जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)
प्रकरण क्रमांक -68-2013 प्रस्तुति दिनांक-01.08.2013
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,
ख्यालसिंह उर्फ राजू वल्द जयलाल बघेल,
उम्र लगभग 34 वर्श, निवासी-गायत्री मंदिर
के पास गहलोउ कालोनी, बारापत्थर, सिवनी
तहसील व जिला सिवनी (म0प्र0)।.........................आवेदक परिवादी।
:-विरूद्ध-:
षाखा प्रबंधक,
यूनार्इटेड इंडिया इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड,
षाखा कार्यालय, चर्च कम्पाउण्ड, सिवनी
तहसील व जिला सिवनी (म0प्र0)।................................अनावेदक विपक्षी।
:-आदेश-:
(आज दिनांक-21/11/2013 को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1) परिवादी ने यह परिवाद, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, उसके बीमित वाहन, महिन्द्रा मैक्स जीप, रजिस्ट्रेषन नंबर- एम0एस0 26 एल.0452 के दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो जाने पर पेष क्लेम क्रमांक-310812011 को अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा, दिनांक-17.10.2012 के पत्र के माध्यम से निरस्त किये जाने को मिथ्या आधारों पर होना कहते हुये, क्लेम की राषि व हर्जाना दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2) यह स्वीकृत तथ्य है कि-परिवादी का उक्त वाहन, अनावेदक बीमा कम्पनी की बीमा पालिसी नंबर-19090331100100004779 के द्वारा, दिनांक-15.12.2010 से 14.12.2011 तक की अवधि के लिए बीमित रहा है। यह भी विषिश्टत: विवादित नहीं कि-दिनांक-04.08.2011 को परिवादी का उक्त वाहन ग्राम-सीलादेही तिराहा, नागपुर रोड पर पलट जाने से क्षतिग्रस्त हो गया, जो कि-पुलिस थाना-लखनवाड़ा द्वारा, परिवादी के विरूद्ध भा.द.सं. की धारा 229, 337 के तहत दण्डनीय अपराध में विवेचनावाद अभियोग-पत्र मजिस्ट्रेट के न्यायालय में पेष किया गया। और परिवादी द्वारा वाहन की क्षति बाबद पेष किये गये क्लेम की जांच कराये जाने के पष्चात, अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा, वाहन का उपयोग व्यवसायिक प्रयोजन हेतु किये जाने के आधार पर, पालिसी षर्तों का उल्लघंन मानते हुये, क्लेम निरस्त कर दिया गया।
(3) स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार मात्र यह है कि- अनावेदक द्वारा, परिवादी के क्लेम को झूठे आधारों पर निरस्त किया जाकर, परिवादी के प्रति-सेवा में कमी की गर्इ है, जो अनुचित है, इसलिए 25,000-रूपये हर्जाना व 6,000-रूपये मरम्मत व्यय चाहा गया है।
(4) अनावेदक के जवाब का सार यह है कि-परिवादी ने क्लेम दावा के साथ आपराधिक प्रकरण के सभी दस्तावेज व उनके टूट-फूट के सुधार बाबद बिल पेष किये गये थे, जो कि-सर्वेयर ने क्षति की जांच का आंकलन कर, 24,525-रूपये क्षति देयता का आंकलन किया था, जो कि-दावा स्वीकार होने की सिथति में उक्त दावा राषि परिवादी को देय होती। सर्वे रिपोर्ट प्राप्त होने पर परिवादी से वाहन के परमिट की मांग की गर्इ, जो उसके द्वारा पेष नहीं किया गया, परिवादी द्वारा जो पुलिस की प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति पेष की गर्इ थी, उसमें घटना दिनांक को वाहन में 6-7 सवारी बैठी थीं, जो कि-हर सवारी से नागपुर का किराया 90-रूपये प्राप्त किया गया है, इस तरह वाहन को टैक्सी के रूप में चलाया जा रहा था, जबकि-वाहन का व्यकितगत उपयोग हेतु प्रायवेट कार का बीमा रहा है, जो कि-वाहन में कमलेष रगारे पैसा देकर सवारी के रूप में बैठा था, यह आपराधिक प्रकरण में सिदध हो चुका है, वाहन का उपयोग व्यवसायिक प्रयोजन हेतु किया जा रहा था, बिना परमिट के वाहन चलाया जा रहा था, जो बीमा षर्तों का उल्लघंन होने से परिवादी का क्लेम निरस्त किया गया और उसकी लिखित सूचना परिवादी को पत्र दिनांक-07.10.2012 के द्वारा भेजी गर्इ। परिवादी ने क्लेम क्यों निरस्त किया गया, इस आषय का कोर्इ कथन परिवाद में नहीं किया है, जो कि-दावा निराधार है और परिवादी के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी नहीं की गर्इ है। इस कारण अनावेदक को कम्पनसेटरी कास्ट दिलार्इ जाये।
(5) मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हंंै कि:-
(अ) क्या अनावेदक द्वारा, परिवादी के क्लेम को निरस्त
किया जाना अनुचित होकर, परिवादी के प्रति-की
गर्इ सेवा में कमी है?
