Uttar Pradesh

Hamirpur

CC/43/2014

JAY BAHADUR - Complainant(s)

Versus

UNITED INDIA INSURANCE C0 - Opp.Party(s)

AJAY OMAR

14 Mar 2016

ORDER

FINAL ORDER
DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
HAMIRPUR
UP
COURT 1
 
Complaint Case No. CC/43/2014
 
1. JAY BAHADUR
HAMIRPUR
...........Complainant(s)
Versus
1. UNITED INDIA INSURANCE C0
JHANSI
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUNIL KUMAR SINGH PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. HUMERA FATMA MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

                                        दायरा तिथि- 23-04-2014

                                              निर्णय तिथि- 14-03-2016

  समक्ष- जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, फोरम हमीरपुर (उ0प्र0)

   उपस्थिति-  श्री सुनील कुमार सिंह            वरिष्ठ सदस्य

              श्रीमती हुमैरा फात्मा              सदस्या

                         

  परिवाद सं0- 43/2014 अंतर्गत उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-12

जय बहादुर पुत्र श्री  रतीराम साकिन ग्राम भिलावां परगना व तहसील हमीरपुर जिला हमीरपुर।                                                    

                                                          .....परिवादी।

                        बनाम

यूनाईटेड इण्डिया इंश्योरेंस क0लि0 द्वारा शाखा प्रबंधक यूनाईटेड इण्डिया इंश्योरेंस क0लि0 कृष्णा टाकिज के पास 497 सदर बाजार झांसी हाल मुकाम कार्यालय नन्दनपुरा सीपरी बाजार झांसी, उ0प्र0।

                                                          ........विपक्षी।

                       निर्णय

द्वारा- श्री, सुनील कुमार सिंह,पीठासीन वरिष्ठ सदस्य

       परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी से अपनी गाड़ी बुलेरो के दुर्घटना पश्चात उसके रिपेयरिंग में हुए खर्च मु0 465637 रू0 व बीमित धनराशि नो क्लेम कर देने से मानसिक, आर्थिक क्षतिपूर्ति आदि दिलाये जाने हेतु उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत किया है।

       परिवादी का कथन संक्षेप में यह है कि उसकी बुलेरो गाडी जिसका इंजन न0 जी0एफ0 91- डी 81638  का एक्सीडेंट टाटा विस्ट्रा से दि0 28/04/2010 को हो गया था। जिसकी रिपोर्ट सम्बंधित थाना कुरारा जिला हमीरपुर में दर्ज करा दी गई थी। परिवादी की गाडी का बीमा विपक्षी बीमा कम्पनी से था। जिसका पालिसी सं0082200/31/09002443 है जो कि दि0 13.05.2009 से 12.05.2010 तक के लिए वैध था। गाडी का एक्सीडेन्ट होने के पश्चात विपक्षी को को एक्सीडेन्ट की सूचना दे दी गई थी। विपक्षी द्वारा सर्वेयर भी  मोके पर भेजा गया था। दुर्घटनाग्रस्त गाडी को सर्वेयर के निरीक्षण एवं निर्देशानुसार बनाने के लिए जैन मोटर वर्कशाप गड़रियन पुरवा कानपुर में दि0 20.05.10 को क्रेन से ले जाया गया। जिसका भाड़ा मु0 4800 रू0 परिवादी को स्वयं वहन करना पड़ा। सर्वेयर के मांगने पर गाडी के समस्त कागजात व डी0एल0 भी दे दिया गया। गाड़ी सही हो जाने के बाद जैन मोटर वर्कशाप द्वारा मरम्मत का बिल मु0 155637 रू का दिया गया। परिवादी ने विपक्षी को मरम्मत खर्च के अलावा क्रेन भाड़ा आदि खर्च सहित समस्त कागज क्लेम के बावत दिये गये। जिससे मरम्मत का भुगतान किया जा सके। लेकिन सर्वेयर द्वारा रिपोर्ट लगाने के लिए 30000 रू0 की मांग की गई, जिसे परिवादी ने देने से इंकार कर दिया। अतः परिवादी लगातार परेशान हो रहा है। गाडी विपक्षी के यहां से बीमित थी और विपक्षी को बीमा धनराशि रोकने का कोई अधिकार नहीं है।  विपक्षी द्वारा भुगतान न किये जाने के कारण  परिवादी को  मजबूर होकर दिनांक-

