Rajasthan

Jhunjhunun

CC/322/2014

Vidha Devi - Complainant(s)

Versus

UNITED INDIA INSURANCE - Opp.Party(s)

Rajendar Singh Budaniya

14 Jul 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/322/2014
 
1. Vidha Devi
Jhunjhunu
...........Complainant(s)
Versus
1. UNITED INDIA INSURANCE
Jhunjhunu
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

       जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
                        परिवाद संख्या -322/14

 समक्ष:-    1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष। 
        2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
        3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।

विद्या देवी पत्नी स्व0 ग्यारसी लाल सैनी जाति माली निवासी वार्ड नम्बर 41 खेमी सती मंदिर के पास बगड़ रोड़, झुन्झुनू (राज0)                   - परिवादिया
                बनाम
1.    युनाईटेड इण्डिया इंष्योरेंस कम्पनी लि0 शाखा कार्यालय घूम चक्कर के पास उदयपुरवाटी जिला झुंझुनू ।
2.    युनाईटेड इण्डिया इंष्योरेंस कम्पनी लि0 जरिये शाखा प्रबंधक, स्टेषन रोड, पीरूसिंह सर्किल झुंझुनू जिला झुंझुनू ।                        - विपक्षीगण
    
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986 

उपस्थित:-
1.     श्री राजेन्द्र सिंह बुडानिया, अधिवक्ता -  परिवादिया की ओर से।
2.     श्री भगवान सिंह शेखावत, अधिवक्ता - विपक्षीगण की ओर से।

