8. विपक्षी सं0-1 ने अपने कथन के समर्थन में कोई साक्ष्य षपथपत्र दाखिल नहीं किया है। लेकिन अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में विपक्षी सं0-2 द्वारा जारी अल्पकालिक निविदा सूचना दिनांकित 21.08.08 की प्रति दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-2 की ओर से दाखिल किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
9. विपक्षी सं0-2 ने अपने जवाब दावा के समर्थन में कोई साक्ष्य षपथपत्र दाखिल नहीं किया गया है।
ःःनिष्कर्शःः
10. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
11 उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में परिवादिनी के दावे के विरूद्ध विपक्षी सं0-1 की ओर से विरोध में यह तर्क प्रस्तुत किये गये हैं कि परिवादिनी के पति का निधन अज्ञात वाहन से दुर्घटना में हुई है, इसलिये इस काम को प्रस्तुत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है। बीमा के नियम एवं षर्तों के अधीन व्यापारिक दुर्घटना बीमा योजना के विनिष्चयन का क्षेत्राधिकार लखनऊ में है। अतः परिवादिनी का परिवाद खारिज किया जाये।
विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रमुख तर्क यह किया गया है कि पुलिस द्वारा की गयी विवेचना संदिग्ध है, जिस वाहन से परिवादिनी के पति की दुर्घटना होना बताया गया है, उक्त वाहन की खोज नहीं की जा सकी है।
जबकि परिवादिनी की ओर से अपने परिवाद पत्र में तथा दोनों विपक्षीगण के द्वारा प्रस्तुत जवाब दावा के विरूद्ध प्रथक-प्रथक रूप से जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके यह कहा गया है कि मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा विभिन्न विधि निर्णयों में यह कहा गया है कि पक्षकार अपनी मर्जी से
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किसी भी विवाद के विनिष्चयन का क्षेत्राधिकार नहीं तय कर सकते हैं। कानपुर नगर के फोरम को प्रस्तुत परिवाद के विनिष्चयन का क्षेत्राधिकार प्राप्त है। परिवादिनी के पति की मृत्यु अज्ञात वाहन से ही हुई है।
उभयपक्षों के उपरोक्त तर्कों के सन्दर्भ में पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि परिवादिनी द्वारा अपने कथन के समर्थन में षपथपत्र दिनांकित 09.11.12 एवं 16.07.13 प्रस्तुत किये गये है। जबकि विपक्षी सं0-1 की ओर से अपने कथन के समर्थन में कोई साक्ष्य षपथपत्र दाखिल नहीं किया गया है। विपक्षी सं0-1 के द्वारा अपने विरूद्ध पारित एकपक्षीय सुनवाई के आदेष को अपास्त करने के सम्बन्ध में प्रस्तुत प्रार्थनापत्र के समर्थन में षपथपत्र प्रस्तुत किया गया है। किन्तु जवाब दावा में किये गये अभिकथन के समर्थन में कोई षपथपत्र अथवा कोई अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। विपक्षी सं0-2 की ओर से भी कोई साक्ष्य षपथपत्र दाखिल नहीं किया गया है। जिससे परिवादिनी की ओर से अपने कथन के समर्थन में प्रस्तुत षपथपत्रीय साक्ष्य अखण्डनीय हैं और इस प्रकार परिवादिनी द्वारा परिवाद पत्र में किये गये कथन पर अविष्वास किये जाने का कोई आधार नहीं बनता है। परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत किये गये प्रलेखीय साक्ष्यों में से अपराध सं0-500/09, प्रकीर्ण सं0-40/11 अंतर्गत धारा-279/304 ए आई.पी.सी. थाना विधनू के मामले में विवेचक द्वारा लगायी गयी अंतिम आख्या से यह सिद्ध होता है कि सम्बन्धित थाने की पुलिस के द्वारा भी परिवादिनी के पति की मृत्यु वाहन दुर्घटना से मानी गयी है और उसी क्रम में विवेचना भी की गयी है। जिससे यह सिद्ध होता है कि परिवादिनी के पति की मृत्यु वाहन दुर्घटना से हुई है। यह अलग विशय है कि विवेचक द्वारा इस बात की खोज नहीं की जा सकी कि दुर्घटना किस वाहन से हुई थी। जबकि विपक्षी सं0-1 बीमा कंपनी द्वारा परिवादिनी के पति की मृत्यु के उपरान्त परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत बीमा दावे को मात्र इस आधार पर खारिज किया गया है कि विपक्षी सं0-1 के अधिवक्ता द्वारा दी गयी विधिक राय में यह बताया गया है कि परिवादिनी के पति की हत्या हुई है, जो कि बीमा पाॅलिसी में कवर नहीं होता है। विपक्षीगण की ओर से इस आषय का कोई सारवान साक्ष्य प्रस्तुत नहीं