(ब) सहायता एवं व्यय?
-:सकारण निष्कर्ष:-
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(6) स्वीकृत तथ्य होने के अलावा, प्रदर्ष सी-9 के वाहन के रजिस्ट्रेषन प्रमाण-पत्र और प्रदर्ष सी-1ए व 'बी के बीमा पालिसी व पालिसी प्रमाण-पत्र से यह स्पश्ट है कि-परिवादी उक्त वाहन का रजिस्टर्ड स्वामी रहा है और परिवादी का उक्त वाहन कथित दुर्घटना दिनांक-04.08.2011 को बीमित रहा है, जो कि-प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति प्रदर्ष सी-6 से यह भी स्पश्ट है कि-दिनांक-04.08.2011 को परिवादी का उक्त वाहन, दुर्घटना में पलट जाने से क्षतिग्रस्त हुआ, जो कि-उक्त सब दस्तावेज अनावेदक-पक्ष की ओर से भी पेष किये गये हैं। और अनावेदक की ओर से पेष प्रदर्ष आर-7 के परिवादी के विरूद्ध उक्त दुर्घटना के दाणिडक प्रकरण में संक्षिप्त विचारण में स्वीकारोकित व निर्णय दिनांक-26.09.2011 की प्रति से यह दर्षित हो रहा है कि-परिवादी ही दुर्घटना के समय उक्त वाहन को चला रहा था।
(7) प्रदर्ष सी-8 के क्लेम निरस्ती सूचना के पत्र में यह स्पश्ट लेख रहा है कि-दुर्घटना के समय वाहन का उपयोग व्यवसायिक प्रयोजन हेतु किया जा रहा था, जबकि-वाहन, पंजीकृत व बीमित, निजी प्रयोजन हेतु किया गया था, जो कि-वाहन को उपयोग उसी श्रेणी में किया जाना था, इसलिए पालिसी षर्तों के उल्लघंन होने के कारण दावा निरस्त किया गया है। उक्त दावा निरस्ती पत्र की प्रति अनावेदक-पक्ष की ओर से भी प्रदर्ष आर-3 के रूप में पेष की गर्इ है। क्लेम के संबंध में क्षति देयता के आंकलन बाबद सर्वेयर की प्राप्त की गर्इ रिपोर्ट की प्रति प्रदर्ष आर-9 और दावा के संबंध में अधिवक्ता से प्राप्त किये गये अभिमत की प्रति प्रदर्ष आर-6 भी अनावेदक-पक्ष की ओर से पेष हुर्इ है, जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि-प्रथम सूचना रिपोर्ट में ही देहाती नालिष लेख कराने वाले कमलेष रगारे का यह कथन रहा है कि-उसके अलावा भी 6-7 सवारियां गाड़ी में बैठीं थीं और उक्त कमलेष रगारे से सिवनी से नागपुर तक का किराया 90-रूपये लिया गया था, जो कि-प्रदर्ष आर-1 (प्रदर्ष सी-6) की प्रथम सूचना रिपोर्ट में भी उक्त बात का उल्लेख है और यह भी उल्लेख किया गया है कि-वाहन चालक द्वारा तेज रफतार व लापरवाही से वाहन चलाकर तिराहे पर पलटा दिया, जिससे उक्त रिपोर्टकत्र्ता व और भी सवारियों को चोटें कारित हुर्इं।
(8) तो इसी को आधार मानकर दुर्घटना के समय वाहन को टैक्सी के रूप में चलाये जा रहे होने को सेवा षर्तों का उल्लघंन मानते हुये, परिवादी का क्लेम निरस्त किया गया था, लेकिन पेष परिवाद में इस बाबद एक षब्द भी उल्लेख नहीं है कि-कैसे, क्यों और किन कारणों से क्लेम निरस्ती के आधार झूठे कहे जा रहे हैं। तो स्पश्ट है कि-परिवाद, बिना कोर्इ समुचित व विषिश्ट आधार दर्षाये पेष किया गया है। तो स्वयं परिवादी द्वारा उपलब्ध कराये गये, प्रथम सूचना रिपोर्ट और दुर्घटना बाबद दाणिडक प्रकरण के स्वीकारोकित के निर्णय की प्रतियों से ही यह सिथति स्पश्ट रही है कि-स्वयं परिवादी द्वारा, वाहन को दुर्घटना के समय चलाया जा रहा था और वाहन में 6-7 सवारियां बैठाली गर्इं थीं, जिन्हें वाहन पलट जाने से चोटें आर्इं और उन सवारियों को 90-रूपये किराया लेकर बैठाला गया, जबकि-वाहन, प्रायवेट वाहन के रूप में पंजीबद्ध रहा है और बीमा पालिसी की षर्तों की प्रति से स्पश्ट है कि-किराया या परितोशक प्राप्त कर, वाहन को चलाया जाना, अर्थात टैक्सी प्रयोजन हेतु वाहन चलाये जाने पर जोखिम, पालिसी षर्तों से आच्छादित नहीं रहा है, जो कि-किराये से चलाकर लाभ प्राप्त करने के प्रयोजन हेतु वाहन चलाये जाते समय दुर्घटनाग्रस्त होकर, वाहन