ORDER | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम से परिवादिनी ने अनुरोध किया है कि बाढ़ से उसे हुई व्यवसायिक क्षति के रूप में विपक्षीगण से उसे 3,00,000/- रूपये दिलाऐ जायें। परिवाद व्यय के रूप में परिवादिनी ने 20,000/- रूपये अतिरिक्त मांगे हैं।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि फरवरी, 2010 में परिवादिनी ने बुटिक के व्यवसाय हेतु विपक्षी सं0-2 से प्रधानमंत्री रोजगार योजना के अन्तर्गत 2,00,000/- रूपये का ऋण स्वीकृत कराया था। परिवादिनी ‘’ संस्कृति ’’ नाम से परिसर संख्या- सी-15, एम0आई0जी0, रामगंगा विहार, मुरादाबाद में बुटिक का व्यवसाय करती है। इस परिसर के एक भाग में परिवादिनी रहती भी है। दिनांक 20/09/2010 को शहर में अचानक बाढ़ आ गई। परिवादिनी के घर सहित रामगंगा नदी का पानी, कूड़ा करकट कालोनी के घरों में घुंस गया, कुछ ही घण्टों में पानी का स्तर 5 से 6 फुट हो गया। इतना भी समय नहीं मिला कि कालोनीवासी पहनने के कपड़़े तक निकाल सकें। अन्य लोगों की तरह परिवादिनी भी अपने परिसर का ताला लगाकर परिवार सहित अन्यत्र चली गई। 5 दिन बाद जब पानी उतरा तो परिवादिनी के परिजन घर लौटे, घर में सड़न के कारण घुंसना मुश्किल था। परिवादिनी के बुटिक के सारे कपड़े इत्यादि कुड़ा करकट में लथपथ थे उनमें दुगर्न्ध आ रही थी, फर्नीचर, इलैक्टीकल सामान, इन्वर्टर, बैट्री, कम्प्यूटर आदि बेकार हो गऐ। परिवादिनी के पति ने विपक्षी सं0-2 को बाढ़ में हुऐ नुकसान की सूचना टेलीफोन द्वारा दी और पूछा कि क्या उनका कोई बीमा है। बैंक ने तत्काल कोई जबाब नहीं दिया तब दिनांक 05/10/2010 को परिवादिनी ने बैंक को लिखित प्रार्थना पत्र दिया और बीमा कम्पनी को सूचित करने के लिए कहा ताकि मौके का सर्वे हो सके। बैंक से बीमा कम्पनी का नाम पता चलने पर दिनांक 10/10/2010 को परिवादिनी ने बीमा कम्पनी के सिविल लाइन्स कार्यालय में एक प्रार्थना पत्र दिया। बैंक ने परिवादिनी को केवल बीमा कम्पनी का नाम बताया था यह नहीं बताया था कि बीमा कौन सी शाखा से कराया गया है। परिवादिनी ने अग्रेत्तर कहा कि दिनांक 30/11/2011 को बीमा कम्पनी ने परिवादिनी से एक पत्र द्वारा स्पष्टीकरण मांगा कि परिवादिनी ने बीमा कम्पनी को सूचना क्यों नहीं की जिसका परिवादिनी ने दिनांक 10/12/2010 को उत्तर दिया। परिवादिनी के अनुसार विपक्षी सं0-2 ने परिवादिनी को बीमे के बारे में नहीं बताया था और बीमा कम्पनी ने भी परिवादिनी को कोई बीमा पालिसी नहीं भेजी थी। परिवादिनी ने अग्रेत्तर कहा कि बदबू और सड़ान्ध के बावजूद 15 तक सामान घर में पड़ा रहा जब बदबू असहनीय हो गई तो पड़ोसियों द्वारा दुर्गन्ध मार रहे सामान को कूड़ेदान में फिंकवा दिया गया। दिनांक 14/12/2010 के पत्र द्वारा बीमा कम्पनी बीमा कम्पनी को परिवादिनी ने सूचित किया कि परिवादिनी के बुटिक का बीमा विपक्षी सं0-2 ने कराया था, अत: बीमा पालिसी बैंक को दे दी गई थी अत: जो भी जबाबदेही बनती है वह बैंक की होगी। परिवादिनी ने अग्रेत्तर कहा कि दिनांक 15/10/2010 के पत्र द्वारा विपक्षी के सर्वेयर ने परिवादिनी से कुछ सूचनायें मांगी जो परिवादिनी ने उन्हें उपलब्ध करा दी। सर्वेयर को फोटो भी उपल्बध करा दिऐ गऐ उन्होंने