Madhya Pradesh

Seoni

CC/04/2013

SURABH S/O. SHUBHAS CHAND - Complainant(s)

Versus

UNITED INDIA INSURANCE COMPANY LMD. - Opp.Party(s)

SURABH S/O. SHUBHAS CHAND

05 Mar 2013

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)

 प्रकरण क्रमांक -04-2013                                प्रस्तुति दिनांक-02.01.2013
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,

सौरभ आत्मज सुभाशचंद गोयल (एडवोकेट)
स्टेट बैंक के पास, सिवनी (म0प्र0)।..............आवेदकपरिवादी।


                :-विरूद्ध-:                  
न्यू इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड,
द्वारा-ब्रांच मैनेजर, परासिया रोड,
छिन्दवाड़ा (म0प्र0)।.........................................अनावेदकविपक्षी।

                    
                 :-आदेश-:
     (आज दिनांक-  05/03/2013            को पारित)

द्वारा-अध्यक्ष:-

(1)        परिवादी ने यह परिवाद, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा, बीमित परिवादी के मोटरसायकिल बजाज डिस्कवर, रजिस्ट्रेषन नंबर-एम0पी0-22-एम0डी0 3259 के चोरी हो जाने पर, अनावेदक द्वारा, परिवादी के बीमा क्लेम की अस्वीकृति को अनुचित व सेवा में कमी बताते हुये, बीमाधन व हर्जाना दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2)         यह स्वीकृत तथ्य है कि-परिवादी का उक्त वाहन, लाल रंग का बजाज डिस्कवर मोटरसायकिल को अनावेदक बीमा कम्पनी के बीमा पालिसी क्रमांक-45050231100100012791 के द्वारा दिनांक-20.12.2010 से 19.12.2011 तक की अवधि के लिए बीमित किया गया था। यह भी विवादित नहीं कि-परिवादी के द्वारा वाहन चोरी की सूचना दिये जाने के पष्चात, अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा दिनांक-30.03.2012 के पत्र के माध्यम से एक माह बाद सूचना दिये जाने व अन्य आधारों पर, दावा नो-क्लेम कर दिया गया और पुनर्विचार हेतु पेष परिवादी के आवेदन को भी निरस्त कर दिये जाने की सूचना दिनांक-05.11.2012 के पत्र के द्वारा परिवादी को दी गर्इ।
(3)        अविवादित तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि- दिनांक-04.05.2011 को परिवादी की उक्त मोटरसायकिल चोरी हो गर्इ थी और उसी दिन पुलिस थाना जरी पटका में मौखिक सूचना परिवादी ने दिया था और वाहन के मूल कागजात भी गाड़ी के साथ चोरी हो गये थे, इसलिए पुलिस ने उस समय रिपोर्ट नहीं लिखी और परिवादी पांच दिन की अवधि में आर0टी0ओ0 सिवनी से गाड़ी के कागजात लेकर आया, तब थाना जरी पटका में दिनांक-13.05.2011 को रिपोर्ट दर्ज की गर्इ, क्योंकि परिवादी के भार्इ का विवाह एक दिन पूर्व दिनांक-05.05.2011 को नागपुर में हुआ था, इसलिए नागपुर जाना हुआ था और गाड़ी गुम जाने की सूचना कम्पनी के कर्मचारी को थाने में दिया था तथा दिनांक-16.05.2011 को बीमा कम्पनी की सिवनी षाखा में भी दिया था, जो कि-क्लेम अत्यंत तुच्छ बिन्दु पर, यह कहकर निरस्त किया गया कि-आप बीमार थे, तो कैसे रिपोर्ट करने चले गये, इस पर परिवादी के द्वारा, अनावेदक कम्पनी के अधिकारियों से पुनर्विचार हेतु किये गये निवेदन पर भी कोर्इ ध्यान नहीं दिया गया, इसलिए चोरी गये वाहन का मूल्य बीमाधन 41,819-रूपये ब्याज, हर्जाना सहित दिलाने की प्रार्थना की गर्इ है। 
