ORDER | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने अनुरोध किया है कि मारूति वैन में हुऐ नुकसान की मद में उसे 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित क्लेम राशि 81,198/- रूपया विपक्षी से दिलायी जाय। मानसिक पीड़ा की मद में 50,000/- रूपया, परिवाद व्यय की मद में 5,000/- रूपया और आवागमन की मद में 3,000/- रूपया परिवादी ने अतिरिक्त माँगा है।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने दिनांक 21/01/2011 से 20/01/2012 तक की अवधि हेतु अपनी मारूति वैन संख्या-यू0पी014 एए/ 2267 का 90,000/- रूपये का बीमा पालिसी सं0- 250701/31/10/01/00002715 के द्वारा विपक्षी से कराया था। दिनांक 07-5-2011 को जब वह अपने घर से सम्भल जा रहा था तो रास्ते में रेलवे क्रासिंग के पास अचानक सामने से भैंस आने की बजह से परिवादी की वैन असन्तुलित होकर पेड़ से टकरा गयी और गाड़ी में काफी नुकसान हुआ। इस दुर्घटना की सूचना थाना मैनाठेर की जी0डी0 में दिनांक 08/05/2011 को दर्ज हुई। दिनांक 08/05/2011 को ही परिवादी ने बीमा कम्पनी को दुर्घटना की सूचना दी। दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी का विपक्षी ने निरीक्षण कराया। परिवादी से जो भी कागजात मॉंगे गये वे उसने विपक्षी को उपलब्ध कराऐ। परिवादी ने अपनी गाड़ी को ठीक कराने में 81,198/- रूपये खर्च किऐ। गाड़ी के सभी कागजात और परिवादी का ड्राईविंग लाईसेंस बैध है गाड़ी परिवादी चला रहा था। बार-बार अनुरोध के बावजूद विपक्षी ने बीमा दावे का भुगतान नहीं किया और नो क्लेम करके दावे की पत्रावली बन्द कर दी। परिवादी के अनुसार उसने कोई तथ्य विपक्षी से नहीं छिपाया। क्लेम का भुगतान न करके विपक्षी ने सेवा में कमी की है। परिवादी ने अनुरोध किया कि परिवाद में मॉंगे गऐ अनुतोष उसे विपक्षी से दिलाऐ जायें।
- विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-11/1 लगायत 11/5 प्रस्तुत किया गया। प्रतिवाद पत्र में परिवादी की गाड़ी का बीमा होने तथा अभिकथित दुर्घटना बीमा अवधि में होने से तो इन्कार नहीं किया गया, किन्तु परिवाद के शेष कथनों से इन्कार किया गया। अग्रेत्तर कहा गया कि परिवादी ने दुर्घटना की सूचना विपक्षी को तुरन्त उपलब्ध नहीं करायी फर्जी कहानी बनाकर उसने यह परिवाद योजित किया है। विपक्षी के अनुसार दिनांक 08/05/2011 को थाना मैनाठेर की जी0डी0 में परिवादी ने दर्ज कराया कि उसकी मारूति वैन भैंस को बचाने के चक्कर में अचानक पेड़ से टकरा गयी थी जबकि बीमा कम्पनी के इन्वेस्टीगेटर के समक्ष अपने ब्यानों में परिवादी ने बताया कि रेलवे क्रासिंग के पास सड़क पर साइड में गाड़ी खड़ी करके वह पास में स्थित कोल्ड स्टोरेज में गया था इसी मध्य कोई गाड़ी उसकी वैन में टक्कर मारकर भाग गयी। इस प्रकार परिवादी ने दुर्घटना का कारण अपने ब्यानों में भिन्न बताया और ऐसा करके उसने बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया। जॉंच में यह भी पाया गया कि परिवादी ने यह वैन 3 महीने पहले किसी अन्य को बेच दी थी। इस प्रकार अभिकथित दुर्घटना के समय परिवादी वैन का वास्तिवक स्वामी नहीं था और वैन उसके भौतिक कब्जे में भी नहीं थी इस दृष्टि से भी परिवादी क्लेम पाने का अधिकारी नहीं है। विपक्षी की ओर से अग्रेत्तर कथन किया गया कि जब उसके सर्वेयर ने वैन में हुऐ नुकसान का मूल्यांकन किया तो क्षति 22,425/- रूपये 84 पैसे आंकलित की गयी। परिवादी ने फर्जी बिल तैयार कर लिये इस आधार पर भी परिवाद खारिज होने योग्य है। प्रतिवाद पत्र के समर्थन में दाखिल शपथ पत्र कागज सं0-12/1 के साथ संलग्नक के रूप में परिवादी के अभिकथित ब्यान, थाना मैनाठेर की जी0डी0 और सर्वेयर नितिन महरोत्रा की सर्वे रिपोर्ट के पृष्ठ-4 की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र कागज सं0-12/2 लगायत 12/4 हैं।