पड़ोसियों के ब्यान भी लिऐ। दिनांक 8 फरवरी, 2011 के पत्र द्वारा परिवादिनी का क्लेम पालिसी की शर्तों का उल्लंघन बताकर गलत तरीके से निरस्त कर दिया गया। परिवादिनी के अनुसार उसे पालिसी की न तो कोई शर्त बताई गई और न ही बीमा पालिसी दी गई। इस प्रकार क्लेम अस्वीकृत करके बैंक और बीमा कम्पनी दोनों ही ने सेवाओं में कमी की है। परिवादिनी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष विपक्षीगण से दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद के साथ परिवादिनी ने क्लेम अस्वीकृति के पत्र दिनांकित 08/12/2011, परिवादिनी द्वारा बीमा कम्पनी के चैयरमैन को भेजे पत्र दिनांक 06/12/2011, बीमा कम्पनी के सर्वेयर को भेजे पत्र दिनांक 10/10/2011, बीमा कम्पनी के पत्र दिनांक 01/10/2011, बीमा कवरनोट, बीमा कम्पनी की ओर से परिवादिनी को भेजे गऐ पत्र दिनांक 10/10/2011, परिवादिनी और बीमा कम्पनी के चैयरमैन को भेजे गऐ पत्र दिनांक 23/08/2011, विपक्षी सं0-2 के शाखा प्रबन्धक द्वारा विपक्षी सं0-1 एवं उसके इन्वेस्टीगेटर को भेजे गऐ उत्तर, विपक्षी सं0-1 के इन्वेस्टीगेटर द्वारा विपक्षी सं0-2 के शाखा प्रबन्धक को भेजे गऐ पत्र दिनांक 16/07/2012, परिवादिनी द्वारा खराब हुऐ उन अभिलेखों की लिष्ट जिनके उसने फोटो खींचे थे, बैक के मैनेजर का परिवादिनी द्वारा लिखे गऐ पत्र दिनांक 02/06/2011 एवं पत्र दिनांकित 28/03/2011, क्लेम के सिलसिले में परिवादिनी, विपक्षीगण तथा बीमा कम्पनी के सर्वेयर के माध्यम से हुऐ पत्राचार, परिवादिनी के कर निर्धारण वर्ष 2008-2009, कर निर्धारण वर्ष 2009-2010, 2010-2011 के इनकम टैक्स रिटर्न, बैलेंस सीट, प्रोफिट एण्ड लोस एकाउन्ट, कैपिटल एकाउन्ट, बुटिक के लिए खरीदे गऐ सामान की लिष्ट उनके बिल बाउचर, विपक्षी सं0-1 के सर्वेयर श्री मुकुल सिन्हा के पत्राचार तथा परिवादिनी के स्टेटमेन्ट आफ एकाउन्ट, परिवादी के ऋण खाते की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0- 4/1 लगायत 4/79 हैं।
- विपक्षी सं0-1 ने अपना प्रतिवाद पत्र कागज सं0-17/1 लगायत 17/5 दाखिल किया जिसके साथ बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी को भेजे गऐ पत्र दिनांकित 30/11/2010, पत्र दिनांकित 14/12/2010, बीमा पालिसी की शर्तों, बीमा कम्पनी के इन्वेस्टीगेटर श्री सुनील कुमार शर्मा की रिपोर्ट दिनांक 28/11/2011, बीमा कम्पनी के सर्वेयर श्री मुकुल सिन्हा की सर्वे रिपोर्ट दिनांक 09/06/2011 की नकलों को संलग्नक के रूप में दाखिल किया गया, यह संलग्नक पत्रावली के कागज सं0-17/6 लगायत 17/24 हैं।
- विपक्षी सं0-1 ने अपने प्रतिवाद पत्र में परिवादिनी का बीमा होना तो स्वीकार किया गया, किन्तु शेष परिवाद कथनों से इन्कार किया गया। विपक्षी सं0-1 के अनुसार बाढ़ से नुकसान की सूचना पर बीमा कम्नी ने सर्वेयर श्री मुकुल सिन्हा को नियुक्त किया था। बीमा कम्पनी ने बीमा पालिसी की शर्तों के उल्लंधन के कारण परिवादिनी का क्लेम अस्वीकृत किया और ऐसा करके उन्होंने कोई त्रुटि नहीं की। विपक्षी सं0-1 की ओर से अग्रेत्तर कहा गया कि कथित नुकसान की सूचना परिवादिनी ने दिनांक 14/10/2010 को प्रेषित की थी इससे पूर्व परिवादिनी अथवा उसके बैंक ने बीमा