                                 (2)

21.11.10, 21.11.11 व 26.10.12 को नोटिस भेजी गई लेकिन विपक्षी द्वारा अन्तिम नोटिस का ही जवाब दिया गया। इसी कारण मजबूरी में दि0 21.04.12 को परिवादी 155637 रू0 का भुगतान करके गाड़ी उठा लाया। इस बीच लगभग दो वर्ष तक गाड़ी वर्कशाप में खड़ी रही। जिससे परिवादी को बहुत अधिक नुकसान हुआ व बीमित धनराशि न मिलने के कारण भी बहुत अधिक मानसिक आर्थिक क्षति हुई। जिसके एवज में बीमा रिपेयर धनराशि के अलावा मु0 50000 रू0 हर्जाना व गाडी खडी रखने का मु0 20000 रू0 दिलाये जाने व  दि0 08.12.13 को विपक्षी द्वारा पूर्णतया भुगतान करने से इंकार करने की बजह से विपक्षी के विरूद्ध दावा  करने की आवश्यकता हुई।

         विपक्षी ने अपने जवाबदावा में प्रश्नगत बाहन का बीमा होना स्वीकार किया है तथा यह भी कहा है कि बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में किसी प्रकार की कई कमी नहीं की गई है। परिवादी द्वारा विपक्षी के  सर्वेयर के क्लेम सम्बंधित कागजात उपलब्ध न कराने से उसके द्वारा दि0 02.04.11 को परिवादी का दावा नो क्लेम करके क्लेम पत्रावली बन्द कर दी व इसकी सूचना परिवादी को कर दी । उक्त परिवाद काल बाधित है तथा निरस्त किये जाने योग्य है।

         विपक्षी ने यह भी स्वीकार किया है कि दुर्घटना की सूचना मिलने पर उन्होंने योग्य सर्वेयर श्री एन. के. वाजपेयी को नियुक्त किया। जिन्होंने भलीभॉति सर्वे करके परिवादी को दि0 18.09.10 को पत्र भेजकर क्षति निर्धारण के लिए सूचित किया लेकिन परिवादी द्वारा न कोई सहयोग किया और न ही क्लेम सम्बंधी औपचारिकताऐ पूर्ण की गई। जिस पर विपक्षी ने दि0 15.10.10 को पुनः परिवादी को सूचित किया फिर भी  परिवादी द्वारा कोई सहयोग नहीं किया गया। फिर भी इसके पश्चात  सर्वेयर ने  अपनी फाइनल सर्वे रिपोर्ट स्टीमेट के आधार पर दि0 27.11.10 को मु0 118307 रू0 क्षति का आंकलन करते हुए अपनी आख्या प्रस्तुत की। सर्वेयर की आख्या  प्राप्त होने पर कम्पनी द्वारा परिवादी से दि0 12.12.10, 21.11.11 के गाडी रिपेयर संबंधी सभी पार्ट की रसीद तथा भुगतान से  स बंधित मूल बिल गैरिज की स्टाम्प लगी हुई रसीद की मांग की। लेकिन परिवादी द्वारा रसीद उपलब्ध नहीं कराई गई। जिसके पश्चात दि0 02.04.11 को परिवादी का दावा नो क्लेम करके उसे सूचित कर दिया गया। परिवादी द्वारा जानबूझकर गाडी वर्कशाप में खडी रखी गई और उसके कथनानुसार दि0 02.04.12 को  मरम्मत के व्यय का भुगतान किया लेकिन परिवादी द्वारा उसे मूल बिल के भुगतान संबंधी कोई कागजात नहीं उपलब्ध नहीं कराये गये। अतः विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। उपरोक्त तथ्यों के आधार पर परिवादी द्वारा बीमा के नियमों का पालन नहीं किया गया जिस पर परिवादी का उक्त परिवाद  निरस्त किया जाये तथा विपक्षी ने परिवादी से विशेष हर्जा दिलाये जाने की मांग की है।

