Rajasthan

Jaipur-I

991/2012

SMT. SULOCHANA JAIN - Complainant(s)

Versus

UNITED INDIA INSURANCE CO. LTD - Opp.Party(s)

SNJAY BATRA

02 Apr 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Execution Application No. 991/2012
In
991
 
1. SMT. SULOCHANA JAIN
C-47, JAIN HOUSE, SREENATH VIHAR COLONY, BACK OF POLTRI FARM, AGRA ROAD, JAIPUR
...........Appellant(s)
Versus
1. UNITED INDIA INSURANCE CO. LTD
20, MOHAN HOUSE, IIIrd FLOOR, TRANSPORT NAGAR, JAIPUR
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MRS. Seema sharma PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. O.P. Rajoriya MEMBER
 
For the Appellant:
sanjay batra
 
For the Respondent:
yashvardhan
 
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर

समक्ष:    श्री मिथलेश कुमार शर्मा - अध्यक्ष
          श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य
          श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य

परिवाद सॅंख्या: 991/2012
श्रीमती सुलोचना जैन धर्मपत्नी श्री महेन्द्र जैन, निवासिया सी-47, जैन हाऊस, श्रीनाथ विहार काॅलोनी, पोल्ट्री फार्म के पीछे, आगरा रोड़, जयपुर (राजस्थान)
                                              परिवादिया
               ं     बनाम

1.    प्रबंधक, युनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लि0, 20 मोहन हाऊस, ट्रांसपोर्ट नगर, जयपुर Û
2.    ई-मेडिटेक (टी पीए) सर्विस लि0, 307, थर्ड फ्लोर, पेराडाईज अपार्टमेंट्स, होटल पार्क प्रिमे के पीछे, सरोजनी मार्ग, सी-स्कीम, जयपुर 302001 (राज0)
              विपक्षी

अधिवक्तागण :-
श्री संजय बत्रा - परिवादिया
श्री यशवर्धन - विपक्षी सॅंख्या 1
                             परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 21.08.12

                       आदेश     दिनांक: 30.01.2015

परिवादिया की ओर से यह परिवाद इस प्रार्थना के साथ पेश किया गया कि बीमा पाॅलिसी के अन्तर्गत विपक्षीगण ने चिकित्सा सुविधा प्रदान करने की शर्त रखी थी । विपक्षी ने पुर्नभरण राशि का पूर्ण भुगतान नहीं किया है और यह प्रार्थना की है कि शेष क्लेम राशि 7253/- रूपए व अन्य चाहा गया अनुतोष प्रदान किया जावे ।
2. विपक्षी की ओर से जवाब में यह तथ्य वर्णित किए गए हैं कि पाॅलिसी की शर्तो के अनुसार रूम रेंट चार्जेज व नर्सिंग चार्जेज बीमित राशि से अधिक नहीं हो सकते थे । इसी प्रकार परिवादिया को प्रदान सुविधा निर्धारित श्रेणी से 20 प्रतिशत अधिक थी जिसकी कटौती की गई है और अन्य तथ्य वर्णित करते हुए परिवाद खारिज करने की प्राथर््ाना की है ।
3. उपरोक्त तथ्यों पर दोनों पक्षों को सुना गया एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
4. विद्वान अधिवक्ता परिवादिया की दलील जो तथ्य परिवाद में वर्णित किए गए हैं उनका समर्थन शपथ-पत्र व दस्तावेज से होता है और परिवाद स्वीकार करने की दलील दी हैै।
5. विपक्षी की ओर से दलील दी गई है कि रूम रेंट एवं नर्सिंग चार्जेज बीमित राशि का एक प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकते थे तथा परिवादिया द्वारा निर्धारित श्रेणी से अधिक की श्रेणी जो कि 20 प्रतिशत अधिक थी का उपयोग किया है इसलिए कटौती भुगतान योग्य श्रेणी के आधार पर की गई है । परिवाद खारिज करने की दलील दी गई है ।
6. परिवादिया की ओर से अपने कथन के समर्थन में निम्न नजीरें पेश की है:-
ा (2003) सी पी जे 37 एन सी सिंगरेडीरामाना मूर्ति बनाम नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी 
सिविल अपील नंबर 5733 वर्ष 2008 नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी बनाम मैसर्स भोघरा पाॅलीकेब प्रा0लि0 

7. विपक्षी की ओर से अपने कथन के समर्थन में निम्न नजीरें पेश की हैः-

रिविजन पिटिशन नंबर 4713/2012 हरियाणा स्टेट काॅ-आॅपरेटिव सप्लाई बनाम इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस क0लि0
रिविजन पिटिशन नंबर 354/2007 राजकुमार बनाम युनाईटेड इण्डिया इन्श्योरंेस कम्पनी लि0
ाा (2011) सी पी जे 246 (एन सी) अजय वर्मा बनाम युनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेंस , नई दिल्ली
प्ट (2010) सी पी जे 237 (एन सी) के.आर.राजशेखर बनाम न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लि0