कम्पनी को कोई सूचना नहीं दी। इस प्रकार बीमा कम्पनी को बाढ़ से हुऐ कथित नुकसान की सूचना 22 दिन बाद प्रेषित की गई जबकि बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार नुकसान की सूचना बीमा कम्पनी को तुरन्त दी जानी चाहिए थी। चॅूंकि बीमा पालिसी की शर्त संख्या- 5 (बी) का उल्लंघन हुआ था अत: क्लेम अस्वीकृत करके बीमा कम्पनी ने कोई त्रुटि नहीं की। विकल्प में यह भी कहा गया कि बैंक के सर्वेयर श्री मुकुल सिन्हा ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में परिवादिनी का केवल 32,000/- रूपये का नुकसान होना पाया, परिवादिनी का यह कथन असत्य है कि उसका लगभग 3,00,000/- रूपये का नुकसान हुआ था।
- उपरोक्त कथनों के आधार पर बीमा कम्पनी ने परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
- विपक्षी सं0-2 -अन्ध्रा बैंक की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0’9/1 लगायत 9/2 दाखिल हुआ जिसमें परिवादिनी को बुटिक के व्यवसाय हेतु 2,00,000/- रूपये ऋण दिया जाना और परिवादिनी द्वारा ऋण से बुटिक का कार्य करना स्वीकार किया गया है। यह भी कहा गया कि बाढ़ से परिवादिनी का नुकसान हुआ जैसा कि परिवादिनी ने अपने परिवद में कहा है। बैंक के अनुसार बैंक द्वारा परिवादिनी के व्यवसाय का बीमा विपक्षी सं0-1 से कराया गया था। बीमे की किश्त भी बैंक ने बीमा कम्पनी को दे दी थी। इस प्रकार नुकसान की अदायगी की जिम्मेदारी बीका कम्पनी की है। बैंक ने प्रतिवाद पत्र में यह भी कहा कि बैंक के स्तर से परिवादिनी को सेवायें प्रदान करने में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई। परिवादिनी ने साक्ष्य में अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-14/1 लगायत 14/4 दाखिल किया गया जिसके साथ संलग्नकों के रूप में परिवादिनी ने उन अभिलेखों को पुन: दाखिल किया जो परिवाद के साथ उसने कागज सं0-4/1 लगायत 4/79 के रूप में दाखिल किऐ थे।
- बीमा कम्पनी की ओर से बीमा कम्पनी के वरिष्ठ मण्डलीय प्रबन्धक श्रीलबलीन अवस्थि ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-21/1 लगायत 21/25 दाखिल किया जिसके साथ उन्होंने अपने प्रतिवाद पत्र के साथ दाखिल प्रपत्रों को पुन: संलग्नक के रूप में साक्ष्य शपथ पत्र के साथ दाखिल किया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-21/6 लगायत 21/24 हैं।
- विपक्षी सं0-1ने साक्ष्य शपथ पत्र दाखिल हो जाने के उपरान्त परिवादिनी ने पुन: अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-18/1 लगायत 18/6 दाखिल किया।
- परिवादिनी और बीमा कम्पनी-विपक्षी सं0-1 की ओर से लिखित बहस दाखिल हुई। बैंक की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
- हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता के अनुसार परिवादिनी का वुटिक रामगंगा विहार कालोनी में था जो विपक्षी सं0-2 के माध्यम से विपक्षी सं0-1 से बीमित था। विपक्षी सं0-1 ने अपने प्रतिवाद पत्र में परिवादिनी के उक्त कथनों से इन्कार नहीं किया है। पत्रावली में अवस्थित बीमा पालिसी की नकल कागज सं0-21/9 से प्रकट है कि परिवादिनी का वुटिक दिनांक 02/07/2010 से 01/7/2011 की अवधि हेतु विपक्षी सं0-1 से बीमित था। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता के अनुसार दिनांक 20/9/2010 को अचानक बाढ़ आ गई जिसकी बजह से परिवादिनी के वुटिक सहित सारी कालोनी में रामगंगा नदी का पानी घुंस गया और पानी का स्तर कुछ ही घण्टों में 5 से 6 फिट हो गया, लग्भग 5 दिन बाद पानी उतरा। बाढ़ के पानी से परिवादिनी के वुटिक का सारा कपड़ा, फर्नीचर, इलैक्ट्रिक आइटम, इन्वर्टर, बैटरी, कमप्यूटर इत्यादि बेकार हो गऐ। इन तथ्यों को विपक्षी सं0-2 की ओर से अपने प्रतिवाद पत्र कागज सं0-9/1 लगायत 9/2 में स्वीकार किया गया। विपक्षी सं0-1 ने दिनांक 20/9/2010 को अचानक बाढ़ आ जाना और कुछ ही घण्टों में पानी का स्तर 5 से 6 फिट हो जाने के तथ्य को तो अपने प्रतिवाद पत्र में स्वीकार किया, किन्तु पानी 5 दिन बाद उतरा यह तथ्य स्वीकार नहीं किया गया। बीमा कम्पनी ने इस सन्दर्भ में अपने प्रतिवाद पत्र में कोई कथन नहीं किया कि बाढ़ का पानी रामगंगा विहार कालोनी से कितने दिन बाद उतरा था ऐसी दशा में यह माने जाने का कारण है कि बाढ़ का पानी 5 दिन बाद उतरा था।
- परिवादिनी ने अपने साक्ष्य शपथ पत्र में यह कहा है कि बाढ़ का पानी उतरने के बाद तत्काल विपक्षी सं0-2 को परिवादिनी के पति ने टेलीफोन पर सूचना दी और पूछा कि क्या उनका कोई बीमा है तो बैंक ने तत्काल कोई जबाब नहीं दिया तब दिनांक 5/10/2010 को परिवादिनी ने विपक्षी सं0-2 को एक लिखित प्रार्थना पत्र देकर अनुरोध किया कि बीमा कम्पनी को तत्काल सूचना देवें ताकि सर्वे हो सके। विपक्षी सं0-2 के वरिष्ठ शाखा प्रबन्धक द्वारा बीमा कम्पनी के इन्वेस्टीगेटर श्री सुनील कुमार शर्मा को लिखे गऐ पत्र दिनांकित 3/9/2011 जिसकी नकल पत्रावली का कागज सं0- 21/16 है में बैंक ने यह स्वीकार किया है कि दिनांक 25/9/2010 को परिवादिनी की ओर से बाढ़ की सूचना फोन द्वारा बैंक को मिली थी जिससे बैंक ने विपक्षी सं0-1 को तत्काल फोन पर सूचित कर दिया था। इसके बाद दिनांक 5/10/2010 को परिवादिनी की ओर से लिखित सूचना भी बैंक में प्राप्त हुई। इस प्रकार परिवादिनी के स्तर से बाढ़ आ जाने और बाढ़ में हुऐ नुकसान होने की सूचना बिना देरी बैंक को दिया जाना और उसके अनुक्रम में बैंक द्वारा बीमा कम्पनी को तत्काल सूचित किया जाना प्रमाणित है।
- बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता ने प्रत्युत्तर में कहा कि बाढ़ से हुऐ कथित नुकसान की सूचना बीमा कम्पनी को सर्वप्रथम दिनांक 14/10/2010 को प्राप्त हुई। इससे पूर्व परिवादिनी अथवा उसके बैंकर ने उन्हें कोई सूचना नहीं दी। विपक्षी सं0-2 के विद्वान अधिवक्ता के अनुसार बीमा कम्पनी को चॅूंकि कथित नुकसान की सूचना बाढ़ आने के 22 दिन बाद दी गई अत: बीमा पालिसी की सामान्य शर्त सं0-5 बी. के अनुसार नुकसान की तत्काल सूचना न देने की बजह से परिवादिनी का बीमा दावा अस्वीकृत कर दिया गया और ऐसा करके बीमा कम्पनी ने न तो सेवा में कमी की और न कोई त्रुटि की।
