Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/109/2017

KRISHNA KANT YADAV - Complainant(s)

Versus

UNITED INDIA INSURANCE CO. LTD. - Opp.Party(s)

GAUTAM LAL SRIVASTAVA

10 Oct 2019

ORDER

 

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 109 सन् 2017

प्रस्तुति दिनांक 19.07.2017

                                                                                            निर्णय दिनांक 10.10.2019    

कृष्णकान्त यादव उम्र लगभग 45 वर्ष पुत्र रामबूझ यादव निवासी ग्राम- चड़ई, पोस्ट- रानी की सराय, तहसील- सदर, जिला- आजमगढ़।

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. मण्डलीय प्रबन्धक यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड जरिये शाखा प्रबन्धक युनाइटेड इंडिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड शाखा कार्यालय 64 रूंगता विल्डिंग सदावर्ती आजमगढ़।
  2. शाखा प्रबन्धक यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा सेठवल रानी की सराय आजमगढ़।   
  3.  

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा राम चन्द्र यादव “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह अपने घर पर पशुपालन एवं दूध का व्यापार बढ़ाने की गरज से माह जूलाई 2014 में विपक्षी संख्या 02 की शाखा से स्वयं के नाम से खाता संख्या 702306040000003 खुलवाकर डेयरी उद्योग चलाने हेतु 1,00,000/- रुपये का अनुदान 12.5% की दर से प्राप्त किया। विपक्षी संख्या 02 द्वारा दोनों के लिए टैग नम्बर क्रमशः 68096 व 68050 निर्गत करके उनके कानों में लगाया गया और दिनांक 05.09.2014 को किस्त मुo 7,584/- रुपये का भुगतान परिवादी के खाते से निकालकर विपक्षी संख्या 02 ने दिनांक 25.09.2014 को विपक्षी संख्या 01 की शाखा में भुगतान करके उक्त दोनों गायों का बीमा तीन वर्ष की अवधि के लिए किया। परिवादी की गाय टैग नं. 68096 व 68050 की बीमा पॉलिसी नं. 081103/47/14/01/00000506 वैधता दिनांक 25.09.2014 से 25.09.2017 तक जारी किया। परिवादी की दोनों गाएं प्रतिदिन लगभग 15 लीटर दूध देती थी, जिसकी आय से परिवादी अपना व अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। अनुदान से लिए गए धनराशि की ब्याज सहित भुगतान विपक्षी संख्या 02 को समय-समय पर करता था। परिवादी अपने व्यवसाय को बढ़ाने की गरज से पुनः जनवरी 2015 में विपक्षी संख्या 02 की शाखा से 1,00,000/- रुपये अनुदान मय 12.5% ब्याज की दर से प्राप्त किया और माह मार्च 2015 में दो अदद गाय खरीदा। परिवादी के गायों के लिए विपक्षी संख्या 02 ने टैग नं. 68036 व 68027 निर्गत किया तथा दिनांक 18.03.2015 को मुबलिक                                                               P.T.O.

 

 

