View 21065 Cases Against United India Insurance
Vijay singhal filed a consumer case on 09 Nov 2015 against United India Insurance Company ltd., Head Manager in the Kota Consumer Court. The case no is CC/111/2009 and the judgment uploaded on 10 Nov 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, झालावाड,केम्प कोटा (राज)।
पीठासीन अधिकारी:-श्री नन्दलाल षर्मा,अध्यक्ष व श्री महावीर तंवर सदस्य।
प्रकरण संख्या-111/2009
विजय सिंघल पुत्र श्री सतीष चन्द्र गुप्ता,निवासी-7 रेल्वे हाऊसिंग सोसायटी,बजरंग नगर,पुलिस लाईन, कोटा (राज0)।
-परिवादी।
बनाम
1 यूनियन आॅफ इण्डिया जरिये जनरल मैनेजर, पष्चिम-मध्य रेल्वे,जबलपुर।
2 वरिश्ठ मण्डल वाणिज्यिक प्रबन्धक, पष्चिम-मध्य रेल्वे, क्त्ड आॅफिस,कोटा (राज0)।
3 जनरल मैनेजर,पष्चिम रेल्वे, चर्चगेट, मुम्बई
-विपक्षीगण।
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1 श्री विजय सिंघल,अधिवक्ता स्वयं उपस्थित।
2 श्री नरेष षर्मा,अधिवक्ता ओर से विपक्षीगण।
निर्णय दिनांक 09.11.2015
यह पत्रावली जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, कोटा, में पेष की गई तथा निस्तारण हेतु जिला मंच, झालावाड केम्प, कोटा, को प्राप्त हुई है।
प्रस्तुत परिवाद ब्वदेनउमत च्तवजमबजपवद ।बज 1986 की धारा 12 के तहत दिनांक 15-04-2009 को परिवादी ने इन अभिवचनों के साथ प्रस्तुत किया है कि दिनांक 14-11-2008 को गाड़ी संख्या 2904 गोल्डन टेम्पल मेल से यात्रा करने के लिए दिनंाक 09-12-2008 के लिए षयनयान में कोटा से मुम्बई हेतु एक म्.ज्पबामज बुक किया और 354/-रूपये अदा किये जिसका च्छत् छव्ण् 2154390874 है। टिकिट लेते समय परिवादी का वेटिंग क्रमांक 7 था तथा दिनांक 09-12-2008 को चार्ट निकलने के पष्चात् त्।ब् क्रमांक 3 तथा परिवादी को ै.4 में सीट नंबर 31 आवंटित की गई थी। गाड़ी रवाना होने पर भवानीमण्डी स्टेषन के बाद ज्ज्म् द्वारा टिकिट चैक किया तथा नागदा जंक्षन पर त्।ब् क्लीयर कर सीट नंबर 68 आवंटित की गई परन्तु ै.4 मे सीट नं0 68 पर अन्य लोगों ने कब्जा किया हुआ था जिसकी षिकायत ज्ज्म् से करने पर भी उनके द्वारा सीट खाली नहीं करवायी गई तथा परिवादी के साथ दुव्र्यवहार किया गया और कम्पलेण्ट बुक माँगने पर नहीं दी गई। रतलाम जंक्षन पर परिवादी ने डिप्टी स्टेषन सुपरिटेण्डेण्ट श्री आर0एम0 पाण्डेय से संपर्क किया तो उन्होंने विपक्षी-2 का नम्बर देने के लिए कहा तो उन्होंने रेल्वे एक्सचेंज का नंबर 44201 दिया परन्तु च् - ज् अथवा मोबाईल नंबर देने से इंकार कर दिया और कम्पलेण्ट बुक माँगने पर श्री पाण्डेय द्वारा ।.2 कोच में ज्ब् से कम्पलेण्ट करने हेतु कहा। जब परिवादी ने ।.2 कोच में ज्ब् से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि आप ै.4 में चलो, मैं आता हूँ। रतलाम जंक्षन से गाड़ी रवाना होने पर ज्ब् ै.4 में नहीं आया। कोटा से श्री संजय जैन ज्ज्म् द्वारा निर्धारित क्षमता 81 से