- बीमा कम्पनी के जांचकर्ता को सम्बोधित परिवादिनी पत्र दिनांकित 10/10/2011 जिसकी नकल पत्रावली का कागज सं0-4/4 है, के अवलोकन से परिवादिनी के इन कथनों की पुष्टि होती है कि पानी उतरने पर परिवादिनी के पति ने बिना देरी किऐ दिनांक 25/9/2010 को नुकसान की सूचना बैंक को दे दी थी और उसके क्रम में बैंक ने तत्काल बीमा कम्पनी को सूचित कर दिया था। इस मामले में यधपि परिवादिनी के स्तर से बाढ़ से हुऐ नुकसान की सूचना देने में कोई विलम्ब किया जाना प्रकट नहीं है, किन्तु यदि तर्क के तौर पर यह मान भी लिया जाये कि सर्वप्रथम दिनांक 14/10/2010 को नुकसान की सूचना बीमा कम्पनी को मिली थी तब भी आई0आर0डी0ए0 के सर्कुलरदिनांक 20/9/2011 के अनुसार मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों के आलोक में परिवादिनी का दावा बीमा कम्पनी द्वारा अस्वीकृत नहीं किया जाना चाहिए था। किसी व्यक्ति से जिसके घर और व्यापारिक प्रतिष्ठान बाढ़ के 5 से 6 फिट पानी में 4 – 5 दिन डूबा रहा हो और शहर बाढ़ग्रस्त रहा हो उस व्यक्ति से यह अपेक्षा किया जाना कि वह नुकसान के तत्काल बाद बीमा कम्पनी को नुकसान से सूचित करे न तो युक्तियुक्त कहा जा सकता है और न ही बीमा कम्पनियों से ऐसी अपेक्षा बीमित व्यक्ति से की जानी चाहिए। इस मामले में बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी का दावा अस्वीकृत करके आई0आर0डी0ए0 के सर्कुलर दिनांक 20/9/2011 का उल्लंधन तो किया गया है और बीमा दावा अस्वीकृत करके त्रुटि की गई है। मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा IV (2014), सी0पी0जे0 पृष्ठ-62 (एन0सी0), नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 बनाम कुलवन्त सिंह तथा II (2014) सी0 पी0जे0 पृष्ठ-65 (एन0सी0), नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 बनाम बी0 वैंकटास्वामी के मामलों में दी गई निर्णय विधियों से हमारे मत की पुष्टि होती है।
- परिवादिनी ने बाढ़ हुई क्षति हेतु 3,00,000/- दिलाऐ जाने की प्रार्थना की है। बीमा कम्पनी के सर्वेयर श्री मुकुल सिन्हा ने अपनी सर्वे रिपोर्ट कागज सं0-17/18 लगायत 17/24 में नुकसान का आंकलन 44,807—रूपया 75 पैसे करते हुऐ 32,000/- रूपया भुगतान की संस्तुति की है। मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा IV (2009) ए0सी0सी0 पृष्ठ-356, न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लि0 बनाम प्रदीप कुमार के मामले में यह व्यवस्था दी गई है कि सर्वे रिपोर्ट अन्तिम वाक्य नहीं होता यह रिपोर्ट बीमा कम्पनी अथवा बीमित किसी पर भी बाध्यकारी नहीं होती। जैसा कि 2012 (2) सी0पी0आर0 पृष्ठ-84, न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लि0 बनाम कोटलू ब्रहमन्ना एक्स-सर्विसमैन ट्रांसपोर्ट कोआपरेटिव सोसाईटी लि0 के मामले में मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा अभिमत दिया गया है, सर्वे रिपोर्ट किसी निष्पक्ष व्यक्ति की राय नहीं होती। अब देखना यह है कि परिवादिनी को नुकसान की मद में कितनी धनराशि दिलाई जाये।
