Rajasthan

Jhunjhunun

142/2013

SANDEEP MEEL - Complainant(s)

Versus

UNITED INDIA INSURANCE - Opp.Party(s)

VIKRAM SINGH

08 Apr 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 142/2013
 
1. SANDEEP MEEL
JHUNJHUNU
...........Complainant(s)
Versus
1. UNITED INDIA INSURANCE
JHUNJHUNU
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 142/13

समक्ष:-    1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।     
            2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
            3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।

सन्दीप मील पुत्र सुरेन्द्र सिंह जाति जाट निवासी ए-18 आदर्ष कालोनी रीको झुुंझुनू तहसील व जिला झुन्झुनू (राज.)                                    - परिवादी
                         बनाम
युनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लि0 पीरूसिंह सर्किल के पास, स्टेषन रोड़, झुंझुनू तहसील व जिला झुंझुनू (राज0) जरिए शाखा प्रबंधक                 - विपक्षी
        परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986 

उपस्थित:-
1.    श्री विक्रम सिंह शेखावत, अधिवक्ता -  परिवादी की ओर से।
2.    श्री हरिषचन्द्र जोषी, अधिवक्ता     -  विपक्षी की ओर से।

                  - निर्णय -             दिनांक: 12.05.2015
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक         06.03.2013 को संस्थित किया गया। 
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी संदीप मील ने महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा कम्पनी द्वारा निर्मित जायलो वाहन क्रया किया था । जिसका चेसिस नम्बर 2823949 व इंजिन नम्बर 18812 है। विपक्षी द्वारा खरीद दिनांक को ही शोरूम से गाडी बाहर आने से पूर्व ही चेसिस नम्बर व इंजिन नम्बर के आधार पर बीमा सुरक्षा प्रदान की गई जिसके लिए विपक्षी द्वारा परिवादी से 28175/-रूपये प्रीमियम के लिये गये। उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 14.04.2012 से 13.04.2013 तक की अवधि के लिए बीमित था। इस प्रकार परिवादी, विपक्षी का उपभोक्ता है। 
विद्धान अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह भी कथन रहा है कि परिवादी का वाहन टी.आर.सी. अवधि में ही दिनांक 22.04.2012 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को दी गई । उक्त सूचना के क्रम में विपक्षी बीमा कम्पनी के सर्वेयर जहिर मोहम्मद द्वारा परिवादी के वाहन का सर्वे किया गया । परिवहन विभाग द्वारा दिनांक 26.04.2012 को परिवादी को वाहन का पंजियन प्रमाण पत्र जारी किया गया । क्षतिग्रस्त वाहन का गहलोत मोटर्स अधिकृत सर्विस सेण्टर महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा में मरम्मत कार्य सम्पन्न करवाया जिस पर कुल 44000/-रूपये का खर्च हुआ। परिवादी ने सर्वे रिपोर्ट के अनुसार बीमाधन का भुगतान किए जाने हेतु विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दुर्घटनाग्रस्त वाहन के संबंध में क्लेम आवेदन मय मरम्मत बिल एवं आवष्यक सभी कागजात के प्रस्तुत किया लेकिन विपक्षी बीमा कम्पनी ने उक्त वाहन की दुर्घटना के संबंध में किसी भी प्रकार की क्लेम राषि देने से इन्कार कर दिया। 
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षी से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 44000/-रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया।   
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान परिवादी का वाहन जायलो महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा कम्पनी का विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 14.04.2012 से 13.04.2013 तक की अवधि के लिये बीमा पालिसी में वर्णित शर्तो के अधीन बीमित होना स्वीकार किया है।
 विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने बहस के दौरान यह कथन किया है कि तथाकथित वाहन की दुर्घटना दिनांक 20.04.2012 को कारित हो गई जबकि उक्त घटना की दिनांक को वाहन की आर.सी. वाहन मालिक के पास नहीं थी। घटना के 6 दिन बाद परिवादी ने वाहन की आर.सी. बनवाई थी । वाहन मालिक ने एम.वी.एक्ट की धारा 39 अध्याय 4 का उल्लंघन कर बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन किया है। रजिस्ट्रेषन के अभाव में वाहन को सार्वजनिक स्थान या अन्य स्थान पर चलाया जाना एम.वी. एक्ट के नियमों के तहत वर्जित है। वाहन मालिक घटना के दिन बिना रजिस्ट्रेषन उक्त वाहन को चलाकर काम में ले रहा था। परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी को न तो टी.आर.सी उपलब्ध करवाई और ना ही अन्य दस्तावेज उपलब्ध करवाये। परिवादी द्वारा मौके पर दुर्घटनाग्रस्त वाहन का सर्वे नहीं करवाया और न ही इसकी कोई सूचना बीमा कम्पनी को दी गई। 
