जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 260/2020 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-04.03.2020
परिवाद के निर्णय की तारीख:-22.06.2023
Shakunatala Agarwal (Senior citizen) Aged about 68 years, W/o Shri Khusiram Agarwal, R/o 95/27-A, Grain Market, Ganesh Ganj, Lucknow.
…………….Complainant.
Versus
Inited India Insurance Co. Ltd. Branch-office-080102 Through Its Branch Manager, 16-M, Gole Market, Mahanagar, Lucknow-226006.
………………. Opposite Party.
परिवादी के अधिवक्ता का नाम:-श्री संजी बहादुर श्रीवास्तव।
विपक्षी के अधिवक्ता का नाम:-श्री अशोक कुमार राय।
आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
निर्णय
1. परिवादिनी ने प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत विपक्षी से परिवादिनी द्वारा वाहन के क्षतिग्रस्त होने के एवज में विपक्षी से धनराशि 8,15,000.00 रूपया वाहन का मूल्य, 18 प्रतिशत ब्याज के साथ मानसिक व आर्थिक क्षति एवं वाद व्यय दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादिनी टाटा मोटर्स की पंजीकृत स्वामी है। परिवादिनी द्वारा एक TATA LPT-407 U.P. 32 EN-7260 का इन्श्योरेंस यूनाइटेड इण्डिया इन्श्योरेंस लिमिटेड ब्रांच महानगर से निम्नानुसार कराया था-
Policy Name | GCV Pvt. Career Other Than 3 Wheeler package Policy. |
Policy No. | 0801023116P104764131 |
Policy Period | 15.07.2016 To 14.07.2017 |
Policy Premium | Rs. 8,322,.40 |
I.D.V. | Rs. 6,30,000.00 |
3. परिवादिनी द्वारा कथन है कि उक्त माल वाहन का राष्ट्रीय परमिट दिनॉंक 14.08.2014 से 10.08.2019 तक पॉंच वर्ष के लिये स्वीकृत था। उक्त वाहन की आर0सी0 संलग्न की गयी है। दुर्भाग्यवश यह माल वाहन दिनॉंक 21.08.2016 को नानपारा, बहराइच उ0प्र0 में दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसकी एफ0आई0आर0 दिनॉंक 22.08.2016 को संबंधित थाने में दर्ज करायी गयी तथा वाहन भी संबंधित अथारिटी के यहॉं जमा हो गया।
4. उपरोक्त वाहन सलाम अहमद द्वारा चलाया जा रहा था, जिसके पास ड्राइविंग सर्टिफिकेट था, परन्तु दुर्भाग्यवश चालक की मृत्यु हो गयी। वाहन जुडिशियल मजिस्ट्रेट बहराइच के आदेश दिनॉंकित 28.09.2016 द्वारा दिए गए आदेश के अनुपालन में संबंधित अथॉरिटी ने दिनॉंक 11.12.2017 को वाहन परिवादिनी को रिलीज कर दिया।
5. परिवादिनी द्वारा वाहन प्राप्त होने के बाद उसे टाटा मोटर्स के अधिकृत वर्कशाप पर मरम्मत हेतु भेजा गया। टाटा मोटर्स द्वारा रिपेयरिंग का इस्टीमेट कास्ट स्पेयर्श का 9,03,218.00 रूपये तथा लेबर कास्ट 1,27,617.00 रूपये बताया अर्थात कुल 10,30,835.00 रूपये का व्यय बताया गया।
6. टाटा मोटर्स द्वारा बनाए गए इस्टीमेट कास्ट को परिवादिनी द्वारा विपक्षी इंश्योरेंस कम्पनी को क्लेम नम्बर-0801023118 C 050027001 द्वारा प्रेषित किया गया। परिवाद में यह भी बताया गया है कि इंश्योरेंस की शर्तो में दर्ज आई0डी0वी0 6,30,000.00 रूपये के सापेक्ष रिपेयर इस्टीमेट रू0-10,30,835.00 रूपये बताया गया जो आई0डी0वी0 से काफी अधिक है। टोटल लॉस की सीमा से ज्यादा बताया गया है।
7. इंश्योरेंस कम्पनी के आई0डी0वी0 क्लेम की धनराशि को न देते हुए विपक्षी द्वारा दिनॉंक 13.11.2019 को एक अनावश्यक कारण बताते हुए एन0पी0 आर्थराइजेशन को दिनॉंक 21.08.2016 को वैलिड न बताते हुए क्लेम को रेपुडियेट कर दिया गया। जो कि सर्वथा अनुचित व सेवा में कमी तथा अनुचित व्यापार प्रक्रिया का दर्शाता है। परिवादिनी द्वारा कथन किया गया कि नेशनल परमिट आर्थराइजेशन को दुर्घटना का कारण कैसे माना जा सकता है। जबकि मृत ड्राइवर के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस था। रेपुडिएशन सर्दव दुर्घटना के कारण से जोड़ा जाता रहा है। विपक्षी द्वारा सेवा में कमी की गयी है। उक्त परिप्रेक्ष्य में परिवादिनी को निम्नलिखित अपूर्णनीय क्षति की पूर्ति करायी जाए-