2

7,584/- रुपये का भुगतान परिवादी के खाते से निकालकर तीन वर्ष की अवधि के लिए बीमा करने हेतु विपक्षी संख्या 01 के समक्ष जमा कराया गया। परिवादी की दोनों गायों का टैग नं. 68036 व 68027 के लिए प्रीमियम मुo 7,584/- रुपये प्राप्त कर के विपक्षी संख्या 01 ने बीमा पॉलिसी जारी किया। विपक्षी संख्या 01 द्वारा परिवादी जिस गायों का टैग नं. क्रमशः 68036 व 68027 का बीमा तीन वर्ष की अवधि तक के लिए करने हेतु मुo 7584/- रुपया प्रीमियम लिया गया, लेकिन विपक्षी संख्या 01 ने लापरवाहीवश बीमा की अवधि केवल 18.03.2015 से 17.03.2016 से जारी किया। इसकी जानकारी विपक्षी संख्या 02 को हो गयी। अतः परिवादी को विपक्षी संख्या 01 की दादरसी का पता तुरन्त नहीं लग पाया। परिवादी की एक गाय टैंग नं. 68036 दिनांक 08.06.2016 को रात में लगभग 3.30 बजे अचानक बीमार हो जाने के कारण मर गयी। सुबह होने के बाद इसकी सूचना विपक्षी संख्या 02 को दिया और उनके ही निर्देशों पर शव विच्छेदन पशुचिकित्साधिकारी रानी की सराय आजमगढ़ द्वारा किया गया। परिवादी ने उसी दिन मृत गाय व टैग नं. 68036 विपक्षी संख्या 02 को सौंप दिया और उनकी क्षतिपूर्ति उसी दिन उसकी लिखित सूचना विपक्षी संख्या 01 को देकर क्षतिपूर्ति धनराशि के भुगतान हेतु याचना किया। परिवादी द्वारा क्षतिपूर्ति भुगतान हेतु पशु क्षतिपूर्ति दावा विपक्षी संख्या 01 के समक्ष प्रस्तुत करने के पश्चात् विपक्षी संख्या 01 लगभग तीन माह तक अपने अभिकर्ता के माध्यम से जाँच-पड़ताल कराता रहा। जाँच-पड़ताल की कार्रवाई समाप्त होने के बाद विपक्षी संख्या 01 ने परिवादी को आश्वासन दिया कि भुगतान कर दिया जाएगा। विपक्षी संख्या 01 द्वारा परिवादी के दावों को खारिज कर दिया गया और एक पत्र दिनांक 06.9.2016 के माध्यम से उसको सूचित किया गया। दावा खारिज होने के पश्चात् ही परिवादी को सूचना मिली और परिवादी को काफी मानसिक आघात लगा और दिनांक 07.09.2016 को विपक्षी संख्या 01 के कार्यालय पहुंचकर दावा खारिज होने का कारण पूछा तो वह उसके कुछ भी बताने से इन्कार कर बाहर कर दिया। परिवादी उसी दिन कचहरी आया और अपने वकील साहब को अपने बातें बताया। परिवादी के अधिवक्ता द्वारा नोटिस भेजी गयी। जिसका उत्तर भी प्राप्त हुआ। अतः परिवादी को 4,00,000/- रुपया क्षतिपूर्ति 12.5% वार्षिक ब्याज की दर से दिलवाया जाए। न्यायालय की दृष्टि में और जो भी अनुतोष हो दिलवाया जाए।

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 8/2 परिवादी का क्लेम खारिज करने के सम्बन्ध में विपक्षी संख्या 01 द्वारा परिवादी को लिखा गया पत्र, कागज संख्या 8/3 ता 8/8 कैटिल इन्श्योरेन्स की छायाप्रति, कागज                                                            P.T.O.

 

 

 

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संख्या 8/9 जनसूचना भेजे जाने का प्रार्थना पत्र, कागज संख्या 8/10 पोस्टल ऑर्डर की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।

विपक्षी संख्या 01 की ओर कागज संख्या 13/1 जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र कथनों से इन्कार किया गया है। अतिरिक्त कथन में उसके द्वारा यह कहा गया है कि दावा परिवादी विधि विरुद्ध है। प्रस्तुत दावा में कथित वस्तु का बीमित प्रपत्र पत्रावली में दाखिल किया, जिसका 64बी.बी. सुनिश्चित कराया गया। तत्पश्चात् ज्ञात हुआ कि शाखा कार्यालय द्वारा जारी बीमा पॉलिसी की वैधता दिनांक 18.03.2015  से 17.03.2016 तक है। दावा में कथित पशु की मृत्यु दिनांक 08.06.2016 को हुई थी। अतः विपक्षी संख्या 01 का कोई दायित्व नहीं है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।

