Rajasthan

Jaipur-IV

CC/372/2012

D.D. Sales corporation. - Complainant(s)

Versus

United India Insurance Co, Ltd . - Opp.Party(s)

Ayyajudin Khann

09 Feb 2015

ORDER

          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर

                         पीठासीन अधिकारी
      डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
                         डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य

परिवाद संख्या:-372/2012 (पुराना परिवाद संख्या 586/2009)

डी.डी.सेल्स काॅरर्पोरेशन, पता- ठध्व् बी-23, आॅटोमोबाईल नगर, ट्रांसपोर्ट नगर, जयपुर जरिये ब्रांच मैनेजर श्री नरेश गोयल ।

परिवादी
बनाम
यूनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, मण्डल कार्यालय- द्वितीय, 20, मोहन हाऊस, ट्रांसपोर्ट  नगर, जयपुर जरिये मण्डलीय प्रबन्धक ।  
विपक्षी

उपस्थित
परिवादी फर्म की ओर से श्री अयाजुद्दीन खान, एडवोकेट
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से श्री सरदारीलाल, एडवोकेट

निर्णय
दिनांकः- 09.02.2015

यह परिवाद, परिवादी फर्म द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध दिनंाक          21.04.2009 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी फर्म पार्टनरशिप एक्ट के तहत गठित एक फर्म हैं और श्री नरेश गोयल इस फर्म के जयपुर स्थित ब्रांच के ब्रांच मैनेजर हैं ।  परिवादी फर्म वाहन बोलेरो जीप संख्या एच.आर.-02-जी-5939 की पंजीकृत स्वामी हैं एवं जिसका उनके द्वारा काॅम्प्रेहैन्सिव बीमा (पैकेज पाॅलिसी) विपक्षी बीमा कम्पनी से वांछित प्रीमियम अदा करके करवाया गया था । बीमा अवधि 04.12.2004 से 03.12.2005 तक एवं बीमित राषि 3,25,000/-रूपये थी । विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा उक्त वाहन के बीमा बाबत् कवर नोट का केवल एक ही पृष्ठ उपलब्ध करवाया गया था तथा संबंधित बीमा पाॅलिसी मय टम्र्स एण्ड कण्डीशन्स आज दिन तक विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी फर्म को उपलब्ध नहीं करवाई गई । इसी बीच यह वाहन दिनांक 05.05.2005 की रात्रि को श्री नरेश गोयल के मित्र श्री अश्वनी वालिया, निवासी- 173, मंगला मार्ग, ब्रह्मपुरी, जयपुर के घर से चोरी चला गया । जिसकी सूचना दिनंाक 06.05.2005 को ही पुलिस थाना ब्रह्मपुरी, जयपुर में दे दी गई । लेकिन उक्त चोरी की एफ.आई.आर. संख्या 198/05 दिनांक 01.06.2005 को श्री अष्वनी वालिया ने पुलिस थाना ब्रह्मपुरी, जयपुर में दर्ज करवाई गई । जिसमें अदम पता माल मुल्जिमान में एफ.आर. लगा दी गई ।