(4)        अनावेदक के द्वारा परिवाद के तथ्यों को अस्वीकार करते हुये, यह अतिरिक्त कथन किया गया है कि-परिवादी ने दिनांक-04.06.2011 को थाना जरी पटका, नागपुर में रिपोर्ट लिखाया था कि-वह दिनांक-06.05.2011 को सुबह 7:00 बजे अमर प्लाजा अपार्टमेन्ट, नागपुर के पार्किंग में मोटरसायकिल लाक करके सिवनी गया था और दिनांक- 13.05.2011 की सुबह उसी स्थान पर मोटरसायकिल नहीं दिखी कोर्इ अज्ञात चोर चुरा ले गया, तत्पष्चात दिनांक-17.06.2011 को परिवादी ने, अनावेदक बीमा कम्पनी के षाखा प्रबंधक, छिन्दवाड़ा को पत्र प्रेशित करते हुये, वाहन चोरी के संबंध में सूचना दी थी और फिर परिवादी ने क्षतिपूर्ति का दावा, अनावेदक के समक्ष पेष किया जो थाना में रिपोर्ट करने में हुये विलम्ब और बीमा कम्पनी को सूचना देने में हुये विलम्ब का स्पश्टीकरण देने व खात्मा रिपोर्ट पेष करने परिवादी को पत्र प्रेशित किया गया, जो कि-परिवादी ने विलम्ब का कारण स्वंय की बीमारी बताते हुये, बीमारी का सर्टिफिकेट इस आषय का पेष किया कि-वह दिनांक-13.05.2011 से 16.06.2011 तक बेडरेस्ट में था और जो खात्मा रिपोर्ट की प्रति पेष की उसमें चोरी गये वाहन का उल्लेख नहीं है, जिससे यह पाया गया कि-परिवादी यदि दिनांक-16.06.2011 तक बेडरेस्ट में था, तो दिनांक-04.06.2011 को नागपुर जाकर थाना में रिपोर्ट कैसे दर्ज करा सकता था, परिवादी ने झूठे अभिकथनों का सहारा लेकर क्लेम पेष किया, जो कि-वाहन का चोरी जाना संदेहास्पद है।
(5)        पालिसी षर्तों के अनुसार बीमा धारक को बीमित वाहन को हानि या क्षति से बचाने और उसे सक्षम सिथति में बनाये रखने के लिए उचित कदम उठाना चाहिये था, जो कि-वाहन की चोरी होने या हानि से रोकने के लिए समुचित सावधानियों का पालन न करते हुये, परिवादी ने वाहन को दिनांक-04.05.2011 को अमर प्लाजा अपार्टमेंट, नागपुर के पार्किंग में लापरवाहीपूर्वक और कर्इ दिनों तक के लिए रख देना पुलिस रिपोर्ट में बताया, जो कि-वाहन को हानि और क्षति से बचाने के कोर्इ उपाय नहीं किये और रिपोर्ट, थाने में बीमार रहने का झूठा अभिकथन करते हुये, विलम्ब से किया, इसलिए बीमा षर्तों का उल्लघंन किये जाने के कारण दिनांक-30.03.2012 को अनावेदक ने नो-क्लेम, विलम्ब से रिपोर्ट व बीमा कम्पनी को विलम्ब से सूचना दिये जाने के आधार पर किया है। और परिवादी द्वारा पुन: विचार के अनुरोध को भी दिनांक-05.11.2012 के पत्र द्वारा अस्वीकार किया गया है, जो कि परिवादी ने स्वयं किसी रखवाली के बिना वाहन को खुली जगह पर छोड़ दिया, तो क्षतिपूर्ति का कोर्इ दायित्व अनावेदक का नहीं और परिवादी के प्रति कोर्इ सेवा में कमी नहीं की गर्इ है।
(6)        मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हैं कि:-
        (अ)    क्या विवाद के श्रवण की स्थानीय क्षेत्रीय अधिकारिता
            प्राप्त फोरम में यह परिवाद पेष किया गया है?
