Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/184/1998

Shri Rishi Pal Singh - Complainant(s)

Versus

United India Insurance Company - Opp.Party(s)

16 Mar 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/184/1998
 
1. Shri Rishi Pal Singh
R/o Village & Post Lakari Fazalpur, Thana Majhola, Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. United India Insurance Company
Add:- Divisional Office Civil Lines Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन-अध्‍यक्ष।

  1.    इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने यह उपशम मॉंगा है कि विपक्षीगण से उसे मोटर दुर्घटना दावे की धनराशि 60,410/- रूपया 58 पैसे 24 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित दिलाई जाये। मानसिक कष्‍ट की मद में 25,000/- रूपया क्षतिपूर्ति तथा परिवाद व्‍यय की मद में 5,000/- रूपया परिवादी ने अतिरिक्‍त मांगे है।
  2.   यह पत्रावली मा0 राज्‍य आयोग के प्रशासनिक आदेश दिनांक 17 जून, 2015 (पत्रावली का कागजसं0-15/1) के अनुपालन रिकन्‍सट्रक्‍ट हुई है क्‍योंकि मूल पत्रावली वीड आउट हो चुकी थी।
  3.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी टाटा 407 सं0- यू0पी0 20 ए/2600 का मालिक है। दिनांक 05/6/1997 की प्रात: लगभग 9
  4. बजे मुरादाबाद-स्‍योहारा रोड पर परिवादी का यह ट्रक दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया। यह ट्रक दिनांक 15/71996 से 14/7/1997 तक की अवधि हेतु विपक्षी सं0-3 से बीमित था। परिवादी ने नियमानुसार दुर्घटना की सूचना भेजी और समस्‍त औपचारिकताऐं पूरी की। स्‍पाट सर्वे हो चुका है। स्‍पाट सर्वेयर अमित पूठिया  ने परिवादी से अनुचित धनराशि की मांग की जिसकी परिवादी ने लिखित  शिकायत दिनांक 13/6/1997 को विपक्षीगण को दी, किन्‍तु विपक्षीगण ने  कोई कार्यवाही नहीं की और अनुरोध के बावजूद गाड़ी का फाइनल सर्वे भी  नहीं कराया। दिनांक 19/8/1997 को परिवादी ने फाइनल सर्वे के लिए  विपक्षीगण को  पुन: सूचना दी  जिसका गलत  उत्‍तर  विपक्षीगण ने  दिनांक 23/8/1997 को आवेदक को भेजा। परिवादी का आरोप है कि विपक्षी सं0-1  व 2 ने अनुरोध के बावजूद फाइनल सर्वे हेतु सर्वेयर की नियुक्ति नहीं की।  दुर्घटना चूँकि मुरादाबाद क्षेत्र में हुई थी अत: फाइनल सर्वे कराने की  जिम्‍मेदारी विपक्षी सं0-1 व 2 की थी, किन्‍तु उन्‍होंने फाइनल सर्वे नहीं कराया। विवश होकर परिवादी ने अपने स्‍तर से सर्वेयर श्री हरप्रसाद से फाइनल सर्वे कराया जिसकी रिपोर्ट दिनांक 10/10/1997 को प्राप्‍त हुई। सर्वे ने कटौतियों के पश्‍चात् देय क्षतिपूर्ति की धनराशि 60,410/- रूपया 58 पैसा आगणित की। परिवादी ने  फाइनल सर्वे रिपोर्ट तथा फोटो सहित अन्‍य कागजात विपक्षी सं0-2 को दिऐ, किन्‍तु कुछ दिनों बाद विपक्षी सं0-2 ने उन्‍हें परिवादी को वापिस कर  दिया और परिवादी को अपने अधिवक्‍ता द्वारा गलत जबाव नोटिस दिनांकित 19/11/1997 भिजवाया। परिवादी के अनुसार विपक्षीगण का दायित्‍व था कि  वे दुर्घटनाग्रस्‍त वाहन की क्षतिपूर्ति के सम्‍बन्‍ध में नियमानुसार कार्यवाही करते,  किन्‍तु विपक्षीगण ने कार्यवाही करने में लापरवाही दिखाई और इस प्रकार सेवा में कमी की। परिवादी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्‍वीकार किऐ  जाने की प्रार्थना की।
