Uttar Pradesh

Faizabad

CC/25/2000

RAM KARAN - Complainant(s)

Versus

UNITED INDIA INSU. - Opp.Party(s)

13 Aug 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/25/2000
 
1. RAM KARAN
VILL- CHACHIPUR PO. KAMHIA DIS FZD
...........Complainant(s)
Versus
1. UNITED INDIA INSU.
HOTEL ALKARAJE BUILDING 2ND FLOOR RIKABGANJ FZD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

परिवाद सं0-25/2000 

               
राम बरन पाठक पुत्र राम अधीन पाठक निवासी ग्राम चाचिकपुर पो0 कम्ह्यिा जिला फैजाबाद। 
                                                            .............. परिवादी 
बनाम
1.    यूनाइटेड इण्डिया इंष्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड षाखा कार्यालय होटल अल्काराजे बिल्डिंग द्वितीय तल रिकाबगंज फैजाबाद।
2.    उ0 प्रदेष सहकारी ग्राम विकाष बैंक लि0 षाखा कार्यालय फैजाबाद। ... विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 13.08.2015            
उद्घोशित द्वारा: श्री विश्णु उपाध्याय, सदस्य।
                        निर्णय
    परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी संख्या 2 से भैंस पालने के लिये रुपये 10,000/- का ऋण दिनांक 05.09.1998 को लिया था और भैंस गोषाईगंज बाजार से खरीदी थी। भैंस का स्वास्थ्य प्रमाण पत्र प्राप्त कर के विपक्षी संख्या 1 से सारी औपचारिकतायें पूरी कर के भैंस का बीमा कराया और बीमा के प्रीमियम का भुगतान भी किया। परिवादी की भैंस दिनांक 24.10.1999 को अचानक बीमार हुयी जिसका इलाज कराने के बावजूद दिनांक 25.10.1999 को भैंस मर गयी। दिनांक 25.10.1999 को ही विपक्षीगण को भैंस के मरने की सूचना पंजीकृत पत्र द्वारा दे दी गयी। परिवादी विपक्षीगण के दर्जनों चक्कर लगा चुका है। विपक्षीगण ने न तो परिवादी की सूचना का कोई उत्तर दिया और न ही बीमा की धनराषि का ही भुगतान किया। इसलिये परिवादी को अपना परिवाद दाखिल करना पड़ा। परिवादी को विपक्षीगण से भैंस की बीमा धनराषि रुपये 10,000/-, क्षतिपूर्ति रुपये 25,000/-, व्यय रुपये 5,000/-, ब्याज तथा परिवाद व्यय दिलाया जाय। 
    विपक्षी संख्या 1 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा परिवादी के परिवाद के कथनों से इन्कार किया है। परिवादी ने किस भैंस का बीमा करवाया था इसका कोई सम्यक उल्लेख व साक्ष्य परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में दाखिल नहीं किया है तथा परिवादी ने भैंस का फोटो भी नहीं खिंचवाया है। परिवादी द्वारा भैंस की मृत्यु की सूचना देने की बात झूठी है। सत्यता यह है कि परिवादी के पास कई भैंस थीं और परिवादी की गैर बीमित भैंस की मृत्यु हो गयी जिसकी गलत सूचना दे कर परिवादी उत्तरदाता से बीमित भैंस के बीमा की धनराषि हड़पना चाहता है। सोची समझी साजिष के तहत परिवादी ने भैंस का पोस्ट मार्टम नहीं करवाया है। परिवादी ने भैंस के मरने की सूचना के साथ भैंस का कर्ण छल्ला मय कान उत्तरदाता को उपलब्ध नहीं कराया है। इसलिये परिवादी के क्लेम पर विचार नहीं किया गया। उत्तरदाता ने बीमा की धनराषि देने में कोई लापरवाही नहीं बरती है बल्कि परिवादी ने कोई सम्यक साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराया हैै। जिससे यह पता चलता कि बीमित भैंस की  मृत्यु नहीं हुई है। परिवादी ने विपक्षी संख्या 2 से भैंस के लिये ऋण लिया था और जब वह ऋण अदा नहीं कर सका तो बैंक ने वसूली के लिये दिनंाक 01.10.1999 को नोटिस परिवादी को भेजी कि दिनांक 11.10.1999 तक यदि परिवादी ऋण अदा नहीं करता है तो बैंक दण्ड के साथ अपना पैसा वसूल करेगा। परिवादी ने उत्तरदाता को जो सूचना भेजी वह उत्तरदाता को दिनांक 25.10.1999 को मिली जिसमें कर्ण छल्ला संख्या व बीमा पालिसी का उल्लेख नहीं था इसलिये परिवादी का क्लेम दर्ज नहीं किया गया। उत्तरदाता जब किसी पषु का बीमा करता है तो उत्तरदाता बीमा कवर नोट देता है व बीमा कराने वाले को अपनी षर्तें बताता है, बीमा कवर नोट व बीमा पालिसी में षर्तें दी रहती हैं। भैंस के मरने पर 24 घंटे