                      - निर्णय -          दिनांकः 14.07.2015
परिवादिया ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक         12.06.2014 को संस्थित किया गया। 
विद्धान अधिवक्ता परिवादिया ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादिया का पति            स्व. ग्यारसीलाल वाहन मोटर साईकिल नम्बर आर.जे. 18 एस.डी. 8509 का रजिस्टर्ड मालिक था जिसकी दिनांक 06.10.2012 को मृत्यु हो गई। उक्त वाहन विपक्षी संख्या 1 बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 04.11.2012 से 03.11.2013 तक की अवधि के लिए बीमित था। परिवादिया स्व0 ग्यारसीलाल की पत्नी है। इस प्रकार परिवादिया विपक्षीगण की उपभोक्ता है। 
विद्धान अधिवक्ता परिवादिया ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि  परिवादिया का उक्त वाहन दिनांक 08.08.2013 को कस्बा झुंझुनू में चोरी हो गया। जिसकी पुलिस थाना कोतवाली, झुंझुनू में लिखित रिपोर्ट पेष की, जिस पर प्रथम सूचना दर्ज की गई तथा बाद जांच पुलिस ने एफ.आर. संख्या 71/13 पेष की, जिनकी फोटो प्रतियां परिवाद पत्र में संलग्न हैं। परिवादिया ने उक्त मोटरसाईकिल चोरी होने के बाद विपक्षी बीमा कम्पनी से सम्पर्क किया तथा मोटरसाईकिल की बीमित राषि का क्लेम प्राप्त करने का आवेदन पेष किया जिस पर विपक्षी ने आवेदन लेने से इन्कार कर दिया । 
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादिया ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षीगण से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 23000/-रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया।   
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान परिवादिया के पति के नाम का वाहन बीमा पाॅलिसी की शर्तो के अनुसार विपक्षीगण के यहां दिनांक 04.11.2012 से 03.11.2013  बीमित होना स्वीकार किया है। परन्तु परिवादिया द्वारा मृतक ग्यारसीलाल की पत्नी व वारिस होने के संबंध में बार-बार सूचना देने के बावजूद कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाया जाना तथा परिवादिया व बीमा कम्पनी का कोई अनुबंध नहीं हुआ होना कथन करते हुये परिवादिया विपक्षी बीमा कम्पनी की उपभोक्ता नहीं होना कथन किया है। परिवादिया द्वारा दिये गये आवेदन पर क्लेम फाईल खोली गई तथा विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिया को दिनांक 06.11.2013, 07.01.2014 व 11.06.2014 को सूचना दी गई कि बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिया द्वारा पेष किये दस्तावेजों से पाया गया है कि उक्त वाहन का रजिस्टर्ड मालिक बीमाधारी गयारसीलाल है, जिसकी मृत्यु दिनांक 06.10.2012 को हो गई, जिस बाबत परिवादिया से सक्षम न्यायालय द्वारा वारिसनामा प्रस्तुत करे या उक्त वाहन का रजिस्ट्रेषन उतराधिकारी के नाम करवा कर बीमा कम्पनी के यहां प्रस्तुत करे परन्तु परिवादिया को कई बार सूचित करने के बावजूद दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाये तथा परिवादिया के दावे के निस्तारण में परिवादिया ने स्वयं ने सहयोग नहीं किया। 
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादिया के पति ग्यारसीलाल बीमाधारक का देहांत दिनांक 06.10.2012 को हो गया था तथा पालिसी की शर्तो के तहत मोटरयान अधिनियम की धारा 50(2)(क) के तहत वाहन स्वामी की मृत्यु होने पर उतराधिकारी द्वारा मृत्यु के 30 दिन के भीतर सूचना देनी आवष्यक है तथा 90 दिन में स्वामित्व परिवर्तन करवाना आवष्यक है जो परिवादिया द्वारा नहीं करवाया गया है। उक्त मोटरसाईकिल की बीमा करवाने के रोज ग्यारसीलाल की मृत्यु होने के तथ्य को बीमा कम्पनी से छुपाकर बीमा करवाया गया है। बीमा कम्पनी से जिस दिन अनुबंध करना बताया है उस रोज ग्यारसीलाल जीवित ही नहीं था। परिवादिया ने तथ्य छुपाये हैं, इसलिये परिवादिया कोई अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारी नहीं है। 
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षीगण ने परिवादिया का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष की बहस सुनी गई पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहे है कि परिवादिया का पति ग्यारसीलाल मोटर साईकिल नम्बर आर.जे. 18 एस.डी. 8509 का रजिस्टर्ड मालिक था तथा उक्त वाहन दिनांक 04.11.2012 से 03.11.2013 तक विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। दिनांक 08.08.2013 को उक्त वाहन चोरी हुआ है।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण का यह तर्क होना कि परिवादिया से विपक्षीगण बीमा कम्पनी द्वारा उक्त मोटरसाईकिल का कोई प्रीमियम नहीं लिया गया है तथा परिवादिया व बीमा कम्पनी के मध्य कोई संबंध नहीं है।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी के उक्त तर्क से हम सहमत नहीं है क्योंकि परिवादिया के पति ग्यारसीलाल की ओर से उक्त वाहन का प्रीमियम विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां जमा करवाया गया है तथा उसकी मृत्यु के पश्चात परिवादिया के पुत्र दिनेष कुमार द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज दर्ज कराई गई है तथा परिवादिया मृतक ग्यारसीलाल की विधिवत पत्नी होने से परिवाद पत्र प्रस्तुत करने हेतु अधिकृत है।
पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट हुआ है कि परिवादिया का उक्त वाहन दिनांक 08.08.2013 को कस्बा झुंझुनू में चोरी हो गया था। जिसकी सूचना परिवादिया के पुत्र द्वारा सम्बन्धित पुलिस थाना कोतवाली झुंझुनू मे दूसरे दिन दिनांक        09.08.2013 को दी गई, जिस पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई। एफ.आई.आर. एवं एफ.आर. की फोटो काॅपी पत्रावली मे सलंग्न है। इसके अतिरिक्त परिवादिया ने वाहन चोरी के संबंध में विपक्षीगण  बीमा कम्पनी के यहां क्लेम आवेदन पत्र पेष करना बताया है जिसे विपक्षीगण द्वारा अपने जवाब में स्वीकार भी किया गया है। विपक्षीगण बीमा कम्पनी द्वारा वाहन के क्लेम की क्षतिपूर्ति के आवेदन का किस आधार पर निस्तारण नहीं किया गया, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण विपक्षीगण द्वारा पेष नहीं किया गया है। 
जहां तक राषि अदायगी का प्रष्न है इस संबंध में यह देखना आवष्यक है कि जिस वक्त बीमा कम्पनी ने उक्त वाहन का बीमा किया था उस वक्त वाहन की कीमत 23000/-रूपये आंकलन कर परिवादिया के पति की ओर से प्रीमियम लिया गया था परन्तु प्रीमियम लिये जाने के बाद व वाहन चोरी होने से पूर्व वाहन को लगभग 8-9 महिने काम में भी लिया गया है। बीमा कम्पनी को सूचना देरी से दी गई, यदि परिवादिया की ओर से पालिसी की शर्तो का किसी तरह से उल्लंघन भी हुआ है तो भी अमानक आधार पर  75% राषि परिवादिया को दिलाया जाना उचित प्रतीत होता है। बीमा कम्पनी ने 23000/-रूपये वाहन की वेल्यु मानकर प्रीमियम लिया है उसकी 75 प्रतिषत राषि 17250/-रूपये होते हैं, जिसकी अदायगी के उतरदायित्व से विपक्षीगण बीमा कम्पनी किसी भी तरह से विमुख/मुक्त नही हो सकती। 
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादिया का परिवाद पत्र विरूद्ध विपक्षी संख्या 1 व 2 आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर विपक्षीगण बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादिया उक्त विपक्षीगण से  17,250/रुपये  (अक्षरे रूपये सतरह हजार दो सौ पचास मात्र) बतौर क्लेम राषि क्षतिपूर्ति के रूप में संयुक्त व पृथक-पृथक रूप से प्राप्त करने की अधिकारी है। परिवादिया उक्त बीमा क्लेम राषि पर दायरी परिवाद पत्र दिनांक 12.06.2014 से ता वसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।       
  निर्णय आज दिनांक 14.07.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
           

 

 

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