जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, सवाई माधोपुर
समक्ष:- श्री कैलाश चन्द्र शर्मा, अध्यक्ष
श्री सौभाग्यमल जैन, सदस्य
परिवाद सं0:-384/2014 परिवाद प्रस्तुति दिनांकः- 12.09.2014
नरेन्द्र गुप्ता पुत्र श्री कन्हैया लाल गुप्ता, जाति महाजन निवासी राजनगर मानटाउन सवाई माधोपुर।
परिवादी
विरुद्ध
यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिये शाखा प्रबन्धक मानटाउन बजरिया सवाई माधोपुर।
विपक्षी
उपस्थिति:-
1. श्री राधेश्याम वैष्णव अधिवक्ता परिवादी
2. श्री राधा मोहन शर्मा अधिवक्ता विपक्षी
द्वारा कैलाश चन्द्र शर्मा (अध्यक्ष) दिनांक:- 24मार्च, 2015
नि र्ण य
परिवादी ने यह परिवाद संक्षेप में इनत थ्यों के साथ प्रस्तुत किया है कि परिवादी की मोटर साईकिल संख्या आर जे 25 एस ई 1902 का विपक्षी बीमा कम्पनी के यहंा बीमा करवाया हुआ है। जिसकी पाॅलिसी संख्या 1414033113पी100809601 है जो दिनांक 9.5.13 से 8.5.14 तक विपक्षी के यहंा बीमित थी। परिवादी की उक्त बीमित मोटर साइकिल दिनांक 7.1.14 को बरवाडा बस स्टेण्ड टोंक रोड से सीडियों वाले गेट के सामने से चोरी हो गई। उक्त वाहन को हेण्डल लाॅक कर रखा था। चोरी की सूचना तत्काल उसी दिन मानटाउन थाने में दे दी जिसकी मानटाउन थाना द्वारा क्यूएसटी दिनांक 7.1.14 केा 6.58 पीएम पर डाल दी थी। परिवादी ने अपनी उक्त बीमित मोटर साइकिल को काफी तलाश किया लेकिन ज बवह नहीं मिली तो दिनांक 9.1.14 को पुलिस थाना मानटाउन में प्राथमिकी दर्ज करवाने हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। जिस पर मानटाउन थाने में एफआईआर संख्या 24/2014 धारा 379 आईपीसी में दर्ज की जाकर अनुसंधान अधिकारी ने अनुसंधान पूर्ण कर अदम पता माल मुलजिमान में एफ आर दे दी जो दिनांक 4.3.14 को न्यायालय द्वारा स्वीकार कर ली गई। परिवादी ने अपने उक्त वाहन का बीमा क्लेम प्राप्त करने हेतु सभी आवश्यक दस्तावेजात के साथ बीमा कम्पनी को क्लेम प्रार्थना पत्र नियत समय में पेश कर दिया मगर विपक्षी बीमा कम्पनी ने आज दिन तक बीमा राशि का भुगतान नहीं किया जो विपक्षी का सेवा दोष है और परिवादी का परिवाद स्वीकार फरमाया जाकर परिवाद में चाहे गये अनुतोष दिलाये जाने का निवेदन किया।
विपक्षी ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत कर कथन किया है कि परिवादी द्वारा घटना दिनांक 7.1.14 की प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 12.1.14 को करीबन 5 दिन की देरी से दर्ज करायी गयी है। परिवादी द्वारा घटना की सूचना विपक्षी बीमा कम्पनी को दिनांक 24.1.14 को 17 दिन की देरी से दी गयी। जो बीमा पाॅलिसी की शर्त संख्या 1 का स्पष्ट उल्लंघन है। इस पर बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी के दावे अन्तर्गत पूर्ण जांच व गौर उपरान्त दावे को दिनांक 26.3.14 को नियमानुसार कारण सहित निरस्त कर दिया गया जिसकी सूचना परिवादी को दी गयी। परिवादी द्वारा रिकोर्ड पर प्रस्तुत पुलिस से प्राप्त क्यू एस टी स्वीकार योग्य व विश्वास योग्य नहीं है क्योंकि क्यू एस टी पर कार्यालय का डिस्पेच नम्बर व मान्य प्रपत्र पर नहीं है। इसके समर्थन में जारीकर्ता अधिकारी का कोई शपथ पत्र भी प्रस्तुत नहीं किया गया है। यह विस्तृत साक्ष्य का विषय है। परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को घटना की सूचना देरी से दी गयी जिसके कारण अनुसंधान में देरी हुई व तुरन्त सही तथ्यों का पता नहीं चल सका। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा घटना अन्तर्गत अनुसंधान श्री वेदप्रकाश गुप्ता से कराया गया जिनकी अनुसंधान रिपोर्ट बीमा कम्पनी को प्राप्त हुई । बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी के क्लेम दावे को पाॅलिसी की शर्त संख्या 1 के स्पष्ट उल्लंघन होने के कारण निरस्त किया गया है। नियमानुसार क्लेम निरस्त कार्यवाही सेवा दोष या उपभोक्ता विवाद नहीं है। अतः परिवादी का परिवाद मय हर्जे खर्चे के खारिज किये जाने का निवेदन किया गया।