में परिवादी को बीमा कम्पनी को सूचना देनी चाहिए थी तथा जानवर की चिकित्सा रिपोर्ट पशु चिकित्सक का प्रमाण पत्र देना चाहिए था तथा उत्तरदाता को षव का निरीक्षण करने का अवसर देना चाहिए था जिससे जानवर की पहचान की जा सके। परिवादी ने बीमा पालिसी की किसी षर्त का पालन नहीं किया है, इसलिये परिवादी का परिवाद निरस्त होना चाहिए। परिवादी को भैंस के मरने की सूचना पत्र से देने के बजाय व्यक्तिगत रुप से बीमा कम्पनी को दी होती तो 24 घंटे के अन्दर निरीक्षण सम्भव हो जाता। परिवादी ने सोची समझी रणनीति के तहत काम किया है और पंजीकृत पत्र से सूचना दी है क्यों कि परिवादी की बीमित भैंस की मृत्यु हुई ही नहीं है। इसलिये परिवादी का परिवाद चलने योग्य नहीं है। परिवादी ने अपने परिवाद में क्षतिपूर्ति का उल्लेख नहीं किया है। परिवादी किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं है। 
    विपक्षी संख्या 2 बैंक के विरुद्ध परिवाद की सुनवाई एक पक्षीय रुप से किये जाने का आदेष दिनांक 02.05.2012 को किया गया था। उसके बाद से विपक्षी संख्या 2 न तो उपस्थित हुए और न ही कोई रिकाल प्रार्थना पत्र निर्णय के पूर्व तक दिया और न ही अपना लिखित कथन दाखिल किया है।
    पत्रावली का भली भांति परिषीलन किया। परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन मंे बीमा पालिसी की छाया प्रति, सूची पर मूल पंचनामा की प्रति, कर्ण छल्ला बन्द कवर मंे, परिवादी का षपथ पत्र, सूची पर बैंक को व बीमा कम्पनी को भेजे गये सूचना के पत्र की छाया प्रति, रजिस्ट्री रसीदें, बीमा कम्पनी की पावती रसीद मूल रुप में, भैंस के स्वास्थ्य प्रमाण पत्र की छाया प्रति, मवेषी बाजार से भैंस के खरीदे जाने की रसीद की छाया प्रति, भैंस के बीमा प्रपत्र की मूल प्रति, बैंक द्वारा परिवादी को जारी डिमाण्ड नोटिस अदिनांकित रुपये 2,400/-, दिनांक 08.05.2009 रुपये 29,000/- तथा दिनांक 28.02.2005 रुपये 20,000/- की प्रतियां मूल रुप में दाखिल की हैं जो षामिल पत्रावली हैं। विपक्षी संख्या 1 बीमा कम्पनी ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना लिखित कथन, पी0 एन0 पाण्डेय षाखा प्रबन्धक का षपथ पत्र तथा सूची पर पालिसी प्रपत्र की कैंसिल्ड प्रति लिपि दाखिल की है जिस पर पालिसी लिये जाने की नियम व षर्तें अंकित हैं। परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी को पंजीकृत पत्र से सूचना दी है जो कि बीमा पालिसी की षर्तों के अनुसार परिवादी को व्यक्तिगत रुप से बीमा कम्पनी को कार्यालय मंे जा कर पत्र दे कर करानी चाहिए थी। दूसरा यह कि परिवादी ने विपक्षी बैंक को सूचित करने के बाद बैंक के माध्यम से बीमा कम्पनी को अपने कागजात भिजवाने चाहिए थे। परिवादी का यह कथन गलत है कि उसके गांव के आस पास पशु चिकित्सक उपलब्ध नहीं था। परिवादी ने इस बात का कोई प्रमाण नहीं दिया है कि उसके गांव के पास कोई पशु चिकित्सक नहीं था यदि ऐसा था तो परिवादी ने अपनी भैंस का इलाज किस डाक्टर से कराया नहीं बताया है। इसका अर्थ है कि परिवादी ने अपनी भैंस का इलाज कराया ही नहीं था। परिवादी ने अपने परिवाद में भैंस के टैग नम्बर का उल्लेख नहीं किया है। परिवादी ने यह भी अपने परिवाद में कहीं नहीं कहा है कि परिवादी की भैंस को किस नम्बर का टैग डाक्टर ने लगाया था। परिवादी ने डाक्टर का प्रमाण पत्र भी दाखिल नहीं किया है कि डाक्टर ने उक्त नम्बर का टैग परिवादी की भैंस को लगाया। भैंस का बीमा कराने के बाद मृत भैंस का पोस्ट मार्टम कराना आवष्यक है। बीमा दावे के लिये पंचनामा मान्य नहीं है। परिवादी ने विपक्षी बैंक के ऋण की अदायगी भी नहीं की है। परिवादी अपना परिवाद प्रमाणित करने में असफल रहा है। विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपनी सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। 
आदेश
    परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।   
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 13.08.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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