Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/103/2018

MO. SUFIYAN - Complainant(s)

Versus

UNITED INDIA INSURANCE CO. LTD. - Opp.Party(s)

V.P. SINGH

07 May 2019

ORDER

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 103 सन् 2018

     प्रस्तुति दिनांक 14.09.2018

                                      निर्णय दिनांक 07/05/2019

मोo सोफियान पुत्र इस्लाम उम्र 35 वर्ष ग्राम- व पोस्ट- मुहम्मदपुर तहसील- निजामाबाद, जिला- आजमगढ़।

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बनाम

शाखा प्रबन्धक यूनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड 64 रूंगटा बिल्डिंग सदावर्ती, आजमगढ़ उoप्रo

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उपस्थितिः- अध्यक्ष- कृष्ण कुमार सिंह, सदस्य- राम चन्द्र यादव

 

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अध्यक्ष- “कृष्ण कुमार सिंह”-

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह रोजी-रोटी व आजीविका के संचालन हेतु दीप आटो मोबाइल से दिनांक 21.06.2014 को बोलेरो पिकअप वाहन महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा कम्पनी लिमिटेड संजरपुर आजमगढ़ से फाइनेन्स करवाया था। बीमा कम्पनी द्वारा यह बताया गया था कि गाड़ी का फुल बीमा करवा लीजिए। इसके लड़ने-भिड़ने अथवा चोरी पर उसे कम्पनी भुगतान कर सकेगा। गाड़ी का बीमा दिनांक 21.06.2016 से 20.06.2017 तक के लिए पॉलिसी संख्या 0811033116 पी 103537294 मुo 25,646/- रुपये का प्रीमियम देकर कुल 4,05,000/- रुपये का बीमा करवाया था। कम्पनी ने उसे सारे कागजात दे दिए। परिवादी अपने ड्राइवर रामधनी को भूषा पहुंचाने हेतु दिनांक 06.05.2017 को अपने रिश्तेदार जवाहर लाल गौड़ के घर तिलक में रुका और वहीं पर दिनांक 06.05.2017 को उसकी गाड़ी चोरी हो गयी। जिसकी सूचना उसने 100 नं. पर डायल कर दिया और उसकी एफ.आई.आर. भी किया। बीमा कम्पनी द्वारा उसकी जाँच भी करवायी गयी। परिवादी ने सारी औपचारिकताएँ पूरी कीं, लेकिन इन्श्योरेन्स कम्पनी ने उसे परेशान करती रही और                                                      P.T.O.

2

गाड़ी का बीमा होने के बावजूद मुo 25,646/- का प्रीमियम लेने के बाद दुर्भावनापूर्ण काम किया। बीमा कम्पनी का पत्र दिनांक 14.08.2018 को जब परिवादी को प्राप्त हुआ तो उसे घोर आश्चर्य हुआ, जिसमें 03.08.2018 को नो क्लेम दिखाया गया था। कम्पनी द्वारा क्लेम न देने से इन्कार करने पर परिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया। अतः परिवादी को विपक्षी यूनाईटेड इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड शाखा आजमगढ़ से गाड़ी संख्या यू.पी. 50 ए.टी. 8541 तथा बीमा मूल्य 4,05,000/- रुपया दिलवाया जाए और उसके व्यवसाय में हुई हानि के लिए 20,000/- रुपये तथा वादशुल्क 15,000/- रुपया दिलवाया जाए।

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 8/1 एफ.आई.आर. की नकल, कागज संख्या 8/5 थानाध्यक्ष को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 8/6 नक्शा नजरी, कागज संख्या 8/7 आर.सी., कागज संख्या 8/8 फिटनेस सर्टिफिकेट, कागज संख्या 8/9 नो क्लेम की सूचना, कागज संख्या 8/10 दूसरी चाभी देने की सूचना, कागज संख्या 8/11 इन्श्योरेन्स की छायाप्रति, कागज संख्या 8/15 डी.एल. प्रस्तुत किया है।

विपक्षी की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया गया है। अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवाद चलने योग्य नहीं है। विपक्षी द्वारा उक्त वाहन की चाभी उपलब्ध कराये जाने के सम्बन्ध में बार-बार पत्र प्रेषित किया गया। तत्पश्चात् परिवादी द्वारा अवगत कराया गया कथित घटना के एक वर्ष पूर्व एक चाभी कहीं गुम हो गया है। तत्पश्चात् परिवादी द्वारा उक्त वाहन की दूसरी चाभी उपलब्ध करायी गयी। परिवादी द्वारा उपलब्ध करायी गयी दूसरी चाभी का सत्यापन सम्बन्धित एजेन्सी द्वारा कराया गया तो ज्ञात हुआ कि परिवादी के कथित वाहन की                                                   P.T.O.

3

चाभी संख्या 0892 दिया गया था, लेकिन परिवादी द्वारा जो चाभी उपलब्ध करायी गयी उसका नम्बर 0389 थी। जिससे साबित होता है कि परिवादी द्वारा साजिश के तहत उक्त वाहन के चोरी होने का कथन किया गया। यह परिवाद दाखिल किया गया है। अतः परिवाद पत्र खारिज किया जाए।

विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में बीमा कम्पनी द्वारा कागज संख्या 18/2 चाभी के सत्यापन के सन्दर्भ में लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/3 प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है।

उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्ता को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। बीमा के कागजात के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि जिस दिन गाड़ी की चोरी हुई उस दिन वाहन का बीमा था। विपक्षी ने परिवादी का क्लेम केवल इस आधार पर खारिज किया है कि उसके द्वारा जो चाभी मांगी गयी थी। वह चाभी परिवादी ने उसे उपलब्ध नहीं कराया । इस आधार पर जो क्लेम खारिज हुआ था वह अवैध है।

उपरोक्त विवेचन से हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।

आदेश

परिवाद पत्र स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को क्लेम का धनराशि मुo 4,05,000/- रुपया (चार लाख पांच हजार रुपया) अन्दर 30 दिन अदा करें। जिस पर परिवाद पत्र दाखिल करने की तिथि से 09% वार्षिक ब्याज देय होगा। विपक्षी परिवादी को मुo 5,000/- रुपया (पांच हजार

P.T.O.

 

 

4

रुपया) आर्थिक व मानसिक कष्ट के लिए तथा 1,000/- रुपया (एक हजार रुपया) वाद शुल्क भी अदा करें।  

 

 

 

राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                                      (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

                        दिनांक 07/05/2019

यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                                    (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

 

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