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किया गया है। जिससे यह सिद्ध होता हो कि परिवादिनी के पति की मृत्यु हत्या के कारण हुई है।
विपक्षी सं0-1 की ओर से अपनी सूची के साथ अल्पकालीन निविदा सूचना दिनांकित 21.08.08 की नियमावली तथा जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम बिजनौर द्वारा पारित परिवाद सं0-66/11 संगीता बनाम कमिष्नर वाणिज्य कर की छायाप्रति यह सिद्ध करने के लिए प्रस्तुत की गयी है कि अल्पकालीन निविदा सूचना की षर्त सं0-17 के अनुसार प्रस्तुत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार लखनऊ न्यायालयों को ही है। किन्तु इस सम्बन्ध में परिवादिनी की ओर से विधि निर्णय पटेल रोडवेज बनाम प्रसाद ट्रेडिंग कंपनी एवं अन्य, सुर्पीमकोर्ट आन एक्सीडेन्ट क्लेम सिविल अपील नं0-3050 एवं 3051/1991 निर्णीत दिनांक 06.08.91 में पारित विधिक सिद्धांत की ओर फोरम का ध्यान आकृश्ट किया गया है, जिसमें मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा यह विधि व्यवस्था प्रतिपादित की गयी है कि, ’’पक्षकार इकरारनामा के आधार पर क्षेत्राधिकार नहीं तय कर सकते हैं।’’
उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्त विधि निर्णय में प्रति पादित विधिक सिद्धांत के आलोक में फोरम इस मत का है कि अद्योहस्ताक्षरी फोरम को प्रस्तुत मामले में निर्णय पारित करने का क्षेत्राधिकार प्राप्त है। पक्षकार इकरारनामे में अपनी इच्छानुसार क्षेत्राधिकार अंकित करके फोरम के क्षेत्राधिकार को अपने ढंग से सुनिष्चित नहीं कर सकते। प्रस्तुत मामले में विपक्षी सं0-2 के माध्यम से विपक्षी सं0-1 बीमा कंपनी से परिवादिनी के पति ने अपना बीमा कराया था। विपक्षी सं0-2 का कार्यालय कानपुर नगर में स्थित है, इसलिए भी अद्योहस्ताक्षरी फोरम को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-11 के अनुसार प्रस्तुत मामले में निर्णय पारित करने का क्षेत्राधिकार प्राप्त है। स्वीकार्य रूप से परिवादिनी के पति का बीमा, विपक्षी सं0-1 बीमा कंपनी द्वारा रू0 4,00,000.00 के लिये किया गया था।
उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि चूॅकि परिवादिनी के पति
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का बीमा विपक्षी सं0-1 बीमा कंपनी के द्वारा किया गया था और विपक्षी सं0-2 केवल माध्यम था, इसलिए विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध परिवादिनी का क्लेम नहीं बनता है। परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किये जाने योग्य है कि विपक्षी सं0-1 परिवादिनी को उसके मृतक पति श्री अवधेष कुमार की मोटर दुर्घटना में मृत्यु हो जाने के कारण रू0 4,00,000.00 की क्षतिपूर्ति अदा करे। उक्त क्षतिपूर्ति पर विपक्षी सं0-1 प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज अदा करे तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करे। जहां तक परिवादिनी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है-उक्त याचित उपषम के सम्बन्ध में परिवादिनी की ओर से कोई सारवान तथ्य अथवा कोई सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न करने के कारण अन्य याचित उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
12. परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि, प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी सं0-1, परिवादिनी को रू0 4,00,000.00 (रू0 चार लाख मात्र) क्षतिपूर्ति के रूप में, मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज के, प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि से तायूम वसूली अदा करे तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करे।
(श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी) (पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्या सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर। कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी) (पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्या सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर। कानपुर नगर।