Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/67/2013

Shri Vikram Singh - Complainant(s)

Versus

United India Insurance Company - Opp.Party(s)

21 May 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/67/2013
 
1. Shri Vikram Singh
R/0 Lakri Fazalpur Distt. Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. United India Insurance Company
Divisional Office Near Company Bagh Civil Lines Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. P.K Jain PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Azra Khan MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने अनुरोध किया है विपक्षी को आदेशित किया जाऐ कि वह चोरी गयी मोटरसाईकिल की बीमा राशि 28,000/- रूपया 21 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित परिवादी को अदा करे। मानसिक क्षतिपूर्ति की मद  में 50,000/- रूपया तथा परिवाद व्‍यय की मद में 5,000/- रूपया अतिरिक्‍त दिलाऐ जाने की मांग भी की गयी।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं  कि परिवादी ने अपनी मोटरसाईकिल सूख्‍या- यूपी 21-ए0बी0-9151 का 28,000/- रूपया का बीमा दिनांक 03/1/2012 से 02/1/2013 तक की अवधि के लिए विपक्षी से कराया था। दिनांक 07/5/2012 को अपरान्‍ह 12.30 बजे मुरादाबाद कचहरी से परिवादी की उपरोक्‍त मोटरसाईकिल चोरी हो गयी। चोरी की यह रिपोर्ट परिवादी ने उसी दिन थाना सिविल लाइन्‍स, मुरादाबाद पर दर्ज करायी, चोरी की सूचना विपक्षी को भी दी गयी। चोरी के इस मामले में विवेचेना के बाद पुलिस ने एफ0आर0 लगा दी जो दिनांक 23/1/2013 को न्‍यायालय द्वारा स्‍वीकार कर ली गयी।सभी मूल कागजात और मोटरसाईकिल की चाबियां परिवादी ने विपक्षी को उपलब्‍ध करा दीं। परिवादी ने अग्रेत्‍तर कहा कि विपक्षी ने बीमा राशि का आधा अर्थात् 14,000/- रूपया का बीमा दावा के रूप में स्‍वीकृत किया जिस पर परिवादी ने आपत्ति की। विपक्षी के कार्यालय जाने पर परिवादी से  कहा गया कि चूँकि मोटरसाईकिल की चाबियां आपने नहीं दीं आपको बीमा राशि का आधा स्‍वीकार किया जा सकता है। परिवादी के अनुसार विपक्षी को बीमा राशि में से 14,000/- रूपया की कटौती करने का कोई अधिकार नहीं है और परिवादी को पूरी बीमा राशि 28,000/- रूपया मिलनी चाहिए। उपरोक्‍त कथनों के आधार पर परिवादी ने यह परिवाद योजित किया और परिवाद में मांगे गऐ अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
  3.   विपक्षी ने अपना प्रतिवाद पत्र कागज सं0-11/1 लगायत 11/3 दाखिल किया जिसमें परिवादी की मोटरसाईकिल का बीमा विपक्षी द्वारा किया जाना तो स्‍वीकार किया गया किन्‍तु शेष परिवाद कथनों से इन्‍कार किया गया। अतिरिक्‍त कथनों में कहा गया कि विपक्षी ने परिवादी को सेवा प्रदान करने में कोई कमी  अथवा त्रुटि नहीं की, परिवाद प्रीमैच्‍योर है, कहने के बावजूद परिवादी ने मोटरसाईकिल की दोनों चाबियां उपलब्‍ध नहीं करायीं और अन्‍य औपचारिकताऐं भी पूरी नहीं की जिस कारण परिवादी का बीमा दावा 14,000/- रूपया हेतु स्‍वीकृत किया गया और ऐसा करके विपक्षी ने कोई त्रुटि नहीं की। विपक्षी की ओर से परिवाद को सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गयी।
  4.   परिवादी ने परिवाद के साथ चोरी गयी मोटरसाईकिल की आर0सी0, बीमा पालिसी, प्रथम सूचना रिपोर्ट, पुलिस द्वारा लगायी गयी एफ0आर0, एफ0आर0 स्‍वीकृति के न्‍यायालय के आदेश और 14,000/- रूपया स्‍वीकृत किऐ जाने सम्‍बन्‍धी विपक्षी के पत्र दिनांकित 18/4/2013 की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/6 लगायत 3/12 हैं।
  5.   परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-9/1 लगायत 9/5 दाखिल किया। प्रत्‍युत्‍तर में विपक्षी के वरिष्‍ठ मण्‍डलीय प्रबन्‍धक श्री लवलीन अवस्‍थी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-14/1 लगायत 14/3 दाखिल किया।
  6.   पक्षकारों की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
  7.   हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
  8.   पक्षकारों के मध्‍य इस बिन्‍दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादी की मोटर साईकिल विपक्षी से बीमित थी। प्रथम सूचना रिपोर्ट अभिकथित चोरी वाले दिन ही थाना सिविल लाइन्‍स जिला मुरादाबाद में परिवादी ने दर्ज करा दी थी जैसा कि नकल प्रथम सूचना रिपोर्ट कागज सं0-3/8 से प्रकट है। अभिकथित चोरी वाले दिन बीमा बैध था।
  9.   परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि यधपि चोरी वाले दिन ही परिवादी ने पुलिस में चोरी की रिपोर्ट दर्ज करा दी थी और एफ0आई0आर0  की प्रति विपक्षी को देते हुऐ चोरी की बाबत उसे सूचित भी कर दिया गया था किन्‍तु मनमाने तरीके से विपक्षी द्वारा इस आधार पर कि परिवादी ने चोरी गयी मोटर साईकिल की चाबियां विपक्षी को उपलब्‍ध नहीं करायीं, बीमित राशि की आधी धनराशि काट ली और मात्र 14,000/- रूपया (चौदह हजार) बीमा दावा के रूप में भुगतान करने का परिवादी को प्रस्‍ताव किया, जो गलत है। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि चोरी के इस मामले में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी जो न्‍यायालय द्वारा स्‍वीकार की जा चुकी है जैसा कि पत्रावली में अवस्थित न्‍यायालय के आदेश की नकल कागज सं0-3/11 से प्रकट है। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने परिवाद के पैरा सं0-9 की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित करते हुऐ कथन किया कि परिवादी ने चोरी गयी मोटर साईकिल की मूल चाबियां विपक्षी को प्राप्‍त करा दी थी, विपक्षी का यह कहना असत्‍य है कि उन्‍हें चाबियां परिवादी ने नहीं दी।
