जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,जैसलमेर(राज0)
1. अध्यक्ष ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या : श्रीमती संतोष व्यास।
3. सदस्य ः श्री मनोहर सिंह नरावत।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 03.07.2015
मूल परिवाद संख्या:- 27/2015
श्री अलाबराय खाॅ पुत्र श्री बहराम खाॅ, जाति- मुसलमान,
निवासी- तिबनसर तह. व जिला जैसलमेर
............परिवादी।
बनाम
शाखा प्रंबधक, युनाईटेड इण्डिया इंष्योरेस कम्पनी लिमिटेड ढिब्बा पाड़ा जैसलमेर
.............अप्रार्थी।
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित/-
1. श्री अरविन्द दैया, अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2. श्री उम्मेदसिंह नरावत अप्रार्थी की ओर से ।
ः- निर्णय -ः दिनांकः 12.01..2016
1. परिवादी का सक्षिप्त मे परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी ने परियोजना प्रबधंक राजस्थान अनुसूचित जाति व जनजाति वित एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड जैसलमेर से ऋण प्राप्त कर चार गाये दिनांक 22.02.2013 को क्रमष. 12,500 रू प्रति गाय के हिसाब से खरीद की जिसके पशु पालन विभाग द्वारा स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जारी करने पर गायों के टेग क्रमषः 75574,75575,75580 व 59786 जारी किये गये उक्त गायांे का अप्रार्थी ने दिनांक 22.02.2013 से 21.02.2014 तक की अवधि के लिए प्रीमियम जमा कर बीमा किया जिसकी पाॅलिसी सख्या 141103/47/12/01/00000356 जारी की उक्त गायों के टेग गुम होने पर प्रार्थी ने नये टेग जारी करने का निवेदन किया जिस पर परियोजना प्रबधंक राजस्थान अनुसूचित जाति व जनजाति वित एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड जैसलमेर द्वारा दिनांक 12.03.2013 को नये टेग क्रमषः 97281, 97282, 97283, 97288 जारी किये गये जो पशु पालन विभाग द्वारा रिटेगिग किये जाकर विभाग द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी को सूचित कर दिया गया। प्रार्थी की बीमित गाय टेग सं. 97281 अचानक बीमारी के कारण दिनांक 16.09.2013 को मर गयी उसी रोज पशु पालन विभाग को सूचना देकर मृत गाय का पोस्टमार्टम करवाया गया तथा सम्बधित विभाग बीमा कम्पनी को सूचना 19.09.2013 को भिजवायी गयी। प्रार्थी की दुसरी बीमित गाय टेग सं. 97282 भी अचानक आफरा बीमारी के कारण दिनांक 10.02.2014 मर गयी। उसी रोज पषु पालन विभाग को सूचना दी गयी जिस पर दिनांक 11.02.2014 को पोस्टमार्टम किया गया व सम्बधित विभाग बीमा कम्पनी को सूचना दी गयी। परिवादी ने दोनो गायो के क्लैम हेतु अप्रार्थी के यहा सम्पूर्ण सूचनाए भिजवायी गयी लेकिन अप्रार्थी विभाग द्वारा दिनांक 13.03.2015 व 05.05.2015 को क्लैम खारिज कर दिया अप्रार्थी के सेवा की दोष की श्रेणी मे आता है।
प्रार्थी ने मृतक दो गायो बीमित क्लैम राषि मय ब्याज व मानसिक हर्जाना पेटे 10,000 रू व परिवाद व्यय 5,000 रू दिलाये जाने का निवेदन किया।
2. अप्रार्थी की ओर से जवाब पेष कर प्रकट किया कि अप्रार्थी द्वारा गायो के टेग गुम होने की सूचना व नये टेग लगाने की कोई सूचना नही दी तथा बीमा शर्ते के अनुसार मृत पशु की सूचना तुरंत बीमा कम्पनी को दी जानी थी व मृत कंकाल का अवलोकन करने का अवसर दिया जाना व 14 दिवस भीतर समस्त कागजात सहित क्लैम दावा कम्पनी मे पेष करना आवष्यक है लेकिन उक्त प्रकरण मे क्लैम दावा निर्धारित अवधि के बाद पेष किया गया तथा मरने की सूचना भी तुरन्त नही दी जिस कारण परिवादी बीमा क्लैम प्राप्त करने का अधिकारी नही है। अप्रार्थी द्वारा कोई सेवाओं मे त्रुटि नही की गई है। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने का निवेदन किया।
3. हमने विद्वान अभिभाषक प्रार्थी की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4. विद्वान अभिभाषक परिवादी द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1. क्या परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2. क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3. अनुतोष क्या होगा ?
