राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(सुरक्षित)
अपील संख्या 963/2023
मै0 ए0ए0 केबिल लेयर्स, शॉप नं. 10, आदर्श मार्केट, राधा रोड, सिविल लाइन्स रामपुर, द्वारा पार्टनर राजेन्द्र पाल सिंह......
...........अपीलार्थी
बनाम
1. यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कं.लि., 24 व्हाइट्स रोड, चेन्नई द्वारा जनरल मैनेजर-600014
2. यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कं.लि., नियर कम्पनी बाघ, सिविल लाइन्स, मुरादाबाद, द्वारा रीजनल मैनेजर।
3. यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कं.लि., जागीर सिंह हिसाब धर्मार्थ, न्यास हॉल -2, प्रथम तल, श्री गुरू अमरदास मार्केट, रामपुर-244701 द्वारा मैनेजर।
...........प्रत्यर्थीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री मुजीब एफेण्डी,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित: श्री प्रसून कुमार राय,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 30.08.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग रामपुर द्वारा परिवाद संख्या-94/2021 ए0ए0 केबिल लेयर्स बनाम केन्द्रीय कार्यालय/मुख्यालय यूनाईटेड इण्डिया इंश्योरेंस कं.लि. व अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 02.05.2023 के विरूद्ध योजित की गयी है।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री मुजीब एफेण्डी एवं प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता प्रसून कुमार राय को सुना गया तथा प्रश्नगत् निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में अभिकथन किया है कि परिवादी सरकार द्वारा ठेके पर दिये गये कार्यो- सड़क, पुल, भवन आदि के निर्माण का कार्य करता है। परिवादी को पहाड़ी मार्ग मटयाल, बैण्ड, अपर टोला मार्ग के 12.036 किलो मीटर निर्माण का करीब 10 करोड़ का ठेका मिला। विपक्षी संख्या 3 से उक्त निर्माण कार्य का बीमा परिवादी ने दिनांक 16.10.15 से दिनांक 15.10.16 की अवधि के लिए कुल रू0 222421.00 प्रीमियम अदा करके, कराया गया।
इस सम्बन्ध में विपक्षीगण 1 ता 3 ने कान्ट्रेक्टर्स आफ रिस्क इन्श्योरेन्स पालिसी संख्या 2507844415 पी 108197037 जारी किया। परिवादी ने मटयाल बैण्ड अपर टोला मार्ग पर संविदा के अनुसार कार्य प्रारम्भ किया। बीमा पालिसी के प्रभाव में रहने के दौरान माह जून-जुलाई 2016 में उक्त स्थान पर भारी बारिश हुई, जिसके कारण निर्माण कार्य प्रभावित हुआ।
निर्माण कार्य के लिए जमा की गयी सामग्री व किये गये निर्माण को नुकसान पहुंचा, क्षति की सूचना विपक्षी कार्यालय को फोन व ईमेल से दी गयी। विपक्षीगण के कार्यालय द्वारा उक्त नुकसान के आंकलन के लिए विलम्ब से सर्वेयर की नियुक्ति की गयी। सर्वेयर से परिवादी ने सहयोग किया, स्थल निरीक्षण कराया, परिवादी ने सर्वेयर को मांगे गये प्रपत्र भी उपलब्ध कराये, सर्वेयर की नियुक्ति विलम्ब से किये जाने के कारण कार्य स्थल पर निर्माण रूका रहा और क्षति भी समय के साथ साथ बढ़ती रही। इसके अतिरिक्त परिवादी समय-समय पर विपक्षीगण को फोन, ईमेल पत्राचार आदि के माध्यम से सूचित करता रहा, बीमा क्लेम शीघ्र निस्तारित करने की प्रार्थना करता रहा, किन्तु