        (ब)    यदि हां, तो क्या अनावेदक द्वारा, परिवादी के क्लेम
            को अस्वीकार किया जाना अनुचित होकर, परिवादी
            के प्रति की गर्इ सेवा में कमी है?
        (स)    सहायता एवं व्यय?
                -:सकारण निष्कर्ष:-
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(7)       वाद-कारण कब और कहां उत्पन्न हुआ और परिवादी का वाहन किस स्थान से चोरी गया था, इन तथ्यों को परिवाद में जानबूझकर उल्लेख नहीं किया गया और परिवाद के समर्थन में कोर्इ षपथ-पत्र भी परिवादी-पक्ष की ओर से पेष नहीं किया गया, जो कि- परिवादी की ओर से अनावेदक को भेजे गये नोटिस प्रदर्ष सी-10 की प्रति व प्रदर्ष सी-7 की प्रथम सूचना रिपोर्ट से यह स्पश्ट है कि-नागपुर के अमर प्लाजा अपार्टमेन्ट के पार्किंग में परिवादी ने उक्त मोटरसायकिल रखा था, जहां से वह चोरी हुआ, तो वाद-कारण महाराश्ट्र राज्य के नागपुर षहर में उत्पन्न होना स्पश्ट है और परिवादी ने यह पालिसी अनावेदक बीमा कम्पनी की छिन्वाड़ा जिला मध्यप्रदेष सिथत षाखा से प्राप्त किया था, तो इस जिला फोरम के स्थानीय क्षेत्रीय अधिकारिता में न तो पालिसी जारी करने वाली अनावेदक की षाखा सिथत है और न ही इस जिला फोरम के स्थानीय क्षेत्रीय अधिकारिता में कोर्इ वाद-कारण उत्पन्न हुआ, तो स्पश्ट है कि-परिवादी-पक्ष की ओर से जहां कि-स्वयं परिवादी भी अधिवक्ता हैं, उसकी ओर से पेष यह परिवाद नागपुर या छिन्दवाड़ा में पेष न कर, सिवनी जिला फोरम में पेष किया गया, जो कि-इस जिला फोरम को इस परिवाद के सुनवार्इ की स्थानीय क्षेत्रीय अधिकारिता प्राप्त नहीं है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है। 
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(8)        क्योंकि इस जिला फोरम को सुनवार्इ अधिकारिता इस मामले के संबंध में प्राप्त नहीं, इसलिए विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'ब के संबंध में कोर्इ निश्कर्श दिया जाना अनावष्यक है, परंतु अन्यथा भी परिवादी की ओर से पेष अभिलेख प्रदर्ष सी-7 की प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति से स्पश्ट है कि-परिवादी की ओर से पेष रिपोर्ट, दिनांक-04.06.2011 को लेख करार्इ गर्इ और उक्त प्रथम सूचना रिपोर्ट में यह दर्षाया गया था कि-दिनांक-06.05.2011 की सुबह परिवादी ने अपनी मोटरसायकिल नागपुर के अमर प्लाजा अपार्टमेन्ट, सन्याल नगर, नारी रोड, नागपुर के पार्किंग में खड़ा किया था और सात दिन पष्चात दिनांक-13.05.2011 को सुबह 7:00 बजे जाकर देखा, तो गाड़ी अपनी जगह नहीं रखी थी, कोर्इ अज्ञात चोर चुरा ले गया था, तो उक्त रिपोर्ट से स्पश्ट है कि-दिनांक-6 मर्इ से 13 मर्इ-2011 के मध्य चोरी होने की रिपोर्ट परिवादी द्वारा जो पुलिस में लेख करार्इ गर्इ वह भी तीन सप्ताह से अधिक के विलम्ब के साथ दिनांक-4 जून-2011 को पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करार्इ गर्इ, ऐसे में परिवाद की कणिडका-2 में वाहन दिनांक-04.05.2011 को चोरी हो जाने और उसी दिन पुलिस को इत्तला दिये जाने और दिनांक-13.05.2011 को रिपोर्ट दर्ज कराने का परिवाद में उल्लेख, पूरा वृत्तांत ही आधारहीन रूप से असत्य लेख कराया जाना दर्षित है।