  5.  विपक्षी सं0-1व 2 ने अपना संयुक्‍त  प्रतिवाद पत्र कागज सं0-7/1  लगायत 7/3 दाखिल किया जिसके साथ उन्‍होंने परिवादी को अपने अधिवक्‍ता द्वारा भिजवाऐ गऐ जबाव नोटिस दिनांक 05/11/1997 की नकल बतौर संलग्‍नक  दाखिल की। विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से प्रतिवाद पत्र में ट्रक का स्‍पाट  सर्वे कराया जाना, परिवाद के पैरा सं0-6 में उल्लिखित कथनों का उत्‍तर देना  तथा अपने अधिकवक्‍ता  श्री एस0के0 सेठ द्वारा परिवादी को जबाव नोटिस भिजवाया जाना तो स्‍वीकार किया गया है, किन्‍तु शेष परिवाद कथनों एवं  परिवाद में विपक्षीगण पर लगाऐ गऐ आरोपों से इन्‍कार किया गया। विशेष कथनों में कहा गया है  कि परिवादी के ट्रक का बीमा विपक्षी सं0-3 से हुआ था। विपक्षी सं0-3 मुरादाबाद मण्‍डलीय क्षेत्र में नहीं आती बल्कि बिजनौर शाखा बीमा कम्‍पनी के सहारनपुर मण्‍डलीय क्षेत्र में आती। विपक्षी सं0-1 व 2 को ट्रक का फाइनल सर्वे कराने का कोई अधिकार नहीं था। स्‍पाट सर्वे कराने के बाद  समस्‍त प्रपत्र उन्‍होंने विपक्षी सं0-3 को भेज दिऐ थे। फाइनल सर्वे कराने का  अधिकार विपक्षी सं0-3 को था। विपक्षी सं0-1 व 2 के विरूद्ध जो भी आरोप  लगाऐ गऐ हैं वे नि:तान्‍त असत्‍य और रंजिशन लगाऐ गऐ हैं। अग्रेत्‍तर यह  भी कथन किया गया कि फाइनल सर्वे श्री हरप्रसाद से कराने का परिवादी को कोई अधिकार नहीं था। श्री हरप्रसाद सर्वेयर और परिवादी आपस में  रिश्‍तेदार और हमसाज हैं। सर्वेयर हरप्रसाद की सर्वे रिपोर्ट स्‍वीकार किऐ जाने योग्‍य नहीं है। विपक्षी सं0-1 व 2 ने यह कहते हुऐ कि उन्‍होंने परिवादी को  अपनी सेवायें देने में किसी प्रकार की कोई कमी अथवा त्रुटि नहीं की, परिवाद को सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की। 
  6.   विपक्षी सं0-3 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-20/1 लगायत 20/5  दाखिल किया गया जिसमें विपक्षी सं0-1 व 2 द्वारा प्रतिवाद पत्र में किऐ  गऐ अभिकथनों की पुनरावृत्ति करते हुऐ और यह कहते हुऐ कि सर्वेयर श्री हरप्रसाद से परिवादी ने जो फाइनल सर्वे कराया है वह परिवादी ने स्‍व: स्‍तर से कराया है और उन्‍हें उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-3 ने फाइनल सर्वे हेतु नामित नहीं किया था अत: उनकी रिपोर्ट स्‍वीकार किऐ जाने योग्‍य नहीं है,  परिवाद को सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
  7.   परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-22/1 लगायत 22/7  दाखिल किया जिसके साथ उसने अपने दुर्घटनाग्रस्‍त वाहन की आर0सी0,  बीमा कवरनोट, विपक्षी सं0-1 को भेजे गऐ शिकायती पत्र दिनांकित 15/6/1997, फाइनल सर्वे कराने हेतु विपक्षी सं0-2 को प्राप्‍त कराऐ गऐ पत्र दिनांकित 19/8/1997, विपक्षी सं0-2 की ओर से परिवादी को प्राप्‍त पंजीकृत पत्र दिनांक 21/8/1997, सर्वेयर श्री हरप्रसाद की सर्वे रिपोर्ट, दुर्घटना के  सम्‍बन्‍ध में थाना कॉंठ को दी गई तहरीरी  रिपोर्ट तथा  दुर्घटनाग्रस्‍त ट्रक के फोटोग्राफस की नकलों को बतौर संलग्‍नक दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-22/8 लगायत 22/39 हैं ।
  8.   विपक्षीगण की ओर से मुरादाबाद मण्‍डल के वरिष्‍ठ मण्‍डलीय प्रबन्‍धक  श्री लवलीन अवस्‍थी का साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-23/1 लगायत 23/6  दाखिल हुआ।
  9.   किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
