Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/40/2012

NAGAI PATEL - Complainant(s)

Versus

UNITED INDIA INSURANCE CO.LTD. - Opp.Party(s)

SURESH SINGH

07 Feb 2019

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum
Azamgarh(U.P.)
 
Complaint Case No. CC/40/2012
( Date of Filing : 01 May 2012 )
 
1. NAGAI PATEL
RAUNAPAR AZAMGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. UNITED INDIA INSURANCE CO.LTD.
AZAMGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 07 Feb 2019
Final Order / Judgement

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 40 सन् 2012

   प्रस्तुति दिनांक 01.05.2012

                                     निर्णय दिनांक 07.02.2012

  1. नगई पटेल पुत्र नन्दन पटेल, निवासी ग्राम- रोशनगंज, पोस्ट- उर्दिहा, थाना- रौनापार, जिला- आजमगढ़

 

बनाम

  1. यूनाइटेड इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड आजमगढ़, बजरिये शाखा प्रबन्धक, शाखा कार्यालय सदावर्ती, जिला- आजमगढ़।
  2. काशी गोमती संयुत ग्रामीण बैंक शाखा करखिया जिला- आजमगढ़।

उपस्थितिः- अध्यक्ष- कृष्ण कुमार सिंह, सदस्य- राम चन्द्र यादव

  •  

अध्यक्ष- “कृष्ण कुमार सिंह”-

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसके द्वारा ट्रैक्टर संख्या यू.पी.50 Q771 मुo 3,37,000/- रुपये में क्रय किया गया था और उसका बीमा विपक्षी संख्या 01 यूनाइटेड इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड आजमगढ़ से दिनांक 20.03.2009 को कराया गया था। जिसकी वैधता दिनांक 20.03.2009 से 19.03.2010 तक थी। दिनांक 30.11.2009 / 01.12.2009 को रात में उसके ट्रैक्टर की अज्ञात चोरों ने चुरा लिया, जिसकी सूचना उसने दिनांक 01.12.2009 को उसने तत्काल विपक्षीगण के शाखा कार्यालय एवं स्थानीय थाना रौनापार आजमगढ़ को दिया। उसकी सूचना दर्ज नहीं की गयी। ट्रैक्टर की खोजबीन करने के बावजूद भी वह नहीं मिला। उसके द्वारा न्यायालय में प्रार्थना अन्तर्गत 156(3) जाब्ता फौजदारी प्रस्तुत किया गया है और न्यायालय के आदेश पर दिनांक 06.02.2010 को थाना रौनापार से उसकी रिपोर्ट दर्ज की। विवेचना के पश्चात् उसके केश में अंतिम रिपोर्ट लगा दी गयी। घटना की सूचना विपक्षी संख्या 01 को दिए जाने पर सर्वेयर नियुक्त किया गया। वह विपक्षी संख्या 01 को समय-समय पर मांगे गए सारे कागजात प्रस्तुत

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करता रहा और उसकी चाभी भी विपक्षी संख्या 01 को दिया। दिनांक 20.05.2011 को विपक्षी संख्या ने पत्र लिखकर यह कहा कि चोरी की घटना ए.आर.टी.ओ. आजमगढ़ को दिया था। तत्पश्चात् दिनांक 20.06.2011 को चोरी की सूचना ए.आर.टी.ओ. को दिया। परिवादी का क्लेम दिनांक 09.04.2012 को गलत आधार पर खारिज कर दिया गया। उसका प्रार्थना पत्र निरस्त किए जाने के पश्चात् उसके ऊपर विपक्षी संख्या 02 का कर्ज बढ़ता रहा। अतः विपक्षी संख्या 01 परिवादी को मुo 3,37,000/- रुपया मय 12%वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करवाया जाए और मानसिक व शारीरिक क्षति हेतु उसे 50,000/- रुपया व वाद व्यय 5,000/- रुपया दिलवाया जाए।

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तित किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 6/1, 6/2 बीमा के कागजात की छायाप्रति, कागज संख्या 6/3 बीमा कम्पनी द्वारा लिखा गया पत्र, कागज संख्या 6/4 बीमा कम्पनी द्वारा लिखा गया पत्र, कागज संख्या 6/5 चाभी की छायाप्रति, कागज संख्या 6/6 ए.आर.टी.ओ. को दिए गए प्रार्थना पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 16/1 एफ.आई.आर. की असल नकल, कागज संख्या 16/3 अंतिम रिपोर्ट, कागज संख्या 16/4 ए.आर.टी.ओ. को दिए गए प्रार्थना पत्र की सत्य प्रतिलिपि प्रस्तुत किया गया है।