परिवादी फर्म ने कथित चोरी की सूचना अविलम्ब विपक्षी बीमा कम्पनी को देकर समस्त औपचारिकताऐं पूर्ण करते हुए मय आवश्यक दस्तावेज बीमा क्लेम विपक्षी बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत किया और बीमा कम्पनी द्वारा चाहे गये समस्त दस्तावेजात भी उसे उपलब्ध करवा दिये गये । लेकिन इसके बावजूद भी विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी फर्म को बीमाधन 3,25,000/-रूपये अदा नहीं किया । बल्कि परिवादी फर्म पर अनुचित दबाव बनाकर सिर्फ 2,60,000/-रूपये क्लेम सेटल करने को कहा । जिसे परिवादी फर्म द्वारा नामंजूर करने पर विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी फर्म का बीमा क्लेम अपने पत्र दिनंाकित 23.04.2007 के माध्यम से आधारहीन कारणों पर निरस्त कर दिया । जो विपक्षी बीमा कम्पनी का सेवादोष और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी फर्म अब विपक्षी बीमा कम्पनी से परिवाद के मद संख्या 16 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारिणी  हैं ।
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था, यह तथ्य स्वीकार हैं । श्री अश्वनी कुमार वालिया ने उक्त वाहन को परिवादी फर्म से जगादरी, जिला यमुनानगर से वर्ष 2000 में क्रय कर लिया था आर तभी से यह वाहन श्री अश्वनी कुमार वालिया के आधिपत्य एवं उपभोग में था । चोरी की घटना की दिन भी उक्त वाहन श्री अष्वनी कुमार वालिया के घर के बाहर आम दिनों की तरह उसके द्वारा पार्क किया हुआ था जो कि प्रथम सूचना रिपोर्ट, श्री अश्वनी कुमार वालिया द्वारा पुलिस को दिये गये बयान एवं अन्य दस्तावेजों से प्रमाणित हैं । इसके अलावा कथित चोरी की एफ.आई.आर.      श्री अश्वनी कुमार वालिया ने ही कथित घटना के 25 दिन बाद दर्ज करवाई हैं और उसमें भी उसने वाहन का स्वामित्व अपना ही बताया हैं । इस प्रकार वक्त घटना परिवादी फर्म का उक्त बीमित वाहन में कोई बीमा हित निहित नहीं था । विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी फर्म पर किसी प्रकार का अनुचित दबाब नहीं बनाया और न ही 2,60,000/-रूपये में क्लेम सेटल करने को कहा । परिवादी फर्म का क्लेम विधि अनुसार एवं उचित कारणों से अस्वीकार किया गया हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री नरेश गोयल एवं श्री अश्वनी कुमार वालिया के शपथ पत्र एवं प्रदर्श-1 से प्रदर्श-5 दस्तावेज प्रस्तुत किये गये ।  जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से श्री बी.एल.मीना का शपथ पत्र एवं प्रदर्श एनए-1 से प्रदर्श एनए-7 दस्तावेज प्रस्तुत किये गये । 
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
परिवादी फर्म की ओर से प्त्क्। का सर्कूलर दिनांकित 20.09.2011 प्रस्तुत करने के साथ-साथ निम्न न्याय सिद्धान्त प्रस्तुत किये गयेः-
01ण्प्प् ;2011द्ध ब्च्श्र 480
02ण्प्प् ;2008द्ध ब्च्श्र 364 ;छब्द्ध
03ण्प्ट;2008द्ध ब्च्श्र 1 ;ैब्द्ध

   विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से न्याय सिद्धान्त 2014 ;3द्ध ज्ण्।ण्ब्ण् 712 ;ैण्ब्ण्द्ध प्रस्तुत किया गया ।

प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी फर्म द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज प्रदर्श-3 एफ.आई.आर. एवं प्रदर्श-4 एफ.आर. के अनुसार वाहन चोरी की सूचना श्री अश्वनी कुमार वालिया ने यह कहते हुए पुलिस थाना ब्रह्मपुरी, जिला जयपुर में दर्ज कराई है कि वह चोरी गये वाहन संख्या एच.आर.-02-जी-5939 का स्वामी हैं और इस वाहन का बीमा मैसर्स डी.डी.सेल्स काॅरपोरेशन के नाम से हैं । परिवाद भी मैसर्स डी.डी.सेल्स काॅरपोरेशन के नाम से हैं जिसके ब्रांच मैनेजर श्री नरेश गोयल की ओर से यह परिवाद प्रस्तुत किया गया हैं । जिससे यह प्रमाणित है कि वाहन का पंजीकृत स्वामी मैसर्स डी.डी.सेल्स काॅरपोरेशन हैं न कि श्री अश्वनी कुमार वालिया । इसी संदर्भ में परिवादी फर्म की ओर से पावर आॅफ अटाॅर्नीहोल्डर श्री नरेश गोयल का शपथ पत्र दिनांकित 05.09.2012 प्रस्तुत किया गया है जिसके मद संख्या 4 में अंकित तथ्य कि ’विवादित वाहन दिनांक 05.05.2005 को उसके मित्र अश्वनी कुमार वालिया के निवास स्थान 173, मंगला मार्ग, ब्रह्मपुरी, जयपुर के घर से चोरी हुआ था’, पर भी विश्वास किये जाने का कोई कारण नहीं हैं । श्री नरेश गोयल एवं श्री अश्वनी कुमार वालिया दोनों के द्वारा दिनांक           05.09.2012 को प्रस्तुत किये गये शपथ पत्र संदिग्ध प्रतीत होते हैं क्योंकि ये शपथ पत्र विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा जारी किये गये नो क्लेम पत्र प्रदर्श-5 दिनांकित 23.04.2007 के बाद प्रस्तुत किये गये हैं और इनमें वाहन में परिवादी फर्म के बीमा हित को सिद्ध करने के तथ्य । ।जिमत ज्ीवनहीज के रूप में विकसित किये गये हैं । क्योंकि          श्री अश्वनी कुमार वालिया ने इस शपथ पत्र के मद संख्या 2 में वाहन को परिवादी फर्म के पावर आॅफ अटाॅर्नीहोल्डर श्री नरेश गोयल से घर में शादी होने के लिए दिनंाक 03.05.2005 को लेना कहता है । जबकि एफ.आई.आर. प्रदर्ष-3 के अनुसार वह इस वाहन का स्वामी स्वयं को बताता हैं । इसलिए परिवादी फर्म द्वारा बाद में अपने प्रकरण को सुदृढ़ बनाने के लिए श्री नरेष गोयल एवं श्री अष्वनी कुमार वालिया के प्रस्तुत किये गये शपथ पत्र हमारे विनम्र मत में विष्वसनीय नहीं कहे जा सकते हैं ।
परिवादी फर्म की ओर से जो न्याय सिद्धान्त प्प् ; 2011द्ध ब्च्श्र 480 प्रस्तुत किया गया हैं उसके अनुरूप परिवादी फर्म की ओर से वाहन का रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है । इसलिए उक्त न्याय सिद्धान्त में अभिनिर्धारित बिन्दु इस प्रकरण के तथ्यों से समानता नहीं रखने के कारण न्याय सिद्धान्त को प्रकरण के तथ्यों पर चस्पा होना नहीं माना जा सकता । अन्य न्याय सिद्धान्त प्प् ;2008द्ध ब्च्श्र 364 ;छब्द्ध - प्ट;2008द्ध ब्च्श्र 1 ;ैब्द्ध में निर्णित बिन्दु प्रकरण के तथ्यों से कोई संदर्भ नहीं रखते हैं इसलिए उनके पृथक से विवेचन की आवष्यकता नहीं हैं । इसके अलावा विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से प्रस्तुत न्याय सिद्धान्त 2014 ;3द्ध ज्ण्।ण्ब्ण् 712 ;ैण्ब्ण्द्ध प्रकरण के तथ्यों से सुसंगत नहीं हैं इसलिए उसके पृथक से विवेचन की आवष्यकता नहीं हैं ।
इस तरह प्रकरण के समस्त तथ्यों के विवेचन से यह स्पष्ट हैं कि विवादित वाहन संख्या एच.आर.-02-जी-5939 का पंजीकृत स्वामी कौन है ? इस तथ्य को सिद्ध करने के लिए परिवादी फर्म की ओर से वाहन का रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है । इसलिए विपक्षी बीमा कम्पनी ने चोरी गये वाहन संख्या एच.आर.-02-जी-5939 मेें वक्त घटना परिवादी फर्म का बीमा हित नहीं होना मानकर परिवादी फर्म का बीमा क्लेम निरस्त करके कोई त्रुटि नहीं की हैं । इसलिए विपक्षी बीमा कम्पनी का कोई सेवादोष प्रमाणित नहीं हैं । अतः परिवाद, परिवादी फर्म विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध निरस्त किया जाता हैं ।
 आदेश
 अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी फर्म विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध निरस्त किया जाता हैं ।

अनिल रूंगटा              डाॅं0 अलका शर्मा            डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य             सदस्या              अध्यक्ष


निर्णय आज दिनांक 09.02.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।

अनिल रूंगटा            डाॅं0 अलका शर्मा              डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष

 

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