i | I.D.V. of the vehicle | Rs. 6,30,000.00 |
ii | Unable to use the vehicle for the last 3 years. | Rs. 1,00,000.00 |
iii | For Mental-Agony & Physical-Torture. | Rs. 50,000.00 |
iv. | Expenses including counsel fee. | Rs. 8,15,000.00 |
इस प्रकार परिवादिनी द्वारा धनराशि 8,15,000.00 रूपये की क्षतिपूर्ति दिलाए जाने की प्रार्थना की है।
8 विपक्षी ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए कथन किया कि परिवादिनी वाहन की स्वामी है गलत तथ्यों के आधार पर मुकदमा दायर किया गया है, तथा दुर्घटना के समय वाहन का संचालन वैध अनुज्ञप्ति द्वारा नहीं किया जा रहा था। राष्ट्रीय परमिट भी जारी नहीं किया गया था। लाइसेंस वैध नहीं था। सर्वेयर द्वारा 5,79,500.00 रूपये कुल धनराशि का आंकलन किया गया है। दुर्घटना के दिन विधिक आर्थराइजेशन नहीं था।
9. परिवादिनी ने अपने मौखिक साक्ष्य में शपथ पत्र तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में आर0सी0, इन्श्योरेंस पालिसी, नेशनल परमिट, एफ0आई0आर0, ड्राइविंग लाइसेंस, रेपुडिएशन लेटर आदि की छायाप्रतियॉं दाखिल किया है। विपक्षी द्वारा साक्ष्य में शपथ पत्र तथा मोटर सर्वे रिपोर्ट, लॉस असिस्मेंट शीट, फार्म 47 एवं अन्य प्रपत्र दाखिल किया है।
10. मैनें उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत निम्नलिखित दो आवश्यक तथ्यों को साबित करने का भार परिवादिनी के ऊपर है-
1-परिवादिनी का उपभोक्ता होना 2-सेवा प्रदाता द्वारा सेवा में कमी का प्रमाणित होना।
11. परिवादिनी का कथानक है कि उसके माल वाहन संख्या TATA LPT-407 U.P. 32 EN-7260 का इन्श्योरेंस यूनाइटेड इण्डिया इन्श्योरेंस लिमिटेड द्वारा दिनॉंक 15.07.2016 से 14.07.2017 तक किया गया था जिसका आई0डी0वी0 6,30,000.00 निर्धारित किया गया था। माल वाहन का नेशनल परमिट दिनॉंक 11.08.2014 से 10.08.2019 तक के लिये वैध था जो परिवहन विभाग द्वारा निर्गत किया गया था। दुर्भाग्यवश दिनॉंक 21.08.2016 को उक्त वाहन नानपारा, बहराइच, उ0प्र0 में दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है जिसकी एफ0आई0आर0 दिनॉंक 22.08.2016 को संबंधित थाने में दर्ज करायी गयी। वाहन चालक की मृत्यु हो गयी।
12. न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश दिनॉंक 28.09.2016 के अनुपालन में संबंधित पुलिस अथारिटी द्वारा उक्त वाहन दिनॉंक 11.12.2017 को परिवादिनी को हस्तगत कराया दिया जाता है। उसके उपरान्त परिवादिनी द्वारा मरम्मत के लिये टाटा कम्पनी के वर्कशाप में उक्त वाहन दिया जाता है जहॉं उसका सम्पूर्ण पार्टस व लेबर का इस्टीमेट 10,30,835.00 रूपये बताया गया। इसका क्लेम नम्बर 0801023118C050027001 विपक्षी को भेजा गया। वाहन का मरम्मत चार्ज विपक्षी द्वारा फिक्स आई0डी0वी0 चार्ज 6,30,000.00 रूपये से काफी ज्यादा था।
13. विपक्षी द्वारा वाहन का रेपुडिएशन दिनॉंक 13.11.2019 को कराया गया जिसमें वाहन चालक का आर्थराइजेशन सर्टिफिकेट दुर्घटना के वक्त वैध न होने के कारण कोई भी धनराशि देय नहीं बतायी गयी। परिवादिनी ने इसका विरोध करते हुए कथन किया कि विपक्षी द्वारा सेवा में कमी की गयी है तथा अनुचित व्यापार प्रक्रिया अपनायी गयी है।
