SABIR ALI filed a consumer case on 23 Jun 2015 against UNITED INDIA INSORENCE in the Kanpur Nagar Consumer Court. The case no is CC/854/10 and the judgment uploaded on 27 Feb 2018.
श्रीमती सुधा यादव........................................सदस्या
उपभोक्ता वाद संख्या-854/2010
साबिर अली सिद्दीकी पुत्र स्व0 नासिर अली सिद्दीकी निवासी-79/23 बांस मण्डी, कानपुर नगर।
................परिवादी
बनाम
यूनाइटेड इण्डिया इंष्योरेन्स कंपनी लि0 डिवीजनल कार्यालय स्थित 15/46 सिविल लाइन कानपुर नगर, द्वारा डिवीजनल प्रबन्धक।
...........विपक्षी
परिवाद दाखिला तिथिः 29.11.2010
निर्णय तिथिः 08.02.2018
डा0 आर0एन0 सिंह, अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षी से परिवादी द्वारा इलाज में की गयी खर्च की धनराषि रू0 41,948.00 दिलायी जाये, सेवा में कमी के लिए क्षतिपूर्ति के लिए रू0 20,000.00 तथा क्षतिपूर्ति पर 12 प्रतिषत ब्याज दिलाया जाये और रू0 10000.00 परिवाद व्यय दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कंपनी से दिनांक 10.07.09 को पाॅलिसी नं0- 080881/48/09/97/00000039 लिया था, जो दिनांक 10.07.09 से 09.07.10 तक प्रभावी थी। दिनांक 20.10.09 को परिवादी को पेट में भयानक दर्द होने पर परिवादी द्वारा डा0 मनमोहन वर्मा से संपर्क किया गया। कतिपय जांचोपरांत डा0 मनमोहन वर्मा द्वारा परिवादी को द्विवेदी अस्पताल काकादेव कानपुर में भर्ती कर लिया गया और दिनांक 27.02.10 को परिवादी के पेट का आपरेषन किया गया। परिवादी को अपने उपरोक्त इलाज के लिए दिनांक 27.02.2010 से 06.03.2010 तक के लिए उपरोक्त
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अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। परिवादी द्वारा दिनांक 09.04.10 तक समस्त औपचारिकतायें पूर्ण करने के उपरांत विपक्षी बीमा कंपनी के यहां चिकित्सीय व्यय के लिए क्लेम किया गया। विपक्षी के कर्मचारियों को अवैधानिक धन न प्राप्त होने के कारण परिवादी का क्लेम दिनांक 03.08.10 को इस आधार पर खारिज किया गया कि, ’’पाॅलिसी को एक वर्श व्यतीत नहीं हुए हैं’’। विपक्षी द्वारा परिवादी का क्लेम अवैधानिक तरीके से खारिज किया गया है। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3.विपक्षी ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि वास्तविकता यह है कि विपक्षी द्वारा परिवादी से संपूर्ण प्रपत्र जैसे पाॅलिसी, ए/डी, बिल, कैषमेमो, डाक्टरी रिपोर्ट व बीमारी की दषा आदि के बारे में प्रपत्र मांगे गये थे, जिनमें से अधिकांष प्रपत्र परिवादी द्वारा विपक्षी विभाग को उपलब्ध नहीं कराये गये। खर्चो को बढ़ा-चढ़ाकर दर्षाया गया है। विपक्षी द्वारा उपरोक्त पाॅलिसी सर्वप्रथम दिनांक 09.07.09 को प्राप्त की गयी और जिसकी परिपक्वता अवधि दिनांक 08.07.10 थी और दिनांक 21.02.10 को परिवादी ने हास्पिटल में भर्ती होकर अपने गालब्लैडर व हार्निया का इलाज कराया था, जबकि नियमानुसार उपरोक्त दोनों बीमारियां अचानक उत्पन्न नहीं होती हैं। बल्कि उपरोक्त दोनों बीमारियां धीरे-धीरे षरीर में उत्पन्न होती हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि परिवादी ने मेडीक्लेम पाॅलिसी लिये जाने से पूर्व विभाग से क्लेम लिये गये फार्म में छिपाया गया था और परिवादी द्वारा तथ्यों को छिपाकर मेडीक्लेम पाॅलिसी प्राप्त की गयी और दोनों ही बीमारियां प्री डिसीज के अंतर्गत आती हैं तथा गालब्लैडर व हार्निया प्रथम दो वर्श तक कवर नहीं हैं और मेडीक्लेम की धारा-4(1) व 4(3) के नियम व षर्तों का स्पश्ट रूप से उल्लंघन करती हैं और इसी आधार पर परिवादी का क्लेम निरस्त कर दिया और इसी कारण परिवादी, विपक्षी से कोई भी क्लेम क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं है और परिवादी का क्लेम निरस्त
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किये जाने योग्य है और नो क्लेम किये जाने के पष्चात मा0 फोरम को परिवाद को सुनने व निर्णय करने का कोई भी क्षेत्राधिकार नहीं रह जाता है और यदि परिवादी कोई रिलीफ पाना चाहता है तो वह दीवानी न्यायालय के माध्यम से ही प्राप्त कर सकता है। अतः परिवाद उपरोक्त कारणों से खारिज किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4.परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 22.11.10 व 21.09.13 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची के साथ संलग्नक कागज सं0-1/1 लगायत् 1/12 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5.विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में संजय आर्या का षपथपत्र दिनांकित 10.03.10 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची के साथ संलग्नक कागज सं0-3/1 लगायत् 3/15 दाखिल किया है।
निष्कर्श
6.फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं परिवादी द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
7.उभयपक्षों की ओर से उपरोक्त प्रस्तर-4 व 5 में वर्णित षपथपत्रीय व अन्य अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं। उभयपक्षों की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त साक्ष्यों में से मामले को निर्णीत करने में सम्बन्धित साक्ष्यों का ही आगे उल्लेख किया जायेगा।
8.उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में प्रमुख विचारणीय वाद बिन्दु यह है कि क्या परिवादी की अभिकथित बीमारी बीमा षर्त सं0-4.1 व 4.3 से बाधित है, यदि हां तो प्रभाव?