बीमा क्लेम परिवाद प्रस्तुति की तिथि तक भी निस्तारित नहीं किया गया। इस बीच वर्ल्ड बैंक डिवीजन पीडब्लूडी चम्पावत के असिस्टेन्ट इन्जीनियर ने दिनांक 19.12.2016 से क्षति का मूल्यांकन धनराशि रू0 45,57,996.24 निर्धारित किया। पीडब्लूडी के प्रान्तीय खण्ड पिथौरागढ़ के अधिशासी अभियंता ने दिनांक 21.6.2021 को नुकसान का आंकलन 73.44 लाख रूपये किया। अत: क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष परिवाद योजित करते हुये वांछित अनुतोष की मांग की गयी है।
विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत प्रतिवाद पत्र में बीमा पॉलिसी के तथ्य को स्वीकार किया गया, किन्तु इस आशय का कथन किया गया कि परिवादी को कोई ऐसी क्षति नहीं हुई, जिसकी प्रतिपूर्ति की बाध्यता विपक्षीगण पर है, परिवादी को वाद कारण प्राप्त नहीं है, गलत कथनों के आधार परिवाद संस्थित किया गया है तथा संबंधित बीमा शर्तों को प्रस्तुत नहीं किया है, जबकि क्षेत्रीय कार्यालय देहरादून के सक्षम अधिकारी द्वारा कुछ अतिरिक्त शर्तों के साथ परिवादी को बीमा पालिसी जारी करने की स्वीकृति दी थी। इन अतिरिक्त शर्तों को पृष्ठांकन के साथ मूल पालिसी में संलग्न करते हुए, मूल पालिसी विपक्षी संख्या 3 द्वारा परिवादी को उपलब्ध करायी गयी थी, किन्तु परिवादी ने पालिसी मूल रूप में प्रस्तुत नहीं किया।
क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा लगायी गयी अतिरिक्त शर्तों को हटाते हुए पालिसी को नेट से डाउनलोड करके प्रस्तुत किया। प्रश्नगत् पालिसी में वर्षा से हुए नुकसान को कवर नहीं माना गया है ।
यह भी कथन किया गया कि दिनांक 24.7.2016 को परिवादी ने सर्वप्रथम विपक्षी संख्या 3 को लिखित सूचना इस आशय की दी कि इस रोड पर हो रही बारिश के कारण मार्ग पर भारी स्लाईड आ रहा है, बनायी गयी दीवार व अन्य सिविल कार्य डैमेज हो गये हैं, किन्तु पत्र में नुकसान की अनुमानित धनराशि को परिवादी ने नहीं बताया।
दिनांक 11.09.2016 को भी इसी प्रकार का पत्र परिवादी ने भेजा, उसमें भी अनुमानित नुकसान की धनराशि का ब्यौरा नहीं दिया गया, जबकि नुकसान की गम्भीरता एवं प्रस्तावित धनराशि के अनुसार ही वर्गीकृत सर्वेयर की नियुक्ति की जाती है, फिर भी विपक्षी संख्या 3 ने दिनांक 12.09.16 को सर्वेयर की नियुक्ति के लिए डिवीजनल कार्यालय मुरादाबाद को लिखा, डिवीजनल कार्यालय में बिना किसी देरी के श्री जगदीश चन्द्र जोशी को सर्वेयर नियुक्त कर दिया, श्री जोशी ने भिन्न मेल्स के द्वारा परिवादी/उसके प्रतिनिधि श्री नागपाल से आवश्यक दस्तावेजों व सूचनाओं को मांगा गया।
परिवादी ने सर्वप्रथम दिनांक 26.09.16 के पत्र से विपक्षी संख्या 3 को अवगत कराया कि साइट पर रू0 35 लाख का नुकसान होने का अनुमान है। सर्वेयर ने दिनांक 7.10.2016 को मौके का सर्वे किया तथा प्राकृतिक आपदा से नुकसान होने से सम्बन्धित आवश्यक वांछित दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए परिवादी को कहा गया, किन्तु परिवादी ने सर्वेयर के समक्ष कागजात प्रस्तुत नहीं किये। सर्वेयर ने सर्वेक्षण के दौरान यह पाया कि मौके पर नुकसान नहीं हुआ है बल्कि सामान्य "वीयर एण्ड टीयर” है जो सामान्यत: वर्षा और पानी के बहाव के कारण हो सकती है, जो बीमा पालिसी की शर्तों से आच्छादित नहीं है। श्री जोशी ने मौके के निरीक्षण के पश्चात परिवादी के प्रतिनिधि श्री नागपाल को मोबाइल पर फोन करके आवश्यक कागजात की डिमाण्ड की थी, जो उन्हें उपलब्ध नहीं करायी गयी।
