Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/351/2016

RAM PRAKASH SINGH - Complainant(s)

Versus

UNITED INDIA INSURANCE - Opp.Party(s)

PAL SINGH YADAV

07 Nov 2022

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/351/2016
( Date of Filing : 04 Nov 2016 )
 
1. RAM PRAKASH SINGH
r.k.singh 47 satyalok colony sitapur road
...........Complainant(s)
Versus
1. UNITED INDIA INSURANCE
676 chennai
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya PRESIDENT
 HON'BLE MS. Kumar Raghvendra Singh MEMBER
 HON'BLE MS. sonia Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 07 Nov 2022
Final Order / Judgement

        जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

            परिवाद संख्‍या:-   351/2016                                             उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

         श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्‍य।             

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:-04.11.2016

परिवाद के निर्णय की तारीख:-07.11.2022

रामप्रकाश सिंह पुत्र श्री चन्‍द्रभाल सिंह निवासी 36 एम0एम0आई0जी0एस0बी0आई0 कालोनी सेक्‍टर-ए अलीगंज लखनऊ हाल पता द्वारा आर0के0सिंह एड0 47 सत्‍यलोक कालोनी सीतापुर रोड, लखनऊ।

                                                   ............परिवादी।                                                   

                        बनाम

  1.    प्रबन्‍ध, निदेशक युनाइटेड इण्डिया इन्‍श्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, प्रधान कार्यालय 24 हवाइट्स रोड पोस्‍ट बाक्‍स न0-676 चेन्‍नई 600014 ।

2.      वरिष्‍ठ शाखा प्रबन्‍धक, युनाइटेड इण्डिया इन्‍श्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, राजाजीपुरम राजापुर, खीरी रोड लखीमपुर खीरी 262701 ।     ............विपक्षीगण।

 

परिवादी के अधिवक्‍ता का नाम:-पाल सिंह यादव।

विपक्षी के अधिवक्‍ता का नाम:-अशोक कुमार राय।                                                   

आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

                               निर्णय

1.   परिवादी ने प्रस्‍तुत परिवाद अन्‍तर्गत धारा 12 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत विपक्षीगण से 25,000 रूपये मय 18 प्रतिशत ब्‍याज के साथ, एवं मानसिक व शारीरिक कष्‍ट हेतु 50,000.00 रूपये, एवं वाद व्‍यय 25,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया है।

2.   संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी मोटर साइकिल यू0पी0 32 डी डी 1958 हीरो हॉण्‍डा स्‍पलेन्‍डर का पंजीकृत स्‍वामी व बीमाकृत स्‍वामी है। उपरोक्‍त मोटर साइकिल का बीमा दिनॉंक 09.05.2013 को कम्‍प्रेन्‍हेन्सिव विपक्षी संख्‍या 02 की शाखा के कार्यालय से वैध पालिसी संख्‍या 082302311पी100869509 जिसकी वैधता दिनॉंक 08.05.2014 तक थी।

3.   परिवादी की उपरोक्‍त मोटर साइकिल दिनॉंक 03.08.2013 को लगभग 08 बजे रात्रि को लखीमपुर से चोरी हो गयी, जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रार्थी द्वारा दिनॉंक 04.08.2013 थाने में लिखित रूप से दी गयी थी। दिनॉंक 04.08.2013 को मु0अ0सं0 2720/2013 अन्‍तर्गत धारा 379 भ9द0वि0 अज्ञात के विरूद्ध पंजीकृत किया गया जिसकी सूचना परिवादी द्वारा शाखा कार्यालय को समय से दी गयी थी।

4.   परिवादी ने समस्‍त आवश्‍यक प्रपत्र दावा फार्म भर कर शाखा कार्यालय को दे दिया, जिस पर शाखा कार्यालय द्वारा परिवादी को अवगत कराया गया कि उक्‍त मुकदमें में विवेचना पूर्ण होने पर अन्तिम रिपोर्ट प्राप्‍त कर क्षेत्रीय कार्यालय में समस्‍त अभिलेख पुन: जमा करने पर दावे का भुगतान किया जायेगा।

5    परिवादी द्वारा दिनॉंक 26.06.2013 को मु0अ0सं0 2720/2013 अन्‍तर्गत धारा 379 भ0द0वि0 में प्रेषित अन्तिम रिपोर्ट न्‍यायालय के समक्ष दिनॉंक 17.06.2014 को प्रस्‍तुत होकर स्‍वीकार की गयी जिसकी नकल 26.06.2014 को न्‍यायालय से प्राप्‍त कर परिवादी द्वारा समस्‍त अभिलेख शाखा कार्यालय में प्राप्‍त कराये गये जिस पर शाखा कार्यालय द्वारा दिनॉंक 26.08.2014 के पत्र संख्‍या 082302/276/2014 के माध्‍यम से परिवादी का दावा निरस्‍त मात्र विलम्‍ब किये जाने के आधार पर कर दिया गया। परिवादी द्वारा अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से दिनॉंक 27.07.2016 को विधिक नोटिस विपक्षीगणों को पंजीकृत डाक के जरिए भेजा गया, परन्‍तु फिर भी परिवादी के दावे का कोई भुगतान नहीं किया गया और न ही नोटिस का कोई जवाब दिया गया।

