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ABDUL KALAM filed a consumer case on 06 May 2019 against UNITED INDIA INSURANCE CO.LTD. in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/168/2007 and the judgment uploaded on 16 May 2019.
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 168 सन् 2007
प्रस्तुति दिनांक 06.11.2007
निर्णय दिनांक 06/05/2019
मुo अब्दुल कलाम पुत्र तुफेल अहमद शेख निवासी ग्राम- राजापुर सिकरौर, पोस्ट- राजापुर सिकरौर, थाना- सरायमीर, जनपद- आजमगढ़।.......................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- अध्यक्ष- कृष्ण कुमार सिंह, सदस्य- राम चन्द्र यादव
अध्यक्ष- “कृष्ण कुमार सिंह”-
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह जीविकोपार्जन हेतु विपक्षी संख्या 02 से मुo 2,00,000/- रुपया का डिमाण्ड ऋण एवं 5,00,000/- रुपये कैश क्रेडिट लेकर एक पॉल्ट्री फॉर्म मेसर्स- यू.पी. पॉल्ट्री फॉर्म के नाम से राजापुर सिकरौर में खोला था और जिसका इन्श्योरेन्स उसने युनाइटेड इंडिया इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड शाखा कार्यालय सदावर्ती चौक आजमगढ़ द्वारा करवाया था और यह बीमा 05.08.2003 से 04.08.2004 तक वैध था। दिनांक 28.09.2003 से दिनांक 02.10.2003 तक बीमारी की वजह से उसकी 3553 मुर्गे मर गए जिनका 1.6 किलोग्राम वजन प्रति मुर्गा था और उसकी कुल कीमत 2,55,816/- रुपये थी। इसकी सूचना विपक्षी संख्या 01 व 02 को दिया। परिवादी ने विपक्षी के यहां क्लेम फॉर्म भरकर क्षतिपूर्ति की मांग किया था। परन्तु विपक्षी सख्या 01 बीमा कम्पनी द्वारा बार-बार शिकायत व आश्वसन दिया जाता रहा है। इसी दौरान शिकायतकर्ता किसी तरह से पुनः पैसे की व्यवस्था करके अपनी पॉल्ट्री फॉर्म में पुनः मुर्गे रखकर जीविकोपार्जन करने लगा। दिनांक 03.05.2004 से 10.05.2004 तक P.T.O.
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बीमारी की वजह से 4426 मुर्गे पुनः मर गए। जिसकी तुरन्त सूचना उसने बीमा कम्पनी को दिया और उसका पोस्टमार्टम पशु चिकित्साधिकारी फूलपुर से कराया गया। दिनांक 03.05.2004 से 10.05.2004 तक मरे हुए कुल मुर्गे 4426 का मूल्य 3,18,672/- रुपये थी। उसके बारे में भी उसमें कम्पनी को सूचना दी गयी। क्लेम न मिलने पर दिनांक 20.07.2007 को शिकायतकर्ता ने नोटिस दिया, लेकिन बीमा कम्पनी ने उस पर ध्यान नहीं दिया। अतः बीमा कम्पनी से आर्थिक व मानसिक कष्ट हेतु 1,00,000/- रुपया दिलवाया जाए और उस पर 18% ब्याज दिलवाया जाए। वाद खार्च भी दिलवाया जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 5/1 ता 5/12 पशु चिकित्साधिकारी फूलपुर की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट कागज, कागज संख्या 5/13 ता कागज संख्या 5/16 डॉक्टर का रिपोर्ट, कागज संख्या 5/17 ता 5/21 नगर पंचायत राजापुर द्वारा जारी पंचनामा की रिपोर्ट, कागज संख्या 5/22 जो दिनांक 07.02.2004 को लिखा गया है, इसमें बीमा कम्पनी को यह लिखा है कि उसके क्लेम का निस्तारण तकरीबन आठ माह तक नहीं हुआ है। अतः निस्तारण किया जाए।
विपक्षी संख्या 02 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया गया है। विशेष कथन में यह कहा है कि परिवाद पत्र गलत आधार पर प्रस्तुत किया गया है और यह कहा है कि बैंक ने हाइपोथिकेशन लिमिट 5,00,000/- रुपये तथा प्रथम लोन 2,00,000/- रुपये दिनांक 09.07.2007 को दिया गया था। विपक्षी संख्या 02 ने परिवादी के क्लेम का कोई वास्ता-सरोकार नहीं है।
विपक्षी संख्या 02 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या 01 द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के P.T.O.
