ORDER | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम से परिवादीगण ने अनुरोध किया है कि विपक्षीगण से उन्हें उनका खोया हुआ ट्रैक्टर दिलाया जाऐ अथवा विकल्प में विपक्षीगण से उन्हें 4,28,846/- रूपये दिलाऐ जाऐं। कृषि कार्य के नुकसान की मद में क्षतिपूर्ति के रूप में 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 4,50,000/- रूपया तथा मानसिक क्षति के रूप में 1,00,000/- रूपये एवं परिवाद व्यय परिवादीगण ने अतिरिक्त मांगा है।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादीगण ट्रैक्टर सं0 यू0पी0 -20-एस- 9796 के पंजीकृत स्वामी हैं। विपक्षी सं0-1 से यह ट्रैक्टर दिनांक 20/05/2010से 19/05/2011 की अवधि हेतु बीमित था दिनांक 02/11/2010 को परिवादीगण का भांजा अक्षित गौड़ ट्रैक्टर से सामान लेने हेतु सम्भल गया था। शाम को लगभग 7 बजे जब सम्भल से वह पाकबड़ा की तरफ वापिस आ रहा था तो सैन्दरी चौराहे के पास ट्रैक्टर खराब हो गया काफी प्रयास के बाद भी वह स्टार्ट नहीं हुआ तो अक्षित गौड़ ट्रैक्टर को वहीं छोड़कर मिस्त्री की तलाश में पाकबड़ा आया, किन्तु उसे मिस्त्री नहीं मिला। जब अक्षित गौड़ ट्रैक्टर के स्थान पर वापिस गया तो उसे ट्रैक्टर वहॉं नहीं मिला। उसने ट्रैक्टर की काफी तलाश की, किन्तु ट्रैक्टर का कुछ पता नहीं चल पाया। अक्षित गौड़ रिपोर्ट लिखाने थाना पाकबड़ा गया, किन्तु वहॉं उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी गई। अगले दिन परिवादीगण ने विपक्षी सं0-1 को सूचना दी, किन्तु उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की। परिवादीगण के भांजे ने डी0आई0जी0 एवं एस0एस0पी0 को प्रार्थना पत्र दिये इसके बावजूद पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की। मजबूर होकर अक्षित गौड़ ने धारा 156 (3) सी0आर0पी0सी0 के अधीन न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया जिस पर न्यायालय के आदेश से दिनांक 01/12/2010 को थाना पाकबड़ा पर ट्रैक्टर चोरी की रिपोर्ट लिखी गई। परिवादीगण का अग्रेत्तर कथन है कि उन्होंने विपक्षीगण को लिखित नोटिस के माध्यम से भी घटना की बाबत अवगत कराया और कई बार मौखिक सूचना भी उन्हें दी, किन्तु विपक्षीगण ने ट्रैक्टर की कीमत का भुगतान परिवादीगण को नहीं किया। ट्रैक्टर के बिना परिवादीगण का कृषि कार्य बाधित हो रहा है उन्होंने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष विपक्षीगण से दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद के समर्थन में परिवादीगण ने अपना संयुक्त शपथ पत्र कागज सं0-3/4 प्रस्तुत किया। शपथ पत्र के साथ उन्होंने विपक्षी सं0-1 को भेजे गऐ पंजीकृत नोटिस की फोटो प्रति, ट्रैक्टर की सेल इनवायस तथा दिनांक 20/05/2009 से 19/05/2010 की अवधि हेतु ट्रैक्टर की बीमा पालिसी की फोटो प्रति को दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0- 3/5 लगायत 3/9 हैं। इनके अतिरिक्त परिवादीगण ने धारा-156 (3) सी0आर0पी0सी0 के अधीन न्यायलय में दिऐ गऐ प्रार्थना पत्र, थाना पाकबड़ा में दिनांक 01/12/2010 को दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट, न्यायालय में प्रेषित फाइनल रिपोर्ट तथा फाइनल रिपोर्ट स्वीकृत किऐ जाने सम्बन्धी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, मुरादाबाद के आदेश दिनांक 18/11/2010 की फोटो प्रतियों को परिवादीगण ने दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/10 लगायत 3/14 हैं।
- विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से संयुक्त प्रतिवाद पत्र कागज सं0-7/1 लगायत 7/3 दाखिल हुआ। प्रतिवाद पत्र में कहा गया अभिकथित दुर्घटना की तिथि बीमा अवधि में कवर नहीं है, परिवादीगण को परिवाद योजित करने का कोई वाद हेतुक उत्पन्न नहीं हुआ। विपक्षीगण ने अग्रेत्तर कहा कि दिनांक 02/11/2010 की चोरी की घटना की सूचना बीमा कम्पनी को 12/1/2011 को अत्याधिक विलम्ब से दी गई ऐसा करके परिवादीगण ने बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया। अग्रेत्तर यह भी कहा गया कि परिवादीगण ने ट्रैक्टर को मिस्त्री की तलाश में अनएटेन्डिट छोड़ दिया था ऐसा करके उन्होंने बीमा पालिसी के अन्तर्गत स्पेशल कन्डीशन के पैरा सं0-1 का उल्लंघन किया। विपक्षीगण ने यह कहते हुऐ कि बीमा पालिसी की शर्तों के उल्लंधन के कारण दिनांक 09/01/2012 के पत्र द्वारा परिवादीगण का क्लेम अस्वीकृत किया जा चुका है, परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
- परिवादीगण ने साक्ष्य में अपना संयुक्त शपथ पत्र कागज सं0-8/1 लगायत 8/5 दाखिल किया। विपक्षीगण की ओर से यूनाईटेड इण्डिया इश्योरेंस कम्पनी लि0 धामपुर के शाखा प्रबन्धक श्री शिव कुमार सिंह ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0- 9/1 लगायत 9/4 दाखिल किया। इस साक्ष्य शपथ पत्र के साथ संलग्नक के रूप में परिवादीगण की ओर से विपक्षीगण को प्राप्त ट्रैक्टर चोरी की सूचना के पत्र, दिनांक 20/05/2009 से 19/05/2010 तक की अवधि हेतु ट्रैक्टर की बीमा पालिसी तथा क्लेम अस्वीकृति के पत्र दिनांक 09/01/2012 की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-9/5 लगायत 9/7 हैं।
- पक्षकारों ने अपनी-अपनी लिखित बहस दाखिल की।
- जब पत्रावली मौखिक बहस में नियत हुई तो परिवादीगण की ओर से परिवाद के पैरा सं0-3 में संशोधन हेतु संशोधन प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया। इस संशोधन प्रार्थना पत्र के माध्यम से परिवादीगण ने परिवाद पत्र के पैरा सं0-3 में फोरम के आदेश से संशोधन किया। इस संशोधन द्वारा बीमा पालिसी की संख्या और बीमा पालिसी प्रारम्भ होने की तिथि को दुरूस्त किया गया। परिवाद में किऐ गऐ इस संशोधन के उपरान्त विपक्षीगण को अतिरिक्त प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया। विपक्षीगण ने अतिरिक्त प्रतिवाद पत्र कागज सं0- 27/1 लगायत 27/2 प्रस्तुत किया जिसके साथ उन्होंने प्रश्नगत ट्रैक्टर की दिनांक 20/05/2010 से 19/05/2011 की अवधि की बीमा पालिसी दाखिल की, यह बीमा पालिसी पत्रावली का कागज सं0-27/3 है। इस अतिरिक्त प्रतिवाद पत्र में विपक्षीगण ने ट्रैक्टर चोरी की तिथि पर पालिसी की शर्तों के अधीन ट्रैक्टर का बीमा होना स्वीकार किया गया और अग्रेत्तर कथन किया कि चोरी की लिखित सूचना परिवादीगण ने विपक्षीगण को 2 माह से भी अधिक विलम्ब से तथा प्रथम सूचना रिपोर्ट घटना के लगभग एक माह विलम्ब से कराया जाना इंगित करते हुऐ कथन किया कि परिवादीगण ने बीमा पालिसी की शर्त सं0-1 का उल्लंघन किया जिस कारण वे बीमा क्लेम पाने के अधिकारी नहीं हैं।
- परिवादीगण ने पुन: अपनी लिखित बहस दाखिल की।
- हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादीगण का ट्रैक्टर दिनांक 02/11/2010 को सायंकाल लगभग 7 बजे सम्भल-पाकबड़ा मार्ग पर सैन्दरी चौराहे के पास चोरी हो गया था। उक्त ट्रैक्टर दिनांक 20/5/2010 से 19/5/2011 तक की अवधि हेतु विपक्षी सं0-1 से बीमित था। इस चोरी की प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना पाकबड़ा में दर्ज कराई गई थी और इस चोरी की सूचना विपक्षीगण को भी दे दी गई थी इसके बावजूद उन्होंने बीमा राशि का भुगतान परिवादीगण को नहीं किया और ऐसा करके सेवा में कमी की। परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष विपक्षीगण से दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- प्रत्युत्तर में विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादीगण ने कथित चोरी की रिपोर्ट थाना पाकबड़ा में चोरी की घटना के लगभग एक माह बाद दर्ज कराई तथा विपक्षीगण को इस चोरी की सूचना चोरी के लगभग 2 माह 10 दिन बाद दी। अतिरिक्त यह भी तर्क दिया गया कि ट्रैक्टर चला रहे अक्षित गौड़ ने ट्रैक्टर को सम्भल-पाकबड़ा मार्ग पर सैन्टरी चौराहे के पास अनएटेन्डिड छोड़ दिया। इस प्रकार परिवादीगण ने बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया जिस कारण विपक्षीगण द्वारा उनका बीमा दावा अस्वीकृत कर दिया गया और बीमा दावा अस्वीकृत किऐ जाने की सूचना पत्र दिनांक 09/1/2012 (कागज सं0-9/7) द्वारा परिवादीगण को भेजी जा चुकी है। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता के अनुसार बीमा शर्तों के उल्लंधन के आधार पर परिवादीगण का बीमा दावा अस्वीकृत करके विपक्षीगण ने कोई त्रुटि नहीं की। उन्होंने परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता ने विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत तर्कों का जबाब देते हुऐ कथन किया कि चोरी की घटना दिनांक 02/11/2010 की है। अक्षित गौड़ ने उसी दिन थाना पाकबड़ा जाकर चोरी की सूचना दे दी थी, किन्तु पुलिस ने रिपोर्ट नहीं लिखी। परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता का अग्रेतत्र कथन है कि अगले दिन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और पुलिस उप महानिरीक्षक को पंजीकृत डाक से चोरी की इस घटना से अवगत कराया गया था। इसके बावजूद भी पुलिस ने उनकी रिपोर्ट नहीं लिखी तब अक्षित गौड़ के धारा-156 (3) सी0आर0पी0सी0 के अधीन न्यायालय में दिऐ गऐ प्रार्थना पत्र के आधार पर न्यायालय के आदेश से दिनांक 01/12/2010 को थाना पाकबड़ा में चोरी की रिपोर्ट दर्ज हुई। इन तथ्यों के आधार पर परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि परिवादीगण के स्तर से चोरी की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराने में कोई विलम्ब नहीं किया गया, जो भी देरी हुई वह पुलिस के स्तर से है जिसके लिए परिवादीगण को उत्तरदायी नहीं ठहराया जाना चाहिए। बीमा कम्पनी को चोरी की सूचना दिऐ जाने के सन्दर्भ में परिवादीगण की ओर से कहा गया है कि घटना से अगले दिन परिवादीगण ने विपक्षी सं0-1 को सूचित कर दिया था, किन्तु विपक्षीगण ने उन्हें कोई जबाब नहीं दिया तब उन्होंने लिखित नोटिस के माध्यम से विपक्षीगण को घटना से अवगत कराया। परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता ने इन कथनों के आधार पर कहा कि विपक्षीगण को चोरी की सूचना देने में भी परिवादीगण ने कोई विलम्ब नहीं किया है। ट्रैक्टर को सैन्दरी चौराहे पर कथित रूप से अनएटेन्डिड छोड़ जाने के सम्बन्ध में परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि ट्रैक्टर अचानक खराब हुआ था, ट्रैक्टर चला रहा अक्षित गौड़ अकेला था मजबूरन उसे मिस्त्री की तलाश में पाकबड़ा जाना पड़ा। परिवादीगण की ओर से यह भी कहा गया कि सैन्दरी चौराहा जहॉं ट्रैक्टर खराब हुआ था सुनसान जगह नहीं है बल्कि वहां लगातार आवाजाही रहती है। इस प्रकार परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता ने इस ट्रैक्टर अनएटेन्डिड छोड़ दिऐ जाने सम्बन्धी विपक्षीगण के आरोपों को भी आधारहीन एवं गलत ठहराने का