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अधिक यात्रियों को अवैध तरीके से यात्रा करायी गई और कोटा से रतलाम के मध्य 130 पैसेन्जर को श्री संजय जैन ज्ज्म् द्वारा ै.4 कोच बोगी नंबर 952301 में लेकर गया। सीट के लिए कहने पर श्री संजय जैन ज्ज्म् द्वारा कहा गया कि इस तरह से नहीं जा सकते थे तो पैसे वापिस ले लेते। इस प्रकार विपक्षीगण के कृत्य से परिवादी को यात्रा के दौरान परेषानी का सामना करना पड़ा है। परिवादी ने विपक्षीगण को दिनंाक 02-01-2009 को नोटिस दिया जिसका कोई संतोशजनक जवाब नहीं दिया गया। परिवादी ने विपक्षीगण से मानसिक व षारीरिक कश्ट के पेटे 20,000/-रूपये का हरजाना दिलाये जाने का अनुतोश चाहा है।
विपक्षीगण ने परिवाद का यह जवाब दिया है कि परिवादी को नियमानुसार त्।ब् क्लीयर होने पर कोच ै.4 में सीट नंबर 68 आवंटित की गई थी जो कोटा से यात्रा प्रारंभ करने पर सम्बन्धित ज्ज्म् द्वारा कोच चैक करने के बाद आवंटित कर दी थी। आबंटित बर्थ पर कोई अन्य यात्री का कब्जा नहीं था इसलिए परिवादी ने कोई षिकायत दर्ज नहीं करायी है। षिकायत पुस्तिका गाड़ी में कण्डेक्टर के पास उपलब्ध रहती है। विपक्षीगण ने सेवामें कोई कमी नहीं की है। परिवादी कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने की प्रार्थना की है।
परिवाद के समर्थन में परिवादी ने स्वयं का षपथपत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्ग.1 लगायत म्ग.4 दस्तावेज तथा विपक्षीगण की ओर से जवाब के समर्थन में श्री अमरदीप सिंह,मण्डल वाणिज्य प्रबन्धक व श्री संजीव जैन, ज्ज्म् के शपथपत्र प्रस्तुत किये हैं।
उपरोक्त अभिवचनों के आधार पर बिन्दुवार निर्णय निम्न प्रकार है:-
1 क्या परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है ?
परिवादी का परिवाद,षपथपत्र तथा प्रस्तुत दस्तावेजात के आधार पर परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता होना प्रमाणित पाया जाता है।
2 क्या विपक्षीगण ने सेवामें कमी की है ?
उभयपक्षों को सुना गया, पत्रावली का अवलोकन किया गया तो स्पश्ट हुआ कि परिवादी ने दिनंाक 09-12-2008 को गोल्डन टेम्पल से कोटा जंक्षन से मुम्बई सेण्ट्रल हेतु म्-टिकिट बुक कराया था। परिवादी का नंबर त्।ब् में कोच 3 तथा ै.4 में सीट नंबर 31 थी। सम्बन्धित ज्ज्म् ने चेक किया और नागदा जंक्षन पर टिकिट क्लीयर कर सीटर नंबर 68 आबंटित की गई लेकिन उस सीट पर अन्य लोगों का कब्जा परिवादी बताता है और सम्बन्धित ज्ज्म् संजय जैन ने सीट खाली कराने से इन्कार कर दिया। कम्पलेण्ट बुक मांगी गई तो इन्कार कर दिया और रतलाम जंक्षन तक परिवादी को सीट उपलब्ध नहीं हुई और न ही कम्पलेण्ट बुक उपलब्ध करवायी गई। कम्पलेण्ट बुक रतलाम में भी उपलब्ध नहीं करायी तो मुम्बई सेण्ट्रल रेल्वे स्टेषन पर षिकायत दर्ज करवायी। इन सभी तथ्यों को विपक्षीगण ने इन्कार किया है परन्तु पत्रावली में उपलब्ध दस्तावेज म्ग.2 के अनुसार परिवादी ने मुम्बई रेल्वे स्टेषन पर कम्पलेण्ट दर्ज करायी। इसका अर्थ हुआ कि ज्ब् व गार्ड ने कम्पलेण्ट बुक उपलब्ध नहीं करायी। रतलाम में कम्पलेण्ट बुक उपलब्ध नहीं करायी, सम्बन्धित