- परिवादी ने परिवाद के साथ सूची कागज सं0-3/6 द्वारा दुर्घटना में अन्तर्ग्रस्त वैन की आर0सी0, फिटनेस सार्टिफिकेट, अपने ड्राईविंग लाईसंस, थाना मैनाठेर की जी0डी0, वैन को ठीक कराने में अभिकथित रूप से हुऐ खर्चे के बिल की फोटो प्रति और विपक्षी की ओर से नो क्लेम करने विषयक परिवादी को भेजे गऐ पत्र की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र कागज सं0-3/7 लगायत 3/12 हैं।
- परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र 15/1 लगायत 15/3 दाखिल किया। विपक्षी की ओर से बीमा कम्पनी के मण्डलीय प्रबन्धक श्री लवलीन अवस्थी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र 17/1 लगायत 17/3 प्रस्तुत किया जिसके साथ थाना मैनाठेर की जी0डी0 सं0-17 दिनांकित 08/05/2011, जॉंच अधिकारी द्वारा दर्ज परिवादी के ब्यान और विपक्षी के सर्वेयर नितिन महरोत्रा की सर्वे रिपोर्ट की फोटो प्रतियों को संलग्नक-1 लगायत संलग्नक-3 के रूप में दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0- 17/4 लगायत 17/10 हैं।
- किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
- हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों से प्रकट है कि अभिकथित दुर्घटना की तिथि अर्थात् 07/05/2011 को परिवादी की वैन विपक्षी से बीमित थी। पत्रावली में अवस्थित नकल जी0डी0 कागज सं0- 3/10 के अवलोकन से प्रकट है कि दुर्घटना से अगले दिन अर्थात् 08/5/2011 को परिवादी की वैन दुर्घटनाग्रस्त होने और वैन में नुकसान होने का तथ्य थाना मैनाठेर जिला मुरादाबाद की जी0डी0 में अंकित हो गया था। विपक्षी की ओर से यह कहीं नहीं कहा गया कि समय रहते परिवादी ने इस दुर्घटना की सूचना विपक्षी को नहीं दी थी। विपक्षी के मण्डलीय प्रबन्धक श्री लवलीन अवस्थी के साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-17 के साथ बीमा कम्पनी के सर्वेयर श्री नितिन महरोत्रा की सर्वे रिपोर्ट संलग्नक के रूप में दाखिल की गयी है। सर्वेयर ने वैन में हुई क्षति का आंकलन करके 22,425/- रूपये 84 पैसे परिवादी को दिऐ जाने की संस्तुति की। परिवादी ने यधपि अपने साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-15/1 लगायत 15/3 के पैरा सं0-5 में यह कथन किया है कि मारूति वैन को ठीक कराने में उसके 81,198/- रूपया खर्च हुऐ हैं, किन्तु इस खर्चे को वह प्रमाणित करने में सफल नहीं रहा है। परिवादी ने परिवाद के साथ 81,198/- रूपये के खर्चे के एस्टीमेट की फोटो प्रति कागज सं0-3/11 दाखिल की है, किन्तु खर्चे को उसने विधानत: प्रमाणित नहीं कराया है ऐसी दशा में इस एस्टीमेट में उल्लिखित धनराशि वास्तव में खर्च होना प्रमाणित नहीं माना जा सकता।
- विपक्षी ने पत्रावली में अवस्थित पत्र कागज सं0- 3/12 द्वारा परिवादी का क्लेम इस आधार पर अस्वीकृत कर दिया कि परिवादी ने तात्विक तथ्यों को छिपाया और दुर्घटना के सम्बन्ध में असत्य कथन किऐ।
- विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने थाना मैनाठेर की जी0डी0 की नकल कागज सं0-3/10 और बीमा कम्पनी के इन्वेस्टीगेटर द्वारा लिये गऐ परिवादी के ब्यान कागज सं0- 12/2 को इंगित करते हुऐ तर्क दिया कि जी0डी0 में दुर्घटना का कारण भैंस का अचानक वैन के सामने आ जाना और वैन का पेड़ से टकरा जाना था जबकि इन्वेस्टीगेटर को दिऐ अपने ब्यानों में परिवादी ने बताया कि वैन को सड़क के किनारे खड़ी कर वह पास में स्थित एक कोल्ड स्टोरेज में चला गया था इसी मध्य कोई अज्ञात वाहन वैन में टक्कर मारकर चला गया। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता के अनुसार अभिकथित दुर्घटना के यह विरोधाभाषी कारण क्लेम अस्वीकृत करने का एक आधार बने। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने परिवादी द्वारा इन्वेस्टीगेटर को दिऐ ब्यान कागज सं0- 12/2 की ओर पुन: हमारा ध्यान आकर्षित किया और कहा कि अपने ब्यानों में परिवादी ने इन्वेस्टीगेटर के समक्ष स्वीकार किया कि लगभग 3 महीने पहले उसने यह वैन बेच दी है और वैन से अब उसका कोई लेना-देना नहीं है। इन्वेस्टीगेटर ने परिवादी के ब्यान दिनांक 16/11/2011 को दर्ज किऐ थे। अभिकथित दुर्घटना दिनांक 07/5/2011 को होना बतायी गयी है। प्रकट है कि अभिकथित दुर्घटना के समय परिवादी ही इस वैन का पंजीकृत स्वामी था उसने अपने साक्ष्य शपथ पत्र में यह कहा भी है कि दुर्घटना के समय वह वैन स्वयं चला रहा था। पत्रावली में अवस्थित ड्राईविंग लाईसेंस, फिटनेस सार्टिफिकेट इत्यादि बैध हैं। आर0सी0 की नकल कागज सं0- 3/7 में वैन के पंजीकृत स्वामी के रूप में परिवादी का नाम अंकित है। मोटर व्हीकल एक्ट के अधीन वाहन के पंजीकृत स्वामी को ही वाहन का वास्तविक स्वामी माना गया है। यदि परिवादी द्वारा इन्वेस्टीगेटर को दिऐ ब्यान एकदम सही मान लिऐ जाऐ तब उपरोक्त के दृष्टिगत भी यह प्रमाणित नहीं होता कि अभिकथित दुर्घटना के समय परिवादी वाहन का स्वामी नहीं था और दुर्घटना में अन्तर्ग्रस्त वैन परिवादी के भौतिक कब्जे में नहीं थी। विपक्षी का यह तर्क स्वीकार किऐ जाने योग्य नहीं है कि दुर्धटनाग्रस्त वैन में परिवादी का इंश्योरेबिल इन्ट्रेस्ट नहीं है।
- जहॉं तक इन्वेस्टीगेटर को दिऐ परिवादी के ब्यान और थाना मैनाठेर की जी0डी0 में दुर्घटना के उल्लिखित कारणों में विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा इंगित विरोधाभाष का प्रश्न है उससे भी विपक्षी को कोई लाभ नहीं मिलता। बीमा कम्पनी के इन्वेस्टीगेटर की रिपोर्ट में वैन के दुर्घटनाग्रस्त होने और उसमें नुकसान होने की पुष्टि की गयी है। जहॉं तक परिवादी द्वारा अभिकथित रूप से महत्वूपूर्ण एवं तात्विक तथ्यों को छिपाऐ जाने का प्रश्न है उक्त तर्क निरर्थक है क्योंकि विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ऐसा कोई तथ्य इंगित नहीं कर पाऐ जिसे परिवादी ने बीमा पालिसी लेते समय विपक्षी से छिपाया था जैसा कि बीमा अधिनियम की धारा 45 में प्राविधानित है।
- उपरोक्त विवेचना के आधार के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवादी को बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा आंकलित क्लेम राशि 22,425/- रूपया 84 पैसा 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित दिलाया जाना न्यायसंगत होगा। उक्त के अतिरिक्त परिवादी 2,500/- रूपया (दो हजार पॉंच सौ) परिवाद व्यय पाने का अधिकरी होगा।
परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 22,425/- रूपया 84 पैसे (बाईस हजार चार सौ पच्चीस रूपया चौरासी पैसे) की वसूली हेतु यह परिवाद, परिवादी के पक्ष में, विपक्षी के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। उक्त के अतिरिक्त परिवादी विपक्षी से परिवाद व्यय की मद में 2,500/- रूपया (दो हजार पॉंच सौ) भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा। इस आदेशानुसार धनराशि का भुगतान एक माह में कर दिया जाय। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद 16.05.2015 16.05.2015 16.05.2015 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 16.05.2015 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद 16.05.2015 16.05.2015 16.05.2015 | |