6.   विपक्षी संख्‍या 01 ने अपना उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत किया तथा परिवाद पत्र की धारा-01 को छोड़कर शेष कथनों को इनकार किया और कहा कि झूठा मुकदमा दायर किया गया है। परिवादी द्वारा दिनॉंक 07.07.2014 के पूर्व कभी भी विपक्षी से संपर्क नहीं किया तथा यह कभी नहीं कहा कि फाइनल रिपोर्ट सम्मिलित हो जाने के बाद विचार किया जायेगा। विपक्षी ने रेपुडिएशन क्‍लेम को इनकार नहीं किया। कोई नोटिस विपक्षी को प्राप्‍त नहीं हुआ। परिवादी को कोई वाद कारण उत्‍पन्‍न नहीं हुआ। पालिसी के तहत कोई भी धनराशि प्राप्‍त करने का अधिकारी नहीं है। परिवाद काल बाधित है। दिनॉंक 09.05.2013 से 08.05.2014 तक 25,000.00 रूपये के लिये बीमित थी। दिनॉंक 07.07.2014 को मोटर साइकिल की चोरी के संबंध में दिनॉंक 08.03.2013 को चोरी हो गयी । प्रथम बार सूचना दी गयी।

7.   उक्‍त घटना के 11 माह बाद सूचना दी गयी। फाइल रिपोर्ट इन्‍वस्‍टीगेशन अफसर को दी गयी और मोटर साइकिल की चाबी नहीं दी गयी। दोनों चाबी नहीं दी गयी। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्‍य है।

8.   परिवादी द्वारा परिवाद के समर्थन में मौखिक साक्ष्‍य में शपथ पत्र, इन्‍श्‍योरेंस की प्रति, पंजीयन प्रमाण पत्र की प्रति, अज्ञात में प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रतिलिपि, और दिनॉंक 17.02.2014 के आदेश की प्रतिलिपि, मोटर साइकिल का ड्राइविंग लाइसेंस आदि प्रस्‍तुत किया गया।

9.   विपक्षी द्वारा अपने कथानक के समर्थन में शपथ पत्र एवं पालिसी ट्रम्‍स एवं कन्‍डीशन, परिवादी द्वारा प्रेषित पत्र, और रेपुडिएशन फार्म आदि दाखिल किया गया है।

10.  मैने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना, तथा पत्रावली का परिशीलन किया। यह तथ्‍य विवाद का विषय नहीं है कि परिवादी के कथानक के अनुसार परिवादी वाहन का स्‍वामी है। यह भी तथ्‍य विवाद का विषय नहीं है कि इन्‍श्‍योरेंस कम्‍पनी के द्वारा वाहन दिनॉंक 09.05.2013 से 08.05.2014 तक बीमित था। यह भी तथ्‍य विवाद का विषय नहीं है कि परिवादी द्वारा उक्‍त चोरी के संबंध में क्‍लेम विपक्षी संख्‍या 01 के यहॉं प्रस्‍तुत किया गया था और विपक्षी संख्‍या 01 द्वारा उक्‍त क्‍लेम को दिनॉंक 26.08.2014 को यह कहते हुए निरस्‍त कर दिया गया कि बीमा की सूचना के संबंध में तत्‍काल सूचना कम्‍पनी को देनी चाहिए, जबकि आपके द्वारा लगभग 11 माह बाद सूचना दी गयी।

11.   जैसा कि परिवादी का कथानक है कि दिनॉंक 03.08.2013 को चोरी की घटना हुई, जिसके संबंध में रिपोर्ट दिनॉंक 04.08.2013 को लिखायी गयी। इसका प्रमाण भी संलग्‍न है जिससे साबित होता है कि दुर्घटना दिनॉंक 03.08.2013 को हुई है और तुरन्‍त ही सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गयी है। बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार प्रथम सूचना रिपोर्ट तुरन्‍त ही दर्ज करानी चाहिए जो परिवादी द्वारा दर्ज करायी गयी है।  विपक्षी ने अपने साक्ष्‍य के समर्थन में यह कहा कि परिवादी ने दिनॉंक  07.07.2014 को चोरी के संबंध में सूचना दी थी। विपक्षी द्वारा जब साक्ष्‍य के साथ सूचना का प्रमाण दाखिल किया जिसके परिशीलन से विदित है कि दिनॉंक 03.07.2014 को लिखे पत्र को 04 जुलाई, 2014 को विपक्षी कार्यालय में चोरी के संबंध में सूचना दी गयी है जो 07 जुलाई, 2014 में कम्‍पनी को प्राप्‍त करायी जिसमें उल्‍लेख है कि सूचना दी गयी है।