सर्वेक्षण आख्या प्राप्त होने पर सर्वेयर की अनुशंसा के दृष्टिगत विपक्षी संख्या 3 के इन्चार्ज प्रबन्धक श्री संजय जैन दिनांक 30.12.16 को परिवादी का क्लेम भुगतान योग्य नहीं पाया और उसी दिन परिवादी को सूचित कर दिया गया, अतः परिवादी का यह कथन कि क्लेम अनिस्तारित है, गलत है।
यह भी कथन किया गया कि दिनांक 21.09.2016 को परिवादी ने जो ईमेल भेजा, उसमें नुकसान की तिथि दिनांक 29.08.2016 बतायी गयी, अतः परिवादी द्वारा कम्पनी को दी गयी सूचना में घटना की जो तिथि दिनांक 24.7.2016 बतायी गयी, वह घटना फर्जी कथनों पर आधारित है ।
परिवादी का क्लेम निस्तारित करते हुए दिनांक 30.12.2016 को ही इसकी सूचना दे दी गयी थी, किन्तु यह परिवाद माह सितम्बर 2021 में प्रस्तुत किया गया जो स्पष्टया समय बाधित है। परिवादी के विधिक नोटिस का जबाब श्री कृपाल सिंह एडवोकेट को दिनांक 20.7.2021 को भेज दिया गया था। अत: बीमा कम्पनी ने परिवादी को दी जाने वाली सेवाओं में कोई कमी नहीं की है। तदनुसार परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उभयपक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त अपने निर्णय में निम्न तथ्य विवेचित करते हुए परिवाद निरस्त किया गया :-
“उल्लेखनीय है कि यह दीवानी प्रकृति का वाद नहीं है बल्कि उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के समक्ष एक परिवाद केस है। समरी परीक्षण के दौरान अतिरिक्त साक्ष्य एकत्रित करके नुकसान का आंकलन कराये जाने का कोई अवसर इस प्रकार के परीक्षण में नहीं होता।
मामले की परिस्थितियों में यद्यपि बरसात से हुए नुकसान को प्रश्नगत् बीमा पालिसी से आच्छादित माने जाने के बाद भी परिवादी को देय क्षतिपूर्ति के सम्बन्ध में कोई आंकलन सम्भव नहीं है।”
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि अपीलार्थी/परिवादी कम्पनी द्वारा सरकार द्वारा विभिन्न निर्माण कार्य हेतु दिये गये ठेके के कार्य को सम्पादित किये जाने हेतु ठेका प्राप्त किया जाता है अर्थात् सड़क, पुल एवं भवन इत्यादि के निर्माण हेतु और निर्माण कार्य में किसी प्रकार की क्षति को सुरक्षित रखने हेतु बीमा कराया गया।
प्रश्नगत् अपील में अपीलार्थी कम्पनी द्वारा पहाड़ी मार्ग मटयाल जिसकी कुल लम्बाई 12.036 किलोमीटर थी, के निर्माण के कार्य हेतु उत्तराखण्ड डिसास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट द्वारा प्रस्तावित योजना के अन्तर्गत वर्ल्ड बैंक के माध्यम से कुल धनराशि रू0 10 करोड़ हेतु प्राप्त किया गया।
उपरोक्त निर्माण प्रक्रिया सम्पादित किये जाने के पूर्व अपीलार्थी/परिवादी कम्पनी द्वारा प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी से बीमा वास्ते निर्माण योजना हेतु दिनांक 16.10.2015 से 15.10.2016 की अवधि हेतु सुनिश्चित किया गया, जिसके परिप्रेक्ष्य में अपीलार्थी/परिवादी द्वारा कुल प्रीमियम धनराशि रू0 2,22,421/- विपक्षी बीमा कम्पनी को प्रदान किया गया।