का क्षतिग्रस्त होना, पुलिस कार्यवाही के दस्तावेजों में ही जो परिवादी ने उपलब्ध कराये थे, उनसे स्पश्ट रहा है, तो षर्तों के उल्लघंन के फलस्वरूप, अनावेदक द्वारा, परिवादी के क्लेम को परिवादी द्वारा उपलब्ध करार्इ गर्इ सामग्री के आधार पर ही, जांच पष्चात निरस्त किया गया, तो उक्त क्लेम का निरस्तीकरण किसी भी तरह अनुचित या मनमाना रहा होना, परिवादी-पक्ष नहीं दर्षा सका है। और इस तरह अनावेदक द्वारा, परिवादी के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी किया जाना दर्षित नहीं है।
(9) इस परिवादमामले में अनावेदक-पक्ष की ओर से जवाब व सब दस्तावेज पेष हो जाने के पष्चात, परिवादी-पक्ष की ओर से परिवादी व संतोश अहरवाल के षपथ-पत्र पेष कर, एक नवीन कहानी का कथन परिवादी-पक्ष की ओर से स्वयं को लाभ प्रदान करने के लिए पेष किया कि-परिवादी के साथ गाड़ी में उसका पुत्र भी था और छिन्दवाड़ा चौक से एक लड़का नागपुर रोड बार्इपास तक के लिए गाड़ी में बैठ गया था और बार्इपास मोड़ पर, गाड़ी पलट जाने से दुर्घटनाग्रस्त हो गर्इ, तो टायर पंचर की दुकान लगाने वाले संतोश अहरवाल ने परिवादी को और वाहन में बैठे लड़के को जिसे हल्की चोटें आर्इं थीं, उन्हें बाहर निकाला, तभी वहां से गुजर रही पुलिस जीप रूकी और लखनवाड़ा थाना में सूचना दिया।
(10) स्पश्ट है कि-नवीन आधार, साक्ष्य के षपथ-पत्र में बना लेने का कोर्इ लाभ परिवादी-पक्ष को संभव नहीं। दुर्घटना में कुल आहत व्यकितयों की संख्या, वाहन में सवार रहे कुल व्यकित आदि का विषिश्ट विवरण पुलिस द्वारा पेष की गर्इ अंतिम प्रतिवेदन व विवेचना कथन आदि के दस्तावेजों में स्पश्ट रूप से रहा होगा और स्वयं परिवादी उक्त दाणिडक प्रकरण में अभियुक्त रहा है, जिसने अपराध की स्वीकारोकित की है, पुलिस के अंतिम प्रतिवेदन व दस्तावेज उसके पास उपलब्ध रहे होना स्पश्ट है, जिन्हें छिपाते हुये अपने लाभ हेतु अपने षपथ-पत्र में कोर्इ भी नवीन कहानी जिसका कोर्इ तथ्य परिवाद में वर्णित न हो, निर्मित कर लेना परिवादी के सफल होने के लिए कोर्इ आधार नहीं हो सकता। और यह कोर्इ व्यवहारवाद नहीं, यहां किसी नवीन साक्ष्य पर विचार नहीं होना है, बलिक देखा मात्र यह जाना है कि-परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी को जो क्लेम और क्लेम के साथ सहपत्र दस्तावेज पेष किये गये थे, उनके आधार पर, बीमा षर्तों का उल्लघंन मानते हुये, क्लेम निरस्ती के लिए समुचित आधार रहे हैं या नहीं? और क्योंकि बीमा कम्पनी द्वारा, समुचित आधारों पर क्लेम निरस्त किया गया है, इसलिए अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा, परिवादी के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी किया जाना स्थापित नहीं पाया जाता है, परिवाद समुचित आधारों के बिना पेष होना पाया जाता है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(11) विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ के निश्कर्श के आधार पर, मामले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
(अ) परिवादी का यह परिवाद स्वीकार योग्य न होने से
निरस्त किया जाता है।
(ब) परिवादी ने समुचित आधार दर्षाये बिना परिवाद
पेष किया है और अनावष्यक रूप से अनावेदक को
मामले का सामना करना पड़ा, इसलिए परिवादी स्वयं
का कार्यवाही-व्यय वहन करेगा और अनावेदक को
कार्यवाही-व्यय के रूप में 2,000-रूपये (दो हजार
रूपये) आदेष दिनांक से तीन माह की अवधि के
अन्दर अदा करेगा।
मैं सहमत हूँ। मेरे द्वारा लिखवाया गया।
(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत) (रवि कुमार नायक)
सदस्य अध्यक्ष
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