  10.   हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्को को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
  11.    पक्षकारों के मध्‍य इस बिन्‍दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादी का  ट्रक सं0-यूपी20 ए/2600 दिनांक 15/7/1996 से 14/7/1997 तक की अवधि हेतु यूनाईटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड की बिजनौर शाखा-विपक्षी सं0-3 से बीमित था। परिवादी के अनुसार उक्‍त ट्रक दिनांक 05/6/1997 को दुर्घटनाग्रस्‍त हुआ था। पत्रावली में अवस्थित तहरीरी रिपोर्ट की नकल कागज सं0-22/32 के अनुसार दुर्घटना वाले दिन ही परिवादी के ट्रक चालक ने थाना कॉंठ पर दुर्घटना की लिखित रिपोर्ट दे दी थी। विपक्षीगण की ओर से ऐसा  कोई कथन नहीं किया गया है कि बीमा कम्‍पनी को दुर्घटना की सूचना देने  में परिवादी ने कोई विलम्‍ब किया था। विपक्षीगण को यह भी स्‍वीकार है कि  दुर्घटना की सूचना मिलने पर विपक्षीगण संख्‍या-1 व 2 ने सर्वेयर श्री अमित पूठिया से  स्‍पाट सर्वे कराया था। विपक्षी सं0-1 व 2 के अनुसार परिवादी का बीमा चॅूंकि बिजनौर शाखा से था अत: फाइनल सर्वे कराने का अधिकार विपक्षी सं0-3 को  था और विपक्षी सं0-1 अथवा विपक्षी सं0-2 को दुर्घटनाग्रस्‍त गाड़ी का फाइनल सर्वे कराने का कोई अधिकार नहीं था। स्‍वीकृत रूप से गाड़ी का फाइनल सर्वे  परिवादी ने स्‍व: स्‍तर से सर्वेयर श्री हरप्रसाद से कराया जैसा कि पत्रावली में  अवस्थित सर्वे रिपोर्ट (पत्रावली का पृष्‍ठ सं0-22/17) में सर्वेयर ने उल्‍लेख  किया है। परिवादी ने स्‍वयं भी अपने परिवाद के पैरा सं0-8 में इस तथ्‍य को  स्‍वीकार किया है कि दुर्घटनाग्रस्‍त ट्रक का फाइनल सर्वे श्री हरप्रसाद सर्वेयर से उसने स्‍वयं कराया था।
  12.   विवाद केवल इस बिन्‍दु पर है कि सर्वेयर श्री हरप्रसाद की सर्वे रिपोर्ट दिनांकित 10/10/1997 जिसकी नकल पत्रावली का कागज सं0-22/13 लगायत 22/39 है, साक्ष्‍य में ग्राहय है अथवा नहीं। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि बार-बार अनुरोध के बावजूद जब विपक्षी सं0-1 व 2 ने उसके ट्रक  का फाइनल सर्वे नहीं कराया तो मजबूर होकर उसने सर्वेयर श्री हरप्रसाद से  फाइनल सर्वे कराया था। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार श्री हरप्रसाद एप्रूव्‍ड सर्वेयर हैं और उन्‍होंने सर्वे रिपोर्ट में किसी प्रकार की कोई  त्रुटि नहीं की। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने प्रत्‍युत्‍तर में यह तो कहा  कि श्री हरप्रसाद को विपक्षीगण ने फाइनल सर्वे हेतु नामित नहीं किया था,   किन्‍तु श्री हरप्रसाद द्वारा दी गई सर्वे रिपोर्ट में कोई त्रुटि वे इंगित नहीं कर  पाऐ। हमने श्री हरप्रसाद सर्वेयर की सर्वे रिपोर्ट का अवलोकन किया तो पाया कि सर्वे रिपोर्ट नियमानुसार तैयार की गई है और डिप्रिसिऐशन इत्‍यादि काट  कर 60410/- रूपये 58 पैसे की उन्‍होंने देयता आगणित की है। श्री हरप्रसाद ने अपनी रिपोर्ट में साल्‍वेज वैल्‍यू 2410/- रूपया 58 पैसे बताई है। चॅूंकि सर्वेयर श्री हरप्रसाद की सर्वे रिपोर्ट में किसी प्रकार की कोई त्रुटि न तो हमने पाई और न ही कोई त्रुटि विपक्षीगण ने इंगित की अत: इस सर्वे रिपोर्ट को  हम स्‍वीकार करते हैं।
  13.   सर्वे रिपोर्ट में इंगित साल्‍वेज वैल्‍यू 2410/- रूपया 58 पैसा को घटाते  हुऐ देय राशि 58,000/- रूपया बनती है जो हमारे अभिमत में विपक्षी सं0-3  द्वारा परिवादी को अदा की जानी चाहिऐ।