(9)        परिवादी की ओर से अनावेदक बीमा कम्पनी को जो लिखित सूचना दी गर्इ थी, उसकी प्रति आर-2 अनावेदक-पक्ष की ओर से पेष हुर्इ है और उक्त लिखित सूचना अनावेदक द्वारा दिये जाने को कोर्इ चुनौती परिवादी-पक्ष की ओर से नहीं दी गर्इ है, तो परिवादी की उक्त लिखित सूचना दिनांक-15.06.2011 को बीमा कम्पनी को दिया जाना, जिसमें दिनांक-13.05.2011 को वाहन चोरी जाने का उल्लेख रहा है और उसमें विलम्ब का कारण मलेरिया और स्वास्थ्य खराब हो जाना दर्षाया गया था, ऐसे में परिवादी की ओर से पेष फोटोप्रति प्रदर्ष सी- 3 को अनावेदक-पक्ष की ओर से तर्क में झूठा दस्तावेज होने की चुनौती दी गर्इ और उक्त फोटोप्रति की मूल प्रति पेष करने परिवादी-पक्ष को कहा गया, जो कि-परिवादी के अधिवक्ता ने उसकी मूल प्रति पेष करने से इंकार कर दिया, जो कि-प्रदर्ष सी-3 की फोटोप्रति संदेहास्पद दस्तावेज है, जिसका मूल या तो तीन फोल्ड या तीन अलग टुकड़े जोड़कर रहा होगा और ऐसे में मूल पेष हुये बिना, प्रदर्ष सी-3 की संदेहास्पद फोटोप्रति कतर्इ विचारणीय नहीं।
(10)        पुलिस के जिस अंतिम प्रतिवेदन की प्रति परिवादी-पक्ष की ओर से पेष की गर्इ, वह फार्म नंबर-5 के रूप में है और फार्म नंबर- 5'बी' और 5'डी वाला अंष परिवादी-पक्ष की ओर से पेष फोटोप्रति में नहीं, अर्थात वह अधूरा दस्तावेज है और जिससे दर्षित नहीं है कि-परिवादी के पास दोनों चाबियां वाहन की मौजूद थीं और उसने पुलिस को गाड़ी लाक कर, खड़ा करने बाबद जप्त करार्इ थी या नहीं।
(11)        स्पश्ट है कि-चोरी की घटना बाबद, पुलिस को व बीमा कम्पनी को 25 दिन या 1 माह से अधिक अवधि के विलम्ब से सूचना दिये जाने का मामला रहा होना प्रदर्ष सी-7 की प्रथम सूचना रिपोर्ट और प्रदर्ष आर-2 की बीमा कम्पनी को दी गर्इ लिखित सूचना से स्पश्ट रहा है, जो कि- परिवाद में उक्त तथ्यों को छिपाते हुये, परिवाद में यह दर्षाने का प्रयास किया है कि-दिनांक-04.05.2011 को चोरी होने का पता चलने पर, परिवादी ने दिनांक-16.05.2011 को लिखित सूचना, मात्र बारह दिन के विलम्ब से ही बीमा कम्पनी को दे-दिया था।
(12)        न्यायदृश्टांत-2013 (भाग-1) सी0पी0जे0 पेज-69 (राश्ट्रीय आयोग) जोबिन्दर सिंह विरूद्ध न्यू इणिडया इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड एवं 2013 (भाग-1) सी0पी0जे0 71 (राश्ट्रीय आयोग) वीरेन्दर कुमार विरूद्ध न्यू इणिडया इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड व 2013 (भाग-1) सी0पी0जे0 446 (राश्ट्रीय आयोग) तेजवीर सिंह विरूद्ध ओरियण्टल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड के प्रतिपादनाओं के प्रकाष में वाहन चोरी की घटना में दो-तीन दिन से भी अधिक विलम्ब के बाद पुलिस को व बीमा कम्पनी को सूचना देना दावाकत्र्ता द्वारा की गर्इ महत्वपूर्ण चूक है, क्योंकि ऐसे विलम्ब के कारण चोरी गया वाहन की पतासाजी किया जाना प्रभावित होता है। और यह बीमा की सारबान षर्तों का उल्लघंन है। इसके अतिरिक्त प्रस्तुत मामले में यह भी स्पश्ट है कि-परिवादी ने एक खुले स्थान पर वाहन को सात दिन तक के लिए अनारक्षित बिना किसी देखरेख के छोड़ दिया, जबकि-वाहन के उचित देखरेख रखने का दायित्व पालिसी षर्तों में परिवादी का रहता है। 
