जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 554/13
समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
1. अषोक कुमार टीबड़ेवाल पुत्र श्री ज्वालाप्रसाद टीबड़ेवाल जाति महाजन निवासी कारूण्डिया रोड़, डा. जैन के आवास के सामने, झुंझुनू तहसील व जिला झुंझुनू (राज.)
2. श्रीमती रामलता पत्नी श्री अषोक कुमार टीबड़ेवाल जाति महाजन निवासी कारूण्डिया रोड़, डा. जैन के आवास के सामने, झुंझुनू तहसील व जिला झुंझुनू (राज.) - परिवादीगण
बनाम
युनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लि0, पीरूसिंह सर्किल, रेलवे स्टेषन के पास,
झुंझुनू जरिये शाखा प्रबंधक, - विपक्षी
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री इन्दुभूषण शर्मा व श्री कैलाषचन्द्र, अधिवक्ता - परिवादीगण की
ओर से।
2. श्री हरिषचन्द्र जोषी, अधिवक्ता - विपक्षी की ओर से।
- निर्णय - दिनांक: 26.03.2015
परिवादीगण ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 08.10.2013 को संस्थित किया गया।
परिवादीगण ने अपने परिवाद पत्र में कथन किया है कि परिवादीगण ने इस मंच के समक्ष पूर्व में दिनांक 03.07.2012 को परिवाद संख्या 314/2012, उनवानी अषोक कुमार वगैरह बनाम युनाइटेड इंष्योरेंस कम्पनी लि0, प्रस्तुत किया गया था। जिसमें आदेष माननीय जिला मंच द्वारा दिनांक 02.11.2012 को इस निर्देष के साथ पारित किया गया था कि विपक्षी बीमा कम्पनी उसके यहां पेष किये गये असल बिल, दस्तावेजात एवं टी.पी.ए. के यहां प्रस्तुत असल बिल, दस्तावेजात पर विचार कर परिवादी का क्लेम दो माह में निस्तारित कर दिया जावे तथा परिवादी को निर्देषित किया जाता है कि वह पत्र दिनांक 28.02.2012 द्वारा चाहे गये दस्तावेजात वह विपक्षी को एक माह में प्रस्तुत करे। इसी निर्देषानुसार पूर्व परिवाद का निस्तारण किया गया था।
उक्त आदेष की पालना में परिवादीगण द्वारा विपक्षी को दिनांक 07.01.2013 को जरिये रजिस्टर्ड पत्र सूचना दी गई तथा विपक्षी व टी.पी.ए. को मोबाईल द्वारा मौखिक सूचना भी दी गई कि सम्बन्धित दस्तावेजात पूर्व में असल दस्तावेज विपक्षी बीमा कम्पनी व टी.पी.ए. के यहां प्रस्तुत कर दिये गये हैं। परिवादीगण द्वारा मंच के निर्देषानुसार दस्तावेजात की सत्य प्रतिलिपियां पुनः विपक्षी को दिनांक 07.01.2013 को भिजवाई गई। इसके वाबजूद भी विपक्षी ने परिवादीगण के क्लेम पर कोई विचार न कर आज तक निस्तारण नहीं किया है, इसलिये परिवादीगण की ओर से पुनः इस मंच में नये सिरे से परिवाद पत्र पेष किया गया है।
परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत हस्तगत परिवाद पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी अषोक कुमार ने विपक्षी बीमा कम्पनी से दिनांक 07.08.2006 को स्वंय व अपनी पत्नी रामलता देवी के नाम से प्दकपअपकनंस भ्मंसजी प्देनतंदबम च्वसपबल प्राप्त की, जिसके नम्बर 141801/48/10/97/00000077 थे। उक्त पालिसी के अधीन परिवादी के स्वयं के लिये 2,25,000/-रूपये का सम इन्ष्योर्ड के आधार पर 6917/-रूपये का प्रीमियम तथा अपनी पत्नी रामलता देवी के लिए 1,25,000/-रूपये सम इन्ष्योर्ड के आधार पर 2900/-रूपये प्रीमियम अदा किया है। परिवादी की पत्नी श्रीमती रामलता देवी के बांये पैर के घुटने में अचानक दर्द होने से सेलबाई अस्पताल एस.जी. हाईवेय, अहमदाबाद गुजरात में डाक्टर से ज्वजंस ज्ञदमम त्मचसंबमउमदज करवाया गया, जिसके उपचार पर 1,86,921/-रूपये का खर्चा हुआ। विपक्षी को उक्त उपचार के संबंध में ई मेल से सूचना दी गई जिस पर टी.पी.ए. ने भी इस संबंध में एफ आई आर नम्बर 431645 दर्ज कर परिवादी को ई मेल द्वारा सूचित किया गया। परिवादी ने विपक्षी के निर्देषानुसार बीमा कम्पनी के कार्यालय, झुंझुनू में दिनांक 04.08.2011 को लिखित आवेदन पत्र जरिये रजिस्टर्ड डाक प्रेषित कर सूचित किया तथा टी.पी.