परिवादी ने परिवाद के समर्थन में स्वयं का शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य में बीमा कम्पनी के पत्र दिनांकित 26.3.14 की प्रति, क्युएसटी, एफआर स्वीकार की आदेशिका, एफआईआर, एफआर व बीमा कॅवर नोट की प्रति पेश की है । जबकि विपक्षी बीमा कम्पनी ने जवाब के समर्थन में प्रतापराय व वेदप्रकाश गुप्ता का शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य में मूल पत्र दिनांकित 26.3.14, मूल डाक सूचना पत्र, मूल पत्र दिनांकित 24.1.14, मूल वाहन दुर्घटना दावा प्रपत्र, बीमा पाॅलिसी शर्ते, मूल अनुसंधान रिपोर्ट आदि पेश किये है।
उभय पक्षकारान की बहस सुनी गई। पत्रावली का अध्योपान अध्ययन किया गया।
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से निम्न न्यायिक दृष्टान्त प्रस्तुत किये गये जिनका हमारे द्वारा ससम्मान अवलोकन किया गयाः-
1. चतुर्थ 2011 सीपीजे 30 एनसी, 2. निर्णय प्रति माननीय राज्य आयोग, 3.तृतीय 2003 सीपीजे 77 एनसी, 4. द्वितीय 2012सीपीजे 38 एनसी, 5. द्वितीय 2012 सीपीजे 243 एनसी, 6. चतुर्थ 2012 सीपीजे एनसी 570, 7. प्रथम 2013 सीपीजे 662 एनसी, सीपीजे 60 एनसी, सीपीजे 71एनसी, 8. चतुर्थ 2012 सीपीजे 441 एनसी, 9. द्वितीय 2013 सीपीजे 189 एनसी, व 10. प्रथम 2013 सीपीजे 741 एनसी आदि पेश किये गये। जिनका ससम्मान अवलोकन किया गया।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी की मोटरसाईकिल विपक्षी बीमा कम्पनी के यहाॅं बिमित होना और बिमित अवधि में चोरी होना विवादित नहीं हेै। विप़क्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी का बीमा क्लेम उनके रेपुडेशन लेटर दिनांक 26.03.2014 के द्वारा इस आधार पर खारिज किया है कि मोटर साईकिल चोरी की सूचना दिनंाक 24.01.2014 को लगभग 17 दिन पश्चात् बीमा कम्पनी को दी गई है एवं एफआईआर दिनंाक 12.01.2014 को 5 दिन विलम्ब से दर्ज करवाई है। जो बीमा पाॅलिसी की शर्त संख्या 1 का उल्लंघन है। इसके विपरीत परिवादी का यह कथन है कि उसने विपक्षी के यहाॅं बिमित मोटर साईकिल की चोरी की सूचना दिनंाक 07.01.201ृ4 को 6.58 पीएम पर थानाधिकारी पुलिस थाना मानटाउन सवाई माधोपुर को दे दी थी, जिसकी क्यू एस टी पुलिस थाने में दर्ज करवाई गई है। परिवदी द्वारा जिला मंच के समक्ष क्यूएसटी की प्रति पेश की गई है। विद्वान अधिवक्ता विपक्षी ने बहस के दोैरान इस प्रकार की क्यूएसटी पुलिस द्वारा मिलीभगत से जारी होने का कथन किया है। लेकिन विधि द्वारा स्थापित जाॅंच एजेंसी पुलिस के द्वारा क्यूएसटी दर्ज करना और उसकी सूचना सभी थानों में भिजवाना तथा नाका बंदी करवाने और क्यूएसटी का प्रमाण पत्र को नहीं मानने का हमारे समक्ष कोई उचित कारण मौजूद नहीं है। अतः चोरी की दिनांक 07.01.2014 के पश्चात् एफआईआर दिनांक 12.01.2014 को पाॅंच दिन की देरी से पुलिस द्वारा दर्ज की गई है। इसमें परिवादी का कोई दोष नहीं है। क्योंकि उसने सम्बन्धित पुलिस थाने को तत्काल सूचना दे दी थी। विपक्षी बीमा कम्पनी को उसके पश्चात् सूचना देरी से दी गई है। लेकिन परिवादी ने पुलिस को तत्काल सूचना दे दी थी। अतः प्रकरण के समस्त तथ्यों को एवं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये हम विपक्षी बीमा कम्पनी को यह आदेश दिया जाना उचित समझते हैं कि परिवादी को वाहन का बिमित मूल्य 32,000/-रूपये एक माह की अवधि में अदा करें। यदि विपक्षी बीमा कम्पनी एक माह में उक्त राशि अदा नहीं करती है तो परिवादी उक्त राशि पर बीमा क्लेम खारिज करने की दिनांक 26.03.2014 से आयंदा अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है। विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी को 3,000 रूपये की राशि परिवाद व्यय के रूप में एक माह में अलग से अदा करे।
आदेश
अतः प्रकरण के समस्त तथ्यों को एवं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये हम विपक्षी बीमा कम्पनी को यह आदेश दिया जाना उचित समझते हैं कि परिवादी को वाहन का बिमित मूल्य 32,000/-रूपये एक माह की अवधि में अदा करें। यदि विपक्षी बीमा कम्पनी एक माह में उक्त राशि अदा नहीं करती है तो परिवादी उक्त राशि पर बीमा क्लेम खारिज करने की दिनांक 26.03.2014 से आयंदा अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है। विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी को 3,000 रूपये की राशि परिवाद व्यय के रूप में एक माह में अलग से अदा करे।
सौभाग्यमल जैन कैलाश चन्द्र शर्मा
सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 24.03.2015 को खुले मंच में सुनाया गया।
सौभाग्यमल जैन कैलाश चन्द्र शर्मा
सदस्य अध्यक्ष