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अधिकारी व कर्मचारी के टेलीफोन नंबर भी नहीं दिये तब जाकर परिवादी ने सेण्ट्रल मुम्बई में कम्पलेण्ट दर्ज करायी। मण्डल रेल प्रबन्धक कोटा ने परिवादी को षिकायत के बदले सूचना भेजी है कि इस सन्दर्भ में जांच करके उचित कार्यवाही की जायेगी। यद्यपि संजय जैन के षपथ पत्र का खण्डन परिवादी ने अपने षपथपत्र द्वारा किया है कि सम्बन्धित ज्ज्म् ने आवंटित सीट रतलाम जंक्षन तक खाली नहीं करायी और षिकायत के संबंध में मेरा सहयोग नहीं किया। इस सन्दर्भ में संजय जैन द्वारा प्रस्तुत षपथपत्र के पैरा नंबर 3 में अंकित किया है कि परिवादी ने मुझे कोई षिकायत नहीं की और पेरा नंबर 4 में अंकित किया है कि परिवादी ने इस संबंध में मुझ से आपत्ति की षिकायत पुस्तिका की मांग की तो मैने परिवादी को कह दिया था कि षिकायत पुस्तिका टेªन के कण्डक्टर व गार्ड के पास उपलब्ध रहती है, वहां षिकायत दर्ज करा दो। इस प्रकार संजय जैन ने षपथ पत्र में विरोधाभाशी तथ्यों का उल्लेख किया है। एक तरफ तो कहता है कि उसे कोई षिकायत नहीं की और दूसरी तरफ कहता है कि षिकायत पुस्तिका की मांग की तो बतायसा है कि कण्डक्टर व गार्ड के पास षिकायत पुस्तिका होगी। इससे स्पश्ट है कि परिवादी ने ज्ज्म् संजय जैन से षिकायत तो की थी और निष्चित रूप से परिवादी कहता है कि ै.4 की सीट नंबर 68 पर दूसरा व्यक्ति बैठा हुआ है उसको खाली नहीं कराने की षिकायत की और अन्त में परिवादी ने यह षिकायत मुम्बई सेण्ट्रल में जाकर की। इसका अर्थ हुआ कि परिवादी को यदि आवंटित सीट मिल जाती तो वह क्योंकर षिकायत करता। गोल्डन टेम्पल के कण्डक्टर और गार्ड तथा रतलाम जंक्षन पर षिकायत पुस्तिका उपलब्ध नहीं हुई तो परिवादी ने अन्तिम स्टेषन पर षिकायत दर्ज करायी। इससे यह प्रमाणित होता है कि परिवादी को आवंटित सीट बैठने के लिए उपलब्ध नहीं करायी थी। जहां तक क्षमता से अधिक सवारियांे द्वारा यात्रा करना, ज्ज्म् द्वारा डेढ घण्टे या दो घण्टे बाद जांच करना यह प्रक्रिया का प्रष्न है, इस बिन्दु पर परिवादी के तर्क मानने योग्य नहीं है परन्तु यह तर्क मानने योग्य है कि उसे ै.4 की सीट नंबर 68 आवंटित होने के बाद भी अन्य व्यक्ति ने नहीं बैठने दिया और तत्समय ज्ज्म् संजय जैन द्वारा सीट खाली नहीं करायी,षिकायत पुस्तिका उपलब्ध नहीं करायी और न ही उपलब्ध कराने में सहयोग किया। इतना ही नहीं ज्ज्म् के षपथ पत्र में भी विरोधाभाश है। उपरोक्त सभी तथ्यों के विवेचन और विष्लेशण से विपक्षीगण का सेवादोश यथाविधि प्रमाणित पाया जाता है।
3 अनुतोश ?
प्रार्थी का परिवाद खिलाफ विपक्षीगण आंषिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य पाया जाता है।
आदेष
परिणामतः परिवादी का परिवाद खिलाफ अप्रार्थीगण संयुक्तः व पृथकतः आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है:-
1 अप्रार्थीगण संयुक्तः व पृथकतः प्रार्थी को 5,000/-रूपये षारीरिक व मानसिक क्षति के अदा करें और 2,000/-रूपये परिवाद व्यय के अदा करें।
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2 अप्रार्थीगण आदेषित राषि को निर्णय दिनंाक से दो माह में अदा करना सुनिष्चित करें अन्यथा ताअदाएगी सम्पूर्ण भुगतान 9ः वार्शिक ब्याज दर से ब्याज भी अदा करने के लिए दायित्वाधीन होंगें।
(महावीर तंवर) (नन्द लाल षर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनंाक 09.11.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
(महावीर तंवर) (नन्द लाल षर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
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