5 बिन्दु संख्या 1:- जिसे साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी ने बाकायदा विहित प्रक्रिया अपना कर अपनी चारो गाय का ऋण प्राप्त कर अप्रार्थी बीमा कम्पनी मे प्रीमियम प्राप्त कर दिनांक 22.02.2013 से 21.02.2014 तक की अवधि के लिए बीमा करवाया तथा गायों के पूर्व मे जारी टेग संख्या 75574, 75575, 75580 व 59786 खो जाने के कारण नये टेग जारी किये गये जो कमषः 97281, 97282, 97283 व 97288 है तथा उनकी पाॅलिसी संख्या 141103/47/12/01/00000356 जारी की गई। इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है, फलतः बिन्दु संख्या 01 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
6 बिन्दु संख्या 2:- जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? विद्वान परिवादी अभिभाषक की दलील है कि परिवादी का जो क्लैम खारिज किया गया है वह इस कारण किया गया है कि मृतक गाय के फोटोग्राफ उपलब्ध नही कराये गये तथा गायों को क्या बीमारी हुई उसका भी ब्यौरा नही दिया गया तथा उसका उपचार करवाया गया या नही इस बाबत् कोई जानकारी नही दी गई। यह सभी कारण बीमा शर्तो का उल्लघन नही है। उनकी यह भी दलील है कि बीमा कम्पनी ने मृतक गायो की तुरंत सूचना नही देने के आधार पर जो क्लैम खारिज किया है वह गलत है क्योकि परिवादी ने मृतक गाय टेग सं. 97281 जो दिनांक 16.09.2013 को मर गई उसकी सूचना अविलम्ब परियोजना प्रबधंक राजस्थान अनुसूचित जाति व जनजाति वित एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड जैसलमेर को दी गई जहा से परिवादी द्वारा ऋण स्वीकृत किया जाकर बीमित करवाया गया था उनको सूचना दिये जाने पर मृतक गाय का पोस्टमार्टम किया गया ओर उनके द्वारा भी बीमा कम्पनी को सूचित कर दिया गया था। उनकी यह भी दलील है कि मृतक गाय के टेग सं. 97281 व 97282 जो पूर्व मे जारी टेग खो जाने के कारण टेग परिवर्तित किये गये थे उसकी सूचना भी दिनांक 12.03.2013 को बीमा कम्पनी को दे दी गयी थी। दोनो बीमित गायों का राजकीय पशु चिकित्सक द्वारा पोस्टमार्टम किया गया था। लेकिन बीमा कम्पनी ने क्लैम अदा ना कर सेवा दोष कारित किया है। अतः मृतक गायो की बीमित राषि मय हर्जोना व परिवाद व्यय के दिलाया जावें।
7. इसका प्रबल विरोध करते हुए बीमा कम्पनी अभिभाषक की दलील है कि प्रथम तो पूर्व टेग जो बीमाकृत गायो के लगे हुए थे उसके नये टेग जारी किये जाने की सूचना न तो अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दी गयी न ही अप्रार्थी बीमा कम्पनी से नये टेग लगाने की अनुमति ली गयी। उनकी यह भी दलील है कि टेग नम्बर 97281 की गाय दिनांक 16.09.2013 को मरना बताया गया है उसकी सूचना बीमा कम्पनी को तुरंत न देकर विभाग द्वारा 19.09.2013 को दी गयी थी इसी प्रकार टेग नम्बर 97282 की गाय दिनांक 10.02.2014 को मरना बताया है उसकी कोई सूचना बीमा कम्पनी को नही दी गई। अतः बीमा शर्तो का स्पष्ट उल्लघन हुआ है सूचना नही देने पर मृतक गाय के बाबत् बीमा कम्पनी द्वारा कोई जाॅच नही की जा सकी तथा बीमित गायो की मृत्यु किस प्रकार हुई यह नही बताया गया है तथा वाच्छित दस्तावेज पेष नही किये गये अतः बीमा कम्पनी द्वारा उक्त गायो के बाबत् क्लैम सही खारिज किया है कोई सेवा दोष कारित नही किया है परिवादी का परिवाद मय हर्जे खचे के खारिज किये जाने का निवेदन किया।