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कथनों से इन्कार किया गया है। अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी ने विपक्षी को सीधे सूचना नहीं दिया, बल्कि उसने सूचना विपक्षी संख्या 02 को दिया था। जिन्होंने अपने पत्र दिनांक 03.10.2003 के द्वारा हमें बताया वह पत्र हमें 09.10.2003 को प्राप्त हुआ। विपक्षी संख्या 02 के पत्र दिनांक 03.10.2003 के साथ वादी के पत्र दिनांक 28.09.2003, 29.09.2003, 30.09.2003, 01.10.2003 व 02.10.2003 भी संलग्न थे और उपरोक्त तिथि ही घटना से सम्बन्धित थी। परिवादी को 24 घण्टे के अन्दर सूचना देनी चाहिए थी। कम्पनी ने स्वतंत्र सर्वेयर नियुक्त किया। वे मौके पर गए, लेकिन मुर्गियों का शव नहीं देखा। दिनांक 31.07.2003 को चूजों की खरीद दिखायी थी। परन्तु उसके बाद से एवं कथित घटना के पूर्व कितने मुर्गे बिके इसके बाबत कोई रिकार्ड याची द्वारा नहीं प्रस्तुत किया गया। विपक्षी बीमा कम्पनी व्यवसाय करती है, जिसमें अलग-अलग रिस्क के लिए अलग-अलग बीमा प्रीमियम निर्धारित है। जिनका रिस्क लिया गया है केवल उन्हीं के लिए कम्पनी उत्तरदायी है। याची को क्लेम फॉर्म पशु चिकित्साधिकारी ने दर्ज किया है कि उपरोक्त सभी जानकवर बान्काईटिस के बीमारीके कारण मरे थे। जबकि बान्काईटिस की बीमारी का रिस्क उक्त बीमा पॉलिसी द्वारा कवर नहीं है। जिसके कारण बीमा कम्पनी का कोई उत्तरदायित्व नहीं है। जिसके तहत याची के क्लेम नो क्लेम करते हुए दिनांक 05.08.2004 को याची के पास सूचना हेतु भेज दिया गया। याची के मुर्गों के मृत्यु दिनांक 03.05.2004 से 10.05.2004 के मध्य होने के सम्बन्ध में कोई सूचना याची द्वारा अथवा विपक्षी बैंक द्वारा कम्पनी को नहीं दिया। अतः याचना पत्र खारिज किया जाए।
वादी द्वारा अन्य प्रलेखीय साक्ष्य भी प्रस्तुत किया गया है। बैंक की ओर से ऋण का विवरण भी प्रस्तुत किया गया है।
सुनवाई के समय कोई पक्ष उपस्थित नहीं था। याची ने अपने याचना पत्र में यह कहा है कि अपने याचना पत्र के पैरा 09 में यह कहा गया है कि याची ने विपक्षी संख्या 01 के यहां क्लेम फॉर्म भरकर P.T.O.
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क्षतिपूर्ति की मांग किया था, लेकिन पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि वह क्लेम फॉर्म पत्रावली में संलग्न नहीं है। सर्वेयर जब मौके पर गया तो उसे मरे हुए मुर्गों को नहीं दिखाया गया। विपक्षी संख्या 01 ने अपने जवाबदावा के पैरा 25 में यह कहा है कि पशु चिकित्साधिकारी के द्वारा दर्शित रिपोर्ट में मुर्गों के मृत्यु बान्काईटिस के बीमारी के कारण हुई थी। जबकि इस प्रकार का रिस्क बीमा कम्पनी द्वारा बीमा नहीं दिया गया था। यहां इस बात का भी उल्लेख कर देना आवश्यक है कि परिवादी को कितनी क्षति हुई उसके द्वारा अनुतोष में किसी प्रकार का उल्लेख नहीं किया गया है। परिवादी ने केवल मानसिक व आर्थिक क्षति मांगा है।
हमारे विचार से परिवादी ने अपने परिवाद में किए गए कथनों को सिद्ध करने में असफल रहा है। अतः परिवाद खारिज किए जाने योग्य पाया जाता है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 06/05/2019
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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