         परिवादी ने साक्ष्य में सूची कागज सं0 3 से 6 किता कागजात, सूची कागज सं0 21 से 3 किता कागजात व स्वयं का शपथपत्र कागज सं0 19 तथा साक्षी रमेश कुशवाहा का शपथपत्र कागज सं0 20 प्रस्तुत किया है।

         विपक्षी ने साक्ष्य में सूची कागज सं0 24 से 12 किता कागज प्रस्तुत किया है।

                                 (3)

         बहस के समय परिवादी एवं विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता हाजिर आये। पक्षों के तर्कसंगत कथनों को सुना गया तथा पत्रावली का परिशीलन कर लिया गया है।

         प्रस्तुत परिवाद में परिवादी एवं विपक्षी ने अपने अपने कथनों के समर्थन में साक्ष्य के रूप में शपथपत्र, दुर्घटना एवं बीमा से संबंधित अभिलेख दाखिल किया है। परिवाद दुर्घटना  में क्षतिग्रस्त हुई बुलेरो गाडी  जिसका इंजन न0 91डी81638 व चेचिस नं0 95डी65028 के रिपेयर में होने वाले व्यय को बीमा कम्पनी द्वारा नो क्लेम कर देने के कारण उत्पन्न हुआ। विपक्षी ने गाडी का बीमित होना, दुर्घटना की सूचना होना, सूचना होने के बाद श्री एन के बाजपेई को सर्वेयर नियुक्त करना, सर्वेयर द्वारा कम्पनी के अधिकृत वर्कशाप मे गाडी रिपेयरिंग के लिये भिजवाना व वर्कशाप में गाडी रिपेयर किया जाना आदि स्वीकार किया है। परिवादी के कथनानुसार कि उसने विपक्षी को बिल व क्रेन भाड़ा व समस्त कागजात क्लेम क् बावत दिये जिससे गाड़ी की मरम्मत आदि का भुगतान किया जा सके। सर्वेयर की रिपोर्ट आदि लगाने को कहा गया जिसमे उसके द्वारा पैसों की मांग की गई। पैसा न देने के कारण सर्वेयर द्वारा रिपोर्ट नहीं बनाई गई और विपक्षी द्वारा क्लेम देने में हीला हवाली की गई। विपक्षी को इस संबंध में कई नोटिस दी गई परन्तु विपक्षी द्वारा अंतिम नोटिस दि0 26.10.12 का ही जबाव दिया गया। लेकिन उसे क्लेम नहीं दिया गया। मजबूर होकर परिवादी को स्वयं रिपेयरिंग का खर्च मु0 155637 रू0 बिल कागज सं0 6, 7 के अनुसार रसीद सं05, 20/1, 20/2 देकर लगभग दो वर्ष वाद गाडी उठानी पड़ी, जिससे परिवादी को अत्यधिक क्षति हुई और अभी भी क्लेम नहीं दिया गया है। लेकिन उसे जब विपक्षी के अधिवक्ता झांसी की नोटिस कागज सं0 10,11 प्राप्त हुई तो पता चला कि उसका क्लेम दि0 02.04.11 को खारिज कर दिया गया है। नोटिस में फिर भी सम्पूर्ण बीमा संबंधी प्रपत्र देने पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर क्लेम देने की भी बात कही थी। जिसके बाद कागजात देने पर भी विपक्षी दि008.12.13 को भुगतान करने से मना कर दिया जिसके कारण वाद दायर करने की आवश्यकता हुई। परिवादी ने अपनी बहस के दौरान यह भी बताया कि इसके पूर्व विपक्षी द्वारा नो क्लेम करने की उसे कोई जानकारी नहीं दी गई। उक्त पत्र में दि0 में काफी हेर फेर है, जो कम्पनी की चालाकी को दर्शाती है।