8. उभय पक्षांे के तर्को पर मनन किया गया जहा तक परिवादी की मृतक गाय टेग सं. 97281 का प्रष्न है परिवादी ने अपने परिवाद व सषपथ बयानो मे यह बताया है कि बीमित गाय का टेग गुम हो जाने के कारण परियोजना प्रबधंक राजस्थान अनुसूचित जाति व जनजाति वित एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड जैसलमेर द्वारा दिनांक 12.03.2013 को नये टेग कमषः 97281, 97282 आदि जारी किये गये और पशु पालन विभाग द्वारा रिटेगिग किये जाकर बीमा कम्पनी को सूचित कर दिया गया था परिवादी के इस कथन की पुष्टि परियोजना प्रबधंक राजस्थान अनुसूचित जाति व जनजाति वित एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड जैसलमेर के पत्र क्रमांक सं. क्रमांक/अनुजा/जै/आरओबीसी/2012-13/9940 दिनांक 12.03.2013 से भी होती है जिसमे अप्रार्थी बीमा कम्पनी को भी क्रमांक 9941 द्वारा बीमा कवर आवष्यक इन्द्राज हेतु नये टेग के सम्बध मे सूचित किया गया है। यह पत्र बीमा कम्पनी को नही मिला हो ऐसी खण्डिनीय साक्ष्य अप्रार्थी की नही है। अतः बीमित गाय के नये टेग परिवर्तित बाबत् आपति मे हम कोई बल नही पाते।
9. परिवादी ने अपनी साक्ष्य मे यह भी बताया है कि परिवादी की गाय टेग नम्बर 97281 अचानक बीमार होने के कारण दिनांक 16.09.2013 को मर गयी उसी रोज सूचना देकर पशु पालन विभाग द्वारा पोस्टमार्टम किया गया तथा सम्बधित विभाग द्वारा बीमा कम्पनी को सूचित किया गया इस सम्बध मे प्रार्थना पत्र दिनांक 16.09.2013 का अवलोकन करे तो उसमे टेग नम्बर 97281 की बीमित गाय की मृत्यु हो जाने के कारण उसी दिन दिनांक 16.09.2013 को परियोजना प्रबधंक राजस्थान अनुसूचित जाति व जनजाति वित एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड जैसलमेर को जहा से ऋण लेकर गाय बीमित थी उसको सूचना दी गयी थी। उसकी सूचना पर तुरंत उसी दिन दिनांक 16.09.2013 को मृतक गाय का पोस्टमार्टम हुआ जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट मृतक गाय की पेष की है उससे भी इस आषय कि पुष्टि होती है कि टेग नम्बर 97281 मृतक गाय के राईट कान मे लगा हुआ था उसकी मृत्यु बीमारी के कारण हो गयी है अतः उक्त गाय जो टेग सं. 97281 बीमित थी उसकी मृत्यु दिनांक 16.09.2013 को हो गयी जिसकी सूचना अविलम्ब परियोजना प्रबधंक राजस्थान अनुसूचित जाति व जनजाति वित एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड जैसलमेर जहा से ऋण स्वीकृत हुआ को दी गयी उस पर अविलम्ब उसी दिन पोस्टमार्टम कराया गया तथा सम्बधित विभाग द्वारा बीमा कम्पनी को सूचना दिनांक 19.09.2013 को दी गयी थी लेकिन परिवादी ने जहा से गाय बीमित हुई उस विभाग को अविलम्ब सूचना दे दी थी। उसकी सूचना पर गाय का पोस्टमार्टम हुआ ऐसी नही कि मृतक गाय टेग सं. 97281 से सम्बधित परिवादी ने सूचना देने मे कोई देरी की हो तथा विभाग द्वारा दिनांक 19.09.2013 को बीमा कम्पनी को सूचना देने मे कोई देरी होने से बीमा कम्पनी का कोई हित प्रभावित हुआ हो ऐसा भी नही है। क्योकि सूचना के बाद तुरंत पोस्टमार्टम सरकारी पशु चिकित्सक द्वारा किया गया था अतः इस प्रकार बीमा कम्पनी का कोई हित प्रभावित नही हुआ है बीमा कम्पनी की अन्य आपति का जहा तक प्रष्न है कि मृतक गाय के फोटोग्राफ पेष नही किये गये लेकिन मृतक गाय के परिवादी ने फोटो लिये हो ओर बीमा कम्पनी द्वारा मागे जाने पर पेष नही किये हो ऐसी भी कोई साक्ष्य नही है। अतः हमारी विनम्र राय मे मृतक बीमित गाय टेग सं. 