विपक्षी संख्या 02 की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया गया है। विशेष कथन में यह कहा गया है कि मामले से सम्बन्धित तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी एक किसान है। उसने दो चक्र में चार गाय खरीदने हेतु 2,00,000/- रुपये की मियादी ऋण तथा गायों के चारा हेतु रुo 50,000/- के कैश क्रेडिट ऋण सुविधा प्राप्त किया था। दिनांक 21.07.2014 को परिवादी के कैश क्रेडिट ऋण सुविदा खाता संख्या 702305030000126 के माध्यम से परिवादी के पक्ष में समय-समय पर 50,000/- रुपये की रकम वितरित की गयी। जिसका विवरण एकाउण्ट में सनिश्चित किया गया है। परिवादी को दो गाय खरीदने के लिए 1,00,000/- रुपये दिया गया था और परिवादी ने गाय क्रय किया। जिसका पशु डॉक्टर के स्वास्थ्य प्रमाण पत्र दिनांक 15.09.2014 के अनुसार कर्ण छल्ला Ear Tag No. A 68096 एवं UI68050 रहा। उक्त दोनों गाय का परिवादी के जानिब से 7,584/- मात्र का भुगतान करके दिनांक 25.09.2014 से 24.09.2017 तक की मियाद के लिए विपक्षी संख्या 01 द्वारा साधारण बीमा कराया गया। परिवादी के अनुरोध पर वर्तमान समय में परिवादी के मियादी ऋण खाते में विपक्षी संख्या 02 का रूपया 85,486.58/- व ब्याज व दीगर खर्च बकाया है। इसी प्रकार परिवादी कैश क्रेडिट ऋण खाता में विपक्षी संख्या 02 का रुपया 49,604/- व ब्याज व दीगर खर्च बकाया है। विपक्षी संख्या 01 द्वारा बीमा दावा निरस्त किया जाना विधि विरुद्ध है। अतः विपक्षी संख्या 02 को परिवादी से केवल हैरान व परेशान करने एवं लोक धन वसूली के लिए पक्षकार मुकदमा बनाया है। अतः विपक्षी संख्या 02 के विरुद्ध प्रस्तुत परिवाद निरस्त किया जाए।

विपक्षी संख्या 02 के द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

यहाँ इस बात का उल्लेख कर देना आवश्यक है कि यद्यपि विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है लेकिन उनके द्वारा इस जवाबदावा के समर्थन में कोई भी शपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है।

                                                    P.T.O.

 

 

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विपक्षी संख्या 01 द्वारा बहस के दौरान यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा जारी ऋण की छायाप्रति यू.बी.आई. ने परिवादी को 50,000/- रुपये की ऋण लेने की, विपक्षी संख्या 01 व परिवादी के मध्य किए गए एग्रीमेन्ट हेल्थ केयर सर्टिफिकेट चार प्रतियों में, स्टेटमेन्ट एकाउन्ट प्रस्तुत किया है।

उभय पक्षों के सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने बैंक में केवल 7,584/- रुपये तीन वर्ष की बीमा हेतु धनराशि जमा किया था। जिसकी बैंक से विपक्षी संख्या 01 के यहाँ भेजा, लेकिन विपक्षी संख्या 01 ने गलती से केवल एक साल का बीमा परिवादी को जारी किया, जो कि नितान्त गलत है। जबकि विपक्षी संख्या 01 ने तीन साल का बीमा ही परिवादी को जारी करता, लेकिन विपक्षी संख्या 01 द्वारा ऐसा नहीं किया गया। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।

आदेश

परिवाद स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी संख्या 01 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को 50,000/- रुपया (पचास हजार रुपया) बीमा का धनराशि वापस करे, जिस पर वाद दाखिला के दिन से भुगतान की तिथि तक परिवादी 09% वार्षिक ब्याज पाने के लिए अधिकृत होगा। विपक्षी संख्या 01 द्वारा यह भुगतान अन्दर तीस दिन किया जाएगा। विपक्षी संख्या 01 परिवादी को आर्थिक व मानसिक कष्ट के लिए 20,000/- रुपया (बीस हजार रुपया) तथा वाद खर्च के लिए 5,000/- रुपया (पांच हजार रुपया) का भुगतान करें।

 

 

 

 

                                                  राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                        (सदस्य)                         (अध्यक्ष)

                            दिनांक 10.10.2019

                                                     यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

                                               राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                               (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

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