14 यह तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि परिवादिनी का वाहन संख्या TATA LPT-407 U.P. 32 EN-7260 विपक्षी के यहॉं बीमित था। परिवादिनी के वाहन की दुर्घटना हो जाने के फलस्वरूप क्षतिपूर्ति की मॉं की। विपक्षी द्वारा उसको रेपुडिएट किया गया और रेपुडिएट करते हुए यह कहा गया कि-Certified that the National Permit holder has paid the consolidated fee of Rs. 16,500.00 through Bank Challan vide Transaction Id 1408002533880508, Bank Reference No 11903478 Dated 13 Aug, 2014. अर्थात इनके द्वारा रेपुडिएट का आधार यह लिया गया है कि जब नेशनल परमिट दुर्घटना की तिथि 21.08.2016 को वैध नहीं था। इस प्रकार आपके द्वारा बीमा की शर्तों का उल्लंघन किया गया है और आप क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के अधिकारी नहीं है।
15. परिवादिनी द्वारा परमिट दाखिल किया गया है, जिसके परिशीलन से भी विदित है कि नेशनल परमिट 10 अगस्त 2015 तक वैध था तथा Validity of Basic Goods Pennit 10 अगस्त 2019 तक वैध थी।
16. नेशनल परमिट का अभिप्राय यह होता है कि जिस राज्य में वाहन को पंजीकृत कराया जाता है वहॉं पर पूरे भारत के लिये वाहन का परमिट एकबार बनवा लिया जाता है, और परमिट की जो भी धनराशि जो राज्य प्राप्त करता है वह राज्य भारतवर्ष के समस्त राज्यों को उसके अंश की फीस की रकम को परमिट करने वाले राज्य को स्थानान्तरित कर दी जाती है और उससे वाहन पूरे भारतवर्ष में कहीं भी संचालित करने में उसे दिक्कत नहीं होती है तथा उससे अतिरिक्त कोई भी देय धनराशि नहीं है।
17. परमिट के परिशीलन से यह भी विदित है कि 10 अगस्त 2015 को परमिट समाप्त हो रहा था तथा 13 अगस्त 2014 को नेशनल परमिट के लिये 16,500.00 रूपये का भुगतान किया गया है। सामान्यत: मोटर व्हीकल में समय सीमा समाप्ति के बाद एक माह का समय प्रदान किया जाता है। अगर इस पहलू को न भी माना जाए तो परमिट देखने से यह विदित होता है कि Validity of Basic Goods Pennit 10 अगस्त 2019 को अर्थात बेसिक परमिट का अभिप्राय यह हुआ कि जिस राज्य से यह वाहन पंजीकृत हुआ है उस राज्य में संचालन के लिये 10 अगस्त 2019 तक उनके परमिट की वैधता थी। वाहन का पंजीयन उत्तर प्रदेश में हुआ था और प्रथम सूचना रिपोर्ट के परिशीलन से विदित है कि दुर्घटना बहराइच में हुई थी, जो कि उत्तर प्रदेश की सीमा के अन्तर्गत हुई थी।
18. सर्वेयर रिपोर्ट के अवलोकन से विदित है कि 5,79,500.00 रूपये की सर्वेयर रिपोर्ट है, और वाहन का इन्श्योरेंस 6,30,000.00 रूपये का है। टोटल लॉस का अभिप्राय यह होता है कि जब किसी वाहन की क्षति इस स्तर पर हो जाए कि उसका 75 प्रतिशत भाग अथवा उससे ज्यादा खराब हो जाए तो वह टोटल लॉस की श्रेणी में आता है। सर्वेयर रिपोर्ट के हिसाब से लॉस 5,79,500.00 होता है और टोटल लॉस 6,30,000.00 रूपये होता है। अत: यह धनराशि 75 प्रतिशत से ज्यादा होती है तो वह टोटल लॉस की श्रेणी में आता है, और टोटल लॉस की श्रेणी में परिवादिनी उक्त धनराशि प्राप्त करने की अधिकारी है।
19. अत: जब उत्तर प्रदेश में गुड्स परमिट दिनॉंक 10 अगस्त 2019 तक वैध है तो वर्तमान केस की परिस्थिति में नेशनल परमिट देखे जाने का कोई औचत्य नहीं है। इस प्रकार जो रेपुडिएशन किया गया है वह मेरे विचार से विधि सम्मत नहीं है। विपक्षी द्वारा सेवा में कमी की गयी है। परिवादिनी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है, चॅूंकि परिवाद टोटल लॉस की श्रेणी के अन्तर्गत है। अत: बीमित वाहन की कुल बीमित धनराशि में से 25,000.00 रूपये स्क्रैब की धनराशि कम करते हुए शेष धनराशि का भुगतान विपक्षीगण नियमानुसार निर्णय की दिनॉंक से 45 दिन के अन्दर भुगतान करना करें। परिवादिनी को हुए मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक कष्ट के लिये मुबलिग 25,000.00 (पच्चीस हजार रूपया मात्र) एवं वाद व्यय के लिये मुबलिग-15,000.00 (पन्द्रह हजार रूपया मात्र) भी अदा करेगें। यदि आदेश का अनुपालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्र निस्तारित किये जाते हैं।
निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक:-22.06.2023