  10.   विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ने इस बात पर बल दिया कि परिवादी ने चोरी गयी मोटर साईकिल की चाबियां विपक्षी को उपलब्‍ध नहीं करायीं और इस कारण बीमित राशि में से केवल आधी धनराशि का दावा विपक्षी ने स्‍वीकार किया जिसे परिवादी लेने से इन्‍कार कर रहा है। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि चोरी गयी मोटर साईकिल की चाबियां उपलब्‍ध नहीं कराऐ जाने की बजह से परिवादी पूरी बीमा राशि पाने का अधिकारी नहीं है।
  11.   इस प्रकार विवाद पक्षकारों के मध्‍य केवल इस बात का है कि क्‍या परिवादी को पूरी बीमा राशि का भुगतान होना चाहिऐ अथवा विपक्षी द्वारा बीमा राशि के आधे का भुगतान का प्रस्‍ताव किया जाना विधि सम्‍मत है। बहस के दौरान जब हमने विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता से यह जानना चाहा कि किस प्राविधान के अथवा पालिसी की किस शर्त के अधीन बीमा राशि का आधा विपक्षी ने काटा है तो वे कोई प्राविधान अथवा बीमा की कोई शर्त इंगित नहीं कर पाऐ और उनकी ओर से कहा गया कि बीमा राशि का आधा भुगतान भी विपक्षी मानवीयता के आधार पर कर रहा है। हालॉंकि परिवादी को क्‍लेम की कोई राशि नहीं मिलनी चाहिए। हम विपक्षी की ओर से दिऐ गऐ उक्‍त तर्कों से सहमत नहीं हैं। यदि मानवीयता के आधार पर विपक्षी आधी बीमा राशि का भुगतान कर सकता है तो हम यह समझन में असमर्थ हैं कि ऐसी कौन सी बाध्‍यता है जो पूरी बीमा राशि का भुगतान करने से विपक्षी को रोक रही है। परिवादी की मोटर साईकिल चोरी होने पर विपक्षी की ओर से कोई विवाद नहीं किया गया है अन्‍यथा भी न्‍यायालय से चोरी के इस मामले में पुलिस द्वारा प्रेषित अन्तिम रिपोर्ट स्‍वीकार हो चुकी है। प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार परिवादी की मोटर साईकिल दिनांक 07/5/2012 को अपरान्‍ह 12.30 बजे चोरी हुई थी और मात्र 3 घन्‍टे में उसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना सिविल लाइन्‍स, मुरादाबाद पर दर्ज हो गयी ऐसे में यह भी नहीं कहा जा सकता कि परिवादी ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने में देरी कर मोटर साईकिल चोर को भागने का अवसर दिया था। मामले के तथ्‍यों, परिस्थितियों के समग्र मूल्‍यांकन के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवादी द्वारा विपक्षी को मोटर साईकिल की चाबियां उपलब्‍ध करा दी गयी थीं और विपक्षी की ओर से बीमित राशि का केवल आधा अर्थात् 14,000/- रूपया (चौदह हजार) भुगतान करने का प्रस्‍ताव कर परिवादी को सेवा प्रदान करने में कमी की है। परिवादी को पूरी बीमित राशि अर्थात् 28,000/- रूपया ( अठ्ठाईस हजार) अदा की जानी चाहिए। चॅूंकि विपक्षी 14,000/- रूपया (चौदह हजार) रूपया अदा करने का पहले ही प्रस्‍ताव कर चुका है अत: अवशेष राशि 14,000/- रूपया (चौदह हजार) पर परिवादी को ब्‍याज भी दिलाया जाना हम न्‍यायोचित समझते हैं। तदानुसार परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।

 

  •  

  परिवादी विपक्षी से मोटर साईकिल की बीमित धनराशि 28,000/- रूपया (अठ्ठाईस हजार) पाने का अधिकारी है। परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से भुगतान की तिथि तक की अवधि हेतु  14,000/- रूपया (चौदह हजार) की धनराशि पर 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से वह विपक्षी से ब्‍याज भी पाने का अधिकारी होगा। उक्‍त के अतिरिक्‍त परिवादी 2,500/- रूपया ( दो हजार पॉंच सौ) परिवाद व्‍यय भी प्राप्‍त करने का अधिकारी है।  

 

                                                 (सुश्री अजरा खान)                           (पवन कुमार जैन)

                                                          सदस्‍य                                           अध्‍यक्ष

  •                                 0उ0फो0-।। मुरादाबाद                    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

                                                21.05.2015                                          21.05.2015

  हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 21.05.2015 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

                                           (सुश्री अजरा खान)                         (पवन कुमार जैन)

                                                 सदस्‍य                                          अध्‍यक्ष

  •                          0उ0फो0-।। मुरादाबाद                      जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

                                         21.05.2015                                     21.05.2015

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. P.K Jain]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Azra Khan]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.