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहा है कि परिवादी का उक्त वाहन जायलो महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा कम्पनी का दिनांक 14.04.2012 से 13.04.2013 तक की अवधि तक विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था ।  
पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी का वाहन टी.आर.सी अवधि में दिनंाक 22.04.2012 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। घटना के दिन वाहन मालिक के पास टी.आर.सी./आर.सी नहीं थी तथा वाहन को अवैध रूप से चलाया जा रहा था। बिना रजिस्ट्रेषन के वाहन को चलाया जाने पर वाहन मालिक ने बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन किया है। ऐसी स्थिति में बीमा कम्पनी क्षतिपूर्ति अदायगी के लिये किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है। 
विद्वान् अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह तर्क होना कि बीमा विधि में कहीं भी यह अंकित नहीं है कि रजिस्ट्रेषन के अभाव में बीमा प्रभावी नहीं होगा, विपक्षी को एम.वी. एक्ट के तहत परिवादी के विरूद्ध कार्यवाही करने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। यदि परिवादी द्वारा रजिस्ट्रेषन नहीं भी करवाया गया था तो परिवहन विभाग को ही परिवादी के विरूद्ध कार्यवाही करने का अधिकार है। 
उक्त तर्क के समर्थन में परिवादी की ओर से माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय दिनांक 26.10.2012 मैसर्स आरोमा पेन्ट्स लि0 बनाम दी न्यू इण्डिया एंष्योरेंस कम्पनी लि0 व अन्य, अपील नम्बर 1779/10 न्यायदृष्टांत प्रस्तुत किया जिसमें यह स्पष्ट किया है कि रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र के अभाव में कार्यवाही करने का अधिकार परिवहन विभाग को ही है बीमा कम्पनी को नहीं है। क्योंकि एम.वी. एक्ट की शक्तियां बीमा कम्पनी को प्राप्त नहीं है। 
विद्वान् अधिवक्ता परिवादी के उक्त तर्क व न्यायदृष्टांत के खण्डन में विपक्षी बीमा कम्पनी के विद्वान् अधिवक्ता ने बहस के दौरान यह कथन किया है कि दुर्घटना में लिप्त उक्त वाहन दिनांक 14.04.2012 से 13.04.2013 तक की अवधि के लिये बीमित था तथा टी.आर.सी. अवधि में ही उक्त वाहन दिनांक 20.04.2012 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। घटना के दिन उक्त वाहन की टी.आर.सी/आर.सी. वाहन मालिक के पास नहीं थी जबकि घटना के रोज वाहन का रजिस्ट्रेषन होना आवष्यक था। इसलिये बीमा कम्पनी  क्षतिपूर्ति अदायगी के लिये उत्तरदायी नहीं है।
विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने तर्को के समर्थन में न्यायदृष्टांत           2014(2)सी.सी.आर. 910 सुप्रीम कोर्ट - नरीन्द्र सिंह बनाम न्यू इण्डिया एष्योरेंस कम्पनी व अन्य,  पेष किया।  
उक्त न्यायदृष्टांत में माननीय न्यायाधीपति महोदय द्वारा यह सिद्धांत प्रतिपादित किया है कि जब यान दुर्घटना को मोटरयान अधिनियम के अधीन बिना वैध पंजीयन के चलाया जा रहा था। अपीलार्थी यान के सम्बंध में हुई क्षति के लिये प्रतिकर क्लेम का हकदार नहीं है। सार्वजनिक मार्ग पर बिना पंजीयन के यान को चलाना न केवल अपराध है बल्कि पालिसी अनुबंध के निबंधनों एवं शर्तो को आधारभूत रूप में भंग किया जाना है। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित आदेष की पुष्टि करते हुए अपील खारिज की गई। 
विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत उक्त न्यायदृष्टांत हस्तगत प्रकरण में तथ्यों व परिस्थितियों के अनुसार पूर्ण रूप से चस्पा होता है। उपरोक्त न्यायदृष्टांत से परिवादी की ओर से प्रस्तुत तर्क व न्यायदृष्टांत का खण्डन स्वतः ही हो जाता है। 
उपरोक्त विवेचन के आधार पर विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से प्रस्तुत न्यायदृष्टांत को ध्यान में रखते हुये परिवादी का परिवाद पत्र निरस्त किये जाने योग्य है। 
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षी बीमा कम्पनी खारिज किया जाता है।  
पक्षकारान खर्चा मुकदमा स्वंय अपना-अपना वहन करेगें।
   निर्णय आज दिनांक 12.05.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
      

 

 

 

 

 

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