         विपक्षी ने परिवादी के कथनों के उत्तर नें कहा है कि परिवादी से क्लेम सम्बंधी समस्त कागजात की कई बार मांग की गई। इसके संबंध में उसे कई नोटिस कागज सं0 23,24,25 व इसके पूर्व नोटिस कागज सं0 26, 27 जो क्षति निर्धारण के सम्बंध में सहयोग देने के लिये भेजे गए थे। परिवादी ने क्लेम निस्तारण  में कोई कागजात न देकर किसी प्रकार का सहयोग प्रदान नहीं किया। जिससे विपक्षी के सर्वेयर को स्वयं ही क्लेम निस्तारण हेतु गाडी में हुई क्षति का आंकलन करना पडा। सर्वेयर द्वारा अपनी फाइनल सर्वे रिपोर्ट जो कागज सं0 33 फोटो प्रति के रूप में है। उसमें अनुमानित रिपेयरिंग खर्च मु0 118307 रू0 है। परिवादी के क्लेम निस्तारण में कोई रूचि न लेने के कारण दि0 02.04.11 को परिवादी की क्लेम फाइल बन्द कर नो क्लेम कर दी गई।

 

                                 (4)

         उपर्युक्त विपक्षी के कथनो से परिवादी कतई सहमत नहीं है। उसने कहा है कि उने सर्वेयर के कहने से गाडी प्रश्नगत गराज में मरम्मत हेतु अपने खर्च से भिजवायी थी। शुरू में गराज में गाडी का रिपेयर अनुमानित खर्च मु0 332524 रू0 जोकि कागज सं0 32 है। लेकिन गाडी बनने का वास्तविक खर्च मु0 155637 रू0 आया। जबकि विपक्षी सर्वेयर द्वारा फाइनल सर्वे रिपोर्ट में मु0 118307 रू0 का ही बिल बनाया गया था। परिवादी के अनुसार वास्तविक बिल पास करने हेतु सर्वेयर अतिरिक्त पैसों की मांग कर रहा था। परिवादी के इस कथन की कोई पुष्टि नहीं हो सकी है। अतः परिवादी के कथन से पीठ सहमत नहीं है। परिवादी ने यह भी कहा है कि उसने क्लेम निस्तारण हेतु विपक्षी को कई नोटिस भेजी लेकिन विपक्षी द्वारा एक नोटिस को छोडकर किसी नोटिस का कोई जबाव नहीं दिया। विपक्षी ने भी परिवादी पर यही आरोप लगाए है। परिवादी के अनुसार उसकी गाडी गराज में दी थी और  उसके नो क्लेम होने की  जानकारी विपक्षी के अधिवक्ता की नोटिस कीगज सं0 10, 11 से  प्राप्त हुई जो दि0 16.11.12 के बाद प्राप्त हुआ। परिवादी के अनुसार विपक्षी ने इसके पहले उसे नो क्लेम की कोई सूचना नहीं दी गई। उसके द्वारा जो कागज पत्रावली में दाखिल किये गये है। वह उसकी अपनी सुविधानुसार तैयार कराये गये है। यहां तथ्यात्मक बात यह है कि परिवादी ने पत्र सं0 10, 11 को आधार बनाकर अपने नो क्लेम का चैलेंज किया है। इस पत्र के अध्ययन से पता चलता है कि पहली बात तो पत्र में प्रथम पृष्ठ की दिनांक 03.12.11 और बाद की दिनांक दिवतीय पृष्ठ की दिनांक 16.11.12 है। इसका कोई कारण स्पष्ट नहीं है। परिवादी ने दिनांक 16.11.12 को आधार बताया है और जिससे इंकार नहीं किया जा सकता है। विपक्षी ने lll(2009)सी.पी.जे.75(एस.सी.), l(2015) सी.पी.जे.691(एन.सी.) की व्यवस्था दी है। जो उपर्युक्त परिवाद की परिस्थितियों पर लागू नहीं किया जा सकता। अतः विपक्षी के परिवाद काल बाधित होने की बात को खारिज किया जाता है। उक्त परिवाद में पक्ष-विपक्ष द्वारा क्लेम के सम्बंध में केवल आरोप प्रत्यारोप किये गये है। जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि मामले का सही हल निकालने की कोशिस नहीं की गई। परिवादी द्वारा भी रिपेयरिंग का भुगतान सही समय से नहीं किया गया। जिसकी वजह से गाडी दो वर्ष तक गराज में खड़ी रही और न ही मूल भुगतान रसीदें विपक्षी को नहीं दे सका। विपक्षी ने भी परिवादी को जो नो क्लेम नोटिस 22 लगायत 25 भेजे जाने की बात कही है। उसमे भी संदिग्धता परिलक्षित होती है।