(13)        जो कि-परिवादी ने यह तरीका अपनाकर परिवाद पेष किया है कि-परिवाद में इस संबंध में तथ्यों का कोर्इ उल्लेख ही जानबूझकर नहीं किया और बीमा पालिसी की अपूर्ण प्रति प्रदर्ष सी-9 पेष करके और इस संबंध में पालिसी की षर्तों को छिपाने का प्रयास किया, जो कि-परिवादी-पक्ष के द्वारा स्वच्छ हाथों से न आकर ऐसी अनुचित युकितयों का सहारा लेकर सफल होने का प्रयास किया गया है। जबकि-उक्त वर्णित न्यायदृश्टातों से यह स्पश्ट है कि-न्यू इणिडया इंष्योरेंस कम्पनी द्वारा जारी बीमा पालिसियों में चोरी व हानि से बचाने की समुचित सावधानियां बीमाधारक द्वारा रखे जाने और वाहन चोरी या क्षति होने की तत्काल सूचना दिये जाने की प्रारूपिक षर्तें रहती हैं और उक्त षर्तों का उल्लंघन करने के आधार पर ही परिवादी का क्लेम दिनांक-30.03.2012 के पत्र प्रदर्ष आर-5 के द्वारा नो-क्लेम किया गया था, परिवादी की ओर से क्लेम निरस्ती के मूल पत्र को पेष न कर, पुनर्विचार के आवेदन को अस्वीकार करने का पत्र दिनांक-05.11.2012 प्रदर्ष सी-2 के रूप में पेष किया और परिवाद में क्लेम निरस्ती के वास्तविक कारण को उल्लेख न कर, उक्त संबंध में तथ्यों को छिपाया।
(14)        तो अन्यथा भी परिवादी का क्लेम किसी भी तरह स्वीकार योग्य नहीं रहा है, परंतु इस जिला फोरम को परिवाद के श्रवण की स्थानीय क्षेत्रीय अधिकारिता न होने से इस संबंध में कोर्इ अंतिम निश्कर्श दिया जाना संभव नहीं। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'ब को निश्कर्शित किया जाता है।
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(स):-
(15)        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ और 'ब के निराकरण के आधार पर, प्रस्तुत परिवाद इस जिला फोरम में संधारणीय न होने से निरस्त किया जाता है और परिवादी ने स्वच्छ हाथों से न आकर, यह परिवाद पेष किया है, परिवादी स्वयं का कार्यवाही-व्यय वहन करेगा और अनावेदक-पक्ष को कार्यवाही-व्यय के रूप में 2,000-रूपये (दो हजार रूपये) अदा करे। 

   
    
         मैं सहमत हूँ।                              मेरे द्वारा लिखवाया गया।         

(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत)                          (रवि कुमार नायक)
            सदस्य                                               अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद                           जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी                         प्रतितोषण फोरम,सिवनी                         

            (म0प्र0)                                              (म0प्र0)

 

 

 

 

 

 

 

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