विपक्षी संख्या 01 ने जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद में किए गए कथनों से इन्कार किया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा है कि परिवाद गलत तथ्यों पर प्रस्तुत किया गया है। अतः उसे खारिज किया जाए। विपक्षी संख्या 01 द्वारा जो भी बीमा किया जाता है वह कुछ शर्तों के साथ ही किया जाता है और उन शर्तों को स्वीकार किए जाने के पश्चात् ही बीमा किया जाता है जो शर्तें पॉलिसी में होतीं हैं उसकी बाध्यता बीमाकर्ता व बीमाधारक दोनों पर होती है और वह सही पाए जाने पर ही क्लेम का भुगतान किया जाता है। परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में यह स्वीकार किया गया है कि उसका ट्रैक्टर

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दिनांक 30.11.2009 / 01.12.2009 की रात में चोरी गया था, लेकिन उसके द्वारा न तो विपक्षी को सूचना दी गयी है न तो उसका एफ.आई.आर. लिखवाया गया। इस प्रकार परिवादी ने बीमा की शर्तों का उल्लंघन किया है। उसके द्वारा कोई भी पत्र विपक्षी संख्या 01 को नहीं भेजा गया। परिवादी महज क्लेम लेने के लिए गलत तथ्यों पर परिवाद पत्र प्रस्तुत किया है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।

बीमा कम्पनी द्वारा प्रलेखीय साक्ष्य में अन्वेषण आख्या प्रबन्धक यूनाइटेड इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड आजमगढ़ को लिखे गए पत्र की मूल प्रति, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, पुलिस अधीक्षक को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, न्यायालय द्वारा अंतिम रिपोर्ट लगाए जाने की सत्य प्रतिलिपि प्रस्तुत किया गया है।

विपक्षी संख्या 02 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र में किए कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उनके द्वारा यह कहा गया है कि विपक्षी संख्या 02 के विरुद्ध कोई कारण वाद पैदा नहीं होता है। विपक्षी संख्या 02 दिनांक 16.11.2006 को परिवादी को ऋण दिया था और उसे सारे कागजात उपलब्ध करा दिए थे। परिवादी ने गलत तथ्यों पर परिवाद प्रस्तुत किया है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।

विपक्षी संख्या 02 ने अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

विपक्षी संख्या 01 ने अपने प्रतिवाद पत्र में यह कहा है कि परिवादी ने उन्हें कोई सूचना ट्रैक्टर चोरी की नहीं दीहै। ट्रैक्टर दिनांक 30.11.2009 / 01.12.2009 की रात में चोरी गया था, लेकिन उसकी कोई सूचना बीमा कम्पनी नहीं दी गयी। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “यूनाइटेड इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड बनाम मिस्टर हरिश्चन्द्र राय चन्दन लाल जे.टी.2004(8) एस.सी.(8)” का अवलोकन करें तो उच्चतम न्यायालय ने यह अभिधारित किया है कि चोरी की तत्काल सूचना बीमा कम्पनी को दी जानी चाहिए। इस

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न्याय निर्णय में माननीय उच्चतम न्यायालय ने शब्द तत्काल को भी परिभाषित किया है और यह कहा है कि तत्काल का तात्पर्य युक्ति-युक्त समय के अन्दर समझा जाना चाहिए। परिवादी की ओर से न्याय निर्णय iv 2018 सी.पी.जे. 579 एन.सी. श्रीराम जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड बनाम कुलदीप” प्रस्तुत किया गया है। जिसके 8 में ओम प्रकाश बनाम जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी 4(2017) सी.पी.जे. 10 (एस.सी.) में पारित आदेश निर्णय का उल्लेख किया गया है और यह कहा गया है कि बीमा कम्पनी को सूचना देने में हुए देरी के आधार पर ही उसका परिवाद खारिज नहीं कर दिया जाएगा। इसमें यह भी कहा गया है कि यदि सूचना देने में 35 दिन का विलम्ब हुआ है तो परिवाद खारिज करने का आधार नहीं हो सकता है, लेकिन यह न्याय निर्णय इस परिवाद के तथ्यों एवं परिस्थितियों में यह लागू नहीं होता है। क्योंकि परिवादी ने प्रतिवादी बीमा कम्पनी को कोई सूचना आजतक नहीं दिया है जैसा कि पत्रावली से परिलक्षित होता है।

उपरोक्त विवेचन से मेरे विचार से परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है।

आदेश

परिवाद निरस्त किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                                       (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

           दिनांक 07.02.2019

यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                                      (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV]
MEMBER

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