प्रयास किया। परिवादीगण की ओर से अग्रेत्तर यह भी कथन किया गया कि यदि तर्क के तौर पर यह भी मान लिया जाये कि चोरी की प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखाने में और विपक्षीगण को लिखित सूचना देने में कुछ विलम्ब हुआ है तब भी विपक्षीगण द्वारा परिवादीगण का क्लेम पूरी तरह अस्वीकृत नहीं किया जा सकता था, विपक्षीगण को चाहिए था कि वे कम से कम बीमा राशि की 75 प्रतिशत राशि बतौर क्लेम परिवादीगण को अदा करते, किन्तु विपक्षीगण ने ऐसा नहीं किया। परिवादीगण के अनुसार विपक्षीगण ने इस प्रकार परिवादीगण का दावा खारिज करके तथ्यात्मक और विधिक त्रुटि की। अपने उक्त तर्कों के समर्थन में परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा निम्न निर्णयज विधियों का अवलम्ब लिया गया:-
(1) (2008) ।। एस0सी0सी0 पेज 256, नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम नितिन खण्डेलवाल ........(मा0 सर्वोच्च न्यायालय) (2) 2012 (1) सी0पी0आर0 पृष्ठ-30, नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम नीरज सिंह ....... (मा0 छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, रायपुर) (3) 2012 (4) सी0पी0आर0 पृष्ठ-218, शंकर चक्रवर्ती बनाम न्यू इडिया एश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड........(मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली) (4) 2012 (4) सी0पी0आर0 पृष्ठ-328, नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम श्री मयूर राज सिंह .........( मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष - , नई दिल्ली)
- 13. उपरोक्त क्रमांक-4 पर उल्लिखित मयूर राज सिंह की निर्णयज विधि के अतिरिक्त शेष रूलिग्स वर्तमान मामले में परिवादीगण की कोई सहायता नहीं करती।
- 14. मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 17/08/2010 को निर्णीत सिविल अपील सं0-6739/2010 ओरियन्टल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम परवेश चन्द्र चड्ढ़ा के मामले में यह व्यवस्था दी गई है कि यदि चोरी की सूचना बीमा कम्पनी को लिखित रूप में देने में तथा पुलिस में प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखाऐ जाने में बीमित की ओर से विलम्ब किया गया हो तो यह बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन है और ऐसे मामले में नॉन स्टैन्डर्ड बेसिस पर बीमित व्यक्ति को बीमित राशि के 75 प्रतिशत के भुगतान के आदेश दिया जाना गलत है। मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने परवेश चन्द्र चड्ढ़ा की इस निर्णयज विधि में यह निर्णीत किया है कि इस तरह के मामलों में बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम अस्वीकृत किया जाना गलत नहीं है। परवेश चन्द्र चड्ढ़ा की इस निर्णयज विधि के दृष्टिगत परिवादीगण की ओर से उधृत उपर्युक्त क्रमांक -1, 2 व 3 पर उल्लिखित निर्णय विधियां वर्तमान मामले में परिवादीगण के लिए सहायक नहीं हैं। जहां तक क्रमाक -4 पर उल्लिखित मयूर राज सिंह की रूलिग का प्रश्न है इस मामले में मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा यह अवधारित किया गया है कि बीमित व्यक्ति द्वारा किसी सूनसान जगह पर अपने वाहन को छोड़ दिया जाना प्रत्येक परिस्थिति में वर्जित नहीं है अक्षित गौड़ द्वारा अचानक खराब हुऐ ट्रैक्टर को सायंकाल लगभग 7 बजे सैन्दरी चौराहे पर, जो एकदम सूनसान स्थल नहीं है, मिस्त्री की तलाश हेतु छोड़कर चला जाना अपने आप में ऐसा कारक नहीं है जिसके आधारपर बीमा क्लेम अस्वीकृत किया जाना उचित माना जा सके।