8. उपरोक्त दलीलों के संदर्भ में हमने पत्रावली का अध्ययन किया तो पाया कि विपक्षी की ओर से फूल एण्ड फाईनल सेटलमेंट के सम्बन्ध में बहस की है और उसके सम्बन्ध में जो नजीरें पेश की है उस बाबत पत्रावली के अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि फूल एण्ड फाईनल की रसीद न होकर प्री रिसिप्ट वाउचर की प्रति प्रस्तुत की है और यह भुगतान के पूर्व हस्ताक्षर करवाई जानी होती है । उक्त रसीद में किस मद में कितनी राशि दी गई है, कितनी काटी गई है इसका विवेचन नहीं है । भुगतान की गई राशि का किस नंबर का चैक दिया गया था इसका भी विवेचन नहीं है । अत: प्रस्तुत की गई रसीद को फूल एण्ड फाईनल सेटलमेंट के रूप में नहीं माना जा सकता है । विपक्षी ने अपने अभिकथनों में ऐसी कोई आपत्ति नहीं ली है । अत: विपक्षी की यह आपत्ति परिवादिया की ओर से प्रस्तुत नजीरों के संदर्भ में मानने योग्य नहीं है ।
9. अब देखना यह है कि परिवादिया ने जो राशि चिकित्सा के दौरान सम्बन्धित चिकित्सा पर व्यय की क्या उस राशि में से भुगतान के समय कटौती सही रूप से की गई है ? इस संदर्भ में हमने विपक्षी की ओर से प्रस्तुत आर.सी.कनोजिया के शपथ-पत्र का अध्ययन किया तो पाया कि रूमरेंट व नर्सिंग चार्जेज में एक प्रतिशत की निर्धारित श्रेणी से अधिक की श्रेणी 20 प्रतिशत होने से कटौती की गई है ।
10. परिवादिया ने विपक्षी को प्रीमियम अदा करके स्वयं की चिकित्सा के लिए मेडिक्लेम पाॅलिसी प्राप्त की थी । विपक्षी संस्था ने उक्त बीमाधारी की चिकित्सा के लिए अस्पताल निर्धारित किए हैं । ऐसी स्थिति में विपक्षी का यह दायित्व था कि वह चिंहित किए अस्पतालों को यह निर्देश देते कि किस पाॅलिसी बीमाधारक को किस श्रेणी की सुविधा दी जानी है । किस श्रेणी की नर्सिंग व रूमरेंट सुविधा प्रदान की जानी है और वह पाॅलिसी के अनुसार मरीज को सुविधाएं प्रदान करवाते । परिवादिया पाॅलिसी प्राप्त करने के पश्चात बीमारी की अवस्था में अस्पताल में भर्ती हुआ । विपक्षी द्वारा चिंहित अस्पताल में उसकी चिकित्सा हुई और चिकित्सालय ने जो बिल दिया उसका भुगतान परिवादिया ने मरीज के रूप में किया है उसके पश्चात इस प्रकार की कटौतियां करना विपक्षी द्वारा बीमा के संव्यवहार में अनुचित व्यापार प्रक्रिया अपना कर सम्बन्धित चिकित्सालय को निर्देश नहीं कर, चिकित्सालय द्वारा वसूली गई राशि को काट कर कम भुगतान किया जाना उचित नहीं माना जा सकता है और उपरोक्त विवेचन के आधार पर परिवादिया का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है ।
आदेश
अत: परिवादिया का परिवाद स्वीकार किया जाकर विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादिया की चिकित्सा पर  व्यय की गई सम्पूर्ण राशि मंे से शेष रही राशि 7253/- रूपए अक्षरे सात हजार दो सौ तरेपन रूपए परिवादिया को भुगतान करेगी तथा इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की दिनंाक 21.08.12 से अदायगी तक 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज अदा करेगी। इसके अलावा परिवादिया को कारित मानसिक संताप की क्षतिपूर्ति के लिए उसे 3500/- रूपए अक्षरे तीन हजार पाॅंच सौ रूपए एवं परिवाद व्यय 1500/- रूपए अक्षरे एक हजार पांच सौ रूपए अदा करेेेगी। परिवादिया का अन्य अनुतोष अस्वीकार किया जाता है।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                  

 

( ओ.पी.राजौरिया )   (श्रीमती सीमा शर्मा)    (मिथलेश कुमार शर्मा)    
     सदस्य              सदस्य          अध्यक्ष      

निर्णय आज दिनांक 30.01.2015 को लिखाकर सुनाया गया।

 

( ओ.पी.राजौरिया )   (श्रीमती सीमा शर्मा)    (मिथलेश कुमार शर्मा)    
     सदस्य              सदस्य          अध्यक्ष      

 
 
[HON'BLE MRS. Seema sharma]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. O.P. Rajoriya]
MEMBER

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