97281 की बीमित राषि 12,500 रू का भुगतान प्रार्थी को अदा न कर अप्रार्थी ने सेवा दोष कारित किया है जहा तक दूसरी मृतक बीमित गाय टेग सं. 97282 के क्लैम बाबत् प्रष्न है उक्त गाय टेग सं. 97282 के मरने की सूचना बाबत् साक्ष्य या ऐसा कोई दस्तावेज परिवादी ने पेष नही किया है कि मृतक गाय की सूचना मरने की दिनांक 10.02.2014 को अविलम्ब परियोजना प्रबधंक राजस्थान अनुसूचित जाति व जनजाति वित एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड जैसलमेर/ बीमा कम्पनी को दे दी हो। बीमा कम्पनी के शर्तो के अनुसार परिवादी को मृतक गाय के बाबत् सूचना अविलम्ब दिया जाना आवष्यक है जबकि परिवादी द्वारा मृतक गाय टेग सं. 97282 के बाबत् अविलम्ब सूचना गाय के मरने के समय बीमा कम्पनी / परियोजना प्रबधंक राजस्थान अनुसूचित जाति व जनजाति वित एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड जैसलमेर को नही दी गयी। बल्कि दिनांक 10.04.2014 को पशु दावा फाॅर्म / क्लैम बीमा कम्पनी मे पेष किया गया।
10. अतः मृतक गाय टेग सं. 97282 की मरने की सूचना अविलम्ब नही दिये जाने के कारण बीमा शर्तो का उल्लघन हुआ है। अतः प्रार्थी मृतक गाय टेग सं. 97282 का क्लैम प्राप्त करने का अधिकारी नही है। अतः उक्त मृतक गाय टेग सं. 97282 का क्लैम खारिज कर अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने कोई सेवा दोष कारित नही किया है।
अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने मृतक गाय टेग सं. 97281 का क्लैम खारिज कर सेवा दोष कारित किया है फलतः बिन्दू सं. 2 मृतक गाय टेग सं. 97281 बाबत् प्रार्थी के पक्ष मे निस्तारित किया जाता है।
11 बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2 मृतक गाय टेग सं. 97281 बाबत् प्रार्थी के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद आंषिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है जो स्वीकार किया जाता है । जहां तक मृतक बीमित गाय टेग सं. 97281 की क्लेम की राषि का प्रष्न है परिवादी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से उक्त बीमित गाय टेग सं. 97281 की बीमित राषि 12,500 प्राप्त करने का अधिकारी है साथ ही परिवादी को मानसिक वेदना के लिए 1000/- रूपये अक्षरे रू. एक हजार तथा परिवाद व्यय के 2000 रू अक्षरे रू दो हजार मात्र दिलाया जाना उचित है ।
ः-ः आदेष:-ः
परिणामतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्व आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर अप्रार्थी को आदेषित किया जाता है कि वे आज से 2 माह के भीतर भीतर परिवादी को उक्त बीमित मृतक गाय टेग सं. 97281 की बीमित राषि 12,500 अक्षरे रू बारह हजार पाॅच सौ रूपये तथा मानसिक वेदना के 1000 रूपये अक्षरे रू एक हजार मात्र व परिवाद व्यय के 2000 रू अक्षरे रू दो हजार मात्र अदा करे तथा दूसरी मृतक बीमित गाय टेग सं. 97282 के क्लैम बाबत् परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।
आदेश आज दिनांक 12.01.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।