         अतः उपर्युक्त तथ्यों की विवेचना करने पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि विपक्षी गाड़ी में हुए नुकसान से पूर्णतः सहमत है और सर्वेयर ने लगभग 118307 रू0 के नुकसान होने की रिपोर्ट प्रस्तुत की है। मूल बिन्दु सिर्फ परिवादी ने समय से गराज का भुगतान न करके ओरजिनल बिल बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत न करके कहीं हद तक बीमा की शर्तों का उल्लंघन भी किया है। लेकिन विपक्षी ने अपने पत्र कागज सं0 10 में जो कथन किया है उसका अनुशरण न करके विपक्षी ने भी सेवा में कमी की है। जबकि परिवादी दि0 21.04.12 को गाडी रिपेयरिंग का समस्त भुगतान मु0 155637 रू0 का कर चुका है और विपक्षी ने अंतिम नोटिस दिनांकित 16.11.12 को दी और परिवादी द्वारा नोटिस के  अन्तर्गत

                                 (5)

सभी वांछित प्रपत्र मूल रूप से कम्पनी को उपलब्ध कराये और विपक्षी द्वारा  क्लेम भुगतान नहीं किया गया।

         अतः परिवादी को विपक्षी से मु0 155637 रू0 एक्सीडेंट क्लेम दिलाना उचित होगा। विपक्षी यदि कोई बीमा सम्बंधी प्रपत्र चाहता है तो परिवादी उसे 15 दिवस में पूर्ण करें। जैसा कि परिवादी ने अपने शपथपत्र में कहा है कि एक्सीडेंट की जगह से गराज तक गाडी ले जाने में उसका मु0 4800 रू0  खर्च हुआ और विपक्षी ने कोई  विरोध भी नहीं किया। स्वीकार किये जाने योग्य है। गराज में गाडी परिवादी की विलम्ब से भुगतान करने की वजह से दो वर्ष तक खडी रही। उसमें विपक्षी की कोई गलती  नहीं है। अतः इस सम्बंध में परिवादी को किसी भी क्षतिपूर्ति से वंचित किये जाने योग्य है। पक्षों को अपना अपना वाद व्यय स्वयं वहन करना उचित होगा। परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।

                       -आदेश-

         परिवाद स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को गाडी रिपेयरिंग का खर्च मु0 155637- रू0 बीमा क्लेम के रूप में  और मु0 4800-रू0 गाडी गराज तक ले जाने का किराया अदा करे। परिवादी विपक्षी को बीमा क्लेम सम्बन्धी प्रपत्र यदि विपक्षी चाहे तो 15 दिवस में प्राप्त कराये। क्षतिपूर्ति व वाद व्यय के मामले में परिवाद खारिज किया जाता है। अनुपालन अंदर 45 दिवस हो।

 

(हुमैरा फात्मा)                             (सुनील कुमार सिंह)

    सदस्या                                  वरिष्ठ सदस्य                   

 

  यह निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित व दिनांकित करके उद्घोषित किया गया।

 

     

    (हुमैरा फात्मा)                             (सुनील कुमार सिंह)

       सदस्या                                  वरिष्ठ सदस्य                   

 

स्थान- जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, हमीरपुर।  

दिनांक- 14 मार्च- 2016      

 

 
 
[HON'BLE MR. SUNIL KUMAR SINGH]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MRS. HUMERA FATMA]
MEMBER

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