दौरान सड़क निर्माण प्रक्रिया निर्माण साइट पर भारी वर्षा होने के कारण न सिर्फ निर्माण प्रक्रिया बाधित हुई वरन् अपीलार्थी/परिवादी द्वारा निर्मित किये गये विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्य अर्थात् दीवाल व अन्य सिविल कार्य बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गये, जिससे अपीलार्थी/परिवादी को भारी नुकसान उठाना पड़ा, जिस हेतु अपीलार्थी/परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को साइट पर हुए भारी नुकसान हेतु आंकलन की प्रक्रिया सुनिश्चित किये जाने हेतु प्रार्थना पत्र दिया गया।
लगातार प्रार्थना पत्र देने के उपरान्त बीमा कम्पनी द्वारा घटना के 02 माह की अवधि के पश्चात् घटना का संज्ञान लेते हुए साइट का आंकलन किये जाने हेतु कार्यवाही प्रारम्भ की गयी, परन्तु बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा कोई उचित निर्धारण नहीं किया गया, अतएव चूंकि प्रोजेक्ट वर्ल्ड बैंक द्वारा प्रस्तावित था अपीलार्थी/परिवादी द्वारा सर्वे हेतु वर्ल्ड बैंक डिवीजन पी.डब्ल्यू.डी. से सम्पर्क किया गया, जिसके द्वारा कुल क्षति/हानि का आंकलन रू0 45,57,996.24 आंकलित किया गया, जो आंकलन आख्या अपील पत्रावली के पृष्ठ संख्या 75 से प्रारम्भ होते हुए पृष्ठ संख्या 79 तक उपलब्ध है।
अपीलार्थी/परिवादी के अधिवक्ता द्वारा सहायक अभियंता, प्रांतीय खण्ड, लोक निर्माण विभाग, पिथौरागढ़ द्वारा किये गये आंकलन प्रपत्रों की ओर भी इस न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया गया। साथ ही बीमा कम्पनी द्वारा पूर्व में दिये गये सर्वे/आंकलन के अन्तर्गत कार्यवाही न किये जाने के कारण विधिक नोटिस भी जारी करने का उल्लेख किया गया। विधिक नोटिस जारी किये जाने के पश्चात् विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा अधिवक्ता का उत्तर दिनांकित 20.07.2021 प्रेषित किया गया, जिसमें यह स्पष्ट रूप से उल्लिखित किया गया कि अत्यधिक वर्षा से संबंधित घटना के कारण हुई क्षति के संबंध में बीमा कम्पनी द्वारा कोई वारंटी नहीं दी गयी है।
श्री मुजीब एफेण्डी, अपीलार्थी/परिवादी के अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि बीमा कम्पनी द्वारा जारी पॉलिसी बाण्ड में उपरोक्त के संबंध में किसी भी प्रकार का कोई उल्लेख नहीं पाया गया न ही किया गया कि यदि अत्यधिक वर्षा या प्राकृतिक आपदा के कारण निर्माण में किसी प्रकार की कोई क्षति होती है तब उस स्थिति में हुए नुकसान की भरपाई बीमा कम्पनी नहीं करेगी अर्थात् कि बीमा कम्पनी अपीलार्थी/परिवादी को हुए नुकसान की भरपाई हेतु पूर्णरूपेण जिम्मेदार है।
विपक्षी बीमा कम्पनी के अधिवक्ता श्री प्रसून कुमार राय द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख इस तथ्य का उल्लेख किया गया कि यद्यपि बीमा पॉलिसी जारी करते समय उपरोक्त हुई क्षति/ नुकसान का उल्लेख वास्ते बीमा सुरक्षा उल्लिखित नहीं किया गया, परन्तु जब बीमा पॉलिसी जारी हुई उसके पश्चात् प्रपत्रों को हेड ऑफिस प्रेषित किया गया तब वहां से यह दिशा-निर्देश प्राप्त हुए कि उपरोक्त के संबंध में साइट पर भारी वर्षा होने के कारण यदि कोई हानि निर्माण में होती है तब उसका दायित्व बीमा कम्पनी पर नहीं माना जावेगा।