12.  विपक्षी का यह भी कथन है कि संविदा के तहत चोरी के बाद तुरन्‍त ही सूचना इन्‍श्‍योरेंस कम्‍पनी को लिखित रूप से देनी चाहए। परिवादी द्वारा इस परिप्रेक्ष्‍य में कोई तथ्‍य नहीं कहा गया। कोई भी प्रमाण दाखिल नहीं किया गया कि उल्लिखित सूचना उसने पूर्व में दी, और यह भी तथ्‍य सही है कि विपक्षी को 11 माह बाद सूचना देने के कारण क्‍लेम निरस्‍त किया गया।  परिवादी द्वारा 2012 लाइव लॉ सुप्रीमकोर्ट माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय सिविल अपील नम्‍बर 1069/2022 निर्णय दिनॉंक 11.02.2022 जैना कंस्‍ट्रक्‍शन कम्‍पनी का संदर्भ दाखिल किया है, जिसमें माननीय न्‍यायालय द्वारा पारित निर्णय का ससम्‍मानपूर्वक अवलोकन किया, जिसमें माननीय न्‍यायालय द्वारा यह कहा गया कि यदि विलम्‍ब से सूचना दी गयी हो तो निरस्‍त किये जाने का कोई आधार नहीं है।

13.  मामले के तथ्‍य एवं परिस्थिति में उक्‍त विधि व्‍यवस्‍था में 05 माह के आस-पास थी ज्‍यादा विलम्‍ब से सूचना दिये जाने के संबंध में है। 05 माह से ज्‍यादा विलम्‍ब के आधार पर रेपुडिएशन नहीं किया जा सकता है। यह रेपुडिएशन लगभग 11 माह बीत जाने के बाद किया गया है। अत: उक्‍त विधि व्‍यवस्‍था वर्तमान तथ्‍यों एवं परिस्थितियों से भिन्‍न होने के कारण लागू नहीं है। विपक्षी द्वारा अपने साक्ष्‍य में कहा गया कि सूचना तत्‍काल देनी थी जो विलम्‍ब से दी गयी। यह तथ्‍य सही है कि 17.06.2014 में अंतिम रिपोर्ट स्‍वीकार हुई, परन्‍तु ऐसा कोई लिखित प्रमाण परिवादी द्वारा नहीं दिया गया जिससे यह साबित हो सके कि विपक्षी द्वारा यह कहा गया था कि जबतक अन्तिम रिपोर्ट नहीं आयेगी तब तक कार्यवाही नहीं की जा सकती।

14.  विपक्षी का यह कथानक कि स्‍वयं परिवादी की लापरवाही से यह चोरी हुई थी। जिस व्‍यक्ति की स्‍वयं की लापरवाही रहती है उसे उपभोक्‍ता संरक्षण से कोई भी लाभ नहीं दिलाया जा सकता। इस परिप्रेक्ष्‍य में उन्‍होंने हरियाणा राज्‍य उपभोक्‍ता आयोग, चन्‍डीगढ़ द्वारा एपटेक कम्‍प्‍यूटर एजूकेशन बनाम रवि कुमार II (1999) C.P,J. 339 जिसमें यह कहा गया कि अगर उपेक्षा है तो क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने का अधिकारी नहीं है। उपेक्षा का अभिप्राय यह है कि जब कोई व्‍यक्ति से एक सामान्‍य केयर की आवश्‍यकता हो और उसे केयर से न लिया गया हो जिससे कि किसी दूसरे व्‍यक्ति को क्षति हो तो वह लापरवाही की परिभाषा में आता है। परिवादी द्वारा दोनों चाभी को भी बीमा कम्‍पनी को प्रदत्‍त नहीं करायी गयी जिससे साबित हो सके कि वाहन बन्‍द था। अत: यह परिवादी स्‍वयं की लापरवाही मानी जायेगी। उपरोक्‍त विधि व्‍यवस्‍था के सापेक्ष में परिवादी क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने का अधिकारी नहीं है, और विपक्षी द्वारा कोई भी सेवा में कमी नहीं की गयी है। अत: परिवादी का परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

                             आदेश

     परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।

     उभयपक्ष को इस निर्णय की प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाए।

    

 

   (सोनिया सिंह)                                                     (नीलकंठ सहाय)

          सदस्‍य                                       अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                          लखनऊ।          

आज यह आदेश/निर्णय हस्‍ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।

                                   

  (सोनिया सिंह)                                                      (नीलकंठ सहाय)

          सदस्‍य                                       अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                          लखनऊ।          

दिनॉंक:-07.11.2022

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MS. Kumar Raghvendra Singh]
MEMBER
 
 
[HON'BLE MS. sonia Singh]
MEMBER
 

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