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Vishnu prasad garg filed a consumer case on 30 Jul 2015 against United India Insurance Company Ltd., Manager in the Kota Consumer Court. The case no is CC/121/2012 and the judgment uploaded on 03 Aug 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
परिवाद संख्या:-121/2012
विष्णु प्रसाद गर्ग पुत्र घनश्याम गुप्ता उम्र 38 साल निवासी 156, वीर सावरकर नगर, कोटा। -परिवादी
बनाम
यूनाईटेड इंडिया इंशोरेन्स कं.लि. शिमला स्टूडियो के उपर, गुमानपुरा, कोटा, राजस्थान, जरिये शाखा प्रबंधक। -विपक्षी
समक्ष:-
भगवान दास ः अध्यक्ष
महावीर तंवर ः सदस्य
हेमलता भार्गव ः सदस्य
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
01. श्री राजेन्द्र मंगल, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
02. श्री मनीष गुप्ता, अधिवक्ता, विपक्षी की ओर से।
निर्णय दिनांक 30.07.2015
परिवादी ने विपक्षी के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर संक्षेप में यह सेवा दोष बताया है कि उसका बीमित वाहन मोटर सायकिल आर जे 20 11 एम 3040 बीमा अविध में 02.02.10 को रात्रि करीब 9-10 बजे कौटिल्य भवन, टीचर काॅलोनी, कोटा के बाहर से चोरी हो गयी, जिसमें वाहन के साथ-साथ ही वाहन मे रखे मूल दस्तावेज भी चोरी हो गये। तलाश करने पर वाहन नहीं मिला, तत्काल रात्रि 11 बजे ही इस घटना की सूचना पुलिस थाना महावीर नगर में दर्ज करा दी गई। विपक्षी बीमा कंपनी के अधिकृत एजेन्ट को भी सूचना मौखिक दी गई, जिसने परिवादी से काफी खाली कागजात पर हस्ताक्षर करवाये। विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा मंाग किये गये दस्तावेज भी सौंप दिये। लेकिन बीमा राशि का भुगतान उसे नहीं किया गया। बीमा कंपनी को जरिये अधिवक्ता रजिस्टर्ड नोटिस भेजा गया जो उसे प्राप्त हो गया, तब भी क्लेम राशि की अदायगी नहीं की गई। नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया। बीमा कंपनी की लापरवाही व सेवा दोष के कारण परिवादी को बीमा क्लेम राशि 14,000/- रूपये के नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप हुआ है।
विपक्षी के जवाब का सार है कि परिवादी का क्लेम प्राप्त होने पर उसने पत्र दिनांक 03.03.11,11.03.11 व 21.03.11 के जरिये आवश्यक दस्तावेजात मांगे गये, जिन्हे उपलब्ध नहीं कराने के फलस्वरूप दिनांक 31.03.11 को नियमानुसार उसकी पत्रावली नो-क्लेम करते हुये बंद की गई। विपक्षी कंपनी का कोई सेवा दोष नहीं है।
परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा बीमा पालिसी, प्रथम सूचना रिर्पोट, एफ.आर. एवं एफ.आर. स्वीकृति आदेश,बीमा कंपनी को प्रेषित कानूनी नोटिस, पोस्टल रसीद आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की गई।
विपक्षी ने साक्ष्य में रमेश चन्द्र वर्मा के शपथ-पत्र के अलावा परिवादी द्वारा प्रस्तुत दावा सूचना प्रपत्र, परिवादी को प्रेषित पत्र दिनांक 03.03.11,11.03.11,21.03.11 एवं 31.03.11 (क्लेम खारजी पत्र) की प्रति प्रस्तुत की।
हमने दोनो पक्षों की बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
विपक्षी बीमा कंपनी ने परिवादी के बीमित वाहन की चोरी का क्लेम केवल इस आधार पर दिनांक 21.03.11 को नो- क्लेम किया है कि पूर्व के पत्रों में मांगे गये दस्तावेज उपलब्ध नही कराये। विपक्षी ने पूर्व के पत्रों के माध्यम से परिवादी से चोरी गये वाहन की आर0सी0,वाहन खरीद के बिल,वाहन की 2 मूल चाबिया,आर0टी0ओ0 को सूचित करने के मोटर यान अधिनियम/नियम के तहत हस्ताक्षरित फार्म नं. 28,29,30, लेटर आॅफ सब्रोगेशन, अंडर टेंकिग वाहन के स्वामित्व स्थानान्तरण बाबत्, मूल बीमा पालिसी मांग की थी।
विचारणीय प्रश्न है कि क्या परिवादी द्वारा उक्त दस्तावेजात उपलब्ध नहीं कराने के आधार पर उसके बीमित वाहन के चोरी के क्लेम को खारिज करके विपक्षी बीमा कंपनी ने सेवा में कमी की है?
यह विवादित नहीं है कि परिवादी का चोरी गया वाहन विपक्षी बीमा कंपनी के यहाॅ बीमित था तथा बीमित अवधि में उसकी चोरी हुई थी। जवाब में विपक्षी कंपनी ने स्वीकार किया कि उसका क्लेम उनके यहाॅ दिनांक 25.02.10 को परिवादी ने प्रस्तुत कर दिया था, जिसके बारे में उपरोक्त प्रकृति के दस्तावेज 03.03.11 से 31.03.11 तक मांगे गये। दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराने के कारण उसका क्लेम खारिज किया गया। विपक्षी बीमा कंपनी ने परिवादी के वाहन चोरी होने के तथ्य के बारे में कोई आपत्ति नहीं उठाई है। हमारी राय में उक्त दस्तावेजों की मांग, वाहन चोरी का क्लेम तय करने के लिये किसी प्रकार सुसंगत व आवश्यक नहीं थे, इनकी मांग करके व उन्हे उपलब्ध नहीं कराने के आधार पर क्लेम खारिज करना विपक्षी बीमा कंपनी ने निश्चिित रूप से सेवा दोष किया है।
आदेश
विपक्षी बीमा कंपनी को निर्देश दिये जाते है कि परिवादी द्वारा चोरी गये बीमित वाहन की दो मूल चाबियां, सब्रोगेशन पत्र,अंडर टेंकिग स्वामित्व के स्थानान्तरण बाबत्, आर.टी.ओ. को सूचित करने के मोटर यान अधिनियम/नियम के तहत हस्ताक्षरित फार्म सं. 28,29,30 पन्द्राह दिन में विपक्षी कंपनी को रसीद लेकर सुपुर्द करने के अधिकतम एक माह में वाहन की पालिसी के अनुसार घोषित मूल्य राशि 14,000/- रूपये तथा इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक 03.04.12 से अदायगी करने तक 9 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज, मानसिक संताप की भरपाई के 2,500/- रूपये अक्षरे दो हजार पांच सौ रूपये एवं परिवाद व्यय की भरपाई के 2,000/- रूपये, अक्षरे दो हजार रूपये सहित अदा की जावे।
(महावीर तंवर) (हेमलता भार्गव) (भगवान दास)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनंाक 30.07.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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