राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-815/2024
प्रभाशंकर त्रिपाठी पुत्र स्व0 संतराम त्रिपाठी निवासी- ग्राम कनैटी, थाना घोरावल जनपद-सोनभद्र, उ0 प्र0।
........... अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
शाखा प्रबंधक यूनाइटेड इंण्डिया इंश्योरेन्स कंपनी लिमिटेड शाखा मुर्धवा पटेल नगर, रेनूकोट जनपद सोनभद्र, उ0 प्र0 व एक अन्य।
…….. प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री उमेश कुमार शर्मा
प्रत्यर्थीगण के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :- 24.06.2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/ प्रभाशंकर त्रिपाठी द्धारा इस आयोग के सम्मुख धारा-41 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, सोनभद्र द्वारा परिवाद सं0-32/2020 में पारित आदेश दिनांक 03.05.2024 के विरूद्ध योजित की गई है।
अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपीलार्थी/परिवादी के परिवाद को माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के सिविल मिसलेनियस रिट पिटीशन (सी) संख्या 5162/2023 उ0 प्र0 राज्य व अन्य बनाम श्रीमती गंगा देवी व अन्य एवं सिविल मिसलेनियस रिट पिटीशन (सी) संख्या 5164/2023 उ0 प्र0राज्य व अन्य बनाम श्रीमती कृष्णा तिवारी व अन्य में पारित आदेश का उल्लेख किया है। उल्लिखित रिट पिटीशन में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्धारा दिनांक 23.03.2023 को निम्न आदेश पारित किया गया है:-
"Having regards to there facts, we dismiss the instant petition with caution to the state respondents not to indulge in such fsivilous litigation in future as it result in unneccessorly burdening the docket of this court."
Let the matter be placed before the chief secretary, U.P. Government Lucknow and Law secretary, U.P. Government Lucknow for information and remedial measures"
मा0 उच्च न्यायालय द्धारा पारित आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार द्धारा उपरोक्त शासनादेश जारी किया गया है, जिसमे यह उल्लिखित है कि राज्य सरकार द्धारा राजस्व विभाग के अंतर्गत संचालित कृषक दुर्घटना बीमा योजना नि:शुल्क योजना है, जिसमे राज्य सरकार द्धारा कृषक से किश्त के प्रीमियम के रूप में कोई धनराशि नहीं ली जाती है, का उल्लेख करते हुये क्षेत्राधिकार विहीनता के कारण परिवाद निरस्त कर दिया गया।‘’
मेरे द्धारा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क सुने गये तथा अभिलेख का सम्यक परिशीलन किया गया।
समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए न्यायहित में मेरे विचार से अपीलार्थी/परिवादी को सुनवाई का एक अवसर प्रदान किया जाना उचित प्रतीत होता है, तद्नुसार इस मामले में बिना किसी गुणदोष पर विचार किये प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, सोनभद्र द्वारा परिवाद सं0-32/2020 में पारित आदेश दिनांक 03.05.2024 अपास्त किया जाता है तथा प्रकरण सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को इस आग्रह के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग उपरोक्त परिवाद सं0-32/2020 को अपने पुराने नम्बर पर पुनर्स्थापित कर उभय पक्ष को साक्ष्य एवं सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए परिवाद का गुण-दोष के आधार पर निस्तारण, इस आदेश की प्राप्ति से 06 माह की अवधि में बिना किसी पक्ष को स्थगन प्रदान करते हुए करना सुनिश्चित करें।
इस आदेश की प्रति अपीलार्थी/परिवादी द्वारा दिनांक 18.07.2024 अथवा उससे पूर्व जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत की जाए।
इस आदेश की प्राप्ति से प्रत्यर्थी/विपक्षीगण के अधिवक्ता को इस आदेश की सूचना दो सप्ताह की अवधि में अपीलार्थी/परिवादी के अधिवक्ता द्वारा प्राप्त करायी जावे।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
रंजीत, पी.ए.
पीठ सं०-01