- स्वीकृत रूप से परिवादिनी का वुटिक 2,00,000/- रूपया की सीमा तक बीमित था। वुटिक में लगभग 5 दिन तक 5 से 6 फिट बाढ़ का पानी, कूड़ा करकट, मिट्टी इत्यादि भरा रहा। ऐसी दशा में परिवादिनी के इस कथन पर अविश्वास किये जाने का कोई कारण दिखाई नहीं देता कि वुटिक में रखे उसके कपड़े, फर्नीचर इत्यादि बेकार हो गया था और वे इस्तेमाल के लायक नहीं बचे थे। परिवाद में यधपि परिवादिनी ने इर्न्वटर, बैटरी, कम्प्यूटर, इलैक्ट्रीक यंत्र इत्यादि का नुकसान होना भी अभिकथित किया है, किन्तु परिवादिनी ने ऐसा कोई अभिलेखीय साक्ष्य, फोटो इत्यादि प्रस्तुत नहीं किऐ जिससे उसके उक्त कथनों की पुष्टि होती हो। पत्रावली में अवस्थित वैलेंस शीट कागज सं0- 4/41 के अनुसार दिनांक 20/9/2010 को परिवादिनी का क्लोजिंग स्टाक 2,15,119/- रूपये था, कागज सं0-4/42 के अनुसार दिनांक 20/09/2010 के प्रोफिट एण्ड लास एकाउन्ट में क्लोजिंग स्टाक 2,15,119/- रूपया दर्शाया गया है। कागज सं0-4/35 ता 4/46 के अनुसार दिनांक 20/9/2010 को परिवादिनी के वुटिक में 2,15,119/- रूपये के कपड़े थे। विपक्षी के सर्वेयर श्री मुकुल सिन्हा ने अपनी सर्वे रिपोर्ट दिनांक 9/10/2011 में इस बात का जिक्र किया है कि मौके पर उन्होंने वुटिक के वुडन काउन्टर को डेमेज पाया था उन्होंने इस बात की भी पुष्टि की है कि वुटिक के कपड़े 4 - 5 फिट पानी में डूबे रहे। सर्वेयर श्री मुकुल सिन्हा ने अपनी रिपोर्ट में ‘’ एसेस्मेंट ’’ के कालम में केवल उन कपड़ो के नुकसान का एसेस्मेन्ट किया जिनके फोटोग्राफ परिवादिनी ने उन्हें उपलब्ध कराऐ थे। सर्वेयर दिनांक 14/10/2010 को मौके पर गये थे। परिवादिनी का कथन है कि चॅूंकि पानी में भीगे हुऐ फर्नीचर, सामान और कपड़ो इत्यादि से दुर्गन्ध आ आने लगी थी अत: 6 -7 अक्टूबर, 2010 को उसने दुर्गन्ध युक्त उक्त सामान फेंक दिया था। बाढ़ आने के 21-22 दिन तक परिवादिनी अपने वुटिक की स्थिति यथावत रखती ऐसा सम्भव नहीं था। वास्तव में परिवादिनी का कितना नुकसान हुआ इसका Exact आंकलन किया जाना तो सम्भव नहीं है, किन्तु मामले के तथ्यों, परिस्थ्तियो, बाढ़ की विभीषिका, पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं विपक्षी के सर्वेयर श्री मुकुल सिन्हाँ की रिपोर्ट के समेकित मूल्यांकन के आधार पर एवं इस तथ्य को ध्यान में रखते हुऐ कि बाढ़ के पानी ऊपर अल्मारियों इत्यादि में रखे कपड़ो का कदाचित नुकसान नहीं हुआ होगा हमारे अभिमत में परिवादिनी को बाढ़ से हुऐ नुकसान की मद में एकमुश्त 1,00,000/- रूपया दिलाया जाना न्यायोचित एवं पर्या्प्त होगा। परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से भुगतान की तिथि तक परिवादिनी को ब्याज भी दिलाया जाना न्यायोचित होगा। परिवाद व्यय की मद में 2,500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया केवल) अतिरिक्त पाने की भी अधिकारी होगी। तदानुसार परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 1,00,000/- (एक लाख रूपया केवल) की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादिनी के पक्ष में, विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। परिवाद व्यय की मद में 2,500/- ( दो हजार पॉंच सौ रूपया केवल) परिवादिनी विपक्षीगण से अतिरिक्त पाने की अधिकारी होगी। इस आदेशानुसार समस्त धनराशि का भुगतान दो माह में किया जाये। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
10.09.2015 10.09.2015 10.09.2015 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 10.09.2015 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
10.09.2015 10.09.2015 10.09.2015 | |