मेरे द्वारा उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क विस्तार से सुने गये एवं पत्रावली का सम्यक् परीक्षण एवं परिशीलन किया गया तथा यह निर्विवादित रूप से पाया गया कि बीमा पॉलिसी को जारी करते समय बीमा कम्पनी द्वारा समस्त नुकसान को आच्छादित करते हुए बीमा पॉलिसी जारी की गयी और जब अपीलार्थी/परिवादी को भारी वर्षा/प्राकृतिक आपदा के कारण क्षतिकारित हुई तो बीमा कम्पनी यह कहकर अपने दायित्व से बच नहीं सकती है कि वह अपीलार्थी/परिवादी को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति अदा करने के लिए उत्तरदायी नहीं है। इस तथ्य का उल्लेख स्पष्ट रूप से पॉलिसी में नहीं उल्लिखित किया गया कि यदि भारी वर्षा के कारण निर्माण प्रक्रिया में किसी प्रकार की कोई क्षति अथवा नुकसान होगा, तब बीमा कम्पनी उपरोक्त क्षति/नुकसान के लिए उत्तरदायी नहीं होगी।
बीमा किये जाने के पश्चात् लिये गये किसी भी निर्णय का प्रतिफल बीमित संस्था या व्यक्ति से नहीं होता है वरन् उपरोक्त बीमा कम्पनी के अन्तर्गत स्वयं भविष्य के निर्धारण के लिए माना जा सकता है।
अत: समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुये मेरे विचार से विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार न करते हुए विधि विरूद्ध ढंग से निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है, जबकि अपीलार्थी/परिवादी को प्राकृतिक आपदा से नुकसान होना प्रमाणित है, साथ ही परिवादी द्वारा निर्माण संबंधित कार्यों में किसी प्रकार की कोई क्षति कारित होने के उद्देश्य से ही बीमा कराया गया, जिसका प्रीमियम भी बीमा कम्पनी को अदा किया गया। साथ ही परिवादी द्वारा धनराशि रू0 73,44,000/- का नुकसान बताया गया है, जिसके एवज में सर्वेयर द्वारा धनराशि रू0 45,57,996.24 क्षति का आंकलन किया गया है। मेरे विचार से सर्वेयर द्वारा किया गया आंकलन विधि सम्मत प्रतीत होता है। तदनुसार अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाता है तथा विपक्षीगण/बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह अपीलार्थी/परिवादी को एकल एवं संयुक्त रूप से अपीलार्थी/परिवादी को हुए नुकसान के मद में धनराशि रू0 45,57,996.24/- मय 10 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित परिवाद प्रस्तुत किये जाने की तिथि से अन्तिम अदायगी की तिथि तक अदा करेंगे। इसके अतिरिक्त विपक्षीगण/बीमा कम्पनी, अपीलार्थी/परिवादी को धनराशि रू0 1,00,000/- (रूपये एक लाख मात्र) मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में तथा रू0 20,000/- (रूपये बीस हजार मात्र) वाद व्यय के रूप में अदा करेंगे।
इस निर्णय एवं आदेश का अनुपालन निर्णय से 02 माह की अवधि में सुनिश्चित किया जावेगा।
यदि विपक्षीगण/बीमा कम्पनी द्वारा निर्धारित समयावधि के अंदर आदेश का अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया जावेगा तो विपक्षीगण/बीमा कम्पनी, अपीलार्थी/परिवादी को 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज अदा करेगी।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी/परिवादी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
आशीष, पी.ए.
कोर्ट सं.-01