  14.   यह परिवाद दिनांक 17/3/1998 को योजित हुआ था। दिनांक 30/5/2000 को यह खारिज हो गया। दिनांक 05/12/2000 के आदेश से  परिवाद पुर्नस्‍थापित हो गया। पुर्नस्‍थापन आदेश को विपक्षीगण ने फोरम के  समक्ष चुनौती दी और दोनों पक्षों को सुनने के उपरान्‍त फोरम ने परिवाद पुर्नस्‍थापित किऐ जाने सम्‍बन्‍धी आदेश दिनांक 05/12/2000 को अपने आदेश दिनांक 10/7/202 से निरस्‍त कर  दिया। दिनांक 10/7/2002 के आदेश के विरूद्ध मा0 राज्‍य आयोग के समक्ष परिवादी ने अपील योजित की जैसा कि पत्रावली में अवस्थित मा0 राज्‍य  आयोग के आदेश कागज सं0- 13/1 के अवलोकन से  प्रकट है। मा0 राज्‍य  आयोग ने फोरम द्वारा पारित आदेश दिनांक 10/7/2002 को अपास्‍त कर  दिया। मा0 राज्‍य आयोग का यह निर्णय दिनांक 25/10/2013 का है। इस  प्रकार प्रकट है कि दिनांक 10/7/2002 से मा0 राज्‍य आयोग द्वारा अपील में पारित निर्णय की तिथि 25/10/2013 तक की अवधि में परिवाद के  निस्‍तारण में हुई देरी विपक्षीगण की वजह से नहीं हुई। हमारे अभिमत में दिनांक 10/7/2002 से 25/10/2013 तक की अवधि हेतु विपक्षीगण से परिवादी को ब्‍याज दिलाऐ जाने का कोई औचित्‍य नहीं है। परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्‍तविक  वसूली की अवशेष अवधि हेतु 58,000/-(अठ्ठावन हजार रूपया) की धनराशि पर विपक्षी सं0-3 से परिवादी को हम 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज भी दिलाया जाना न्‍यायोचित समझते हैं। परिवाद व्‍यय की मद में परिवादी को विपक्षी सं0-3 से 2500/- रूपया अतिरिक्‍त  दिलाया जाना चाहिऐ। तदानुसार परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।

 

आदेश्‍

        दिनांक 10/7/2002 से 25/10/2013 तक की अवधि को छोड़कर परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्‍तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित 58,000/- (अठ्ठावन हजार रूपया) की  वसूली हेतु यह परिवाद परिवादी के पक्ष में, विपक्षी सं0-3 के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। परिवाद व्‍यय की मद में परिवादी विपक्षी सं0-3 से 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) अतिरिक्‍त पाने का अधिकारी होगा। समस्‍त धनराशि की अदायगी इस आदेश की तिथि से दो माह के भीतर की  जाये। 

     

            (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)           (पवन कुमार जैन)

                सामान्‍य सदस्‍य                  अध्‍यक्ष

           जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद         जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

                  16.03.2016                16.03.2016

         हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 16.03.2015 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

     

                (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)           (पवन कुमार जैन)

                  सामान्‍य सदस्‍य                  अध्‍यक्ष

           जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद         जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

                  16.03.2016                16.03.2016

     

     

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