ए. के जयपुर कार्यालय शाखा को भी जरिये रजिस्टर्ड डाक सूचित किया गया। दिनांक 08.04.2011 को परिवादिया को अस्पताल से डिस्चार्ज किए जाने के बाद डाक्टरों द्वारा श्रीमती रामलता देवी को पोस्ट आपरेषन के एवं थेरेपी के लिये बैड रेस्ट की सलाह दी गई जिसके कारण तुंरत क्लेम लोज नहीं करवा सकी तथा माह अगस्त, 2011 में अस्पताल के खर्चा का भुगतान किए जाने हेतु क्लेम आवेदन पत्र के साथ विपक्षी के कार्यालय में असल बिल व क्लेम फार्म जमा करवा दिये गये। परिवादिया के कागजात को विपक्षी ने 4 माह तक अपने पास रखा तथा परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी के कार्यालय में माह दिसम्बर, 2011 में क्लेम के संबंध में पूछने पर विपक्षी ने परिवादी को असल बिल व क्लेम फार्म लौटाते हुए टी.पी.ए. के यहां आवेदन करने को कहा।
परिवादीगण द्वारा असल दस्तावेजों को दिनांक 29.12.2011 को जरिये रजिस्टर्ड डाक भेजा गया जो अनडिलिवर्ड वापस आने पर पुनः 09.01.2012 को इन्टरनेट पर टी.पी.ए. के नये पते की जानकारी प्राप्त कर रजिस्टर्ड डाक से इमेडेटिक (टी.पी.ए.) सर्विसेज लि0 प्लाट नम्बर 577, उद्योग बिहार फैज 5 गुड़गांवा, हरियाणा-122016 पर प्रेषित किया, जो टी.पी.ए. को दिनांक 11.01.2012 को प्राप्त हो गये। जिनके संबंध में परिवादी को डाक विभाग द्वारा दिनांक 10.04.2012 को सूचित किया गया परन्तु परिवादी का क्लेम सैटल नहीं किया न ही सूचना दी।
परिवादीगण द्वारा पूर्व में असल दस्तावेजात विपक्षी बीमा कम्पनी व टी पी ए के यहां प्रस्तुत कर दिये गये थे। परिवादीगण द्वारा मंच के निर्देषानुसार पुनः दस्तावेजात की सत्य प्रतिलिपियां विपक्षी को दिनांक 07.01.2013 को भिजवाई गई लेकिन परिवादीगण का क्लेम सैटल नहीं किया।
अन्त में परिवादीगण ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षी से परिवादी को उसकी पत्नी श्रीमती रामलता देवी के इलाज में हुए खर्च की राषि 1,86,000/-रूपये में से मेडी-क्लेम बीमा पालिसी में सम इन्ष्योर्ड के अनुसार 1,25,000/-रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया।
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से परिवाद पत्र में दर्ज तथ्यों का विरोध करते हुए जवाब पेष किया गया है कि परिवादीगण ने मंच के निर्णय के बावजूद परिवादिया की घुटने की रिप्लेषमेंट के बाबत कोई बिल, होस्पीटल से सम्बन्धित रिपोर्ट, दवाईयों की पर्ची या या डाक्टर की पर्चे या आपरेषन से सम्बन्धित असल बिल या डाक्टर की राय आदि कोई भी असल दस्तावेज बीमा कम्पनी को या टी.पी.ए. सर्विस लि0 को उपलब्ध नहीं करवाये। टी.पी.ए. सर्विस द्वारा दिनांक 28.02.2012 को असल दस्तावेजात उपलब्ध कराने के लिए पत्र प्रेषित किया गया था लेकिन परिवादीगण ने कोई असल दस्तावेजात उपलब्ध नहीं करवाये इसलिए परिवादीगण का क्लेम नो क्लेम किया गया है। परिवादीगण ने जानबूझकर असल दस्तावेजात विपक्षी बीमा कम्पनी को उपलब्ध नहीं करवाये हैं जिसके लिए वह स्वंय जिम्मेवार है तथा असल बिल व दस्तावेजात के बिना बीमा कम्पनी परिवादीगण के क्लेम का निस्तारण नहीं कर सकी है। इसलिये विपक्षीगण का कोई सेवा दोष नहीं है। यदि परिवादीगण तथाकथित पालिसी की प्रति व इलाज की प्रतियां तथा असल बिल टी.पी.ए. सर्विस लिमिटेड को उपलब्ध करवाये तो गुण-अवगुण के आधार पर टी.पी.ए. सर्विस लिमिटेड उसके क्लेम का निपटारा करने पर विचार कर सकता है।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादीगण का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहे हैं कि परिवादीगण द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी से पालिसी नम्बर 141801/48/10/97/00000077 दिनांक 13.08.2010 से 12.08.2011 तक की अवधि के लिये स्वंय परिवादी अषोक कुमार के लिये 2,25,000/-रूपये का सम इन्ष्योर्ड के आधार पर 6917/-रूपये का प्रीमियम तथा परिवादी की पत्नी श्रीमती रामलता देवी के लिए 1,25,000/-रूपये का सम इन्ष्योर्ड के आधार पर 2900/-रूपये का प्रीमियम अदा कर मेडिक्लेम पालिसी ली गई है।
पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि पूर्व में भी परिवादी द्वारा एक परिवाद पत्र दिनांक 03.07.2012 को मंच के समक्ष पेष किया गया था जिसमें मंच द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को यह निर्देषित किया गया था कि उसके यहां पेष किए गये असल बिल, दस्तावेजात व टी.पी.ए. के यहां प्रस्तुत असल बिल दस्तावेजात पर विचार कर परिवादी का क्लेम दो माह में निस्तारित कर दिया जावे तथा परिवादी को भी यह निर्देषित किया गया था कि वह पत्र दिनांक 28.02.2012 द्वारा चाहे गये दस्तावेजात विपक्षी को एक माह में प्रस्तुत करे। इस निर्देष के अनुसार इस मंच द्वारा परिवादीगण का प्रकरण पूर्व में निस्तारण किया गया था। उक्त निर्देष की पालना में परिवादीगण ने अपने सम्बन्धित सम्पूर्ण दस्तावेजात विपक्षी के यहां भेज दिये। पत्रावली में वर्णित तथ्यों से स्पष्ट हुआ है कि परिवादीगण द्वारा असल दस्तावेजात दिनांक 29.12.2011 को जरिये रजिस्टर्ड डाक विपक्षी को भेजा गया था जो अनडिलिवर्ड वापिस आने पर पुनः 09.01.2012 को इन्टरनेट पर टी.पी.ए. के नये पते की जानकारी प्राप्त कर रजिस्टर्ड डाक से शीघ्र ही (टी.पी.ए.) सर्विसेज लि0 प्लाट नम्बर 577, उद्योग बिहार फैज 5 गुड़गांवा, हरियाणा-122016 पर प्रेषित किया गया, जो टी.पी.ए. को दिनांक 11.01.2012 को प्राप्त हो गये। जिनके संबंध में परिवादीगण को डाक विभाग द्वारा दिनांक 10.04.2012 को सूचित किया गया। इसके अतिरिक्त परिवादीगण द्वारा विपक्षी को दिनांक 07.01.2013 को जरिये रजिस्टर्ड पत्र सूचना दी गई थी तथा विपक्षी व टी.पी.ए. को मोबाईल द्वारा मौखिक सूचना भी दी गई थी कि संबंधित असल दस्तावेजात पूर्व में विपक्षी बीमा कम्पनी व टी.पी.ए. के यहां रजिस्टर्ड डाक से भिजवाये जा चुके है। मंच के निर्देषानुसार परिवादीगण द्वारा विपक्षी को दिनांक 07.01.2013 को पुनः संबंधित दस्तावेजात की सत्य प्रतिलिपियां भिजवाई गई जो डाक विभाग के पत्र दिनांक 27.02.2013 के अनुसार 08.01.2013 को डिलिवर हो चुके हैं। जिसकी फोटो प्रति पत्रावली में संलग्न है जिस पर अविष्वास किए जाने का कोई कारण नहीं है।
पत्रावली में उपलब्ध सम्बन्धित दस्तावेजात की फोटो प्रतियांे एवं पत्र व्यवहार से यह स्पष्ट हो जाता है कि परिवादीगण की ओर से विपक्षी बीमा कम्पनी को चाहे गये वांछित असल दस्तावेजात पूर्व में भिजवा दिये गये हैं। परिवादीगण द्वारा मंच के निर्देषानुसार पुनः सत्यप्रतिलिपियां भी भिजवादी गई है। परिवादीगण को विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से मंच के आदेष के बाद ऐसा कोई पत्र जारी नहीं किया गया है जिससे यह माना जा जावे कि विपक्षी को सम्बन्धित दस्तावेजात नहीं मिले हैं। परिवादिया श्रीमती रामलता देवी के इलाज में हुए खर्च राषि के मेडिक्लेम बीमा पालिसी में समइन्ष्योर्ड के अनुसार क्लेम का भुगतान किए जाने हेतु बार-बार निवेदन किये जाने के बावजूद भी विपक्षी ने आज तक क्लेम का भुगतान परिवादिया को नहीं किया। जो कि विपक्षी का उक्त कृत्य सेवा दोष की श्रेणी में आता है।
उपरोक्त विवेचन के आधार पर विपक्षी बीमा कम्पनी, परिवादिया श्रीमती रामलता देवी के इलाज में खर्च हुई राषि में से मेडिक्लेम बीमा पालिसी में समइन्ष्योर्ड के अनुसार 1,25,000/-रूपये राषि की अदायगी के उतरदायित्व से किसी भी तरह से विमुख नहीं हो सकती।
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादीगण का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षी बीमा कम्पनी स्वीकार किया जाकर विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादीगण, विपक्षी बीमा कम्पनी से मेडिक्लेम बीमा पालिसी में समइन्ष्योर्ड के अनुसार 1,25,000/-रूपये (अक्षरे रूपये एक लाख पच्चीस हजार मात्र) प्राप्त करने के अधिकारी हैं। परिवादीगण उक्त राषि पर विपक्षी से संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 08.10.2013 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी है।
इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 26.03.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।