- 15. जहां तक प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखाऐ जाने में और चोरी की लिखित सूचना बीमा कम्पनी को दिऐ जाने में विलम्ब का प्रश्न है इस सम्बन्ध में पत्रावली पर जो साक्ष्य सामग्री उपलब्ध है उससे प्रकट है कि चोरी की रिपोर्ट थाना पाकबड़ा पर चोरी की घटना के लगभग एक माह बाद दिनांक 01/12/2010 को तथा चोरी की लिखित सूचना बीमा कम्पनी को चोरी की घटना के लगभग 2 माह 10 दिन बाद दिनांक 12/1/2011को दी गई थी। प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखाऐ जाने और बीमा कम्पनी को लिखित सूचना देने में विलम्ब कारित करके परिवादीगण ने बीमा पालिसी की शर्त सं0-5 जो पत्रावली में अवस्थित पालिसी डाकुमेंट के पृष्ठ सं0-14/4 पर दृष्टव्य है, का उल्लंघन किया है। परिवादीगण की ओर से यधपि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने में हुऐ विलम्ब का यह कहकर स्पष्टीकरण देने का प्रयास किया गया है कि चोरी वाले दिन थाना पाकबड़ा जाने और अगले दिन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/ डी0आई0जी0 को पंजीकृत डाक से चोरी की रिपोर्ट भेजे जाने के बावजूद पलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की, किन्तु परिवादीगण की ओर से दिया गया यह स्पष्टीकरण आधारहीन है क्योंकि परिवादीगण इसे प्रमाणित नहीं कर पाऐ हैं। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अथवा डी0आई0जी0 को कथित रूप से भेजे गऐ पत्रों की नकल अथवा उन्हें भेजे जाने की डाकखाने की रसीद परिवादीगण ने दाखिल नहीं की है। ऐसी दशा में परिवादीगण की ओर से दिया गया उक्त स्पष्टीकरण स्वीकार किऐ जाने योग्य नहीं है।
- 16. पत्रावली में अवस्थित सूचना पत्रक की नकल कागज सं0-9/5 के अवलोकन से प्रकट है कि चोरी की लिखित सूचना परिवादीगण ने विपक्षी सं0-1 को दिनांक 12/01/2011 को दी थी। परिवादीगण की ओर से यधपि विपक्षीगण को कथित रूप से भेजे गऐ नोटिस की नकल कागज सं0-3/5 व 3/6 को दाखिल किया गया है, किन्तु इस नकल नोटिस पर न तो कोई तिथि अंकित है और न ही डाकखाने की मोहर से स्पष्ट हो पा रहा है कि यह नोटिस विपक्षीगण को कब भेजा गया। यह भी प्रमाणित नहीं है कि यह नोटिस विपक्षीगण को प्राप्त हो गया था। ऐसी दशा में नकल नोटिस कागज सं0-3/5 व 3/6 के माध्यम से विपक्षीगण को चोरी की लिखित सूचना तत्काल प्राप्त होना प्रमाणित नहीं है। परिवादीगण की ओर से चोरी से अगले दिन विपक्षीगण को सूचित किऐ जाने के भी कथन किऐ गऐ हैं, किन्तु इनके समर्थन में परिवादीगण की ओर से कोई ऐसा अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया गया जिससे यह प्रमाणित हो कि चोरी से अगले दिन परिवादीगण ने विपक्षीगण को चोरी की सूचना दे दी थी।
- 17. उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि ट्रैक्टर चोरी की सूचना विपक्षीगण को देने में परिवादीगण के स्तर से लगभग 2 माह 10 दिन का और पुलिस में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने में लगभग एक माह का विलम्ब किया गया है और ऐसा करके परिवादीगण ने बीमा पालिसी की शर्त सं0-5 का उल्लघन किया है जिस कारण विपक्षीगण ने परिवादीगण का बीमा दावा अस्वीकृत करके कोई त्रुटि नहीं की। निष्कर्षत: परिवाद खारिज होने योग्य है।
परिवाद खारिज किया जाता है। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद 28.11.2015 28.11.2015 28.11.2015 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 28.11.2015 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
28.11.2015 28.11.2015 28.11.2015 | |