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9.यह वाद बिन्दु सिद्ध करने का भार विपक्षी का है। विपक्षी की ओर से अपने जवाब दावा में तथा षपथपत्र में यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा अपने गालब्लैडर व हार्निया का इलाज दिनांक 21.02.10 को अस्पताल में भर्ती होकर कराया गया है। जबकि नियमानुसार दोनों बीमारियां अचानक उत्पन्न नहीं होती है, बल्कि दोनों बीमारियां धीरे-धीरे षरीर में उत्पन्न होती है तथा गालब्लैडर व हार्निया प्रथम दो वर्श तक कवर नहीं है और मेडीक्लेम की धारा-4(1) व 4(3) की षर्तों से बाधित है। परिवादी की ओर से यह कथन किया गया है कि विपक्षी द्वारा परिवादी का क्लेम अवैधानिक तरीके से, ’’पाॅलिसी को एक वर्श व्यतीत नहीं हुए हैं’’ के आधार पर खारिज किया गया है।
उपरोक्त के सम्बन्ध में परिवादी द्वारा अपना कथन प्रमाणित करने के लिए षपथपत्र प्रस्तुत किया गया है, जिसके प्रतिपक्ष में प्रति षपथपत्र प्रस्तुत किया गया है। विपक्षी की ओर से अपने कथन के समर्थन में प्रति षपथपत्रके अतिरिक्त सूची के साथ बीमा की प्रति, परिवादी की चिकित्सा से सम्बन्धित अभिलेखीय साक्ष्य कागज सं0-3/3, परिवादी के अधिवक्ता को प्रेशित नेाटिस का उत्तर कागज सं0-3/5 लगायत् 3/6 तथा प्रष्नगत पाॅलिसी की षर्तों की प्रति कागज सं0-3/7 लगायत् 3/9 प्रस्तुत की गयी है, जिसके प्रस्तर-4.1 व 4.3 के अवलोकन से विदित होता है कि अभिकथित बीमारी गालब्लैडर व हार्निया, प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी के अपवर्जन की कोटि में आती है। विपक्षी की ओर से ही सूची के साथ कागज सं0-3/10 व 3/11 प्रस्तुत किये गये हैं, जिनसे यह प्रमाणित होता है कि स्वयं परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कंपनी को उपरोक्त पत्रों में गालब्लैडर एवं हार्निया का होना और उसका इलाज कराया जाना बताया गया है।
उपरोक्त के अतिरिक्त कागज सं0-3/4 जो कि परिवादी के क्लेम की अदेयता से सम्बन्धित पत्र जारी द्वारा विपक्षी वहक परिवादी के अवलोकन से विदित हेाता है कि परिवादी द्वारा विपक्षी द्वारा वांछित अन्य अभिलेख प्रस्तुत न किये जाने के कारण तथा अपना क्लेम वापस लेने के
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कारण तथा प्रष्नगत पाॅलिसी के एक वर्श व्यतीत न होने का आधार परिवादी का क्लेम खारिज करने के लिए लिया गया है। परिवादी की ओर से, विपक्षी की ओर से किये गये उपरोक्त कथन तथा साक्ष्य में प्रस्तुत किये गये अभिलेखों के विरूद्ध अन्य कोई प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
अतः प्रस्तुत विचारणीय वाद बिन्दु परिवादी के विरूद्ध तथा विपक्षी के पक्ष में निर्णीत किया जाता है।
उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार, उपरोक्त वाद बिन्दु में दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम का यह मत है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
10. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर फोरम कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्या अध्यक्ष
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